बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर निबंध नंबर 2 (500 शब्द) – Essay on Beti Bachao Beti Padhao 2 (500 Word)
21 वीं शताब्दी में जहां आज अपना देश आर्थिक और तकनीकि रुप से इतना विकसित हो गया है और निरंतर नई ऊंचाईयों को छू रहा है, वहीं दूसरी तरफ देश में लड़कियों के लिंगानुपात में लगातार कमी आ रही है और बेटियों के साथ बलात्कार, गैंगरेप जैसे जघन्य अपराध बढ़ रहे हैं।
यहां तक की आज स्थिति यह है कि लड़कियां खुद को असहज और असुरक्षित महसूस करने लगी हैं।
जिसको गंभीरता से लेते हुए मोदी सरकार ने भारत में 22 जनवरी, साल 2015 में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या में लगाम लगाना, बेटियों की समाज में स्थिति को सुधारना और उन्हें शिक्षित करने उन्हें समाज में उचित दर्जा दिलवाना, बेटी-बेटा के बीच समाज में फैली असमानता को दूर करना, लड़कियों की सुरक्षा को सुनिश्चत करना,बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने और बेटियों के जीवन स्तर में सुधार लाना है।
इस योजना के तहत बेटियों को वित्तीय सहायता देने के अलावा तमाम तरह की सुविधाएं भी मुहैया करवाई गईं है, ताकि बेटियों समाज में सशक्त बन सके, वे पुरुषों की तरह समान दर्जा मिल सके और वे आत्मनिर्भर बन सके।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बेटियों की पढ़ाई पूरी होने तक आर्थिक सहायता दी जा रही है, इसके अलावा बेटियों की शादियों के लिए भी आर्थिक मद्द भी की जा रही है। इसके अलावा बेटियों को स्कॉलरशिप देने का भी प्रावधान रखा गया है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना को देश के बड़े शहरों से लेकर छोटे गांवों, कस्बों और तहसील और पंचायत स्तर पर भी शुरु किया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग बेटियों की सुरक्षा और उनकी शिक्षा को लेकर जागरूक हो सकें।
इस योजना की खास बात यह है कि सभी राज्यों को प्रदेश सरकारें भी इस योजना में बढ़चढ़ कर अपना योगदान दे रही हैं ताकि बेटियों के प्रति समाज की संकीर्ण सोच को बदला जा सके।
वहीं साल 2011 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ सालों में 0 से 6 साल की लड़कियों की संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। आपको बता दें कि साल 2001 में प्रति 1 हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 927 थी जबकि 2011 में प्रति 1 हजार लड़कों पर महज 919 लड़कियां रह गईं थी।
वहीं भारत के हरियाणा जिले लड़कियों के लिंगानुपात के मामले में काफी पीछे था यहां पर 1 हजार लड़कों में महज 775 लड़कियां ही रह गईं थी। जिसकी मुख्य वजह कन्या भ्रूण हत्या, बढ़ रही जनसंख्या, दहेज प्रथा, शिक्षा की कमी और सामाजिक असुरक्षा है।
इसी को लेकर मोदी सरकार ने इस योजना की शुरुआत 2015 में हरियाणा जिले से की थी।
आपको बता दें कि शुरुआत में इस योजना को देश के 100 जिलों में प्रभावशाली तरीके से लागू किया गया था फिर धीरे-धीरे यह योजना सभी राज्यों में शुरु की गई, वहीं इस योजना से काफी बदलाव भी देखे गए।
भारत के कई पिछड़े राज्यों में जहां महिलाओं को स्थिति बेहद बदतर थी, उन जिलों में मोदी सरकार की इस योजना के बाद काफी सुधार देखा गया। वहीं कई राज्यों में लोग बेटियों को शिक्षित करने के लिए भी बढ़चढ़ कर आगे आए हैं।
इस अभियान से काफी हद तक समाज में बेटियों की सुरक्षा और उनकी शिक्षा के लिए जागरूकता फैली।