बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर निबंध – Essay on Beti Bachao Beti Padhao

Essay on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi

देश में लगातार घट रहे बेटियों के लिंगानुपात, बेटियों की सुरक्षा और उन्हें शिक्षित करने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने साल 2015 में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग बेटियों की शिक्षा पर ध्यान दें और समाज में बेटियों को उतना ही महत्व दें जितना कि वे पुरुषों को देते हैं।

वहीं कई बार स्कूलों में बच्चों के लेखन कौशल को सुधारने के लिए उन्हें कई सरकारी योजनाओं समेत तमाम अलग-अलग विषयों पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में अलग-अलग शब्द सीमा के अंदर मोदी सरकार की अत्यंत महत्वकांक्षी योजना बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका अलग- अलग क्लास के बच्चे अपनी जरूरत के अनुसार चयन कर सकते हैं –

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर निबंध – Essay on Beti Bachao Beti Padhao

Essay on Beti Bachao Beti Padhao
Essay on Beti Bachao Beti Padhao

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर निबंध नंबर 1 (600 शब्द) – Essay on Beti Bachao Beti Padhao 1 (600 Word)

समाज में कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार, गैंगरेप जैसे जघन्य अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आए दिन ऐसे अपराधों की खबरें टीवी में देखने या फिर न्यूज पेपर में पढ़ने को मिल जाती है। जो कि भारतीय संस्कृति और मर्यादा पर काला दाग लगा रही हैं और भारतीय परंपरा के महत्व को कम कर रही हैं।

लड़कियों के प्रति लोगों की तुच्छ मानसिकता को सुधारने और उन्हें शिक्षित कर समाज में उन्हें प्रतिष्ठित स्थान दिलवाने के मकसद से भारत में मोदी सरकार ने 22 जनवरी साल 2015 को हरियाणा के महेन्द्रगण जिले में इस योजना की शुरुआत की थी।

समाज में ज्यादा से ज्यादा लोग बेटियों की शिक्षा और उनकी सुरक्षा पर ध्यान देंगे तभी भारतीय समाज सभ्य और शिक्षित समाज बनेगा। दरअसल, जब बेटियों को अच्छी शिक्षा दी जाती है तो इससे उनके अच्छे भविष्य का तो निर्माण होता ही है, इसके साथ ही इसका प्रभाव पूरे परिवार पर भी पड़ता है, क्योंकि हर परिवार की बागडोर महिला के हाथ में ही होती है।

वहीं अगर कोई शिक्षित गृहिणी परिवार को संभालती है तो वह उस परिवार का रहन-सहन, नियम-कायदा एकदम अलग होता है, इसके साथ ही एक पढ़ी-लिखी महिला परिवार को बेहद समझदारी और बुद्दिमत्ता से संभालती है, यहां तक की जरूरत पढ़ने पर वह अपने परिवार की आर्थिक रुप से भी मद्द करती है।

वहीं कई परिवारों को मिलाकर ही समाज का निर्माण होता है, इस प्रकार लड़कियों की शिक्षा से सभ्य और शिक्षित समाज का निर्माण होता है।

यही नहीं महिलाओं को आधी आबादी भी कहा जाता है, जिसका मतलब है कि देश की आबादी का आधा हिस्सा सिर्फ महिलाए हैं लेकिन शर्मिंदगी इस बात की है कि आज 21वीं सदी में भी जब हमारा देश तकनीकी और आर्थिक रुप से इतना मजबूत है, लेकिन फिर भी यहां लड़कियों की स्थिति बेहद बदतर है।

समाज में कई ऐसे संकीर्ण मानसिकता वाले लोग हैं, जो बेटियों को जन्म से पहले ही कोक में मार देते हैं, तो कई अंधविश्वास के चलते बेटियों को जिन्दा जला देते हैं या फिर कटीली झाड़ियों में बेरहमी से बच्चियों को फेंक दिया जाता है।

वहीं अगर पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर भी गौर करें तो कन्या भ्रूण हत्या की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, जबकि इसे रोकने के लिए सरकार की तरफ से कई नियम कानून भी बनाए जा चुके हैं।

बेटियों के लिंगानुपात के मामले में यूनिसेफ द्धारा 2012 में एक रिपोर्ट पेश की गई थी जिसमें 195 देशों में भारत का स्थान 41 वां था। जिसको देखते हुए इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की गई।

आपको बता दें कि हमारे भारत में कई राज्य तो ऐसे हैं जहां बेटियों की संख्या बेहद कम है वहीं कई ग्रामीण इलाकों में आज भी बेटियों को सिर्फ रसोई तक ही सीमित रखा जाता है उन्हें घर की चार दिवारी में कैद करके रखा जाता है या फिर उन्हें कहीं बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी जाती है।

इसलिए इसके प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की। क्योंकि अगर इसके प्रति समाज जागरूक नहीं हुआ तो वो दिन दूर नहीं जब बेटियों की संख्या समाज में न के बराबर होगी।

फिलहाल, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना से समाज में कई बदलाव भी देखने को मिले हैं। देश के ग्रामीण इलाके के लोग भी अपनी बेटियों को शिक्षित करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं और समाज में भी बेटियों के प्रति लोगों की सकरात्मक सोच विकसित हो रही है। इसके साथ ही लड़कियों के जीवन स्तर में भी काफी हद तक सुधार हुआ है।

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