ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – Essay On Apj Abdul Kalam in Hindi

Essay On Apj Abdul Kalam in Hindi

देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम आजाद, भारत के एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक होने के साथ-साथ भारत के 11वें एवं पहले गैर राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति थे, जिन्हें “मिसाइल मैन” के नाम से भी जाना जाता था।

डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम आजाद का प्रभावशाली व्यक्तित्व और प्रेरणात्मक विचार हमेशा ही युवाओं के अंदर आगे बढ़ने का जोश भरते हैं, वहीं अब्दुल कलाम जी के महान जीवन के महत्व को समझने के लिए और उनकी उपलब्धियों एवं देश के लिए दिए गए योगदान के बारे में बच्चों को बताने के लिए अक्सर स्कूल/कॉलेजों में आयोजित परीक्षाएं अथवा निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।

इसलिए हम अपने इस लेख में ‘डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद’ जी के विषय पर अलग-अलग शब्द सीमाओं में निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका आप अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – Essay On Apj Abdul Kalam in Hindi

Essay On Apj Abdul Kalam in Hindi

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – Essay On Apj Abdul Kalam in Hindi 500 Words

प्रस्तावना

देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं ‘अग्नि’ मिसाइल को उड़ान देने वाले भारत के प्रख्यात और मशहूर वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उनके द्धारा देश के विकास में किए गए महत्वपूर्ण योगदान और विशिष्ट कामों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। वे लोगों के बीच ‘जनता के प्रिय राष्ट्रपति’ और ‘भारत के मिसाइल मैन’ के रुप में हमेशा जीवित रहेंगे।

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का परिचय एवं प्रारंभिक जीवन

15 अक्टूबर, साल 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मछुआरे के घर में जन्में ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का शुरुआती जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहा था। उनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था। वे जैनुलअबिदीन और अशिअम्मा की सबसे छोटी संतान थे।

बेहद गरीब घर में पैदा होने की वजह से उन्हें अपनी शिक्षा ग्रहण करने में काफी संघर्ष करना पड़ा। वहीं अब्दुल कलाम जी अखबार बेचकर जो भी पैसे कमाते थे, वे उससे अपनी स्कूल की फीस भरते थे, कठिन परिस्थितियों में उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, और बाद में देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के पद पर शोभायमान हुए और भारत के सबसे मशहूर वैज्ञानिक के रुप में अपनी पहचान बनाई।

एपीजे अब्दुल कलाम जी का सरल स्वभाव एवं प्रेरक व्यक्तित्व

भारत के मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम आजाद विलक्षण एवं बहुमुखी प्रतिभा के बेहद सौम्य एवं सरल स्वभाव वाले व्यक्ति थे। जिन्होंने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव दुनिया के हर व्यक्ति पर छोड़ा था।

अपने जीवन में तमाम संघर्षों के बाबजूद भी वे कभी कमजोर नहीं पढ़े, और अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहे और अपने जीवन में तरक्की के पथ पर आगे बढ़ते चले गए। कलाम जी के महान विचार और प्रखर वाकशक्ति हर किसी को मंत्र-मुग्ध करती थी और नौ जवानों के दिल में कुछ नया करने का जोश भरती थी। उनकी दूरगामी सोच का अंदाजा उनके द्दारा लिखी गईं किताबों और उनके महान कामों द्धारा लगाया जा सकता है। उनका कहना था कि –

“सपने वो नहीं है जो आप सोते वक्त देखें, बल्कि सपने वो हैं जो आपको नींद नहीं आने दें”

इसके अलावा भी उनके कई ऐसे महान विचार थे, जिन्हें पढ़ने के बाद आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

अब्दुल कलाम आजाद के जीवन की सफलताएं एवं योगदान

अब्दुल अलाम आजाद एक पायलट बनकर आसमान की अनन्त ऊंचाइयों का नापना चाहते थे, वे अपने इस सपने को तो सच नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने अपने तमाम असफलताओं से सीख लेकर अपने जीवन में कई ऐसी सफलताएं हासिल की, जिनके सामने कई सामान्य पायलटों की उड़ान भी बहुत छोटी नजर आती है।

आपको बता दें कि एपीजे अब्दुल कलाम आजाद साल 1992 में एक भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार के रुप में नियुक्त किए गए, जिसके बाद उन्होंने देश के सबसे बड़े संगठन डीआरडीओ और इसरो के साथ काम किया।

वहीं साल 1998 में उनकी देखरेख में पोखरण में दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया गया, जिसके बाद भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की लिस्ट में शुमार हो गया।

इसके अलावा उन्होंने साल 1963-64 के दौरान अमेरिका के अंतरिक्ष संगठन नासा की यात्रा की। यही नहीं वैज्ञानिक के तौर पर कलाम जी भारत के तमाम अंतरिक्ष कार्यक्रम और विकास कार्यक्रमों से भी जुड़े रहे। भारत की अग्नि मिसाइल को उड़ान देने की वजह से उन्हें मिसाइल मैन भी कहा गया।

डॉ. एपीजे अब्दुल अलाम आजाद ने तकनीकी एवं विज्ञान में अपना विशेष योगदान दिया, जिसके लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न समेत पदम भूषण, पदम विभूषण आदि से सम्मानित किया गया। और दुनिया में करीब 30 से ज्यादा विश्वविद्यालयों ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा।

यही नहीं उनके इस महत्पूर्ण योगदान की वजह से ही साल 2002 में उन्हें भारत का राष्ट्रपति चुना गया, वे देश के पहले वैज्ञानिक और गैरराजनीतिज्ञ राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति के रुप में उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई देशों का दौरा किया और अपने प्रभावशाली व्याख्यानों के माध्यम से भारत के नौजवानों का मार्गदर्शन किया और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

उपसंहार

वे भारत के ऐसे इकलौते राष्ट्रपति थे, जो राजनीति बैकग्राउंड से नहीं थे। भारत को परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्र बनाने और विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान देने की वजह से उन्होंने राष्ट्रपति के पद को सुशोभित किया। और अपने दूरगामी सोच से भारत के विकास को एक नई दिशा दी और लोगों के प्रेरणास्त्रोत बन गए।

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – APJ Abdul Kalam Nibandh

प्रस्तावना

मिसाइल मैन अब्दुल कलाम आजाद ने एक वैज्ञानिक से लेकर राष्ट्रपति के पद तक का शानदार सफर को तय किया है। और लोगों के बीच एक जमीन से जुड़े राष्ट्रनेता, शिक्षक और लेखक के तौर पर अपनी पहचान विकसित की है। खास बात तो यह है कि उनके अंदर सीखने की जिज्ञासा इतनी थी कि वे अपनी जिंदगी के अंतिम क्षणों तक खुद को एक लर्नर बताते रहे।

देश के सबसे पहले गैरराजनीतिज्ञ राष्ट्रपति के रुप में अब्दुल कलाम आजाद

भारत की ‘अग्नि’ मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आजाद के विज्ञान एवं भारतीय अनुसंधान एवं रक्षा के क्षेत्र में दिए गए अपूर्व योगदान और भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने की बदौलत उनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैलने लगी और अपने विशिष्ट कामों की बदौलत उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई, इसके साथ ही अपने नाम का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया।

वहीं इसे देख राजनीतिक पार्टियां भी उनके नाम को भुनाने की जुगत में लग गई और फिर साल 2002 में डॉ. एपीजे अब्दुल अलाम आजाद को बीजेपी द्धारा समर्थित NDA घटक दलों ने राष्ट्रपति चुनाव के वक्त उन्हें अपना उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया, जिसका विपक्ष ने भी खुलकर समर्थन किया, इसके बाद 18 जुलाई, साल 2002 में एपीजे अब्दुल कलामजी ने देश के 11वें राष्ट्रपति के पद की शपथ ले ली।

कलाम साहब देश के ऐसे राष्ट्रपति बने जिनका राष्ट्रपति बनने से पहले राजनीति से कोई वास्ता नहीं था,इसके साथ ही वे देश के पहले वैज्ञानिक थे, जो इस पद पर शोभायमान हुए। उनकी जिंदगी में सुख-सुविधाओं की कमी होने के बाबजूद भी वे अपने दृढ़संकल्पों के साथ आगे बढ़ते रहे, और भारत के सर्वोच्च पद पर विराजमान हुए, उनके आदर्श जीवन से हम सभी को प्रेरणा मिलती है।

वहीं अगर उनके बताए गए विचारों को हम सभी अपने जीवन में उतार लें तो अपनी जिंदगी में असीम सफलता हासिल कर सकते हैं।

राष्ट्रपति पद छोड़ने का बाद का सफर

भारत के 11वें राष्ट्रपति के तौर पर 5 साल तक देश की सेवा करने के बाद भी वे अपने काम के प्रति समर्पित रहे और राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होते ही वे फिर से शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम के चांसलर और अन्ना यूनिवर्सिटी के एरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज में टीचर बनकर अपनी जीवन की आखिरी सांस तक काम करते रहे।

उपसंहार

देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न‘ से सम्मानित एपीजे अब्दुल कलाम जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत है, उन्होंने जिस तरह अपने जीवन में तमाम संघर्ष कर देश के सबसे ऊंचे पद का गौरव हासिल किया, उससे हम सभी को सीखने की जरूरत है।

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – essay on apj abdul kalam in hindi 100 words

प्रस्तावना

वे भारत के ऐसे राष्ट्रनेता थे, जिनके ऊपर कभी किसी तरह के कलंक नहीं लगा और हर जाति,धर्म, समुदाय के लोगों के दिल में उनके लिए सम्मान की भावना थी, यही अब्दुल कलाम जी की महानता का विशिष्ट प्रमाण है।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद के जीवन की कुछ दिलचस्प बातें इस प्रकार हैं –

• डॉक्टर अब्दुल कलाम जी पायलट बनना चाहते थे, लेकिन उनका सपना पूरा नहीं हो सका, फिर भी वो हिम्मत नहीं हारे और जो भी मौका मिला उसे न सिर्फ पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ स्वीकार किया बल्कि उस पर वे खरे भी उतरे और अपने बुंलद हौसलों के चलते पूरी दुनिया के सामने एक मशहूर वैज्ञानिक, चहेते राष्ट्रपति और प्रख्यात टीचर के रुप में अपनी पहचान बनाई।

• अपनी गरीबी को उन्होंने कभी अपनी शिक्षा के आड़े नहीं आने दिया और अखबार बेचकर उन्होंने हायर एजुकेशन प्राप्त की। आपको बता दें कि अब्दुल कलाम जी ने सेंट जोसेफ कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।

• अब्दुल कलाम जी ने कभी भी अपने पद और प्रसिद्धता का घमंड नहीं किया और वे आम लोगों के साथ भी काफी अच्छे संबंध बनाकर रखते थे, इसलिए उन्हें “पीपुल्स प्रेसिडेंट” अर्थात ‘जनता के राष्ट्रपति’ भी कहा जाता है।

• अब्दुल कलाम जी को पढ़ने-लिखने का बेहद शौक था, वे किताबों को ही अपना प्रिय मित्र मानते थे, इसलिए उन्होंने अपने घर में एक निजी लाइब्रेरी भी बना रखी थी, जिसमें हजारों किताबें थी।

• डॉ. कलाम को छात्रों से बेहद लगाव था, एक अच्छे अध्यापक के रुप में वे हमेशा विद्यार्थियों की जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास करते थे। यहां तक की अपनी जीवन के अंतिम पलों में भी IIM Shillong में स्टूडेंट्स को संबोधित कर रहे थे। वहीं विद्यार्थियों के प्रति उनके अत्याधिक प्रेम और स्नेह को देखकर संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिवस को विद्यार्थी दिवस के रुप में भी बनाने का फैसला लिया है।

उपसंहार

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी जैसे महान शख्सियत का जन्म लेना भारत के लिए गौरव की बात है। मिसाइल मैन की महान सोच और विशिष्ट कामों की वजह से ही आज भारत एक परमाणु रुप से संपन्न और शक्तिशाली राष्ट्र बन सका है।

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