Elephanta Caves in Hindi
पूरी दुनिया भर में मशहूर एलीफेंटा की गुफाएं भारत के महाराष्ट्र राज्य के मुंबई से कुछ किलोमीटर की दूरी पर घारपुरी द्धीप पर स्थित हैं। भगवान शिव को समर्पित इन गुफाओं में भगवान शिव के तीन स्वरुपों की भव्य मूर्ति स्थापित हैं।
यह भारत के प्रमुख ऐतिहासिक एवं प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। यह भव्य गुफाएं 2 अलग-अलग वर्गों में बंटी हुई हैं, जिसके एक भाग में हिन्दू धर्म से संबंधित गुफाएं, जबकि अन्य भाग में बौद्ध धर्म से संबंधित गुफाएं शामिल हैं।
इन गुफाओं को इन ऐतिहासिक महत्व के कारण साल 1987 में यूनेस्को द्धारा विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया गया है। आइए जानते हैं महाराष्ट्र की इन विशाल एलीफेंटा गुफाओं के बारे में-
महाराष्ट्र की मशहूर एलीफेंटा गुफाओं का इतिहास एवं रोचक तथ्य – Elephanta Caves in Hindi
एलीफेंटा गुफा से जुड़ी जानकारी एक नजर में – Elephanta Caves Information in Hindi
- कहां स्थित हैं – मुंबई, महाराष्ट्र (भारत)
- कब बनाई गईं – 6-8 वीं शताब्दी
- क्षेत्रफल – 60 हजार वर्ग फीट के क्षेत्र
- प्रसिद्धि – भगवान शिव को समर्पित गुफाएं
एलीफेंटा गुफाओं का निर्माण एवं इतिहास – Elephanta Caves History in Hindi
एलीफेंटा गुफाओं का रिकॉर्ड बादामी चालुक्य सम्राट पुलकेशिन द्धितीय द्धारा कोंकण के मौर्य शासकों की हार के समय से मिलता हैं। उस दौरान भगवान शिव को समर्पित इन विशाल एलीफेंटा गुफाओं को पुरी या पुरिका के नाम से जाना जाता था और यह घारापुरी द्धीप पहले कोंकण मौर्यों की राजधानी थी।
वहीं इसके बारे में इतिहासकारों के अलग-अलग मत है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इन प्रसिद्ध एलीफेंटा गुफाओं का निर्माण कोंकण मौर्यों ने करवाया था।
जबकि कुछ इतिहासकार राष्ट्रकूटों और चालुक्यों को इन गुफाओं को बनवाने का क्रेडिट देते हैं। इन गुफाओं का इतिहास पुर्तगालियों से भी जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि लगभग 16 सदी में यहां पुर्तगालियों का अधिकार था, वहीं इसी दौरान पुर्तगालियों ने यहां के राजघाट में स्थित हाथी की विशाल प्रतिमा को देखते हुए इस द्धीप को एलिफेंटा का नाम दिया था।
इस तरह एलिफेंटा की प्रसिद्द गुफाओं का इतिहास स्पष्ट नहीं है, इसके बारे में इतिहासकारों के अलग-अलग मत है।
वहीं इन गुफाओं को कब और किसने बनवाया, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। हालांकि, कुछ विद्धानों का मानना है कि इनका निर्माण पांडवों द्धारा करवाया गया था। जबकि कुछ विद्धान एलीफेंटा गुफाओं का निर्माण शिव भक्त बाणासुर द्धारा भी मानते हैं।
एलीफेंटा गुफाओं की वास्तुकला एवं अद्भुत संरचना – Elephanta Caves Architecture
महाराष्ट्र के मुंबई से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एलीफेंटा की प्रसिद्ध गुफाएं 60 हजार वर्ग फीट के क्षेत्रफल में फैली हुई हैं। इसके परिसर में कुल 7 गुफाएं हैं , जिनमें से 5 गुफाएं हिन्दू धर्म से संबंधित है, जबकि अन्य दो गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित हैं।
घारपुरी द्धीप में स्थित एलीफेंटा गुफा की गुफा नंबर 1, ग्रेट गुफा के नाम से जानी जाती है, जिसके अंदर भगवान शिव की कई मूर्तियां विराजित हैं। इस गुफा के केन्द्र में भगवान शिव को समर्पित त्रिमूर्ति स्थापित हैं, जो कि सदाशिव के नाम से जानी जाती हैं।
इस गुफा में भगवान शिव की अन्य एक और मूर्ति है, जिसमें गंगा को धरती पर लाते हुए शिव का चित्रण दिखाया गया है।
वहीं ऐलीफेंटा गुफा की गुफा नंबर 2 से गुफा नंबर 5 कैनन हिल के नाम से जानी जाती हैं। यहां पर गुफा नंबर 6 और 7 के लिए स्तूप हिल्स हैं। वहीं गुफा नंबर 6 को सीताबाई गुफा के नाम से भी जाना जाता है।
वहीं इसकी गुफा नंबर 7 के आगे एक तालाब है, जो कि बौद्ध तालाब के नाम से जाना जाता है।
भगवान शिव को समर्पित हैं ऐलीफेंटा गुफाएं – Elephanta Ki Gufa
मुंबई के पास घारपुरी द्धीप में स्थित यह गुफाएं भगवान शंकर को समर्पित हैं। इन गुफाओं में भगवान शंकर की कई प्रतिमाएं स्थापित हैं। यहां भगवान शिव के तीनों रुपों का वर्णन करती हुईं मूर्तियां स्थापित है कैलाश पर शिव-पार्वती, नटेश्वर, अर्धनारीश्वर, महेशमूर्ति शिव, पार्वती-परिणय, कैलाशधारी रावण एवं भैरव आदि की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
एलीफेंटा गुफाओं की सैर करने ऐसे पहुंचे – How To Reach Elephanta Caves
मुंबई से महज 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एलीफेंटा गुफा की सैर करने पर्यटक सड़क, रेल और वायु तीनों परिवहन के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं।
वायु मार्ग से आने वाले यात्री मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज एयरपोर्ट पर उतरकर यहां से टैक्सी या फिर कैब आदि के माध्यम से एलीफेंटा गुफा देखने जा सकते हैं।
मुंबई एयरपोर्ट से यह करीब 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं ट्रेन से भी यहां के लिए अच्छी सुविधा है। यह देश के सभी प्रमुख शहर मुंबई रेल मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। इसके अलावा यह सड़क मार्ग से भी काफी अच्छे से कनेक्टेड हैं, यहां के लिए काफी अच्छी एवं डीलक्स बसें चलती हैं।
एलीफेंटा गुफा से जुड़े रोचक तथ्य – Elephanta Caves Facts
- मुम्बई में गेटवे ऑफ इंडिया से करीब 10 किमी की दूरी पर स्थित यह एलिफेंटा की गुफाएं 7 गुफ़ाओं का सम्मिश्रण हैं, जिनमें से महेश मूर्ति गुफ़ा प्रमुख गुफा है।
- एलीफेंटा की कुल सात गुफाओं में 5 गुफा हिन्दू और अन्य 2 गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। महेश मूर्ति गुफा, हिन्दू गुफाओं में सबसे प्रमुख गुफा है, जिसमें बने 26 खंभों में भगवान शंकर के अलग-अलग रुपों को बेहद शानदार ढंग से उकेरा गया है।
- एलीफेंटा गुफा की सबसे रोचक बात यह है कि यहां हिंदू धर्म के कई अलग-अलग देवी-देवताओं कि मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
- 60,000 वर्ग फीट के क्षेत्र में फैली एलीफेंटा गुफा में स्थित मंदिर पहाड़ियों को काटकर बनाए गए हैं।
- ऐलीफेंटा गुफा में भगवान शिव की त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे विशाल और पर्यटकों के मुख्य आर्कषण का केन्द्र है। इस मूर्ति में भगवान शिव के तीन रुपों का बेहद उत्कृष्ट तरीके से चित्रण किया गया है। यह विशाल त्रिमूर्ति करीब 23 या 24 फीट लम्बी और 17 फीट ऊँची है।
- एलीफेंटा गुफा के मुख्य हिस्से में पोर्टिकों के अलावा तीन तरफ से खुले सिरे हैं और इसके पिछली ओर 27 मीटर का चौकोर स्थान है और इसे 6 खम्भों के द्वारा सहारा दिया जाता है।
- इस गुफा में भगवान शिव की अर्धनारीश्वर प्रतिमा भी स्थापित हैं, इस प्रतिमा में बायां अंग स्त्री और दायां अंग पुरुष रुप में दर्शाया गया है।
- एलीफेंटा गुफा में भगवान् शिव के विभिन्न स्वरूपों के कारण इन्हें ‘टैम्पल केव्स’ भी कहा जाता हैं। यहां पर शिव-पार्वती के विवाह समेत रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाने एवं शिव के नटराज रुप का बेहद आर्कषक चित्रण किया गया है।
- अपनी अद्भुत शिल्पकारी एवं ऐतिहासिक महत्व की वजह से साल 1987 में यूनेस्को द्वारा एलिफेंटा गुफाओं को विश्व विरासत स्थल घोषित किया था। वहीं इस गुफा में गेटवे ऑफ इंडिया से बोट द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।
- वर्तमान में एलीफेंटा गुफा की देखरेख भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया जा रहा है।
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एलेफनटा की गुफआ अरबसागर से घिरी है i
इसमे शिव की 9 बडी मूर्तिया है lइसमे कुल 7 गुफऐ हैl
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Elephanta caves me mili murtiya kis kis ki hai???
shiv, vishnu, buddhist, brhama
?????
ugc ne only shiv ki murtiya btayi h
जी बिल्कुल सही है एलीफैंटा की गुफाओं में सिर्फ शिव की मूर्तियां ही है । महेश त्रिमूर्ति भी भगवान शिव का ही अवतार है जिसमे जन्मदाता, पालक और संहारक तीनो रूपों का निरूपण है । यहां एलीफैंटा में शिव रूप में विविध कहानियों को मूर्तिरूप दिया गया है जो उस समय के शैव संस्कृति के प्रतिनिधि कला उदाहरण है ।
Very nice