Bhukamp ki Jankari
पृथ्वी की सतह पर जब कंपन होता है, अर्थात जोर-जोर से झटके महसूस होते हैं। धरती की सतह हिलना ही भूकंप कहलाता है। भूकंप के परिणाम एवं प्रभाव काफी घातक हो सकते हैं। इससे काफी बड़ी मात्रा में जान-माल की हानि होती है।
वहीं इस विनाशकारी प्राकृतिक आपदा पर तुरंत कंट्रोल भी नहीं किया जा सकता है, हालांकि भूकंप से बचाव के कुछ तरीकों को अपनाकर भूकंप के हानिकारक प्रभावों से बचा जा सकता है।
भूकंप से संबंधित जरूरी जानकारी एवं इससे बचाव के उपाय – Earthquake Information in Hindi
क्यों आता है भूकंप और इसके प्रमुख कारण – Why Earthquake Occurs
धरती की बाहरी परत पर ऊर्जा उत्पन्न होने से अचानक हलचल होती है। ऊर्जा पृथ्वी की सतह पर भूकंप की तरंगे उत्पन्न करती हैं, जिसके चलते तेजी से धरती हिलने लगती है और भूकंप का एहसास होता है।
भूकंप प्रमुख रुप से प्राकृतिक और मानजनित कारणों से आता है। इसकी उत्पत्ति पृथ्वी के सिकुड़ने से, प्लेटों के खिसकाव, मानव की छेड़छाड़ एवं ज्वालामुखी क्रिया आदि से होती है।
भूकंप ज्वालामुखी क्षेत्रों में ज्यादातर आते हैं, दरअसल, टेक्टोनिक दोष और ज्वालामुखी में लावा की गतियां होती हैं। वहीं ऐसे भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट की पहले चेतावनी हो सकते हैं।
भूकंप चट्टानों के तनाव के कारण आते हैं, तनाव की वजह से चट्टानें टूट जाती हैं और फिर से अपनी जगह पर जाने की कोशिश करती हैं, जिसकी वजह से कंपन होता है।
संकुचन की वजह से भी भूकंप आने का खतरा बढ़ जाता है। जानकारों की माने तो जब तीव्रता से कंपन होता है, तब भूस्थल से कंपन होता है।
भूकंप जनरली धरती के कमजोर क्षेत्रों में आते हैं, यह प्रमुख रुप से महाद्धीपीय तथा महासागरीय प्लेट के मिलनबिन्दु, मोड़दार पर्वतों एवं दरार घाटी में आते हैं।
भूकंप,स्थान और समय के संदर्भ में भी एक-दूसरे से संबंधित हो सकते हैं, जिसके चलते भूकंप आने के प्रमुख कारण बन सकते हैं।
भूकंप आने के मानवजनित कारण है, जब मानव निर्मित बांधों और जलाशयों में पानी अधिक मात्रा इकट्ठा कर लिया जाता है, तब जलीय भार और दबाव की वजह से भूसंतुलन बिगड़ जाता है, जिससे पृथ्वी पर कंपन उत्पनन होता है।
भूकंप की तीव्रता, इसके केन्द्र एवं कैसे मापा जाता है भूकंप – What Does Earthquake Intensity Measure
भूकंप का केन्द्र वो माना जाता है, जिस जगह के नीचे प्लेटों से भारी मात्रा में भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। भूकंप का केन्द्र में भूकंप का कंपन भी ज्यादा महसूस होता है। वहीं भूकंप का केन्द्र जितना दूर होता है, उसका प्रभाव भी उतना ही कम होता है।
आपको बता दें कि भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे सीस्मोग्राफ भी कहा जाता है। रिक्टर स्केल भूकंप की तीव्रता को 1 से 9 के आधार पर मापता है।
रिक्टर स्केल पर अगर 7 या फिर ज्यादा की तीव्रता का भूकंप आता है तो आसपास के करीब 40 किलोमीटर के दायरे में झटका बेहद तेज आता है। वहीं भूकंप जितनी गहराई पर आता है, सतह पर उनकी तीव्रता भी उतनी ही कम महसूस की जाती है।
भूकंप से होने वाली हानियां एवं प्रभाव – Earthquake Effects
भूकंप से बाढ़ आने का खतरा:
अत्याधिक तेज भूकंप आने पर बांध टूट जाते हैं जिससे बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाता है।
भूकंप से झटके आना और धरती का फटना:
भूकंप आने से जोर-जोर से झटके आते हैं एवं धरती फट जाती है, जिससे भारी नुकसान पहुंचता है। भूकंप आने से धरती का फटना परमाणु शक्ति स्टेशनों, पुल और बांधों के लिए काफी जोखिम है।
भूकंप से सुनामी का खतरा बढ़ जाता है:
भूकंप के तेज झटकों से समुद्रों में सुनामी आ सकती हैं। दरअसल भकूंप के कारण हुए भूस्खलन के समुद्र में टकराने से सुनामी जाती हैं। साल 2004 में हिन्द महासागर में आया भूकंप इसका प्रमुख उदाहरण है।
भूकंप, भूसख्लन और हिमस्खलन कर सकता है उत्पन्न:
भूकंप के तेज झटकों से भूस्खलन और हिमस्खलन उत्पन्न हो सकता है, जो कि पहाड़ी और पर्वतीय इलाकों में नुकसान का सबसे प्रमुख कारण हो सकता है।
भूकंप से बढ़ जाता है आग लगने का खतरा:
तेज तीव्रता वाले भूकंप से बिजली लाइन भी टूट कर गिर सकती है, जिससे आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
भूकंप से मिट्टी द्रवीकरण:
भूकंप के तेज झटकों से जब जल संतृप्त दानेदार पदार्थ अस्थाई रुप से अपनी क्षमता खो देता है। वही मिट्टी द्रवीकरण कठोर संरचनाओं जैसे इमारतों और पुलों को भी डूबा सकता है।
भूकंप के मानवीय प्रभाव – Earthquake Effects on Humans
ज्यादा तेज भूकंप आने से न सिर्फ जान-माल की भारी मात्रा में हानि होती है बल्कि कई रोग फैलते हैं, इमारतें ध्वस्त होती हैं, सड़कों को भारी नुकसान पहुंचता है, यातायात बाधित होता है, सामान्य संपत्ति की क्षति समेत भारी नुकसान होता है।
समुद्री भाग में भूकंप आता है:
भूकंप आने से ईमारतें, पुल, बांध आदि धरती की नाभिकीय ऊर्जा केन्द्र को काफी नुकसान पहुंचाते हैं।
भूकंप से बचाव के तरीके – Earthquake Prevention Methods
- भूकंप आने पर बिजली बंद कर दें।
- भूकंप आने पर गैस का इस्तेमाल न करें।
- भूकंप आने पर पेड़ और बिजली की लाइनों से दूर रहें।
- भूकंप आने पर घरों से बाहर निकलकर, पार्क, मैदान आदि खुले स्थानों पर जाएं।
- भूकंप से बचने के लिए भूकंप निरोधी इमारतों का निर्माण करवाएं।
- भूकंप आने पर लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल न करें।
- भूकंप के खतरों से बचने के लिए एक आपदा किट बनाकर रखें, जिसमें जरूरी कागजात, रेडियो, टॉर्च, माचिस, मोमबत्ती, चप्पल, जरूरी दवाईयां और पैसे रखें।
भूकंप से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य – Facts About Earthquake
- भूंकप जैसी विनाशकारी आपदा की वजह से हर साल 8 हजार से भी ज्यादा लोग मारे जाते हैं।
- दुनिया में हर साल करीब 100 ऐसे विनाशकारी भूकंप आते हैं, जिससे भारी तबाही होती हैं।
- दुनिया में सबसे अधिक भूकंप जापान में आते हैं, हर साल वहां करीब डेढ़ हजार भूकंप दर्ज किए जाते हैं।
- दुनिया के 90 फीसदी भूकंप प्रशांत महासागर और उससे जुड़े देशों में आते हैं।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि, चन्द्रमा पर भी भूकंप आते हैं, हालांकि उनकी तीव्रता काफी कम होती है।
- भूकंप आने को लेकर लोगों की कई अलग-अलग धारणाएं हैं। कुछ प्राचीन ग्रीस में लोगों का मानना है कि भूकंप समुद्र के देवता पोसाइडन की वजह से आता है। उनका कहना था कि जब देवता नाराज हो जाते हैं, तो जमीन पर त्रिशूल से प्रहार कर देते है, जिससे धरती कांप उठती है।
अब तक आए दुनिया में सबसे बड़े भूकंप – The Largest Earthquake in The World
साल 2015 में नेपाल में आया था भयंकर भूकंप:
नेपाल में साल 2015 में तेज तीव्रता वाला इतना भयंकर भूकंप आया था, जिसके चलते माउंट एवरेस्ट भी करीब 1 इंच नीचे धंस गया था।
17 अगस्त, 1999 में तुर्की में आए भूकंप ने मचाया था भूचाल:
तुर्की की राजधानी इंस्ताबूल और इमिट शहरों में 17 अगस्त, 1999 को विनाशकारी भूकंप आया था। करीब 7.4 रिक्टर स्केल की तीव्रता वाले भूकंप ने 70 हजार से भी ज्यादा लोग मारे गए थे और लाखों लोग बुरी तरह घायल हो गए थे। इसके साथ ही संपत्ति को भी काफी क्षति हुई थी, जिसकी वजह से इन शहरों की सभी व्यवस्थाएं चरमरा गईं थीं।
साल 1960 में चिली में आया था सबसे खतरनाक भूकंप:
दुनिया में सबसे ज्यादा खतरनाक भूकंप साल 1960 में चिली में आया था, जिसकी तीव्रता 9.5 मापी गई थी।
साल 1201 में आया था इतिहास का सबसे विध्वंशकारी भूकंप:
इतिहास में अब तक का सबसे ज्यादा खतरनाक भूकंप साल 1201 में सीरिया, ईरान और ईराक में आया था, इस भूकंप में करीब 14 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।
26 जनवरी, साल 2001 में गुजरात का भयानक भूकंप:
भारत के गुजरात में 26 जनवरी, साल 2001 में भयानक भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता 7.9 रिक्टर स्केल मापी गई थी। इस भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। भूकंप आने से करीब तीस हजार लोगों की जान चली गईं थी, और करीब 10 लाख लोग बेघर हुए थे और भारी मात्रा में संपत्ति और इमारतों को भी क्षति पहुंची थी।
साल 1923 में जापान की राजधानी टोक्यों में आया भूकंप:
जापान की राजधानी टोक्यो में 1923 में भयानक भूकंप आया था, जिसका नाम ग्रेट कांटो रखा गया था। इस विनाशकारी भूकंप में लाखों लोगों की जान चली गईं थी, लाखों की संख्या में लोग घायल हो गए थे और भारी मात्रा में क्षति हुई थी।
साल 1988 में अर्मोनिया में आया था शक्तिशाली भूकंप:
साल 1988 में अर्मोनिया में 6.9 रिक्टर स्केल तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें कई हजार लोगों की जान चली गई थी।
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