Denis Mukwege
साल 2018 के नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम की घोषणा हो चुकी है य़े पुरस्कार साइंटिस्ट अल्फ्रेड नोबेल की याद में भौतिकी, रसायन, शांति जैसे क्षेत्रों में अहम योगदान देने वाले लोगों को दिया जाता है। इन सब क्षेत्रों में शांति में पुरस्कार किसे मिलेगा इस पर हर साल ही सबकी नजरें गढ़ी रहती है, क्योंकि शांति का नोबेल पुरस्कार हमेशा उन लोगों को दिया जाता जिन्होनें अपने काम से मानवता की नींव रखी होती है। इस साल का शांति नोबेल पुरस्कार भी दो ऐसी ही शख्सियत को दिया गया है जिनमें से पहला नाम यजीदी महिला अधिकार कार्यकर्ता नादिया मुराद का है और दूसरे व्यक्ति कांगो के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर डेनिस मुकवेगे – Denis Mukwege है।
30 हजार रेप पीड़िताओँ का इलाज करने वाले डेनिस मुकवेगे को नोबेल पुरस्कार – Denis Mukwege
आप सोच रहे होंगे कि दुनियाभर में हजारों स्त्री रोग डॉक्टर है फिर डॉक्टर डेनिस मुकवेगे को ही नोबेल पुरस्कार के लिए क्यों चुना गया है? लेकिन हम आपको बता दें कि डॉक्टर डेनिस मुकवेगे ने जो किया है वो शायद बहुत ही चुनिंदा लोग कर पाते है।
दरअसल स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर डेनिस मुकवेगे ने अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर अब तक 30 हजार से भी ज्यादा रेप पीड़िताओं का इलाज किया है। और ऐसा करने वाले डॉक्टर डेनिस दुनिया के एकलौते डॉक्टर है जिन्होनें इतनी सारी रेप पीड़िताओँ का इलाज किया हो। डॉक्टर डेनिस मुकवेगे को गंभीर से गंभीर यौन हिंसा की शिकार महिलाओँ के इलाज में विशेषज्ञता प्राप्त है। यानी कि अपनी जिंदगी से बिल्कुल ही हार मान चुकी रेप पीड़िताओं के भी इनके इलाज से बचने के चांसस बढ़ जाते है।
डॉक्टर डेनिस मुकवेगे कांगो के डॉक्टर है। उन पर लिखी एक किताब में कहा गया है कि जब पूर्वी डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कागों के लेमेरा में स्थित उनके अस्पताल में एक साथ 35 मरीजों की मौत हो गई थी। तो वो सब छोड़कर बुकावू नामक जगह पर आ गए थे जहां उन्होनें एक टेंट में अपना अस्पताल शुरु किया था।
लेकिन फिर साल 1998 और 1999 में कांगो में एक बार फिर युद्ध हुआ और सबकुछ बर्बाद हो गया। लेकिन वो फिर भी टेंट में अस्पताल चला रहे थे। उसी दौरान पहली बार एक रेप पीड़िता उनके अस्पताल में आई थी। जिसके जननांगो और जाँघो पर गोलियां मारी गई थी। ये बहुत ही भयानक था। डेनिस मुकवेगे दिए इंटरव्यूज के अनुसार उस महिला की उम्र 45 साल थी।
डेनिस मुकवेगे के अनुसार उनके पास आनी वाली रेप पीड़ित महिलाओ के पास शरीर ढकने के लिए कपड़े तक नहीं होते। वो उन्हें खाने से लेकर उनका पूरा ख्याल रखते है और ठीक हो जाने के बाद भी उनकी आर्थिक और सामाजिक स्तर पर भी मदद करते है ताकि वो अपने जीवन को नए ढ़ग से जी सके।
डेनिस पर इस दौरान एक बार हमला भी हुआ था जिस कारण वो कांगो देश छोड़कर अपने परिवार के साथ स्वीडन चले गए थे। लेकिन साल 2013 में वापस लौट आए क्योंकि उन्हें युद्ध में रेप का शिकार हो रही महिलाओं की मदद करनी थी।
कभी -कभी सोचकर अफसोस होता है कि युद्ध जीतने के लिए महिलाओं के साथ इस तरह की प्रताड़ना भी की जा सकती है। पर दूसरी तरफ शायद ये देखकर सूकून भी है कि हमारे समाज में डॉक्टर डेनिस मुकवेगे जैसे लोग भी है जो मानवता का अर्थ समझते है। जो शायद हमे से कई लोग भूल चुके है।
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