“माउंटेन मैन” दशरथ मांझी की कहानी | Dashrath Manjhi Story In Hindi

दशरथ मांझी / Dashrath Manjhi जिन्हें ” माउंटेन मैन” के नाम से भी जाना जाता है जिन्होंने ये साबित किया है की कोई भी काम असंभव नही है। एक इंसान जिसके पास नहीं पैसा था नहीं ताकत थी उसने एक पहाड़ खोदा था, उनकी जिन्दगी से हमें एक सिख मिलती है की हम किसी भी कठीनाई को आसानी से पार कर सकते है अगर आपमें उस काम को करने की जिद्द हो तो। उनकी 22 वर्षो की कठिन मेहनत से उन्होंने एक रोड बनाई जिसका उपयोग आज गांव वाले करते है।

Dashrath Manjhi

” माउंटेन मैन”दशरथ मांझी की कहानी / Dashrath Manjhi Story In Hindi

दशरथ मांझी जो बिहार में गया के करीब गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे। उन्होनें केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली। 22 वर्षों के परीश्रम के बाद, दशरथ की बनायी सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लाक की दूरी को 55 किलोमीटर से 15 किलोमीटर कर दिया।

पूर्व जीवन और काम-
दशरथ मांझी काफी कम उम्र में अपने घर से भाग गए थे और धनबाद की कोयले की खानों में उन्होनें काम किया। फिर वे अपने घर लौट आए और फाल्गुनी देवी / Falguni Devi से शादी की। अपने पति के लिए खाना ले जाते समय उनकी पत्नी फाल्गुनी पहाड़ के दर्रे में गिर गयी और उनका निधन हो गया। अगर फाल्गुनी देवी को अस्पताल ले जाया गया होता तो शायद वो बच जाती यह बात उनके मन में घर कर गई। इसके बाद दशरथ मांझी ने संकल्प लिया कि वह अकेले अपने दम पर वे पहाड़ के बीचों बीच से रास्ता निकालेगे और फिर उन्होंने 360 फ़ुट-लम्बा (110 मी), 25 फ़ुट-गहरा (7.6 मी) 30 फ़ुट-चौड़ा (9.1 मी)गेहलौर की पहाड़ियों से रास्ता बनाना शुरू किया। इन्होंने बताया, “जब मैंने पहाड़ी तोड़ना शुरू किया तो लोगों ने मुझे पागल कहा लेकिन इस बात ने मेरे निश्चय को और भी मजबूत किया। ”

उन्होंने अपने काम को 22 वर्षों (1960-1982) में पूरा किया। इस सड़क ने गया के अत्रि और वज़ीरगंज सेक्टर्स की दूरी को 55 किमी से 15 किमी कर दिया। माँझी के प्रयास का मज़ाक उड़ाया गया पर उनके इस प्रयास ने गेहलौर के लोगों के जीवन को सरल बना दिया। हालांकि उन्होंने एक सुरक्षित पहाड़ को काटा, जो भारतीय वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम अनुसार दंडनीय है फिर भी उनका ये प्रयास सराहनीय है। बाद में मांझी ने कहा,” पहले-पहले गाँव वालों ने मुझपर ताने कसे लेकिन उनमें से कुछ ने मुझे खाना दीया और औज़ार खरीदने में मेरी सहायता भी की।”

निधन-
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में पित्ताशय (गॉल ब्लैडर) के कैंसर से पीड़ित मांझी का 73 साल की उम्र में, 17 अगस्त 2007 को निधन हो गया। बिहार की राज्य सरकार के द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया।

मांझी ‘माउंटेन मैन’ / Manjhi The Mountain Man के रूप में विख्यात हैं। उनकी इस उपलब्धि के लिए बिहार सरकार ने सामाजिक सेवा के क्षेत्र में 2006 में पद्म श्री हेतु उनके नाम का प्रस्ताव रखा।

पहाड़-
मांझी के प्रयत्न का सकारात्मक नतीजा निकला। केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर उन्होंने अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली। इस सड़क ने गया के अत्रि और वज़ीरगंज सेक्टर्स की दूरी को 55 किमी से 15 किमी कर दी ताकि गांव के लोगो को आने जाने में तकलीफ ना हों। आख़िरकार 1982 में 22 वर्षो की मेहनत के बाद मांझी ने अपने कार्य को पूरा किया। उनकी इस उपलब्धि के लिए बिहार सरकार ने सामाजिक सेवा के क्षेत्र में 2006 में पद्म श्री हेतु उनके नाम का प्रस्ताव भी रखा।

फिल्म प्रभाग ने इन पर एक वृत्तचित्र (डाक्यूमेंट्री) फिल्म ” द मैन हु मूव्ड द माउंटेन” का भी 2012 में उत्पादन किया कुमुद रंजन इस वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री) के निर्देशक हैं। जुलाई 2012 में निर्देशक केतन मेहता ने दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित फिल्म मांझी: द माउंटेन मैन बनाने की घोषणा की। अपनी मृत्युशय्या पर, मांझ ने अपने जीवन पर एक फिल्म बनाने के लिए “विशेष अधिकार” दे दिया। 21 अगस्त 2015 को फिल्म को रिलीज़ की गयी। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने मांझी की और राधिका आप्टे ने फाल्गुनी देवी की भूमिका निभाई है। मांझी के कामों को एक कन्नड़ फिल्म “ओलवे मंदार” ( en:Olave Mandara) में जयतीर्थ (Jayatheertha) द्वारा दिखाया गया है। मार्च 2014 में प्रसारित टीवी शो सत्यमेव जयते का सीजन 2 जिसकी मेजबानी आमिर खान ने की, उनका पहला एपिसोड दशरथ मांझी को समर्पित किया गया।

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32 thoughts on ““माउंटेन मैन” दशरथ मांझी की कहानी | Dashrath Manjhi Story In Hindi”

  1. Manjhi jee jesa samajh sevi koi nhi a great man bharat ratn milna chahiye manjhi jee ko sandar jabardast jindabad

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