दलाई लामा का जीवन परिचय

दलाई लामा तिब्बत के 14 वें धर्मगुरु और बौद्ध धर्म के सबसे बडे़ अनुयायी हैं। उनका नाम तेनजिन ग्यास्तो है, जो कि वर्तमान में तिब्बत के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इसके अलावा उन्हें तिब्बत के संरक्षक संत के रुप में भी जाना जाता है।

दलाई लामा ने तिब्बतियों को उनके मानव अधिकारों को दिलवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दलाई लामा को विश्व में शांति के लिए उत्कृष्ट काम करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

हालांकि, दलाई लामा को चीन से काफी विद्रोह का सामना करना पड़ा यहां तक की, उन्हें तिब्बत से निर्वासन तक के लिए मजबूर किया गया था, इसके बाद भी उन्होंने विरोध नहीं किया और वे भारत के धर्मशाला में आकर बस गए।

दलाई लामा बेहद करुणामयी स्वभाव वाले इंसान हैं, जो कि चीन की क्रूरता के बाद भी वे उसके प्रति दयाभाव रखते हैं। दलाई लामा पूरे विश्व में प्रेम और शांति फैलाने वाले वाहक के रुप में भी जाने जाते हैं।

दलाई लामा कई देशों की यात्रा कर चुके हैं और वे निरंतर लोगों की जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए प्रयासरत रहते हैं। उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत है, तो आइए जानते हैं महान अध्यात्मिक और धर्म गुरु दलाई लामा के जीवन के बारे में कुछ खास बातें –

बौद्ध धर्म के सबसे बड़े अनुयायी एवं 14वें धर्म गुरु दलाई लामा का जीवन परिचय – Dalai Lama Biography in Hindi

Dalai Lama

एक नजर में –

नाम (Name) तेनजिन ग्यास्तो (ल्हामो धोण्डुप)
जन्म (Birthday) 6 जूलाई 1935, तक्त्सेर, अम्दो, उत्तरी तिब्बत
पिता (Father Name) चोक्योंग त्सेरिंग
माता (Mother Name) डिकी त्सेरिंग
शिक्षा (Education) 1959 में गेशे ल्हारांपा की डिग्री (बौद्ध दर्शन में डॉक्टरेट) हासिल की
पुरस्कार (Awards) विश्व में शांति फैलाने के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

जन्म, परिवार एवं शिक्षा –

दलाई लामा 6 जुलाई सन 1935 को तिब्बत के एक छोटे से गांव तक्त्सेर में एक किसान परिवार में जन्में थे। इनके पिता का नाम चोक्योंग त्सेरिंग और माता का नाम डिकी त्सेरिंग था। उन्हें बचपन में ल्हामो धोण्डुप कहकर पुकारा जाता था।

तेनजिन ग्यास्तो ने 6 साल की उम्र में अपनी प्रारंभिक शिक्षा शुरु कर दी थी। उन्होंने संस्कृत, औषधि, बौद्ध तत्वज्ञान, तर्कशास्त्र और तिब्बत की कला एवं संस्कृति समेत संगीत, ज्योतिष विज्ञान, और संगीत की भी शिक्षा ली थी।

24 साल की उम्र में दलाई लामा ने गेशे ल्हारम्पा (बौद्ध दर्शन) की डिग्री हासिल कर ली थी। इस डिग्री को बौद्ध तत्वविज्ञान के डॉक्टरेट की उपाधि के समान माना जाता है।

तिब्बत पर हमला और निर्वासन –

साल 1950 के दशक से ही चीन और तिब्बत के बीच आपसी मतभेद हो गए थे, जिसकी वजह से चीन तिब्बत पर कई हमले करता रहता था और चीन द्वारा तिब्बत की जनता पर अत्याचार काफी बढ़ गए थे।

जिसके बाद तिब्बत के लोगो ने दलाई लामा को राजनीति मे आने के लिए फोर्स किया, लेकिन राजनीति में आने से पहले ही दलाई लामा कई चीनी नेताओं से मिले और शांति वार्ता के लिए बीजिंग भी गए, लेकिन इससे कोई ज्यादा फायदा नहीं हुआ।

वहीं 1959 के दौरान लोगों के अंदर आक्रोश की लहर पैदा हो गई, ऐसे में दलाई लामा के जीवन पर भी खतरा मंडराने लग। दरअसल चीन, दलाई लामा को अलगाववादी मानता था, साथ ही तिब्बत पर कब्जा करने के लिए दलाई लामा को एक बहुत बड़ा बाधक मानने लगा था।

जिसकी वजह से दलाई लामा को चीनी सैनिकों का विद्रोह झेलना पड़ा और यही नहीं उन्हें तिब्बत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। 17 मार्च, 1959 को उन्होंने तिब्बत छोड़कर भारत की शरण ली और तब से वे उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे हैं।

इसे ”छोटा ल्हासा” भी कहा जात है। आपको बता दें कि दलाई लामा के निर्वासन के दौरान उनके साथ करीब 80 हजार तिब्बती शरणार्थी भारत आए थे।

वहीं चीन के इतने निर्दयतापूर्ण और क्रूर व्यवहार के बाद भी दलाई लामा चीन के प्रति दयाभाव रखते हैं और यही उनके महान व्यक्तित्व की पहचान भी है।

दलाई लामा चीन और तिब्बत के मसलो को संयुक्त राष्ट्र संघ के महासभा में भी उठा चुके हैं लेकिन आज भी इस मसले का कोई हल नहीं निकला है।

इसके साथ ही दलाईलामा ने तिब्बत को एक लोकतांत्रिक देश बनाने की भी मांग की थी।

विश्व में शांति के लिए दलाई लामा द्वारा किए गए महत्वपूर्ण प्रयास:

दलाई लामा पूरे विश्व में शांति और प्रेम का प्रचार कर रहे हैं। वे इसके लिए 62 से भी ज्यादा देशों की यात्रा कर चुके हैं औरलोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए कई बड़े और शक्तिशाली देशों के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और राजकीय शासकों से मिल चुके हैं।

इसके साथ ही अध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने अपने देश की साहित्य, संस्कृति, कला को बनाए रखने एवं तिब्बत में शांति बनाये रखने के लिए सुंयुक्त राष्ट्र संघ के सामने निम्नलिखित प्रस्ताव रखे।

दलाई लामा ने अपने प्रस्ताव में पूरे तिब्बत को शांति स्थल बनाए जाने की मांग की। दलाई लामा ने तिब्बतियों के मानवाधिकार और उन्हें लोकतंत्रात्मक आजादी देने का भी प्रस्ताव रखा।

दलाई लामा ने तिब्बत के प्राकृतिक पर्यावरण की संरक्षण और मरम्मत की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से चीन द्वारा आणविक शस्त्रों के निर्माण पर रोक लगाने की भी मांग की।

दलाई लामा ने तिब्बतियों तथा चीनियों के आपसी संबंधों के मुद्दे पर भी गंभीर वार्तालाप करने की भी मांग की।

दलाई लामा ने चीन की जनसंख्या स्थानातंरण की नीति पर बात करते हुए कहा कि यह तिब्बतियों के अस्तित्व के लिए घातक साबित हो सकती है, इसलिए उसको पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए।

पुरस्कार और उपाधियां –

  • साल 1959 में दलाई लामा को सामुदायिक नेतृत्व के लिए रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • साल 1989 में धर्म गुरु दलाई लामा को नोबल शांति पुरस्कार से नवाजा गया।
  • साल 1994 में अध्यात्मिक धर्म गुरु दलाई लामा को विश्व सुरक्षा वार्षिक शांति पुरस्कार से नवाजा गया।
  • साल 2003 में दलाई लामा को इंटरनेशनल लीग फॉर ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
  • साल 2009 में विश्व में शांति का प्रचार-प्रसार करने वाले दलाई लामा को लैंटोस मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

दलाई लामा के महान विचारों और उपदेशों के बल पर आज उनके लाखों-करोड़ो अनुयायी हैं, जो कि उनके प्रति गहरी आस्था और सम्मान रखते हैं।

वहीं दलाई लामा अपने शांति का प्रचारक के साथ-साथ एक बेहद धैर्यवान और करुणामयी व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने अपने देश से निर्वासन के दौरान अहिंसा का रास्ता अपनाया और लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने एवं उनकी बेहतरी के लिए काम किया है।

दलाई लामा के जीवन का मुख्य उद्देश्य विश्व भर में शांति कायम करना और लोगों के जीवन में खुशहाली, उत्साह और सकारात्मकता का भाव भरना है।

दलाई लामा जैसा व्यक्तित्व हर व्यक्ति के लिए प्रेरणास्त्रोत है। वहीं उनके अनमोल विचार जीवन के प्रति नजरिया बदल देने वाले और आपस में प्रेम भाव रखने के लिए प्रेरित करने वाले हैं।

अनमोल वचन –

  • सिर्फ ह्रदय परिवर्तन द्वारा ही विश्व में वास्तविक परिवर्तन लाया जा सकता है।
  • क्रोध और नफरत कमजोरी के संकेत हैं, जबकि दया-करुणा शक्ति का एक निश्चित संकेत हैं।
  • वास्तविक और सच्चा नायक वही होता है जो कि अपने गुस्से और नफरत पर विजय प्राप्त कर लेता है।
  • इससे कोई भी फर्क नहीं पड़ता है कि आप कितने शिक्षित और अमीर हैं, जब तक कि आपके मन में शांति नहीं है, तब तक आप खुश नहीं रह सकते हैं।
  • सफलता का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि आपको किसी दूसरे से बेहतर बनना है, जबकि सफलता का मतलब यह है कि जो अभी आप हैं उससे बेहतर बनना।

9 COMMENTS

  1. Poojya Dalai lama ji ki book ” Mera desh nikala ” padi. Tibbet ki aajadi mai yoogdaan ker ,mujhe prasannta hogi.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here