भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले दादा साहिब फाल्के पुरस्कार की जानकारी…

Dadasaheb Phalke Award Information

हर साल अलग – अलग कई पुरस्कार समारोह होते है जिनमें उस क्षेत्र के सर्वक्षेष्ठ लोगों को सम्मानित किया जाता है। दादा साहिब फाल्के पुरस्कार भी इन्हीं में से एक है जो सरकार दारा फिल्म के क्षेत्र में दिया जाता है। दादा साहेब फाल्के आवार्ड पाना फिल्म क्षेत्र में काम करने वाले किसी भी एक्टर, एक्टर्स, सिंगर, डायरेक्टर के लिए बहुत अहम है। लेकिन दादा साहिब फाल्के आवार्ड (Dadasaheb Phalke Award) बाकी आवार्डस से अलग है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये भारत सरकार दारा दिया जाता है। जिसे आवार्ड केवल सर्वेक्षेष्ठ लोगों को बिना किसी भेदभाव के दिया जाता है। और सरकार दारा पुरस्कार दिए जाने से कलाकार की अहमियत भी बढ़ती है।

लेकिन क्या आप जानते है फिल्म जगत के कलाकारों को भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले इस सम्मान को दादा साहिब फाल्के पुरस्कार क्यों कहा जाता है और भारत सरकार ने इस पुरस्कार की शुरुआत क्यों की

Dadasaheb Phalke Award
Dadasaheb Phalke Award

भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले दादा साहिब फाल्के पुरस्कार की जानकारी – Dadasaheb Phalke Award Information

दरअसल दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भारत में फिल्मों के जन्मदाता और फिल्म उद्योग के पितामह दादा साहेब की याद में दिया जाता है। दादा साहेब फाल्के ने भारत की पहली मूक फिल्म राजा हरिशचंद्र बनाई। दादा साहेब फाल्के एक बेहतरीन अभिनेता और निर्देशक तो थे ही साथ ही उन्हें कैमरे का भी बहुत ज्ञान था। शायद यही कारण है वो भारत में फिल्मों को जन्म देने में सफल हो पाए

दादा साहेब फाल्के – Dadasaheb Phalke

दादा साहेब फाल्के ने जे.जे स्कूल ऑफ आर्ट से ट्रेनिंग ली थी। वो अभिनय के तो जादूगर थे ही, साथ ही उन्होनें फोटोग्राफी का कोर्स भी किया था। जिस वजह से वो काफी समय तक प्रिटिंग के कारोबार से जुड़े रहे। लेकिन साल 2010 में उनके पार्टनर ने उन्हें आर्थिक मदद करना बंद कर दिया। जिसके बाद कारोबार में नुकसान के कारण दादा साहेब काफी चिड़चिड़े हो गए थे।

दादा साहेब की उम्र समय 40 साल थी। दादासाहेब ने क्रिसमस के मौके पर ईसामसीह पर बनी एक फिल्म देखी। जिसके बाद उन्होनें तय किया कि वो एक फिल्मकार बनेंगे।

दादा साहेब फाल्के ने मूक फिल्म राजा हरिशचंद्र का निर्माण किया। ये भारत की पहली हिंदी फिल्म है। दिलचस्प बात ये है कि इस फिल्म में लड़कियों के किरदारो को भी लड़को ने निभाया था। इस फिल्म दादा साहेब खुद राजा हरिशचंद्र के किरदार में नजर आए थे। इस फिल्म के बाद दादा साहेब फाल्के ने कई फिल्में बनाई।

भारत सरकार ने दादा साहेब की याद में साल 1969 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत की थी। जिसके बाद ये पुरस्कार हर साल भारतीय सिनेमा के व्यक्ति विशेष को फिल्मों में अपने आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है।

दादा साहेब पुरस्कार में विजेता को 10 लाख रुपये और सुवर्ण कमल दिया जाता है। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार सबसे पहले साल 1969 में देविका रानी को उनके हिंदी फिल्मों में बेहतरीन योगदान के लिए दिया गया था। वहीं साल 2017 का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार 80 के दशक के मशहूर एक्टर विनोद खन्ना को हिंदी फिल्मों उनके बेहतरीन अभिनय के लिए दिया गया था। इस साल ये पुरस्कार किसे दिया जाएगा अभी इसकी घोषणा नहीं हुई है।

दादा साहेब ने भारत में उस फिल्म जगत की स्थापना की, जिसकी आज पूरी दुनिया कायल है। हॉलीवुड के दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री भारत की है। जहां हर साल हजारों फिल्में रिलीज होती है। और यही कारण है कि दादा साहेब फाल्के के योगदान को कोई नहीं भूला सकता।

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