Chintamani Ganpati – थेउर का चिंतामणि मंदिर भगवान गणेश को समर्पित हिन्दू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर पुणे से 25 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। साथ ही भगवान गणेश के अष्टविनायको में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, भगवान गणेश के अष्टविनायक भारत के महाराष्ट्र राज्य में पुणे शहर के आस-पास स्थित है।
थेउर का चिंतामणि मंदिर – Chintamani Ganpati Theur
थेउर को गणपति संप्रदाय के लोगो का तीर्थस्थल माना जाता है और मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण भी गणपति संप्रदाय संत मोर्य गोसावी और उनके वंशज धर्माधर ने करवाया था। लेकिन मंदिर के निर्माण की पुख्ता जानकारी किसी के पास उपलब्ध नही है।
अपने निवास स्थान चिंचवड और मोरगांव जाते समय मोर्य गोसावी अक्सर इस मंदिर के दर्शन के लिए आते थे। पूर्ण चन्द्रमा वाली रात के हर चौथे दिन मोर्य थेउर मंदिर के दर्शन के लिए आया करते थे।
कहानी के अनुसार, गुरु के आदेशो पर ही मोर्य ने थेउर में 42 दिनों का कड़ा उपवास कर तपस्या की थी। कहा जाता है की इस समय उनके शरीर का संबंध दिव्य रहस्योद्घाटन से हो चूका था।
माना जाता है की भगवान गणेश उनके सामने शेर के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने मोर्य को सिद्धि प्रदान की।
थेउर मंदिर के साथ-साथ पुणे के आस-पास के दुसरे गणपति मंदिरो को भी ब्राह्मण पेशवा शासको से 18 वी शताब्दी में शाही संरक्षण मिला है। जो पेशवा कुलदेवता के रूप में भगवान गणेश की पूजा करते थे, वाही मंदिरों के निर्माण के लिए आर्थिक सहायता और जमीन भी दान करते थे।
विशेषतः थेउर और मोरगांव के मंदिरों को ब्राह्मण पेशवाओ ने निखारा है। थेउर मंदिर पेशवा शासक माधवराव प्रथम का तो साहित्यिक चुम्बक हुआ करता था।
माधवराव ने मंदिर की अवस्था को सुधारा था और किसी भी युद्ध से पहले वे एक बार इस मंदिर के दर्शन अवश्य करते थे, ताकि उन्हें युद्ध में सफलता मिल सके।
माधवराव ने अंतिम दिन मंदिर की सीमओं पर ही व्यतीत किये थे। गंभीर बीमारी होने के बावजूद अपने अंतिम दिनों में माधवराव भगवान को खुश करने की कोशिश करने लगे। गणेशजी को खुश करने के लिए वे रोज दूध का अभिषेक करते थे।
पेशवा बाजीराव प्रथम के भाई और मिलिट्री कमांडर चिमाजी अप्पा ने मंदिर को एक विशाल यूरोपियन घंटी भेट स्वरुप दी थी।
मंदिर के त्यौहार:
मंदिर में तीन मुख्य उत्सव मनाए जाते है। गणेश प्रकटोत्सव, जो गणेश चतुर्थी के समय मनाया जाता है। यह उत्सव हिन्दू माह भाद्रपद के पहले दिन से सांतवे दिन तक मनाया जाता है, जिनमें से चौथे दिन गणेश चतुर्थी आती है।
इस उत्सव पर मेले का भी आयोजन किया जाता है। इसके बाद भगवान गणेश के जन्मदिन को समर्पित माघोत्सव (गणेश जयंती) समाया जाता है, जो हिंदी माघ महीने के चौथे दिन मनाया जाता है।
इस उत्सव को महीने के पहले से आंठवे दिन तक मनाया जाता है। इस उत्सव पर पर मेले का आयोजन किया जाता है।
इसके बाद मंदिर के प्रसिद्ध संरक्षक माधवराव और उनकी पत्नी रमाबाई को समर्पित कार्तिक महीने में रमा-माधव पुण्योत्सव मनाया जाता है। इन उत्सवो का लाभ लाखो श्रद्धालु लेते है।
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