चतुर्श्रींगी मंदिर – Chaturshringi Temple

Chaturshringi Temple

पुणे जैसे बड़े शहर में भी मंदिरों की कोई कमी नहीं। यहाँ के लोग जितना काम से लगाव रखते है उससे भी ज्यादा यहाँ के लोगो की भगवान पर आस्था है। इसी वजह से यहापर देवी और देवताओ के मंदिर है। यहापर एक बहुत ही जागृत देवी का मंदिर है। चतुर्श्रींगी इस मंदिर – Chaturshringi Temple का नाम है और यह बहुत ही भव्य और आकर्षक मंदिर है।

इस मंदिर से जुडी एक बहुत ही प्रसिद्ध कहानी है। उस कहानी को भी आपको विस्तार से बताएँगे इसलिए निचे दी गयी जानकारी को विस्तार से पढ़े।

Chaturshringi Temple

चतुर्श्रींगी मंदिर – Chaturshringi Temple

इस मंदिर का पहला शब्द चतुर का मतलब ‘चार’ होता है और इसीलिए चतुर्श्रींगी का मतलब होता है की चार चोटी वाला पर्वत। यहाँ का मंदिर बहुत ही बड़ा है और 90 फीट उचा और 125 फीट चौड़ा है। यह मंदिर शक्ती और विश्वास का प्रतिक है। यह मंदिर सेनापति बापट रोड़ पर एक पहाड़ी पर स्थित है।

चतुर्श्रींगी देवी इस मंदिर की प्रमुख देवता है और देवी को अम्ब्रेश्वरी देवी भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है की देवी तक पहुचने के लिए 100 सीढिया चढ़ कर जाना पड़ता है। इस मंदिर दुर्गादेवी और भगवान गणेश का भी मंदिर है और साथ ही इस मंदिर में वेताल महाराज के दर्शन करने का अवसर प्राप्त होता है।

चतुर्श्रींगी मंदिर का इतिहास – Chaturshringi Temple History

यह महाराष्ट्र का बहुत ही प्राचीन मंदिर है और ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण मराठा साम्राज्य के सम्राट शिवाजी महाराज के समय में करवाया गया था। इस मंदिर की देखभाल करने काम चतुर्श्रींगी देवस्थान ट्रस्ट को सौपा गया है। इस मंदिर को शक्ती और विश्वास का प्रतिक समझा जाता है।

हर साल पूरी दुनिया में से लोग देवी के दर्शन करने के लिए आते है। धार्मिक दृष्टि से इस मंदिर का बड़ा महत्व है और बुजुर्ग लोग भी 100 सीढिया चढ़कर देवी के दर्शन करने के लिए आते है। सभी लोगो ने चतुर्श्रींगी देवी की मन से भक्ति करनी चाहिए इसलिए मंदिर का निर्माण करवाया गया था।

चतुर्श्रींगी मंदिर की पौराणिक कथा – Chaturshringi Temple Story

इस मंदिर से जुडी एक बहुत ही प्रसिद्ध कहानी है। दुर्लभसेठ पीताम्बरदास महाजन नाम का एक बहुत ही अमीर व्यापारी था और वह सप्ताश्रींगी देवी का बड़ा भक्त था। वह हर साल चैत्र महीने में पौर्णिमा के दिन केवल देवी के दर्शन करने के लिए पुणे से वाणी तक आता था। लेकिन जब वह बुढा हो गया तो उसे देवी के दर्शन करने में यात्रा के दौरान काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता था।

इस बात को जानकर एक दिन खुद देवी उस व्यापारी के सपने में आयी और उसे पुणे के पहाड़ी में रखी देवी की मूर्ति को बाहर निकालने को कहा और उसी जगह देवी का मंदिर बनाने का उपदेश दिया था। देवी यही चाहती थी की वे हमेशा अपने भक्तों के पास रह सके।

देवी के कहने पर उस भक्त ने उस जगह पर जाकर देवी का मंदिर बनाने की जगह निश्चित की और वहापर जाने के बाद उस भक्त को देवी की एक अद्भुत मूर्ति उसी जगह पर मिली। उसी जगह पर उसने आगे चलकर देवी का बहुत बड़ा मंदिर बनाया।

चतुर्श्रींगी मंदिर खुले रहने का समय – Chaturshringi Temple Timing

यह मंदिर सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक भक्तों के लिए खुला रखा जाता है।
मंगलवार के दिन यह मंदिर दोपहर 12 बजे बंद किया जाता है। मंगलवार और शुक्रवार के दिन देवी की पूजा की जाती है और इन दिनों में भक्त बड़ी संख्या में मंदिर में आते है। इसी वजह से इस मंदिर को दोपहर 12 बजे बंद किया जाता है।

मंदिर में मनाये जानेवाले त्यौहार – Chaturshringi Temple Festival

नवरात्री का त्यौहार इस मंदिर में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान मंदिर भक्त बड़ी संख्या में आते है। यह त्यौहार कुल नौ दिनों तक चलता है और इस दौरान लोग देवी के दर्शन के लिए आते है। नवरात्रि इस मंदिर का सबसे प्रमुख त्यौहार है।

नवरात्रि के दौरान मंदिर को सुन्दर तरीके से सजाया जाता है और मंदिर में चारो तरफ रोशनाई की जाती है।

इस त्यौहार में देवी की पूजा तो की जाती है साथ ही इस शुभ अवसर पर बड़ी यात्रा का आयोजन किया जाता है। रात के समय यात्रा में बड़ी भीड़ रहती है और रोशनाई की जाती है।

नवरात्री के अलावा दीवाली, होली और गणेश चतुर्थी जैसे बड़े त्यौहार भी यहाँ मनाये जाते है।

इस मंदिर में वट पौर्णिमा का त्यौहार भी मनाया जाता है इस त्यौहार में सारी महिलाये मंदिर में आकर देवी पूजा करती है और बरगद के पेड़ की खास तौर पर पूजा की जाती है।

मंदिर तक पहुचने की व्यवस्था – How to Reach Chaturshringi Temple

मुंबई से हर दिन मंदिर में आने के लिए कई सारी बसों की सुविधा की गयी है। सातारा, रायगड और अहमदनगर से सभी तरह की बसों की सुविधा उपलब्ध है।

शिवाजीनगर रेलवे स्टेशन, खडकी रेलवे स्टेशन और दोपोली रेलवे स्टेशन यहाँ से सबसे नजदीक है।

लोहेगाव हवाईअड्डा, छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, गांधीनगर हवाई अड्डा और कोल्हापुर हवाई अड्डा यहाँ से काफी नजदीक है।

यह बहुत ही विलक्षण मंदिर है। यह मंदिर दूर से ही दिखाई देता क्यों की यह मंदिर बहुत ही बड़ा है। चतुर्श्रींगी मंदिर इसीलिए भी सुन्दर दिखता है क्यों की यह पहाडियों में स्थित है जिसकी वजह से मंदिर काफी आकर्षक दिखता है। शायद इसी वजह से भी मंदिर में साल भर भक्तों का ताता लगा रहता है।

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