चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास | Chandragupta Maurya History in Hindi

Chandragupta Maurya

मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य इतिहास के उन महान योद्धाओं में से एक थे, जिन्होंने भारतीय इतिहास को गौरवमयी बनाने में अपना महव्पूर्ण योगदान दिया। उनके अद्भुत साहस और अदस्य शक्ति की गाथा आज भी भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी गई है।

चन्द्र गुप्त मौर्य भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध शासक थे, जिन्हें आज कई सदियों बाद भी लोग जानते हैं और उनके पराक्रम की प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाते हैं। चन्द्रगुप्त मौर्य भारत के सबसे सशक्त और महान शासकों में से एक थे, जिन्होंने अपने अद्भुत साहस, कुशल रणनीति से न सिर्फ भारत बल्कि इसके आसपास के कई देशों पर भी राज किया था।

चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण की तिथि साधारणतः 324 ईसा पूर्व की मानी जाती है, उन्होंने लगभग 24 सालो तक शासन किया और इस प्रकार उनके शासन का अंत प्रायः 297 ईसा पूर्व में हुआ। चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने अद्भुत शासनकाल में मौर्य साम्राज्य का विस्तार कश्मीर से लेकर दक्षिण के डेक्कन तक और पूर्व के असम से पश्चिम के अफगानिस्तान तक किया था और मौर्य साम्राज्य को उस समय भारत का सबसे विशाल साम्राज्य बना दिया था।

चन्द्रगुप्त मौर्य एक ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने  संपूर्ण भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफल रहे। महान पराक्रमी और शक्तिशाली चन्द्रगुप्त महान ने सिर्फ अपनी बदौलत भारत के अलग-अलग स्वतंत्र राज्यों को एक करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत देश में सभी को एकजुट कर एकता के सूत्र में बांधा। हालांकि, राज्यों को एकीकृत करने में सत्यपुत्र, चोल, कलिंग, चेरा और पंडया के तमिल क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया था।

हालांकि, बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य जी के पोते सम्राट अशोक ने करीब 260 ईसापूर्व में कलिंग में विजय हासिल की था, वहीं इस विजय के बाद ही सम्राट अशोक एक निर्दयी और क्रूर शासक से एक परोपकारी और दयालु शासक बन गए थे। चन्द्रगुप्त मौर्य के अद्भुत तेज और शौर्य को देखकर चाणक्य जैसे बुद्धिजीवी भी हक्का-बक्का रह जाते थे।

चन्द्रगुप्त जी बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे, उनमें एक आदर्श, सफल, सच्चे और ईमानदार शासक के सभी गुण विद्यमान थे। वहीं चाणक्य, सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु थे, जिनसे चन्द्रगुप्त मौर्य ने सामाजिक और राजनीति शिक्षा ग्रहण की थी। आइए जानते हैं इतिहास के इस महान योद्धा चन्द्र गुप्त मौर्य के बारे में –

Chandragupta Maurya

चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास – Chandragupta Maurya History in Hindi

पूरा नाम (Name) चन्द्र गुप्त मौर्य
जन्म (Birthday) 340 BC, पाटलीपुत्र, बिहार
माता-पिता (Mother and Father Name) नंदा, मुरा
पत्नी (Wife Name) दुर्धरा
बेटे (Son) बिन्दुसार
पोते (Grandson) सम्राट अशोक, सुशीम

चन्द्र गुप्त मौर्य का शुरुआती जीवन एवं उनका वंश – Chandragupta Maurya Information in Hindi

चन्द्रगुप्त के बचपन, प्रारंभिक जीवन और वंशज के बारे में बेहद कम जानकारी उपलब्ध है एवं इस विषय में अलग-अलग इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। कई  भारतीय साहित्यकारों और इतिहासकारों ने चन्द्रगुप्त मौर्य  का सम्बन्ध नंदा राजवंश से बताया है। जबकि एक संस्कृत नाटक मुद्राराक्षस में उन्हें “नंदनवय” मतलब नंद के वंशज भी कहा गया था।

वहीं अगर चन्द्रगुप्त की जाति के बारे में अगर बात करें तो मुद्राराक्षस में उन्हें कुल-हीन और वृषाला भी कहा गया है। जबकि भारतेंदु हरीशचंद्र के एक अनुवाद के अनुसार उनके पिता नंद के राजा महानंदा थे, जबकि उनकी माता का नाम मुरा था, इसी वजह से उनका उपनाम मौर्य पड़ा।

वहीं बुद्धिस्ट परम्पराओ के मुताबिक चन्द्रगुप्त, मौर्य क्षत्रिय समुदाय के ही सदस्य थे। फिलहाल, चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 340 ईसापूर्व में पाटलीपुत्र (बिहार) में माना जाता है। वे एक बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए थे जिनके पिता नंदा, नंदों की सेना के एक अधिकारी थे, चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म से पहले ही वे दुनिया छोड़कर चल बसे थे।

वहीं जब चन्द्रगुप्त 10 साल के हुए तब उनकी मां मुरा का भी देहांत हो गया। वहीं इतिहास में ऐसा भी उल्लेखित है कि चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता नंदा और उनके चाचा नवनादास, दोनों सौतेले भाई थे, जो आपस में एक-दूसरे को फूंटी आंखों भी नहीं सुहाते थे, और नवनादास उनके पिता को हमेशा जान से मारने की फिराक में रहते थे।

आपको बता दें कि राजा नंदा के चंद्रगुप्त मौर्य को मिलाकर करीब 100 पुत्र थे, आपसी रंजिश के चलते उनके चाचा नवनादास ने महान शासक चन्द्रगुप्त मौर्य के सभी भाइयों को मौत के घाट उतार दिया था। हालांकि चंद्रगुप्त किसी तरह बच गए और मगध साम्राज्य में जाकर रहने लगे थे।

चन्द्रगुप्त मौर्य और आचार्य चाणक्य की मुलाकात – Chandragupta Maurya And Chanakya

इसके बाद चन्द्रगुप्त मौर्य की मुलाकात दुनिया के सबसे अधिक बुद्धिजीवी, महान अर्थशास्त्री, राजनीति विज्ञान में निपुण एक महान ब्राह्मण आचार्य चाणक्य से हुई, जिसके बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया और उन्हीं की बदौलत वे इतिहास के सबसे नामचीन एवं महान योद्धा बने।

तीव्र बुद्धि के चन्द्रगुप्त बचपन से ही प्रतिभावान, निडर और साहसी बालक थे।

चाणक्य ने उनके गुणों को पहली मुलाकात में ही पहचान लिया था, इसलिए वे उनको तक्षशिला विश्वविद्यालय में ले गए थे, जहां पर उन्होंने चन्द्रगुप्त की प्रतिभा को और अधिक निखारने के लिए पढ़ाना शुरु किया एवं उनके अंदर एक महान और साहसी योद्धा के सभी सामाजिक और राजनीतिक गुणों को विकसित कर उन्हें एक ज्ञानी, बुद्मिमान और समझदार शासक बनाया।

चन्द्रगुप्त-चाणक्य द्धारा नंद वंश का पतन का संकल्प एवं मौर्य साम्राज्य की स्थापना – Mauryan Empire Founded

चाणक्य एवं चंद्रगुप्त दोनों का उद्देश्य नंद वंश का पतन करने का था, क्योंकि चंद्रगुप्त से नंद वंश के शासकों ने उनका हक छीन लिया था, और चाणक्य का भोग-विलास एवं घमंड में चूर मगध के सम्राट धनानंद ने अपमान किया था।

दरअसल, जब भारत पर सिकन्दर ने आक्रमण किया था, उस समय चाणक्य तक्षशिला में प्रिंसिपल थे और तभी तक्षशिला और गान्धार के सम्राट आम्भि ने सिकन्दर से समझौता कर लिया था, जिसके बाद चाणक्य ने भारत की अखंडता और संस्कृति को बचाने के लिए सभी राजाओं से सिकंदर को भारत में आने से रोकने का आग्रह किया था, लेकिन उस समय सिकन्दर से लड़ने कोई आगे नहीं आया।

जिसके बाद चाणक्य ने सम्राट धनानंद से सिकंदर के प्रभाव को रोकने के लिए मद्द मांगी, लेकिन अहंकारी सम्राट धनानंद ने चाणक्य का अपमान कर दिया। इसके बाद आचार्य चाणक्य ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए अपने सबसे बलशाली शिष्य सम्राट चंद्र गुप्त के साथ मिलकर  नंद साम्राज्य के पतन की शपथ ली थी।

वहीं नंद वंश के पतन के लिए चन्द्रगुप्त को जहां चाणक्य जैसे महान बुद्दिजीवी, यशस्वी, कूटनीतिज्ञ, दार्शनिक और विद्दान की जरूरत थी, तो वहीं चाणक्य को चन्द्रगुप्त जैसे एक बहादुर, साहसी और पराक्रमी योद्धा एवं सेनापति की जरूरत थी। इसलिए दोनों में नंद वंश का आस्तित्व मिटाने एवं एक सुदृढ़ एवं मजबूत मौर्य साम्राज्य की स्थापना के लिए मिलकर अपनी कुशल नीतियों का इस्तेमाल किया।

इसके लिए दोनों ने कुछ अन्य शक्तिशाली शासकों के साथ मिलकर गठबंधन किए और एक विशाल सेना तैयार कर मगध के पाटलिपुत्र में आक्रमण कर नंद वंश के आस्तित्व को मिटाने में विजय हासिल की। इस तरह महान सम्राट चंद्रगुप्त ने चाणक्य के मार्गदर्शन से बेहद कम उम्र में मौर्य साम्राज्य की स्थापना की और चाणक्य को अपने दरबार में मुख्य राजनीतिक सलाहकार एवं प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

चाणक्य् नीति का इस्तेमाल कर चंद्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य को बनाया एक सुदृढ़ एवं विशाल साम्राज्य:

महान दार्शनिक और राजनीतिज्ञ चाणक्य के मार्गदर्शन और उनकी कुशल नीतियों से मौर्य साम्राज्य के सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, गंधरा में स्थित जो कि वर्तमान समय अफगानिस्तान में है। अलेक्जेंडर द ग्रेट (सिकंदर) के जनरलों को हराने के लिए आगे बढ़े और अफगानिस्तान से पश्चिम में बर्मा और जम्मू-कश्मीर से दक्षिण के हैदराबाद तक अपने मौर्य साम्राज्य का विस्तार करने में सफलता हासिल की।

वहीं करीब 323 ईसापूर्व में सिकंदर (अलेक्जेंडर द ग्रेट) का देहांत हो गया, उस दौरान उसका साम्राज्य छोटे-छोटे हिस्सों में बंट गया, जिसमें हर राज्य एक स्वतंत्र राज्य था, और सभी राज्य का एक अलग शासक था। इसके बाद महापराक्रमी योद्धा चन्द्रगुप्त मोर्या ने करीब 316 ईसा पूर्व में छोटे-छोटे दुकड़े में बंटे राज्यों को  हराकर अपने मौर्य साम्राज्य में मिला लिया और अपने साम्राज्य को वर्तमान इरान, क्राजिस्तान, ताजाकिस्तान तक फैला दिया।

वहीं कई इतिहासकारों के मतुाबिक चन्द्रगुप्त ने उनके  मौर्य साम्राज्य के विस्तार में रुकावट पैदा कर रहे मैकडोनिया के दो तानाशाह की निर्मम हत्या भी करवाई थी।इस तरह उन्होंने चाणक्य नीति का इस्तेमाल करते हुए करीब 305 ईसापूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने मौर्य साम्राज्य को पूर्वी फारस तक फैला दिया था।

वहीं यह वह वक्त था जब पूर्वी एशिया पर सेलयूसिड एंपायर के संस्थापक सेल्यूकस निकेटर का राज्य था। निकेटर अलेक्सेंडर का सेनापति भी रह चुका था। वहीं महान योद्दा चन्द्रगुप्त मौर्य उस दौरान पूर्वी एशिया का बहुत सारा हिस्सा अपने अधीन कर चुके थे, और वे बिना किसी लड़ाई-झगड़े के इस क्षेत्र को अपने साम्राज्य में शामिल करना चाहते थे, इसलिए बाद में उन्होंने वहां के राजा से समझौता कर लिया, जिसके बाद पूर्वी एशिया पर भी चन्द्रगुप्त मौर्य का सिक्का कायम हो गया।

इसके बाद फिर मौर्य साम्राज्य एक  विशाल और सुदृढ़ साम्राज्य बन चुका था और चन्द्रगुप्त की गिनती दुनिया के महान शासकों में होने लगी थी।

चन्द्रगुप्त का विवाह एवं सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस से संधि – Chandragupta Maurya Marriage

सेल्यूकस निकेटर के संधि के बाद उन्होंने अपनी सुंदर राजकुमारी का विवाह महान योद्धा चन्द्रगुप्त के साथ कर दी। वहीं इसके बदले में सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने निकेटर को 500 हाथियों की विशाल सेना दी, जिसका इ्स्तेमाल निकेटर ने 301 ईसापूर्व में हुई एक लड़ाई जीतने में किया था।

इस तरह सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने अलग-अलग टुकड़ों में बंटे सभी गणराज्यों को एकजुट कर उत्तरी और परिश्चमी राज्यों पर अपने मौर्य साम्राज्य का विस्तार किया, हांलाकि वे कलिंगा (वर्तमान उड़ीसा) और तमिल साम्राज्य पर अपना शासन करने में नाकामयाब साबित हुए।

हालांकि, चन्द्रगुप्त मौर्य के पोते एवं इतिहास के सबसे शक्तिशाली एवं महान योद्धा सम्राट अशोक ने बाद में कलिंग और तमिल साम्राज्य पर विजय हासिल कर इसे भी अपने मौर्य साम्राज्य में मिला दिया था। इस तरह मौर्य साम्राज्य, उस समय भारत का सबसे सुदृढ़ और विशाल साम्राज्य बन गया था।

चंद्रगुप्त मौर्य का जैन धर्म से प्रेरित होना और मृत्यु – Chandragupta Maurya Death

मौर्य साम्राज्य के संस्थापक एवं इतिहास के सबसे महान योद्धा चन्द्र गुप्त मौर्य जब 50 साल के हुए तब वे जैन धर्म के विचारों से काफी प्रेरित हुए, और फिर बाद में उन्होंने जैन धर्म को अपना लिया और जैन संत भद्रबाहु को अपना गुरु बना लिया।

इसके बाद करीब 298 ईसा पूर्व में वे अपने पुत्र बिन्दुसार को अपने विशाल मौर्य साम्राज्य की जिम्मेदारी सौंप कर कर्नाटक की गुफओं में चले गए जहां उन्होंने 5 हफ्ते तक बिना कुछ खाए पिए कठोर तप संथारा किया और बाद भूख की वजह से उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

महान शासक चन्द्रगुप्त की मौत के बाद उनके पुत्र बिंदुसार ने अपने विवेक एवं पूर्ण कुशलता के साथ मौर्य साम्राज्य का शासन संभाला और इसको और अधिक मजबूत करने के प्रयास किए। वहीं बिंदुसार के समय में भी चाणक्य उनके दरबार के प्रधानमंत्री थे।

चाणक्य की कूटनीति और कुशल नीतियों की बदौलत मौर्य साम्राज्य ने एक नई ऊंचाईयां छू ली थीं। वहीं इसके बाद चंद्रगुप्त के पोते सम्राट अशोक ने भी अपने अ्द्भुत साहस और कुशल शासन के माध्यम से मौर्य साम्राज्य का विस्तार दक्षिण भारत में कलिंग और तमिल आदि क्षेत्रों में भी करने में विजय हासिल कर ली थी।

इसलिए मौर्य साम्राज्य के दूसरे शासक बिंदुसार को इतिहास में एक ‘महान पिता का पुत्र और महान पुत्र का पिता’ भी कहा जाता है, क्योंकि वे महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र और सम्राट अशोक महान के पिता थे।

चन्द्रगुप्त के जीवन पर धारावाहिक – Chandragupta Maurya Serial

सम्राट चन्द्रगुप्त की वीरता के किस्से आज भी युवाओं के अंदर एक नया जोश भर देते हैं और उनके अंदर आगे बढ़ने का नया जुनून पैदा करते हैं। चन्द्रगुप्त के महान जीवन पर बहुत सारी किताबें भी लिखी गईं हैं।

इसके साथ ही कई टीवी सीरीज भी बनाई जा चुकी हैं, जो दर्शकों द्धारा बेहद पसंद भी की गई हैं। आपको बता दें कि, दूरदर्शन पर एक चंद्रगुप्त मौर्य पर टीवी सीरीज प्रसारित की गई थी एवं  साल 2011 में Imagine TV पर “Chandragupt Maurya” टीवी सीरीज को काफी लोकप्रियता मिली।

चन्द्रगुप्त के जीवन पर फिल्म – Chandragupta Maurya Movie

इसके अलावा साल 1977 में चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन पर तेलुगु भाषा में ”चाणक्य चन्द्रगुप्त” फिल्म  भी बनाई  जा चुकी है। यही नहीं भारतीय इतिहास के इस महान एवं शक्तिशाली योद्धा के चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम पर साल 2001 में  उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया गया था।

चन्द्रगुप्त मौर्य एक निडर योद्धा थे। उन्हें चन्द्रगुप्त महान के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने भारत के लगभग सभी उपमहाद्धीपों में मौर्य साम्राज्य का विस्तार कर जीत का परचम लहराया था। वे हमेशा से ही भारत में एकता लाना चाहते थे और आर्थिक रूप से भारत का विकास करना चाहते थे।

इसके साथ ही भारत में कला और शिल्पकला के विकास में मौर्य साम्राज्य की मुख्य भूमिका रही है। वहीं मौर्य कालीन भारत को आज भी एक विकसित भारत के रूप में याद किया जाता है। भारतीय इतिहास के इस महान शासक को ज्ञानी पंडित की पूरी टीम की तरफ से कोटि-कोटि नमन।

Read More:

  1. सम्राट अशोक मौर्य
  2. चाणक्य का इतिहास
  3. मौर्य शासक बिन्दुसार का इतिहास

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91 thoughts on “चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास | Chandragupta Maurya History in Hindi”

  1. ibrahim kolsawala

    ham ko ye jankari mili hai ki chandra gupt maurya “HAZARAT IMAM HUSSAIN” ke sadhu bhai hote hai. jo H. IMAM HUSSAIN ki wife H. BANU A.S. thi unki sister se chandra gupt mourya ne shadi ki thi.

    inki history jo aapke pas ho to please net pe rakkhe. kyu ki ye history bahoot kam log jante hai.

    1. anuj choudhary

      my ibrahim kolsawala bro phle Chandragupta Maurya k bare mai aap shuru sai read kare tabhi aap ko pure jankri ho ge mere raa a mai aap YOUTUBE par ja a aur ush par search kare Chandragupta Maurya k name sai aap ko seral melai ga ush seral mai sabh ok dekhaya gya hai tho aap use must watch kare
      ok dear

  2. मनीष

    बहुत ही अच्छी जानकारी दी है महान सम्राट चंद्रगुप्त मोर्य की

  3. Well done , जो प्रांतीय शासक अपने पगडी मे मोर पंख लगाया करते थे ।एसे लोग मोरया कहलाते थे । ऊनमे से ही एक थे चन्द्र गुप्त के पिता ।

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