विलियम शेक्सपीयर की जीवनी | Biography Of William Shakespeare In Hindi

William Shakespeare – विलियम शेक्सपीयर इंग्लिश कवी, नाटककार और अभिनेता थे जो इंग्लिश भाषा के महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध लेखको में से एक थे। उन्हें इंग्लैंड का राष्ट्रिय कवी और “बार्ड ऑफ़ एवन” भी कहा जाता है। उनके महानतम कार्यो में 38 नाटक, 154 चतुर्दश पदि कविता, 2 लंबी विवरणात्मक कविताये, और बहोत से छंद और लेखन कार्य शामिल है। उनके नाटको को कई भाषाओ में रूपांतरित किया गया था और बहोत से नाटककारों ने उनके नाटकों का प्रदर्शन भी किया था।

William Shakespeare

विलियम शेक्सपीयर की जीवनी – Biography Of William Shakespeare in Hindi

शेक्सपीयर का जन्म एवन के ऊपर स्ट्रेटफोर्ड में हुआ था। 18 साल की उम्र में उन्होंने ऐनी हैथवे से शादी कर ली। बाद में उनके तीन बच्चे भी हुए, सुसान और जुड़वाँ हम्नेट और जूडिथ। 1585-1592 के समय में उन्होंने लंदन में एक अभिनेता, लेखक और एक नाटक कंपनी लॉर्ड चेम्बर्लेन मेन के सह-मालक बनकर अपने करियर की शुरुवात की। 1613 में 49 साल की आयु में वे स्ट्रेटफोर्ड से रिटायर्ड हो गये थे और वही तक़रीबन 3 साल बाद उनकी मृत्यु हो गयी थी।

शेक्सपीयर ने बहोत सा काम 1589 से 1613 के समय में ही किया है।उनके प्रारंभिक लेख और नाटक साधारणतः कॉमेडी होते थे। बाद में 1608 तक उन्होंने दुखांत नाटक लिखे, जिनमे हैमलेट, ऑथेलो, किंग लेअर और मैकबेथ भी शामिल है। अपने अंतिम समय में उन्होंने दुःख सुखान्तक नाटको का लेखन किया था।

जिनमे कुछ रोमांचक नाटक भी शामिल है। उनके बहोत से नाटको को प्रकाशित भी किया गया है। 1623 में शेक्सपीयर के दो दोस्त और अनुयायी अभिनेता जॉन हेमिंगस और हेनरी कंडेल ने मिलकर उनके मरणोपरांत फर्स्ट फोलियो को प्रकाशित किया। 20 से 21 वी शताब्दी में मॉडर्न कवियों ने उनके कार्यो को दोबारा खोज निकाला और रूपांतर कर उसे प्रकाशित करने लगे थे।

2016 में नाटक मृत्यु की 400 वी एनिवर्सरी को यूनाइटेड किंगडम के साथ ही पुरे विश्व में मनाया गया था।

अंतिम नाटकों में शेक्सपियर का परिपक्व जीवनदर्शन मिलता है। महाकवि को अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के अनुभव हुए थे जिनकी झलक उनकी कृतियों में दिखाई पड़ती है। प्रणय विषयक सुखांत नाटकों में कल्पनाविलास है और कवि का मन ऐश्वर्य और यौवन की विलासितामें रमा है। दु:खांत नाटकों में ऐसे दु:खद अनुभवों को अभिव्यक्ति है जो जीवन को विषाक्त बना देते हैं।

शेक्सपियर के कृतित्व की परिणति ऐसे नाटकों की रचना में हुई जिनमें उनकी सम्यक बुद्धि का प्रतिफलन हुआ है। जीवन में दु:ख के बाद सुख आता है, इसीलिये विचार और व्यवहार में समानता लाना बहोत जरुरी है। इन अंतिम नाटकों से यह निष्कर्ष निकलता है कि हिंसा और प्रतिशोध की अपेक्षा दया और क्षमा अधिक महत्वपूर्ण हैं। अपने गंभीर नैतिक संदेश के कारण इन नाटकों का विशेष महत्व है।

शेक्सपियर में अत्यंत उच्च कोटि की सर्जनात्मक प्रतिभा थी और साथ ही उन्हें कला के नियमों का ज्ञान भी था। प्रकृति से उन्हे मानो वरदान मिला था अत: उन्होंने जो कुछ छू दिया वह सोना हो गया। उनकी रचनाएँ न केवल इंग्लिश भाषा के लिए गौरव की बात हैं बल्कि विश्ववाङ्मय की भी अमर विभूति हैं।

शेक्सपियर की कल्पना जितनी प्रखर थी उतना ही गंभीर उनके जीवन का अनुभव भी था। अत: जहाँ एक ओर उनके नाटकों तथा उनकी कविताओं से आनंद की उपलब्धि होती है वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं से हमको गंभीर जीवनदर्शन भी प्राप्त होता है। विश्वसाहित्य के इतिहास में शेक्सपियर के समकक्ष रखे जानेवाले बहोत कम कवि मिलते हैं।

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