बिजली महादेव – Bijli Mahadev भारत के हिमाचल प्रदेश का एक डरावना मंदिर है। यह मंदिर कुल्लू घाटी में तक़रीबन 2460 मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। बिजली महादेव भारत के सबसे प्रसिद्ध और रोमांचक मंदिरों में से एक है। यह मंदिर बास नदी के पार कुल्लू से 22 किलोमीटर दूर है।
अविश्वसनीय मंदिर – बिजली महादेव / Bijli Mahadev history in Hindi
मंदिर से हम कुल्लू और पारवती घाटी के विशालदर्शी दृश्य को देख सकते है। मंदिर में 60 फीट ऊँची बिजली महादेव की मूर्ति सूरज में लगे सिल्वर मणि की तरह चमकती है।
रोशनियों के इस मंदिर में, ऐसा कहा जाता है की ऊँची मूर्ति रौशनी के माध्यम से ही अपना आशीर्वाद दर्शाती है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर के पुजारी ने बटर और सत्तू की सहायता से मंदिर में शिव लिंग को पुनर्स्थापित किया था। ऐसा माना जाता है की मंदिर में रौशनी के चमकते ही हर हर महादेव को आवाज़ भी निकलने लगती है।
बिजली महादेव मंदिर “काश” स्टाइल में बना मंदिर है जिसमे शिव-लिंग भीं है। यह मंदिर कुल्लू से 14 किलोमीटर दूर हरी झाड़ियो से घिरे हुए जंगल के बीच में है। इस जगह का नाम अचानक हुए एक महान चमत्कार के बाद ही रखा गया था।
यहाँ स्थापित शिवलिंग बिजली से कयी टुकडो को बट गया था और फिर मंदिर के पुजारी ने सभी टुकडो को जमा किया और उन्हें बटर की सहायता से दोबारा जोड़ा। हर साल शिवरात्रि के समय यहाँ भक्तो की भीड़ उमड़ आती है तो सभी मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना भी करते है।
यह मंदिर कुल्लू घाटी में तक़रीबन 2438 मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। बिजली महादेव भारत के सबसे प्रसिद्ध और रोमांचक मंदिरों में से एक है। यह मंदिर बास नदी के पार कुल्लू से 14 किलोमीटर दूर है।
मंदिर से हम कुल्लू और पारवती घाटी के विशालदर्शी दृश्य को देख सकते है। मंदिर में 60 फीट ऊँची बिजली महादेव की मूर्ति सूरज में लगे सिल्वर मणि की तरह चमकती है। रोशनियों के इस मंदिर में, ऐसा कहा जाता है की ऊँची मूर्ति रौशनी के माध्यम से ही अपना आशीर्वाद दर्शाती है।
इस मंदिर से जुडी एक और महानता “वशिष्ट मुनि” है जिन्होंने इस मंदिर में भगवान शिव से प्रार्थना की थी। इस धरती को बचाने के उद्देश्य से उन्होंने शिव को धरती पर पड़ने वाली बिजली को शोषित करने के लिए प्रार्थना की थी।
उनकी प्रार्थना का उन्हें जवाब भी मिला। और पार्वती नदी और बास नदी पर ही स्थानिक लोगो को एक अद्भुत चमत्कार देखने मिला था। मंदिर में बार-बार बिजली गिरने और रौशनी के चमकने की वजह से ही इस मंदिर को बिजली महादेव का नाम दिया गया था।
इस मंदिर का आकार पाहरी स्टाइल का है। बिजली महादेव मंदिर के प्रवेश द्वार में नंदी की एक मनमोहक कलाकृति बनी हुई है। पौराणिक कलाकृतियों के साथ ही मंदिर में आभूषित द्वार भी बने हुए है।
आकाशीय बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है की भगवान शिव नही चाहते थे की जब बिजली गिरे तब जन धन को इससे नुकसान पहुचे। और भोलेनाथ लोगो को बचाने के लिए इस बिजली को अपने उपर गिरवाते है। इसी वजह से यहाँ भगवान शिव को बिजली महादेव कहा जाता है।
बिजली महादेव मंदिर तक कैसे पंहुचा जाये? How to reach Bijli Mahadev?
आप कुल्लू तक आसानी से पहुच सकते हो और फिर इसके बाद आपको बिजली महादेव के लिए बस स्टैंड से बस मिलेगी जो तक़रीबन चांसरी ग्राम तक जाती है। या फिर आप बस स्टैंड के पास से कुल्लू टैक्सी स्टैंड से प्राइवेट कैब भी कर सकते है। लेकिन आपको चांसरी से 3 किलोमीटर की ऊंचाई तक सीढियाँ चढ़नी होगी।
यदि आपका स्वास्थ अच्छा है और यदि आप तंदरुस्त हो तो आप कुल्लू से बिजली महादेव तक पैदल यात्रा भी कर सकते हो। यह रास्ता निश्चित ही काफी सुन्दर जंगल और मनमोहक बागो और छोटे-छोटे गाँवो से भरा है।
समय के साथ-साथ जैसे-जैसे आप उपर पहुचोगे वैसे-वैसे आपके पैर आपसे आराम करने को कहेंगे लेकिन प्राकृतिक सुन्दरता को देखकर आप अपने दर्द को भूलकर बिजली महादेव के मनमोहक नज़ारे को देखने के लिए चल पड़ोगे।
मंदिर को चोटी से आप पारवती और कुल्लू घाटी के विशालकाय और मनमोहक नज़ारे को भी देख सकते है। जब भी आप चोटी से पीछे मुड़कर देखोगे तो आपको अपने आस-पास कोई भी उससे ऊँची चोटी नही दिखायी देगी।
यदि आप वहाँ रहना चाहते हो तो चढ़ाई करते समय अपने साथ जरुरी सामान जरुर ले जाए। वहाँ स्थानिक लोगो की कुछ दुकाने भी है लेकिन वे आपके लिए पर्याप्त नही होगी।
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JAI HO BIJLI MAHADEV BHOLEY NATH PRUBU
Dear All,Hey PRUBU JEE AAP KEY ANEKO NAAM AUR ROOP HEIN-HOWEVER UR THIS NAME OF BHOLEY NATH APPEALS TO US MORE.HEY ADEE NAATH OF HATH YOGA-THE SWEET FLOW OF YOGA IS PREVALENT ALL AROUND THE WORLD ONLY BECAUSE OF UR SWEET WILL-PARNAM PRUBU-JAI SHREE PRUBU JEE KEE:-
भगवान शिव के 108 नाम —-
१- ॐ भोलेनाथ नमः
२-ॐ कैलाश पति नमः
३-ॐ भूतनाथ नमः
४-ॐ नंदराज नमः
५-ॐ नन्दी की सवारी नमः
६-ॐ ज्योतिलिंग नमः
७-ॐ महाकाल नमः
८-ॐ रुद्रनाथ नमः
९-ॐ भीमशंकर नमः
१०-ॐ नटराज नमः
११-ॐ प्रलेयन्कार नमः
१२-ॐ चंद्रमोली नमः
१३-ॐ डमरूधारी नमः
१४-ॐ चंद्रधारी नमः
१५-ॐ मलिकार्जुन नमः
१६-ॐ भीमेश्वर नमः
१७-ॐ विषधारी नमः
१८-ॐ बम भोले नमः
१९-ॐ ओंकार स्वामी नमः
२०-ॐ ओंकारेश्वर नमः
२१-ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः
२२-ॐ विश्वनाथ नमः
२३-ॐ अनादिदेव नमः
२४-ॐ उमापति नमः
२५-ॐ गोरापति नमः
२६-ॐ गणपिता नमः
२७-ॐ भोले बाबा नमः
२८-ॐ शिवजी नमः
२९-ॐ शम्भु नमः
३०-ॐ नीलकंठ नमः
३१-ॐ महाकालेश्वर नमः
३२-ॐ त्रिपुरारी नमः
३३-ॐ त्रिलोकनाथ नमः
३४-ॐ त्रिनेत्रधारी नमः
३५-ॐ बर्फानी बाबा नमः
३६-ॐ जगतपिता नमः
३७-ॐ मृत्युन्जन नमः
३८-ॐ नागधारी नमः
३९- ॐ रामेश्वर नमः
४०-ॐ लंकेश्वर नमः
४१-ॐ अमरनाथ नमः
४२-ॐ केदारनाथ नमः
४३-ॐ मंगलेश्वर नमः
४४-ॐ अर्धनारीश्वर नमः
४५-ॐ नागार्जुन नमः
४६-ॐ जटाधारी नमः
४७-ॐ नीलेश्वर नमः
४८-ॐ गलसर्पमाला नमः
४९- ॐ दीनानाथ नमः
५०-ॐ सोमनाथ नमः
५१-ॐ जोगी नमः
५२-ॐ भंडारी बाबा नमः
५३-ॐ बमलेहरी नमः
५४-ॐ गोरीशंकर नमः
५५-ॐ शिवाकांत नमः
५६-ॐ महेश्वराए नमः
५७-ॐ महेश नमः
५८-ॐ ओलोकानाथ नमः
५४-ॐ आदिनाथ नमः
६०-ॐ देवदेवेश्वर नमः
६१-ॐ प्राणनाथ नमः
६२-ॐ शिवम् नमः
६३-ॐ महादानी नमः
६४-ॐ शिवदानी नमः
६५-ॐ संकटहारी नमः
६६-ॐ महेश्वर नमः
६७-ॐ रुंडमालाधारी नमः
६८-ॐ जगपालनकर्ता नमः
६९-ॐ पशुपति नमः
७०-ॐ संगमेश्वर नमः
७१-ॐ दक्षेश्वर नमः
७२-ॐ घ्रेनश्वर नमः
७३-ॐ मणिमहेश नमः
७४-ॐ अनादी नमः
७५-ॐ अमर नमः
७६-ॐ आशुतोष महाराज नमः
७७-ॐ विलवकेश्वर नमः
७८-ॐ अचलेश्वर नमः
७९-ॐ अभयंकर नमः
८०-ॐ पातालेश्वर नमः
८१-ॐ धूधेश्वर नमः
८२-ॐ सर्पधारी नमः
८३-ॐ त्रिलोकिनरेश नमः
८४-ॐ हठ योगी नमः
८५-ॐ विश्लेश्वर नमः
८६- ॐ नागाधिराज नमः
८७- ॐ सर्वेश्वर नमः
८८-ॐ उमाकांत नमः
८९-ॐ बाबा चंद्रेश्वर नमः
९०-ॐ त्रिकालदर्शी नमः
९१-ॐ त्रिलोकी स्वामी नमः
९२-ॐ महादेव नमः
९३-ॐ गढ़शंकर नमः
९४-ॐ मुक्तेश्वर नमः
९५-ॐ नटेषर नमः
९६-ॐ गिरजापति नमः
९७- ॐ भद्रेश्वर नमः
९८-ॐ त्रिपुनाशक नमः
९९-ॐ निर्जेश्वर नमः
१०० -ॐ किरातेश्वर नमः
१०१-ॐ जागेश्वर नमः
१०२-ॐ अबधूतपति नमः
१०३ -ॐ भीलपति नमः
१०४-ॐ जितनाथ नमः
१०५-ॐ वृषेश्वर नमः
१०६-ॐ भूतेश्वर नमः
१०७-ॐ बैजूनाथ नमः
१०८-ॐ नागेश्वर नमःv
भगवान के १०८ नाम
इस मंदिर में हर साल क्यों गिरती है बिजली , इसके पीछे एक रोचक कथा है ! एक बार कुलान्त नामक दैत्य अजगर का विशाल रूप धारण कर कुल्लू के मथान गाव में आया ! दैत्य रूपी अजगर कुंडली मारकर व्यास नदी के पानी को रोक कर इस जगह को डुबोना चाहता था जिससे यहाँ के सारे जीव-जंतु मारे जाये !
भगवान शिव ने जब कुलान्त के यह इच्छा जानी तो वे उसके निकट आये और कहा की तुम्हारे पुंछ में आग लगी है, यह सुनते ही जब कुलान्त पीछे अपनी पुंछ को देखने मुड़ा ,शिव ने अपने त्रिशूल से उस के सिर पर वार कर दिया !
इस तरह कुलान्त मारा गया और उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया जहाँ उसका शरीर फैला था वहाँ घाटी का निर्माण हुआ | तब भगवान शिव ने इंद्र का आह्वान किया तथा उन्हें इस जगह पर हर साल में बिजली गिराने को कहा !
शिव नही चाहते थे की जब बिजली गिरे तो इससे जन धन को हानि हो अतः शिवजी वहाँ शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए ! जब वहाँ बिजली गिरती है तो शिवजी उसे अपने ऊपर ले लेते है इसलिए यहाँ के लोग भगवान शिव के इस शिवलिंग को बिजली महादेव कहते है
kab giri thi bijli yani kis saal me giri thi bijli
Nice Post to Read. Thanks for such a nice post.
Keep it Up !
~Prakash