भूपने हजारिका विलक्षण और बहुमुखी प्रतिभा के धनी गीतकार, संगीतकार और गायक ही नहीं थे, बल्कि उनकी ख्याति असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक में रुप में भी पूरे देश में फैली हुई थी।
भूपेन, भारत के ऐसे अदभुत और अनूठे कलाकार थे, जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीत देते थे और उसे गाते भी थे। आपको बता दें कि भूपने हजारिका ने समाज के तमाम गंभीर मुद्दों को अपने फिल्मों और संगीत के माध्यम से लोगों के बीच पेश किया।
यही नहीं उन्होंने कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण समेत तमाम क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया।
कलम और आवाज के जादूगर भूपेन हजारिका – Bhupen Hazarika Biography
नाम (Name) | भूपेन हाजरिका |
जन्म (Birthday) | 8 सितम्बर 1926 |
जन्मस्थान (Birthplace) | सदिया, असम, भारत |
पिता (Father) | नीलकांत |
माता (Mother) | शांतिप्रिया |
पेशा (Occupation) | गीतकार, संगीतकार और गायक |
पुरस्कार (Award) | पद्म विभूषण, पद्म श्री, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण, संगीत नाटक अकादमी, असम रत्न, मुक्तिजोधा पदक,भारत रत्न |
मृत्यु (Death) | 5 नवंबर 2011 |
भूपने हजारिका बचपन से ही संगीत प्रेमी थे। उनके रोम-रोम में संगीत बसा हुआ था। यही वजह है कि साल 1936 में महज 10 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला गाना रिकॉर्ड कर सभी को आश्चचर्यचकित कर दिया था।
इसके बाद साल 1939 में उन्होंने इंद्रमलाटी फिल्म के लिए दो गाने भी गाए। आपको बता दें कि उन्होंने अपना पहला गाना “अग्निजुगोर फिरिंगोति’ लिखा था। हिंदी फिल्म रुदाली और दमन के उनके गाने बेहद लोकप्रिय रहे।
भूपेन हजारिका ने न सिर्फ अपने गीतों से भारतीय संगीत की दुनिया में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है बल्कि उन्होंने लाखों लोगों को अपना दीवाना भी बनाया है।
उन्होंने कई फिल्मों को अपनी सुरीली और जादुई आवाज दी है। ‘ओ गंगा तू बहती क्यों है…’ (Ganga)और ‘दिल हूम हूम करे’ (Dil Hoom Hoom Kare) जैसे गीतों से उन्हे एक अलग पहचान मिली और फिर उनके प्रशंसकों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई।
स्कॉलरशिप पर कोलंबिया यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई –
8 सितंबर 1926 को असम के तिनसुकिया जिले के सदिया में जन्मे भूपेन हजारिका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुवाहाटी से हासिल की। इसके बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) से उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की।
वह पढ़ने में काफी होशियार थे, इसलिए साल 1949 में उन्हें स्कॉलरशिप पर कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए भेजा गया। जहां उनकी मुलाकात प्रियंवदा पटेल से हुई। जिसके बाद दोनों 1950 में शादी के बंधन में बंध गए।
शादी के बाद 1952 में दोनों को संतान की प्राप्ति हुई जिसका नाम उन्होंने तेज रखा। इसके बाद वे अपने परिवार वालों के साथ साल 1953 में भारत वापस लौट आए लेकिन दुर्भाभ्य वश वे अपने परिवार के साथ ज्यादा वक्त नहीं बिता पाए।
हालांकि भारत लौटने के बाद महान कवि, संगीतकार और गायक हजारिका ने गुवाहाटी यूनिवसिर्टी में टीचिंग की जॉब भी की। लेकिन वे इस नौकरी को ज्यादा समय तक नहीं कर पाए और फिर उनके परिवार की आर्थिक हालत खराब होती चली गई, आखिरकार पैसों की तंगी की वजह से उनकी पत्नी प्रियम्वदा ने उन्हें छोड़कर चलीं गईं।
फिर क्या था, हजारिका ने पूरी तरह से खुद को संगीत की दुनिया में कैद कर लिया और संगीत को अपना साथी बना लिया।
आपको बता दें कि अपनी मूल भाषा असमी के अलावा भूपेन हज़ारिका ने हिंदी, बंगाली समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में भी कई गाने गाए और अपनी आवाज का जादू बिखेरा। भूपने जी को पारंपरिक असमिया संगीत को लोकप्रिय बनाने का क्रेडिट भी दिया जाता है।
इसके अलावा भूपेन हजारिका ने अपने जीवन में करीब एक हजार गाने और 15 किताबें लिखी हैं।
यही नहीं उन्होंने स्टार टीवी पर आने वाले सीरियल ‘डॉन’ को प्रोड्यूस भी किया था। उन्होंने ‘रुदाली’ ‘दमन’, ‘गजगामिनी’, ‘मिल गई मंजिल मुझे’, ‘साज’, ‘दरमियां’, और ‘क्यों’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में अपनी जादुई आवाज दी।
इसके अलावा उन्होंने फ़िल्म ‘गांधी टू हिटलर’ में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन ‘वैष्णव जन’ भी गाया था।
हजारे को कई पुरस्कारों से किया जा चुका सम्मानित –
भूपेन हज़ारिका को कई पुरस्कारों से भी नवाज़ा जा चुका है, जिसमें पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार शामिल हैं। आपको बता दें कि भूपेन हजारिया -Bhupen Hazarika को फिल्म शकुंतला के लिए साल 1961 में बेस्ट फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला।
इसके बाद उन्हें फिल्म “चमेली मेमसाहब’ के लिए 1975 में बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का नेशनल अवॉर्ड दिया गया। हजारिया को साल 1987 में संगीत नाटक अकादमी, 1992 में दादा साहब फाल्के, 2009 में असम रत्न अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।
यही नहीं 2011 में बांग्लादेश सरकार ने उन्हें मुक्ति योद्धा अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। साल 2011 में पद्मभूषण और 2012 में मरणोपरांत पद्मविभूषण और मरणोपरांत भारत रत्न जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया।
भूपेन ने साल 2004 में भाजपा की थी ज्वाइन
मशहूर कवि, संगीतकार और गायक हजारिका जी साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल में भाजपा से जुड़े। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में हजारिका ने गुवाहाटी से चुनाव लड़ा था।
हालांकि, हजारे को इस चुनाव में सफलता नहीं मिल सकी, दरअसल वे इस चुनाव में कांग्रेस के कृपा चलीहा से हार गए थे।
इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि भूपेन हजारिका के पूर्वोत्तर और खासकर उनके गृह प्रदेश असम में उनके भारी मात्रा में प्रशंसक है। यहां तक की लोगों के दिलों में उनके लिए इतनी श्रद्धा है कि असम की राजधानी गुवाहाटी में उनकी याद में मंदिर भी बनवाया गया है।
निधन –
लाखों दिलों पर राज करने वाले और अपनी आवाज का जादू पूरी दुनिया में बिखेरने वाले हजारिया जी ने 5 नवंबर, साल 2011 को अपनी अंतिम सांस ली। उनकी अंतिम यात्रा में 5 लाख से भी ज्यादा लोगों का जनसैलाब उमड़ा था।
हजारिया जी भले ही इस दुनिया से चले गए हो, लेकिन उनकी आवाज हमेशा हमारे बीच गूंजती रहेगी और वे हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे।
सम्मान में देश का सबसे लंबा सेतु – भूपेन हजारिका पुल
यही नहीं उनके सम्मान में देश के सबसे लंबे सेतु ‘ढोला सदिया’ (Dhola Sadiya) पुल का नामकरण उनके नाम पर किया गया। आपको बता दें कि इस पुल का निर्माण ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी लोहित पर किया गया है।
इसका उदघाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 मई, साल 2017 को किया था। देश के सबसे लंबे सेतु भूपेन (Longest Bridge in India) हजारिका पुल की लंबाई 9.15 किमी और चौड़ाई 12.9 मीटर है।
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