Bhisham Sahni Books
भीष्म साहनी जी हिन्दी साहित्य के एक महान लेखक, मशहूर पटकथा लेखक एवं बेहतरीन अभिनेता थे, जिनकी तुलना प्रेमचंद से की जाती थी। वे अपनी रचनाओं में बेहद आसान भाषा का इस्तेमाल करते थे। उनकी रचनाओं में उनकी सहजता साफ झलकती थी, उन्हें आधुनिक हिन्दी साहित्य महत्वपूर्ण स्तंभों में से भी एक माना जाता है।
भीष्म साहनी जी की किताबें – Bhisham Sahni Books
भारत – पाकिस्तान विभाजन के पहले महान लेखक भीष्म साहनी जी एक अंग्रेजी अध्यापक थे इसके साथ ही वे व्यापार भी करते थे। आजादी के बाद जब भारत -पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो वे भारत आ गए और यहीं उन्होंने पत्रों में लिखने का काम शुरु किया।
आपको बता दें कि भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर आधारित उन्होंने एक अपना उपन्यास “तमस” लिखा, यह उपन्यास उनका सार्वधिक लोकप्रिय उपन्यासों में से एक है और इसी उपन्यास की वजह से उन्हें हिन्दी साहित्य में एक महान लेखक के तौर पर पहचान मिली।
इस उपन्यास में भीष्म साहनी जी ने बड़ी ही सहजता और समझदारी के साथ भारत-पाक विभाजन के दौरान हुए, दंगों का बेहद वर्णन किया है। इसके साथ ही भीष्म साहनी जी ने अपने इस उपन्यास में सांप्रदायिकता का भी बेहद खूबसूरत तरीके से वर्णन किया है।
वहीं उनके इस मशहूर उपन्यास तमस पर निर्देशक गोविंद निहलानी ने एक टीवी सीरियल भी बनाया था, जो लोगों द्धारा काफी पसंद किया गया। वहीं उनका यह सीरियल टीवी के इतिहास में सबसे अच्छे सीरियलों में से एक था।
एक मशहूर पटकथा लेखक, उपन्यासकार और साहित्यकार होने के साथ-साथ भीष्म साहनी जी ने अपनी पहचान एक अच्छे अभिनेता के रुप में भी बनाई थी। उन्होनें “लिटिल बुद्धा”, “मिस्टर एंड मिसेज अय्यर”, मोहन जोशी हाजिर हो समेत कई फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया था।
भीष्म साहनी जी बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति थे। वे एक अच्छे लेखक, मशहूर साहित्यकार एवं अभिनेता ही नहीं बल्कि राजनेता भी थे। स्वतंत्रता से पहले वे कांग्रेस पार्टी के एक एक्टिव कार्यकर्ता भी रह चुके थे और बाद में फिर वे कम्यूनिस्ट पार्टी से भी काफी दिनों तक जुड़े रहे।
भीष्म जी के बसंती, झरोखे, मध्यादास की मंडी आदि प्रसिद्ध उपन्यास थे एवं मशहूर कहानियों में से पाली, “अमृतसर आ गया है”, “चीफ की दावत”, “साग मीट” आदि शुमार हैं, जबकि उनके प्रसिद्ध नाटकों में “ह्मनूश” और “कबिरा खड़ा बाजार” शामिल हैं।
साल 1998 में उन्हें साहित्य में अपना उत्कृष्ट योगदान के लिए पदम् भूषण और साल 2002 में साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित किया गया।
भीष्म साहनी जी को साहित्य में प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है। वे मानवीय मूल्यों के हिमायती रहे और उन्होंने नकारात्मक विचारधारा को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया।
वे बहुत मधुर स्वभाव के एवं यथार्थ से जुड़े व्यक्ति थे, जिनके उपन्यासों, कहानियों, नाटकों, आत्मकथा एवं बालकथा के बारे में हम आपको नीचे बता हैं, जिन्हें पढ़कर आपको भी परम सुख की अनुभूति होगी। भीष्म साहनी जी की रचनाओं के नाम कुछ इस प्रकार हैं –
भीष्म साहनी जी के उपन्यास – Bhisham Sahni Upanyas
- झरोखे
- तमस
- मेरे साक्षात्कार
- बसन्ती
- मय्यादास की माडी़
- कुन्तो
- नीलू निलिमा नीलोफर
- कडियां
भीष्म साहनी जी की कहानियां- Bhisham Sahni Ki Kahani
- भटकती रेखा
- मेरी प्रिय कहानियां
- भाग्यरेखा
- वांड़चू
- निशाचर
- पटरियां
- गंगो का जाया
- गुलेलबाज लड़का
- फैसला
- चीफ की दावत
- ओ हरामजादे !
- अमृतसर आ गया है
- झूमर
- दो गौरेया
- त्रास
- मरने से पहले
- माता-विमाता
- साग-मीट
- खिलौने
- निमित्त
- खून का रिश्ता
- मेड इन इटली
- शोभायात्रा
- भटकाव
- धरोहर
- रामचंदानी
- अनूठे साक्षात
- भटकाव
- लीला नंदलाला की
भीष्म साहनी जी के नाटक – Bhisham Sahni Ke Natak
- हानूश
- माधवी
- कबीरा खड़ा बजार में
- मुआवज़े
- संपूर्ण नाटक (खंड1-2)
भीष्म साहनी जी की आत्मकथा – Bhisham Sahni Ki Atmakatha
- बलराज माय ब्रदर
- बालकथा
- गुलेल का खेल़
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Please Note: अगर आपके पास और भी अच्छे किताबों के बारे में जानकारी है तो जरुर कमेंट में बताये अच्छे लगने पर हम उन्हें Bhisham Sahni Books in Hindi इस Article में जरुर शामिल करेगें।