भीष्म साहनी एक हिंदी लेखक, नाटककार और कलाकार थे, जो विशेषतः अपने प्रसिद्ध उपन्यास और टेलीविज़न स्क्रीनप्ले ‘तामस’ के लिए जाने जाते थे। भीष्म साहनी का यह उपन्यास भारत विभाजन पर आधारित था।
1998 में साहित्य में उनके योगदान को देखने हुए उन्हें पद्म भुषम अवार्ड से सम्मानित और 2002 में साहित्य अकादमी शिष्यवृत्ति प्रदान की गयी। प्रसिद्ध हिंदी फिल्म अभिनेता बलराज साहनी के वे छोटे भाई थे। बाबु हरिबंसल साहनी के वे बेटे थे।
भीष्म साहनी का जीवन परिचय – Bhisham Sahni biography
भीष्म साहनी एक हिंदी लेखक, अभिनेता, शिक्षक, अनुवादक और बहुभाषी थे, जो विशेषतः अपने द्वारा लिखी उपन्यास ‘तामस (1974, अंधकार)’ के लिए जाने जाते है, जिसमे उन्होंने 1947 के भारत विभाजन का चित्रण किया है। 1986 में फ़िल्मकार गोविंद निहलानी ने उनके कार्य को अपनाया और लेखक को सिक्ख चरित्र कर्मो का रोल भी दिया।
लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज (वर्तमान GC यूनिवर्सिटी, लाहौर) से अंग्रेजी साहित्य में उन्होंने मास्टरी की और फिर शिक्षक बन गये। इसके बाद 1942 के भारत छोडो आंदोलन में वे शामिल हुए और इसके चलते कुछ समय तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। विभाजन के बाद वे भारत वापिस आ गये और विभाजन का उनके दिमाग पर बहुत असर हुए। इसीलिए उनके ज्यादातर लेख भारत विभाजन से ही जुड़े हुए है।
1949 से 1950 तक साहनी और अपने भाई बलराज की तरह एक अभिनेता ही माना जाता था। जल्द ही वे इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन में दाखिल भी हुए, जहाँ आज़ाद भारत से जुड़े हुए उन्होंने बहुत से नाटक किये और स्टेज पर एक्टिंग भी की।
1950 में लेक्चरर के रूप में वे दिल्ली कॉलेज (वर्तमान जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी) के इंग्लिश डिपार्टमेंट में दाखिल हुए।
उनकी मातृभाषा पंजाबी थी और उर्दू भाषा में उन्हें पढाया गया था, इसके साथ-साथ उन्हें संस्कृत और रशियाई भाषा का भी ज्ञान था। 1957 से 1963 तक मास्को में फॉरेन लैंग्वेज पब्लिशिंग हाउस के लिए उन्होंने बहुत सी रशियन किताबो का अनुवादन हिंदी में किया था।
1984 में फिल्म निर्माता सईद अख्तर मिर्ज़ा ने मोहन जोशी की हाज़िर हो! में उनके सामने एक किरदार का प्रस्ताव भी रखा और यही साहनी की डेब्यू फिल्म भी बनी। मी. और मिसेज. अय्यर (2002) में उन्होंने अंतिम किरदार निभाया था।
साहनी को बहुत से खिताबो और अवार्ड से नवाजा गया है, जिसमे पद्म श्री (1969) और पद्म भूषण (1998) शामिल है। इसके साथ-साथ उन्हें तामस के लिए साहित्य अकादमी अवार्ड (1975) से भी सम्मानित किया गया है।
भीष्म साहनी अवार्ड और सम्मान – Bhisham Sahni awards
अपने जीवन काल में, साहनी को बहुत से अवार्ड्स से नवाजा गया है, जिसमे शिरोमणि लेखक अवार्ड 1979 भी शामिल है।
- 1975 में उत्तरप्रदेश सरकार ने ‘तामस’ के लिए उन्हें सम्मानित किया था।
- उनके नाटक ‘हनुष’ के लिए मध्य प्रदेश कला साहित्य परिषद् अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- 1975 में एफ्रो-एशियन लेखको के एसोसिएशन द्वारा लोटस अवार्ड दिया गया।
- 1983 में सोवियत लैंड नेहरु अवार्ड दिया गया।
- अंततः साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए 1998 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
- शलाका सम्मान, नयी दिल्ली, 1999
- मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, मध्य प्रदेश, 2000-01
- संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, 2001
- सर्वोत्तम हिंदी उपन्यासकार के लिए सर सैयद नेशनल अवार्ड, 2002
- 2002 में भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप से सम्मानित किया गया।
- 2004 में राशी बन्नी द्वारा किये गये नाटक के लिए इंटरनेशनल थिएटर फेस्टिवल, रशिया में उन्हें कॉलर ऑफ़ नेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- 31 मई 2017 को भारतीय डाक ने साहनी के सम्मान में उनके नाम का एक पोस्टेज स्टेम्प भी जारी किया है।
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