Basavanna – बसव 12 वी शताब्दी के एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने समाज में सुधारना लाने के लिए आखिर तक प्रयास किये। उन्होंने लिंगायत धर्मं की स्थापना की थी इसीलिए उन्हें इस धर्मं के संस्थापक भी कहा जाता है। इस धर्म में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
महान समाज सुधारक बसव – Basavanna History
बसव का जन्म सन 1105 के करीब उत्तर कर्नाटक के बागेवादी में एक ब्राह्मण हिन्दू परिवार में हुआ था। उनके माता पिता मदरसा और मदलाम्बिके थे और वो भगवान शिव के भक्त थे। संस्कृत शब्द वृषभ के नाम पर से उनका बसव नाम रखा गया। वृषभ का अर्थ होता है भगवान शिव के वाहन नंदी।
बसव कुदालासंगमा (कर्नाटक के उत्तर पूर्वी दिशा में) में बड़े हुए। यह कृष्णा नदी और उसकी उपनदी मालप्रभा के किनारे स्थित है। बसव ने पुरे बारा सालों तक एक संगमेश्वर के हिन्दू मंदिर में पढाई की और बाद में शैव पंथ की पढाई की। यह पढाई ज्यादातर लाकुलिषा पाशुपत परंपरा से जुडी थी।
बसव की शादी गंगाम्बिके से हुई थी। वो कलचुरी राजा बिज्जाला के प्रधान मंत्री की बेटी थी। बसव ने राजा के दरबार में एक मुनीम के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। जब बसव के मामा गुजर गए तब राजा ने बसव को मुख्य मंत्री बना दिया था और साथ ही राजा ने बसव की बहन पद्मावती से शादी भी कर ली थी।
अपने राज्य का मुख्य मंत्री होने के नाते बसव ने राज्य के खजाने का पैसा सामाजिक सुधारना और धार्मिक कार्यो को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। साथ ही उन्होंने शैव पंथ को बढ़ा करने पर अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया था जिसके कारण जो जंगमा नाम से सन्यासी जाने जाते थे उनके विकास के लिए बसव ने कई सारे कार्य किये।
उन्होंने 12 वी शताब्दी में “अनुभव मंताप” की स्थापना भी की थी, जहापर सभी लोग इकट्टा होकर अपने जिंदगी से जुडी हर अध्यात्मिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर खुल के चर्चा करते थे। उन्होंने अपनी ही मातृभाषा में कई सारी कविताये लिखी, ऊनके माध्यम से समाज को सुधारने के प्रयास किये। उनकी किताब ‘कयाकावे कैलास’ (काम करने से ही कैलाश की प्राप्ति होती है) काफी प्रसिद्ध हुई थी।
बसव ने लिंग और सामाजिक भेदभाव का कड़ा विरोध किया, अंधश्रद्धा और शरीर पर किसी पवित्र धागे को पहनने पर उन्होंने कड़ा विरोध किया मगर साथ ही उन्होंने शिव की भक्ति को हमेशा करने के लिए एक नए इष्टलिंग हार को समाज के सामने रखा जिसमे भगवान शिव की प्रतिमा भी थी।
बसव ने जो समाज को सिख दी उनमे निचे दिए गए बातो का कड़ा पालन करना पड़ता था।
- कभी झूठ नहीं बोलना
- चोरी ना करना
- किसी को ना मारना
- कभी अहंकार नहीं करना
- कभी क्रोध नहीं करना
- सबके साथ मिलजुलकर रहना
- सभी ने साथ में किसी बात के लिए भुगतना
लिंगायत का समर्थन करने वाले बसव को बचपन से आध्यात्मिकता में काफी रुची थी। बड़े होने पर जब वो राज्य के मुख्य मंत्री हुए तो उन्होंने एक बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण संस्था का निर्माण किया था। इस संस्था का नाम अनुभव मंताप था। इस संस्था की सबसे खास बात यह थी इसमें कोई भी व्यक्ति शामिल हो सकता था और किसी भी विषय पर अपने विचार सबके सामने रखने के लिए वो पूरी तरह से स्वतन्त्र था। बसव केवल यही पर नहीं रुके, उन्होंने अपने कविता के माध्यम से भी लोगो को सिख दी।
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बहुत ही बढ़िया जानकारी। आपकी लिखने की शैली बहुत ही अच्छी है।
धन्यवाद विश्वजीत जी, यह जानकर अच्छा लगा कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया। हमें आगे भी इस तरह के पोस्ट अपलोड करते रहेंगे। उम्मीद है कि आपको हमारे सभी पोस्ट जरूर पसंद आएंगे। बसव एक महान समाज सुधारक थे उन्होंने समाज में सुधार लाने के लिए कई काम किए।
ज्ञानी पण्डित जी , श्री बसव के बारे में आपने बहुत ही
अद्भुत आर्टिकल लिखा है , क्योकि अनुभव सन्ताप जैसी संस्था का गठन करना बहुत बड़ी बात थी ।
लिंगायत समुदाय शिव भक्त है इसके साथ ही श्री बसव की मुख्य बाते भी आपने बताई है ,
जैसे ::— झूठ नही बोलना , चोरी ना करना ,
कभी अहंकार नही करना ।
ये सभी को सीख देने वाली बातें है जो उन्होंने कहि ।
और आज पण्डित जी आपने इन बातों को अपनी भाषा मे हम सबके सामने प्रस्तुत किया , ये बहुत अच्छी बात है ।
लोगों को इसे शेयर जरूर करना चाहिए ।
Good
धन्यवाद् राजेन जी,
श्री बसव एक महान समाज सुधारक थे। उनका इतिहास और उनके विचार ज्ञानीपण्डित पर शेयर करने का ये एक छोटासा प्रयास था। इस लेख में और भी जानकरी जोड़ी जाएँगी आप हमसे जुड़े रहे।