Babur Tomb
मुगल शासकों ने लगभग 300 सालों तक भारत में अपनी हुकूमत चलााई इस दौरान मुगल साम्राज्य के कई महान और परमवीर योद्धा भी आए जिनका वर्णन भारतीय इतिहास में देखने को मिलता है लेकिन मुगल वंश के बाबर, न सिर्फ एक उज्जेबक योद्धा थे बल्कि सबसे महान शासक भी थे जिन्होनें मुगल राजवंश की नींव रखी थी।
भले ही मुगल साम्राज्य को उनके पोते अकबर ने मजबूती दी थी लेकिन बाबर का कुशल और शक्तिशाली नेतृत्व अगले दो पीढि़यों को प्रेरित करता रहा। बाबर का व्यक्तित्व संस्कृति, साहसिक उतार-चढ़ाव और सैन्य प्रतिभा जैसी खूबियों से भरा हुआ था।
इसके साथ ही आपको बता दें कि बाबर एक आकर्षक, साहसी, कुशल और एक प्रतिभाशाली तुर्की कवि भी थे, जो प्रकृति से बेहद प्रेम करते थे, जिसने अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए बगीचों का भी निर्माण करवाया था, और उन्हीं बगीचों में से एक था अफिगानिस्तान के काबुल के बना बाग-ए-बाबर जहां उनका मकबरा – Babur Tomb बना हुआ है।
बाबर का मकबरा – Babur Tomb History
मुगल बादशाहों की परंपरा के अनुसार बाबर भी चाहते थे कि उन्हें अफगानिस्तान के बाग-ए बाबर में दफन किया जाए, दरअसल, मुगल शासकों की यह परम्परा थी कि उनके कार्यकाल में अपने मनोरंजन और आनंद के लिए जिन इमारत, उद्यानों और पार्क का निर्माण उनके द्दारा करवाया जाता है, इसमें से कोई एक वह अपनी समाधि स्थल के रुप में चुने।
इसलिए मुगल वंश के संस्थापक बाबर का मकबरा अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के बाग़-ए-बाबर में बनाई गई है क्योंकि मुगल वंश के संस्थापक बाबर की इच्छा थी कि उनकी समाधि उनके पसंदीदा स्थल बाग-ए-बाबर (Gardens of Babur) में बनाई जाए।
आपको बता दें कि साल 1530 में मुगल सम्राज्य के संस्थापक बाबर की मौत के बाद पहले उन्हें आगरा के आरामबाग में दफन किया गया था, लेकिन मुगल वंश की स्थापना करने वाले बाबर की यह इच्छा थी कि उन्हें अफगानिस्तान के काबुल में दफन किया जाए। इसलिए शेरशाह सूरी ने बाबर की इस इच्छा को पूरी करते हुए उनके मृत शरीर को काबुल लाकर दफन किया।
काबुल के चेचलस्टन क्षेत्र में स्थित बाग़-ए-बाबर कई बगीचों को मिलाकर बनाया गया है। इस बाग़ की बाहरी दीवार का पुनर्निर्माण 2005 में पुरानी शैली में ही किया गया था। लेकिन यह काबुल के मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक है, जिसकी खूबसूरती को निहारने दूर-दूर से लोग आते हैं। इस खूबसूरत बाग से प्रेरित भारत में मुग़ल बादशाहों ने और भी कई बाग़ों का निर्माण करवाया था।
आपको बता दें कि इस बाग़ के बीचों-बीच एक नहर भी है, जिसमें पानी बहता रहता है, वहीं इसके पास ही बाबर का मक़बरा है, जहां पर गोलियों के निशान 1990 के दशक में हुए गृह युद्ध का परिणाम हैं।
बाग़ में बहने वाली नहर बाग़ को दो हिस्सों में बांटती है, एक तरफ का हिस्सा परिवारों के लिए है और दूसरा सिर्फ युवा पुरुषों के लिए है, जबकि दूसरी तरफ दरियों पर बैठे परिवारों के लिए हरी-हरी घास का यह बाग पिकनिक की जगह है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि अब बाबर का मकबरा बदहाली का शिकार हो रहा है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।
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“बाबर मकबरा” बहुत सुंदर सर