Aurangzeb – Alamgir
मुग़ल बादशाहों में औरंगजेब इकलौता ऐसा शासक था, जिन्होंने भारत पर साल 1658 ईसवी से 1707 तक करीब आधी सदी (49 साल) तक अपना शासन किया। शाहजहां के पुत्र औरंगजेब ने अपनी चतुर रणनीतियों से मुगल साम्राज्य का विस्तार भारत के ज्यादातर उपमहाद्दीपों में किया था।
मुगल सम्राट अकबर के बाद, औरंगजेब मुगल वंश के सबसे सफल औऱ योग्य प्रशासक सिद्ध हुए थे, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से मुगल साम्राज्य को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया था। वहीं औरंगजेब की मौत के बाद मुगल साम्राज्य की नींव धीमे-धीमे कमजोर पड़ने लगी थी, इनके बाद कोई भी मुगल बादशाह मुगल साम्राज्य को मजबूती नहीं प्रदान कर पाया।
जिसके चलते मुगल साम्राज्य का अंत हो गया। तो आइए जानते हैं मुगल शहंशाह औरंगजेब के जन्म और जिंदगी से जुड़ी कुछ रोचक और दिलचस्प बातों के बारे में –
सबसे ज्यादा समय तक राज करने वाला भारतीय इतिहास का शासक औरंगजेब का इतिहास – Aurangzeb History in Hindi
पूरा नाम (Name) | अब्दुल मुज्जफर मुहीउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब आलमगीर |
जन्म (Birthday) | 14 अक्टूबर, 1618, दाहोद गुजरात |
पिता का नाम (Father Name) | शाहजहां (मुगल वंश के पांचवे शासक) |
माता का नाम (Mother Name) | मुमताज महल (जिनकी याद में शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण करवाया था) |
पत्नी (Wife Name) | दिलरास बानो, रबिया दुर्रानी, औरंगाबादी महल, बेगम नबाव बाई, उदैपुरी महल, झैनाबादी महल |
बेटे (Children Name) | आजम शाह, मोहम्मद सुल्तान, बहादुर शाह, सुल्तान मोहम्मद अकबर, मोहम्मद काम बख्श। |
मृत्यु (Death) | मार्च, 1707 ईसवी |
औरंगजेब का जन्म, परिवार औऱ शुरुआती जीवन – Aurangzeb Biography
मुगल बादशाह औरंगजेब गुजरात के दाहोद में 21 अक्टूबर, 1618 में मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के खानदान में जन्में थे। वे मुमताज महल और मुगल सम्राट शाहजहां के तीसरे पुत्र थे।
औरंगजेब का निकाह और औलादें – Aurangzeb Spouse and Personal Life
सबसे योग्य और बहादुर मुगल बादशाहों में से एक औरंगजेब का निकाह 18 मई 1637 फारस के राजघराने की खूबसूरत ‘दिलरास बानो बेगम’ के साथ हुआ था। इसके अलावा भी उनकी कई और बेगम थीं। औरंगजेब के कुल 6 बच्चे थे, जिनमें 5 बेटे और एक बेटी थी।
औरंगजेब ने खुद को एक कुशल प्रशासक के रुप में किया सिद्ध:
1645 ईसवी में औरंगजेब को मुगल साम्राज्य के सबसे समृद्ध एवं खुशहाल गुजरात राज्य का सूबेदार बना दिया। जिसके बाद औरंगजेब ने अपनी कुशल रणनीतियों एवं सैन्य शक्तियों का इस्तेमाल कर गुजरात में बेहद अच्छा काम किया एवं वहां का जमकर विकास करवाया।
जिसके काम से प्रभावित होकर शाहजहां ने औरंगजेब को उजबेकिस्तान और अफगानिस्तान का सूबेदार बनाकर वहां की जिम्मेदारी सौंप दी, ताकि दोनों राज्यों का औरंगजेब जैसे कुशल प्रशासक की देखरेख में तरक्की हो सके। इसके बाद औरंगजेब के उत्कृष्ट कामों और कुशल रणनीतियों के चलते उनके पद और प्रतिष्ठा की लगातार उन्नति होती रही।
वहीं इस दौरान उन्हें सिंध और मुल्तान का गर्वनर भी बनाया गया। यह वह समय था और औरंगजेब की गिनती एक योग्य और कुशल प्रशासकों में होने लगी थी।
उत्तराधिकारी बनने के लिए भाईयों के बीच संघर्ष:
1652 ईसवी में जब शाहजहां की तबीयत बेहद खराब रहने लगी थी और शाहजहां के बचने की कम उम्मीद की जाने लगी थी, जिसके बाद शाहजहां के तीनों बेटों के बीच में मुगल वंश का उत्तराधिकारी बनने को लेकर होड़ मच गई और फिर तीनों में मुगल सिंहासन को पाने के लिए जंग छिड़ गई, हालांकि शाहजहां अपने सबसे बड़े समझदार और योग्य पुत्र दाराशिकोह को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे।
औरंगजेब जब बना अपने भाईयों का हत्यारा:
औरंगजेब अपने तीनों भाईयों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली और ताकतवर था, और वह मुगल सिंहासन पर बैठने के लिए इतना लालायित था, कि वह इस हद तक गिर गया कि उसने अपने सगे भाई दारा शिकोह को फांसी दे दी और अपने अन्य भाई शाह शुजा जो कि बंगाल का गर्वनर था, उसे हराकर उसका भी कत्ल करवा दिया और औरंगजेब ने अपने बूढ़े एवं बीमार पिता को करीब साढ़े 7 साल तक कैदी बनाकर आगरा के लाल किले में रखा।
वहीं औरंगजेब द्धारा अपने पिता शाहजहां को बंधक बनाकर रखने के पीछे इतिहासकार यह भी तर्क देते हैं कि, शाहजहां ने अपनी सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल की याद में आगरा में बने भव्य ताजमहल के निर्माण में काफी पैसा खर्च कर दिया था, जिसका असर मुगल शासन की वित्तीय व्यवस्था पर पड़ा था, जिससे औरंगजेब बेहद नाराज था, और उसने अपने पिता शाहजहां को कैद कर लिया था।
औरंगजेब का शासनकाल – Aurangzeb Reign
इस तरह साम-दाम दंड भेद की नीति अपनाकर क्रूर औरंगजेब सन् 1658 में मुगल सिंहासन की गद्दी पर बैठा और अपना राज्याभिषक “अबुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुजफ्फर औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर” की उपाधि से करवाया।
हालांकि प्रजा औरंगेजब के शासक बनने से खुश नहीं थी, क्योंकि औरंगजेब द्धारा अपने ही सगे भाईयों की हत्या और बूढ़े पिता पर ढाए जा रहे जुल्म से प्रजा के अंदर उसके लिए नफरत पैदा हो गई थी। वहीं औरंगजेब ने अपनी बर्बरता और क्रूर रवैया आगे भी जारी रखा, हालांकि इसका अंजाम उसे बाद में भुगतना पड़ा।
कट्टर मुस्लिम शासक था औरंगजेब:
औरंगजेब, एक क्रूर और अत्याचारी मुगल शासक होने के साथ-साथ मजहबी तौर पर कट्टर मुस्लिम भी था, जो पूरे भारत को मुस्लिम देश बना देना चाहता था, हांलांकि वो अपने इस इरादे में कभी सफल नहीं हो सका था। वहीं उसने अपने इस नापाक उद्देश्य को पूरा करने के लिए हिन्दुओं के साथ काफी बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया था।
- औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए कई हिन्दू मंदिरों को तुड़वा दिए और उनके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण करवाया।
- औरंगजेब ने हिन्दू त्योहारों को मनाने में पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी। गैर मुस्लिमों को धार्मिक मेलों और धार्मिक यज्ञ एवं अनुष्ठानों में शरीक नहीं होने का फतवा जारी कर दिया था।
- यही नहीं औरंगजेब ने हिन्दुओं को घोड़े, हाथी आदि की सवारी करने पर भी रोक लगा थी।
- निर्दयी और क्रूर मुगल सम्राट औरंगजेब ने अपने शासनकाल में ब्रज संस्कृति को खत्म करने की भी कोशिश की थी, यही नहीं उसने श्री कृष्ण की नगरी मथुरा का इस्लामाबाद, वृन्दावन का मेमिनाबाद और गोवर्धन का नाम बदलकर मुहम्मदपुर कर दिया था।
- औरंगजेब ने नौकरी पेशा हिन्दुओं की रोजी-रोटी छीनकर उन्हें काफी तकलीफ दी थी।
- अत्याचारी शासक औरंगजेब के शासनकाल में मदिरा का सेवन, वेश्यावृत्ति, महिलाओं और गैर मुस्लिमों पर अत्याचार काफी बढ़ गया था।
- क्रूर औरंगजेब ने अपने शासनकाल में सरकारी नौकरी कर रहे सभी हिन्दू कर्मचारियों को बर्खास्त कर उनकी जगह पर मुस्लिम कर्मचारियों की भर्ती का फरमान जारी किया था।
- इसके अलावा सबसे घमंडी और क्रूर मुगल बादशाह औरंगजेब ने हिन्दुओं पर अतिरिक्त जजिया कर लगाया था। और मुस्लिमों को करों में छूट दी थी, वहीं अगर जो भी गरीब हिन्दू इस कर को चुकाने में असमर्थ होता था, तो उसे मजबूरन मुस्लिम धर्म को अपनाना पड़ता था।
सिख गुरु तेगबहादुर सिंह के विरोध करने पर उन्हें सूली पर चढ़ाया – Aurangzeb And Guru Tegh Bahadur
अत्याचारी और बर्बर शासक औरंगजेब के मन में हिन्दुओं के प्रति इतनी नफरत भरी हुई थी कि, वह सभी सिक्खों और हिन्दुओं को मुस्लिम बना देना चाहता था। वहीं उसके इस कट्टर फरमान को न मानने वाले गैर मुस्लिमों के खिलाफ उसने जबरदस्ती की और जबरन मुस्लिम बना दिया।
वहीं जब उसने यह फरमान कश्मीर में लागू किया और कश्मीरी ब्राह्मणों को जबरन धर्मपरिवर्तन कर इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया। वह सिक्ख समुदाय के नौवें गुरु तेगबहदुर सिंह ने औरंगजेब की क्रूरता के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की, जिसे अत्याचारी औरंगजेब बर्दाश्त नहीं कर सका और उसने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सिक्ख गुरु तेगबहादुर सिंह को सूली पर लटका दिया था।
वीर छत्रपति शिवाजी महाराज ने निर्दयी औरंगजेब के हौसलों को किया था पस्त – Aurangzeb And Shivaji Maharaj
महाराष्ट्र के वीर छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस कट्टर मुस्लिम शासक औरंगजेब को उसके नापाक मंसूबों में कामयाब होने से रोका साथ ही उसके साथ वीरता के साथ युद्ध कर औरंगजेब के कई सेनापतियों को मार गिराया और औरंगजेब के नापाक हौंसलों का पस्त कर दिया था। वहीं छत्रपति शिवाजी महाराज के साहस और शक्ति को देखकर अत्याचारी औरंगजेब के मन में भी उनके लिए खौफ बैठ गया था।
औरंगेजब की क्रूरता से मुगल साम्राज्य का हुआ अंत – End of the Mughal empire
औरंगजेब ने अपने शासनकाल में अपनी प्रजा के साथ इतना निर्दयतापूर्ण और बर्बतापूर्ण व्यवहार किया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज समेत कई हिन्दू शासक उसके बड़े दुश्मन बन गए थे। इसके साथ ही प्रजा के मन में भी उसके अत्याचारों के चलते उसके प्रति घृणा पैदा हो गई थी।
वहीं मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के विद्रोह करने के बाद जाट, सिख, राजपूत और सतनामी शासकों ने औरंगजेब के खिलाफ अपना विद्रोह तेज कर दिया था। वहीं 1686 ईसवी में अंग्रजों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी भारत में अपना अधिकार जमाने के मकसद से औरंगजेब पर हमला किया था।
वहीं इस दौरान इस घमंडी और क्रूर शासक औरंगजेब ने कई लड़ाईयां तो जीती लेकिन उसे छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे शक्तिशाली शासकों से हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही एक के बाद एक विद्रोह से मुगल साम्राज्य की शक्तियां अब कम पड़ने लगी थीं और मुगल साम्राज्य की नींव धीमे-धीमे कमजोर होने लगी थीं और मुगल साम्राज्य खत्म होने के मुआयने पर पहुंच गया।
वहीं दूसरी तरफ मराठा शासक ने इस मौके का फायदा उठाया और हिन्दुस्तान में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। हालांकि बाद में अंग्रजों ने मराठा साम्राज्य को हराकर भारत पर कब्जा कर लिया था।
इस तरह हुआ औरंगजेब का अंत – Aurangzeb Death
करीब 49 साल के लंबे समय तक शासन करने वाले इकलौते मुगल शासक औरंगेजब की मृत्यु को कुछ इतिहासकार सामान्य मौत मानते हैं, उनके मुताबिक 1707 ईसवी में औरंगजेब ने अपने प्राण त्याग दिए थे।
जबकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि वीर छत्रसाल ने अपने गुरु प्राणनाथ के द्धारा दिए गए खंजर से उन पर हमला कर उन्हें छोड़ दिया था, वहीं खंजर में ऐसी दवाई लगी होने की बात भी कही जाती है, जिससे औरंगजेब के कभी जख्म नहीं भर सके और फिर दर्द से तड़पते हुए औरंगजेब की मौत हो गई।
वहीं उनकी मौत के साथ ही मुगल साम्राज्य का अंत हो गया। औरंगजेब को दौलताबाद में स्थित फकीर बुरुहानुद्धीन की कब्र के अहाते में दफनाया दिया गया।
औरंगजेब के शासनकाल में निर्माण काम – Aurangzeb Architecture
- औरंगजेब ने अपने शासनकाल में नेलाहौर की बादशाही मस्जिद के निर्माण के साथ-साथ दिल्ली के लाल किले में मोदी मस्जिद का भी निर्माण करवाया था।
- औरंगजेब ने अपनी बेगम रुबिया दुर्रानी की याद में 1678 ईसवी में बीबी का मकबरा बनवाया था।
औरंगजेब, सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला एक शक्तिशाली और कुशल प्रशासक था, लेकिन भारतीय इतिहास में वह अपनी क्रूरता और बर्बरता के लिए जाना जाता है। मजहबी तौर पर कट्टर होने के चलते औरंगजेब ने हिन्दुओं पर काफी जुल्म ढाए थे, हालांकि, औरंगजेब की बुराई का अंत बुरा हुआ, उसकी क्रूरता की वजह से उसके विशाल मुगल साम्राज्य अंत हो गया।
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Orngzeb allha ke vali rahe the
IMRAN KHAN SIR YOU ARE RIGHT
Main aapse kehna chahta hoon ki Aurangzeb r.a ek bohat hi acche raja the. Aur unhone apne pita shahjahan ko kaid me isliye daala tha kyoonki woh dusra taaj mahal ‘Kaala taj mahal’ theek Taj mahal ke samne banwana chahte the jisse Hindustan garib ho jaata. Aur Aurangzeb r.a. nahin chahte the ki Hindustan ke nagrik garib ho jaaen. Aur mai aapse kehna chahta hoon ki agar aapke paas kisike ke baare me proper information na ho to please use galat na likhen.
Mr. Ansari, tumhe pata hai ki tajmahal par kitana kharch huwa tha, air dusra tajmahal banvane me desh garib ho jata, ye San bakwas hai, desh ek golden bird thi, ye aurangjeb sabße krur shasak tha, tum agar galti harte ho to kya tumhara beta tumke kaid me dal dega kaisa lagega, use samjhaya bhi ja sakta tha, apne father ko jel aur bhai ko mar dala kahte ho achcha sashak tha, sabse bakwas sasak tha esi liye mugal samrajya ka pagan huwa tha, bura mat lena
U R RIGHT AGAR KOI ACHHA SASAK HOTA HAI TO USAKA SASAN KAL AAGE AUR BADATA H. LEKIN USNE SARA SAMRAJY CHAUPAT KAR DIYA .BALKI DES KO BARBAD KAR DIYA AUR VO KISI K HIT ME KAM NAHI KIYA
Dear sir
Maun apki di gai story se puri tarah santust nhi hu kyu k unke bare m mujhe jada kuch nhi maloom hua jinta ki maloom hona chahiye to sir plzz ap story ki puri detail m updated kre..
Arangzeb ne apne ko pita ko qaid m nhi
Khufiya yani neeche ke raste se Lahore bhej diya tha
Jo ab fetehpur sikri se tha