अत्तुकल भगवती मंदिर, केरला | Attukal Temple Kerala

Attukal Temple – अत्तुकल भगवती मंदिर एक धार्मिक हिन्दू मंदिर है जो भारत के केरला राज्य के त्रिवेंद्रम के अत्तुकल में बना हुआ है। वेथला के उपर सवार देवी भद्रकाली (कन्नकी) ही इस मंदिर की मुख्य देवता है।

महाकाली का रूप भद्राकाली जिसने असुर राजा दारुका की हत्या की थी, माना जाता है की उनका जन्म भगवान शिव की तीसरी आँख से हुआ था।

Attukal temple

अत्तुकल भगवती मंदिर, केरला – Attukal Temple Kerala

“भद्रा” का अर्थ अच्छा और “काली” का अर्थ समय की देवी से होता है। इसीलिए देवी भद्राकाली को समृद्धि और उद्धार की देवी कहा जाता है। देवी “अत्तुकालदेवी” (भद्राकाली देवी) स्वयं शक्ति और हिम्मत की सर्वोच्च देवी है।

कन्नकी की कहानी:

मंदिर से जुडी हुई बहुत सी पौराणिक कथाये भी हमें सुनने मिलती है। अत्तुकल भगवती चिलाप्पतिकारम की प्रसिद्ध अभिनेत्री कन्नकी का ही एक दिव्य रूप थी।

प्राचीन शहर मदुराई के विनाश के बाद कन्नकी ने भी शहर छोड़ दिया और कन्याकुमारी से होते हुए केरला पहुची और कोंदुनगल्लोर जाते समय रास्ते में ही उन्होंने अत्तुकल में डेरा डाल दिया।

मंदिर में वार्षिक उत्सव के समय जो भजन गाए जाते है वे कन्नकी की कहानी पर ही आधारित होते है। साथ ही गोपुरम मंदिर में देवी कन्नकी के स्थापत्य चित्रण में भी हमें इस पौराणिक कथा का उल्लेख दिखाई देता है।

कन्नकी को पार्वती का रूप माना जाता है, जो परम शिव की पत्नी थी। स्थानिक लोगो के अनुसार देवी अपने बच्चो की तरह ही उनकी सेवा करती है। दूर-दूर से हजारो श्रद्धालु मंदिर में देवी के दर्शन के लिए आते है।

भक्तो का मानना है की उनकी सभी मनोकामनाओ को देवी पूरा करती है और उन्हें सुख, समृद्धि भी प्रदान करती है।

अत्तुकल देवी की पूजा तीन रूपों में की जाती है, जैसे की महा सरस्वती (ज्ञान की देवी), महा लक्ष्मी (धन और समृद्धि की देवी) और महाकाली/दुर्गा/पार्वती (शक्ति की देवी)।

पोंगल उत्सव – Pongal Festival

अत्तुकल पोंगल मंदिर में मनाया जाने वाला मुख्य उत्सव है। जिसमे तक़रीबन 3 मिलियन से भी ज्यादा महिलाओ ने भाग लेती है।

एक उत्सव में सर्वाधिक महिलाओ का समावेश होने की वजह से इस उत्सव को गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया है और इसी वजह से हर साल उत्सव के समय यहाँ आने वाली महिलाओ की संख्या बढती जा रही है।

अत्तुकल पोंगल महोत्सव 10 दिनों तक मनाया जाने वाला एक महोत्सव है जो हर साल फरवरी-मार्च (मलयालम माह – कुम्भं) में मनाया जाता है। इस उत्सव की शुरुवात कार्तिक में होती है और इस दिन देवी की मूर्ति को कप्पू (चूड़ियाँ) के साथ स्थापित किया जाता है।

उत्सव के 9 वे दिन मनाया जाने वाला “पूरम दिवस” भक्तो के आकर्षण का मुख्य कारण है। अत्तुकल पोंगल दिवस और उत्सव की दसवे दिन समाप्ति की जाती है।

हर साल कुम्भं माह में लाखो महिलाये यहाँ एकत्रित होती है और छोटे पॉट में पोंगल (गुड-चावल, घी, नारियल और दूसरी सामग्री) बनाकर देवी कन्नकी को खुश करने की कोशिश करते है।

पोंगल भगवान को चढ़ाया जाने वाला धार्मिक प्रसाद (नैवेद्य) होता है। कहा जाता है की मंदिर की देवी अत्तुकल देवी अपने भक्तो की मनोकामनाओ को पूरा करती है।

मंदिर में मनाए जाने वाले दुसरे उत्सव:

  • विनायक चतुर्थी – भगवान गणपति की पूजा
  • मंडला व्रथम – सबरीमाला के वार्षिक उत्सव से ही जुड़ा हुआ एक पर्व
  • पूजा वाय्पू – दशहरा उत्सव के समान मनाया जाने वाला उत्सव (सरस्वती पूजा और विद्यारम्भं)
  • कार्तिका – कार्तिक दीपा
  • शिवरात्रि – शिव पूजा
  • अयिल्य पूजा – दूध, फुल इत्यादि सर्प देवता को चढ़ाए जाते है
  • ऐश्वर्या पूजा – पूर्णिमा की रात मनाया जाता है
  • अखंडनाम जप – हर माह के चौथे रविवार को मनाया जाने वाला उत्सव
  • अखंडनाम पुथरियुम (रामायण प्राणायाम) – कर्कदकम के माह में मनाया जाने वाला उत्सव

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1 COMMENT

  1. bhout acchi post likhi sir apne muje apki ye post psnd ayyi apne अत्तुकल भगवती मंदिर ke bare mai bhout accha bthya

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