अटल बिहारी वाजपेयी की जीवन कहानी

अटल विहारी वाजपेयी एक महान राजनैतिक शख्सियत थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति में न सिर्फ अपने नाम का सिक्का चलाया, बल्कि अपनी पार्टी को एक नए मुकाम तक पहुंचाया, वाजपेयी जी ने बीजेपी पार्टी को अपनी योग्यता, काबियिलत और सूझबझ के चलते एक नए मुकाम तक पहुंचाया, वहीं जब संसद में बीजेपी अपना आस्तित्व लगभग खो चुकी थी, उस दौरान वाजपेयी जी ने बिखर रही सरकार को फिर से खड़ा किया और दोबारा सरकार बनाई। राजनीति के इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

50 सालों तक राजनीति में अपनी धाक जमाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जी सबसे ज्यादा आदर्शवादी और प्रशंसनीय नेता थे। एक पार्टी बनाना, पार्टी को 2 से 200 तक के आंकड़े पर पहुंचाना, लोकतांत्रिक व्यवस्था में खुद की जमानत बचाने से लेकर, बिखर रही सरकार को बचाना और जनता का समर्थन लेकर पार्टी को फिर से आसमान तक पहुंचाना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन वाजपेयी ने लोकतंत्र की ललाट पर अपने विजय की कहानी खुद लिखी है।

तो आइए जानते हैं भारत के इस महान राजनेता के जीवन के बारे में जिन्होंने लोकतंत्र की ललाट पर अपने महाविजय की गाथा लिखी है-

भारत के महान राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी की जीवन कहानी – Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi

Atal Bihari Vajpayee

नाम (Name) अटल विहारी वाजपेयी
जन्म (Birthday)  25 दिसम्बर 1924
पिता का नाम (Father Name) कृष्णा बिहारी वाजपेयी
माता का नाम (Mother Name) कृष्णा देवी
पत्नी (Wife Name) अविवाहित
बेटी (Daughter) नमिता भट्टाचार्य (Namita Bhattacharya)
शिक्षा (Education)  पोस्ट ग्रेजुएशन
मृत्यु (Death) 16 अगस्त, 2018 (Age 93)
सम्मान (Awards)
  • पद्म विभूषण,
  • लोकमान्य तिलक अवार्ड,
  • पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड,
  • बेस्ट सांसद अवार्ड,
  • भारत रत्न

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा –

वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में हुआ। उनके पिता का नाम कृष्णा बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। उनके पिता कृष्णा बिहारी वाजपेयी अपने गाव के महान कवी और एक स्कूलमास्टर थे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ग्वालियर के बारा गोरखी के गोरखी ग्राम की गवर्नमेंट हायरसेकण्ड्री स्कूल से शिक्षा ग्रहण की थी। बाद में वे शिक्षा प्राप्त करने ग्वालियर विक्टोरिया कॉलेज (अभी लक्ष्मी बाई कॉलेज) गये और हिंदी, इंग्लिश और संस्कृत में डिस्टिंक्शन से पास हुए। उन्होंने कानपूर के दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज से पोलिटिकल साइंस में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन एम.ए में पूरा किया। इसके लिये उन्हें फर्स्ट क्लास डिग्री से भी सम्मानित किया गया था।

राजनैतिक सफ़र –

ग्वालियर के आर्य कुमार सभा से उन्होंने राजनैतिक काम करना शुरू किये, वे उस समय आर्य समाज की युवा शक्ति माने जाते थे और 1944 में वे उसके जनरल सेक्रेटरी भी बने।

1939 में एक स्वयंसेवक की तरह वे राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गये। और वहा बाबासाहेब आप्टे से प्रभावित होकर, उन्होंने 1940-44 के दर्मियान आरएसएस प्रशिक्षण कैंप में प्रशिक्षण लिया और 1947 में आरएसएस के फुल टाइम वर्कर बन गये।

विभाजन के बीज फैलने की वजह से उन्होंने लॉ की पढाई बीच में ही छोड़ दी। और प्रचारक के रूप में उन्हें उत्तर प्रदेश भेजा गया और जल्द ही वे दीनदयाल उपाध्याय के साथ राष्ट्रधर्म (हिंदी मासिक), पंचजन्य (हिंदी साप्ताहिक) और दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे अखबारों के लिये काम करने लगे।

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आजाद भारत की राजनीति का वो चमकता सितारा हैं। जिन्होनें राजनीति के हर दौर को रोशन किया है।

एक दौर था। जब वाजेपयी बोला करते थे। तब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी मुग्ध होकर सुना करते थे। एक दौर आया जब वाजपेयी भारत के विदेश मंत्री बने, बीजेपी संसद में अपना आस्तित्व करीब-करीब खो चुकी थी। तब वाजपेयी के नेतृत्व में  बीजेपी का झंडा देश के सिंहासन पर लहराया।

कौन भूल सकता है। 13 दिनों की सरकार को बचाने की नाकाम कोशिशों के बाबजूद भी वाजपेयी की जोरदार तरकीब। वहीं संसद की दीवारों मे अटल की यादें आज भी ताजा हैं अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के सिर्फ एक नेता ही नहीं हैं वे भारतीय लोकतंत्र के सिर्फ एक प्रधानमंत्री भी नहीं है अटल भारतीय शासन की सिर्फ शख्सियत नहीं है .. बल्कि वो भारत के वो रत्न हैं जिन्होनें राजनीति के इतिहास में एक अमिट कहानी लिखी है ..वाजपेयी  एक विरासत हैं.. एक ऐसी विरासत जिनके इर्द -गिर्द भारतीय राजनीति का पूरा सिलसिला चलता है।

और ये सिलसिला 1957 से शुरु हुआ… जब उन्होनें पहली बार भारतीय संसद में दस्तक दी थी। जब आजाद हिन्दुतान के दूसरे आमचुनाव हुए … जब वाजपेयी भारतीय जनसंघ के टिकट से तीन जगह से खड़े हुए थे। मथुरा में जमानत जब्त हो गई। लखनऊ से भी वे हार गए लेकिन बलराम पुर में उन्हें जनता ने अपना सांसद चुना। और यही उनके अगले 5 दशकों के संसदीय करियर की शुरुआत थी।

आपको बताते चलें कि 1968 से 1973 तक वो भारतीय जन संघ के अध्यक्ष रहे। मोरारजी देसाई के कैबिनेट में वे एक्सटर्नल अफेयर (बाहरी घटना / विवाद) मंत्री भी रह चुके है।

विपक्षी पार्टियों के अपने दूसरे साथियों की तरह उन्हें भी आपातकाल के दौरान जेल भेजा गया। 1977 में जनता पार्टी सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया।

इस दौरान संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया और वो इसे अपने जीवन का अब तक का सबसे बेहतरीन पल बताते हैं। 1980 में वो बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे।

1980 से 1986 तक वो बीजेपी के अध्यक्ष रहे और इस दौरान वो बीजेपी संसदीय दल के नेता भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी अब तक नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं।

ख़ासतौर से 1984 में जब वो ग्वालियर में कांग्रेस के माधवराव सिंधिया से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 1962 से 1967 और 1986 में वो राज्यसभा के सदस्य भी रहे। 1996 में देश में परिवर्तन की बयार चली और बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं और अटल जी ने पहली बार इस देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया।

हालाकि उनकी यह सरकार महज 13 दिन ही चली। लेकिन 1998 के आमचुनावों में फिर वाजपेयी जी ने सहयोगी पार्टियों के साथ लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत सिद्ध किया और इस तरह एक बार फिर प्रधानमंत्री बने।

अटलजी के  इस कार्यकाल में भारत  परमाणुशक्ति-संपन्न राष्ट्र बना। इन्होने पाकिस्तान के साथ कश्मीर विवाद सुलझाने, आपसी व्यापार एवं भाईचारा बढ़ाने को लेकर कई प्रयास किये। लेकिन 13 महीने के कार्यकाल के बाद इनकी सरकार राजनीतिक षडयंत्र के चलते महज एक वोट से अल्पमत में आ गयी।

…जिसके बाद अटल बिहारी जी ने राष्ट्रपति को त्याग पत्र दे दिया और अपने भाषण में कहा कि

“जिस सरकार को बचाने के लिए असंवैधानिक कदम उठाने पड़ें उसे वो चिमटे से छूना पसंद नहीं करेंगे”

इसके बाद 1999 के आमचुनाव से पहले बतौर कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने कारगिल में पाकिस्तान को उसके नापाक कारगुजारियों का करारा जवाब दिया और भारत कारगिल युद्ध में विजयी हुआ।… कालांतर में आमचुनाव हुए और जनता के समर्थन से अटलजी ने सरकार बनाई। प्रधानमंत्री के रूप में इन्होने अपनी क्षमता का बड़ा ही समर्थ परिचय दिया।

व्यक्तिगत जीवन –

अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी शादी नही की, वे जीवन भर कुवारे ही रहे। लेकिन वाजपेयी ने एक लड़की नमिता को गोद लिया। नमिता को भारतीय डांस और म्यूजिक में काफी रूचि है। नमिता को प्रकृति से भी काफी लगाव है।

प्रभावशाली वक्ता और महान कवि के रुप  में अटल बिहारी वाजपेयी जी:

अटल बिहारी जी एक महान राजनेता तो थे ही, इसके साथ ही वे एक महान कवि और प्रभावशाली वक्ता भी थे, जिनके अंदर अपनी अद्भभुत वाक शैली से दूसरों को आर्कषित करने की क्षमता विद्मान थी।

भारतीय राजनीति पर अपनी अमिट छवि छोड़ने वाले अटल बिहारी जी 50 सालों की अपनी राजनीति में अक्सर अपनी कविता और व्यंग्य से सभी को आश्चर्यचकित करते रहते हैं। वाजपेयी जी ने कई कविताएं और रचनाएं भी लिखीं हैं, उनकी रचनाएं पाठकों के मन में एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं।

उनके द्धारा दिए गए भाषणों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी भी काफी प्रभावित थे, वे भी उनके भाषणों को मंत्रमुग्ध होकर सुना करते थे।

निधन –

भारत के महान राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 16 अगस्त, साल 2018 में दिल्ली के AIIMS अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली थी।

उनकी मौत का कारण यूरिन, सीने और किडनी में भयंकर इंफेक्शन का होना बताया जाता है। वे अपने जीवन के अंतिम दिनों में काफी बीमार रहने लगे थे। साल 2009 में वे ब्रेन स्ट्रोक का भी शिकार हो गए थे, जिसकी वजह से उनकी सोचने-समझने की शक्ति पर भी काफी गहरा असर पड़ा था, और वे डिमेंशिया नामक बीमारी से ग्रसित हो गए थे।

उनकी मौत पर पूरे भारत में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजली दी और साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके निधन पर लगभग 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी।

सात दिनों तक अटल जी के सम्मान में एवं उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजली देने के लिए देश क झंडे को आधा झुकाया गया एवं केन्द्र सरकार के ऑफिस में काम करने वाले तमाम कर्मचारियों को हाफ डे की छुट्टी भी दी गई थी।

इसके अलावा कई राज्यों की सरकारों ने राजकीय शोक भी घोषित किया था। जबकि हिमाचल सरकार ने अपने प्रदेश के स्कूलों की 2 दिन तक छुट्टी रखी।

इससे ही आधी सदी राजनीति में रहे अटल बिहारी वाजपेयी जी के महान एवं प्रभावशाली छवि का अंदाजा लगाया जा सकता है।

वाजपेयी उनकी कविताओ के बारे में कहते है की,

मेरी कविताये मतलब युद्ध की घोषणा करने जैसी है, जिसमे हारने का कोई डर न हो। मेरी कविताओ में सैनिक को हार का डर नही बल्कि जीत की चाह होगी। मेरी कविताओ में डर की आवाज नही बल्कि जीत की गूंज होगी।

अवार्ड –

अटल जी को देश-विदेश में अब तक अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

  • 1992 : पद्म विभूषण
  • 1993 : डी.लिट (डॉक्टरेट इन लिटरेचर), कानपूर यूनिवर्सिटी
  • 1994 : लोकमान्य तिलक पुरस्कार
  • 1994 : बेस्ट संसद व्यक्ति का पुरस्कार
  • 1994 : भारत रत्न पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड
  • 2015 : भारत रत्न – 25 दिसम्बर 2014 को राष्ट्रपति कार्यालय में अटल बिहारी वाजपेयी जी को भारत का सर्वोच्च पुरस्कार “भारत रत्न” दिया गया (घोषणा की गयी थी)। उन्हें सम्मान देते हुए भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी खुद 27 मार्च 2015 को उनके घर में उन्हें वह पुरस्कार देने गये थे। उनका जन्मदिन 25 दिसम्बर “गुड गवर्नेंस डे” के रूप में मनाया जाता है।
  • 2015 : लिबरेशन वॉर अवार्ड (बांग्लादेश मुक्तिजुद्धो संमनोना)

बुक्स –

  • अटल बिहारी वाज मेम टीना दसका (1992)
  • प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी: चुने हुए भाषण (2000)
  • वैल्यू, विज़न & वर्सेज ऑफ़ वाजपेयी: इंडिया मैन ऑफ़ डेस्टिनी (2001)
  • इंडिया’स फॉरेन पालिसी: न्यू डायमेंशन (1977)
  • असाम समस्या (1981)

कविताएँ –

अटल बिहारी वाजपेयी की कुछ कवितायेँ:

  • “क़दम मिलाकर चलना होगा।”
  • “गीत नही गाता हूँ।”
  • “हरी हरी दूब पर”
  • “दूध में दरार पड़ गई”
  • “झुक नहीं सकते”
  • मेरी इक्यावन कविताएँ (Meri Ekyavan Kavitayen) यह अटल बिहारी वाजपेयी का बहुचर्चित काव्य-संग्रह है।
  • Twenty-One Poems यह उनका का दूसरा काव्य-संग्रह हैं।

विचार –

  1. “आप दोस्तों को बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसियों को नहीं।”
  2. “टूट सकते हैं मगर कभी झुक नहीं सकते।”
  3. “मेरे पास ना दादा, परदादा की दौलत है और ना बाप की, मेरे पास मेरी मां का आशीर्वाद है।”
  4. “पड़ोसी कहते हैं कि एक हाथ से ताली नहीं बजती, हमने कहा कि चुटकी तो बज सकती है।”
  5. “हार और जीत जिन्दगी का एक हिस्सा है, जिसे समानता के साथ देखा जाना चाहिए।”

भारत के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी जी भारत की राजनीति का वो चमकता सितारा थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति के हर दौर को अपनी काबिलियत और दूरदृष्टिता के चलते रोशन किया है।

उन्होंने लगभग आधी सदी तक भारतीय राजनीति में अपना आस्तित्व जमा कर रखा और सांसद से लेकर प्रधानमंत्री बनने का रोमांचक सफर तय किया। अपने इस सफर के दौरान प्रभावशाली राजनेता के रुप में देश का नेतृत्व किया और हर परिस्थिति में मजबूती के साथ जनता के साथ खड़े रहे।

उन्होने भारतीय राजनीति के इतिहास में अपनी विजय की कहानी खुद लिखी है और राजनीति में अपना अमिट प्रभाव छोड़ा है। अटल जी जैसे महान शख्सियत से हर राजनेता एवं आज की युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेने का जरूरत है। अटल जी द्धारा भारतीय राजनीति में किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।

अटल विहारी आदरपूर्ण श्रद्धांजली एवं कोटि-कोटि नमन।

7 COMMENTS

  1. अटलजी के बारे में बहुत विस्तृत जानकारी शेयर करने के लिए धन्यवाद।

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