Six Abodes of Murugan
मुरुगन (कार्तिकेय) के छः निवासस्थान मतलब छः मंदिरों से है जो दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थापित है। बहुत से मंदिरों में मुरुगन को अलग-अलग नाम से जैसे कार्तिकेय, स्कंद, वादिवेला और मुरुगा से जाना जाता है।
तमिल संगम साहित्य “थिरुमुरुगात्रुपदै” में मुरुगन के छः सबसे पवित्र निवासस्थानो का उल्लेख किया गया है। मुरुगन के छः पवित्र निवासस्थानो में पलानी, स्वामिमलाई, थिरुथानी, पज्हमुदिर्चोलाई , थिरुचेंदुर और तिरुप्परणकुंरम शामिल है।
मुरुगन (कार्तिकेय) के छः मंदिर – Arupadai Veedu Six Abodes of Murugan Temples
किंवदंतियों के अनुसार प्राचीनतम समय में असुर सूर्पद्मन ने देवो पर अत्याचार किया, बाद में सभी देव भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के पास उस असुर की शिकायत करने गये।
देवताओ ने कामदेव को ही भगवान शिव को उनकी तपस्या से जगाने का कार्य सौपा, जिन्होंने बादमे कार्तिकेय को जन्म दिया था।
कार्तिकेय ने ही सूरापद्मन का वध किया और देवताओ की रक्षा की थी। मुरुगन को प्यार और युद्ध के देवता के रूप में जाना जाता है। तिरुचेंदुर के युद्ध में विजय मिलने के बाद प्रेम की वजह से कार्तिकेय ने वल्ली से विवाह किया। भगवान मुरुगन की कहानी का उल्लेख स्कंद पुराण में भी किया गया है।
तमिल साहित्य में पाँच प्रकार की जमीन का उल्लेख किया गया है। जिनमे कुरिंजी (पहाड़ी क्षेत्र), मुल्लाई (जंगली क्षेत्र), मरुथं (कृषि क्षेत्र), नेइथल (तटीय क्षेत्र) और पलाई (रेगिस्तान क्षेत्र) शामिल है।
संगम साहित्य में हर तरह की जमीन के लिए अलग देवता का उल्लेख भी किया गया है। साहित्य के अनुसार भगवान मुरुगा पहाड़ी क्षेत्र के देवता है।
छः मंदिरों की मुख्य परंपराओ में श्रद्धालुओ का खून बहाना शामिल है। साथ ही श्रद्धालु पलानी देवता की नकल करने के लिए अपने बालो का भी त्याग करते है।
दूसरी परंपरा के अनुसार मुख्य देवता के सर का चंदन के पेस्ट से अभिषेक किया जाता है। यह अभिषेक रात में मंदिर के बंद होने से पहले किया जाता है। अभिषेक करने के बाद पेस्ट को रात भर लगा हुआ ही रहने दिया जाता है, क्योकि कहा जाता है की इसमें औषधीय गुण होते है और बाद में इस पेस्ट को भक्तो के बीच बाट दिया जाता है।
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