अन्ना हजारे की जीवनी | Anna Hazare Biography In Hindi

Anna Hazare Anna Hazare

अन्ना हजारे की जीवनी | Anna Hazare Biography In Hindi

पूरा नाम (Name)किसन बापट बाबूराव हजारे
जन्म (Birthday)15 जून 1937 (Anna Hazare Age 78 – In 2015)
जन्मस्थान (Birthplace)रालेगन सिद्धि, अहमदनगर, महाराष्ट्र
पिता (Father Name)बाबूराव हजारे
माता (Mother Name)लक्ष्मीबाई हजारे
विवाह(Wife Name)नहीं किया

एक दृढ़ सैनिक से सामाजिक सुधारक तक और जानकरी प्राप्त करने के अधिकार के लिए लड़ने वाले अन्ना हजारे / Anna Hazare पिछले 4 दशको से अहिंसा के माध्यम से अपने “आदर्श गाव” अभियान और लोगो को जानकारी के अधिकार के बारे में प्रेरित करने का अभूतपूर्व काम कर रहे है।

उनके ग्रामपंचायत सुधारने के प्रयासों, अचानक स्थानांतरण से सरकारी अधिकारियो का बचाओ और सरकारी कार्यालयों की दफ्तरशाही के विरुद्ध लड़ने के अभियानों को बहोत सम्मान दिया गया।

1962 के इंडो-पाक युद्ध में जो सैनिक शहीद हुए थे तब उन्होंने आर्मी कैंप में भेट दी थी और उसके बाद सरकार ने युवाओ को भारतीय आर्मी में शामिल होने का न्योता भी दिया। देशभक्ति के लिए वे बहोत भावुक थे इसी कारण, उन्होंने जल्द ही सरकार के इस न्योते को स्वीकार किया और 1963 में वे भारतीय आर्मी में शामिल हुए।

सैनिक होते हुए उनके 15 साल के कार्यकाल के समय, उनका विभिन्न क्षेत्रो में स्थानांतरण हुआ जैसे सिक्किम, भूटान, जम्मू-काश्मीर, असम, मिजोरम, लेह और लद्दाख और उन्हें इन जगहों पर अलग-अलग बदलते मौसम का भी सामना करना पड़ा था।

उस समय अन्ना हजारे अपने जीवन से हताश हो गये थे और और मानवी जीवन के अस्तित्व को देखकर आश्चर्यचकित हो गये थे। उनका दिमाग हमेशा ये सोचने में लगा रहता के वो इन छोटे-छोटे प्रश्नों के उत्तर कैसे ढूंढे ? आखिर में उनकी हताशा इस कदर बढ़ गयी थी के एक समय समय वे आत्महत्या भी करने के लिए राज़ी हो गये थे।

और ऐसा करते वक़्त उन्होंने एक 2 पेज का निबंध भी लिखा था के क्यों वे अब जीना नहीं चाहते। और अचानक उनमे ये प्रेरणा एक बहोत ही छोटी घटना से आई- यह प्रेरणा उन्हें दिल्ली रेलवे स्टेशन के बुक स्टाल से आई, जहा वे बाद में रहने लगे। उस समय वे बुक स्टाल के नज्दीन आये और वहा रखी स्वामी विवेकानंद की किताब को खरीद लिया।

बुक के कवर पर छपे स्वामी विवेकानंद की फोटो से उन्हें प्रेरणा मिली। और जैसे ही उन्होंने उस किताब को पढना शुरू किया उन्हें उनके सारे प्रश्नों के उत्तर मिल चुके थे। उस किताब में उन्हें बताया की मानवी जीवन का मुख्य उद्देश मानवता की सेवा करने में ही है। साधारण मनुष्यों के भले के लिए कुछ करना ही भगवान् के लिए कुछ करने के बराबर है।

1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया और उस समय अन्ना हजारे खेमकरण बॉर्डर पर स्थित थे। 12 नवम्बर 1965 को पाकिस्तान ने भारत पर हवाई हमला किया जिसमे हजारे के सहकर्मी शहीद हुए। और तभी हजारे के एकदम सर के पास से ही एक गोली गुजरी जो अचानक ही उन्हें धक्का देने वाली घटना थी।

हजारे ऐसा मानते है की वाही घटना उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट भी है, इसका मतलब उन्हें उनके जीवन में और भी कुछ करना बाकी है। अन्ना पर स्वामी विवेकानंद की किताबो का बहोत प्रभाव पड़ा। उनके इसी प्रभाव के कारण 26 साल की आयु में उन्होंने अपने जीवन को मानवता की सेवा करने के लिए समर्पित किया। बाद में उन्होंने यह निर्णय लिया की अब वे जीवन में कभी भी पैसो के बारे में विचार नहीं करेंगे और यही कारण है की वे आज तक कुवारे है।

इस तरह उन्हें आर्मी में केवल 3 वर्ष बिताये और इसलिए उन्हें पेंशन की योजना का लाभ उठाते नहीं आएगा। लेकिन खुद अपने आप पर निर्भर रहने के उद्देश से उन्होंने आर्मी में 12 और साल बिताये। इन्हें साल आर्मी में बिताने के बाद बे सेवानिवृत्ति के लिए पात्र हुए और तभी वे अपने गाव रालेगन सिद्धि, पारनेर तहसील, अहमदनगर वापिस आ गये।

जब अन्ना हजारे / Anna Hazare आर्मी के कार्यरत थे तब भी वे साल में दो महीने पानी की कमी से किसानो की हालत देखने रालेगन सिद्धि आते थे। और साल में केवल 400 से 500 MM बारिश की वजह से उस क्षेत्र में सुखा घोषित किया गया और साथ ही पानी जमा करने के लिए वहा कोई बांध भी नहीं था।

अप्रैल और मई महीने के दौरान, वहा पिने के लिए पानी के टैंकर्स ही एकमात्र साधन थे। 80 % गववालो को खाने की वस्तुओ के लिए दुसरे गावो पर निर्भर रहना पड़ता। कई गाववाले काम की तलाश 6-7 किलोमीटर तक दूर चले जाते थे ताकि उन्हें कोई काम मिल सके और कियो ने भी पैसे कमाने के लिए नदी के आस पास शराब के अड्डे भी खोल रखे थे।

उस गाव के आस पास लगभग 30-35 शराब के अड्डे देखे गए जो उस गाव में ही बने थे इस से वहा की सामाजिक शांति भंग हो रही थी। छोटी-छोटी हाथापाई, चोरिया और शारीरिक धमकिया इस सब कारणों से नागरिको की बुद्धि ख़राब होते जा रही थी। उस गाव की परिस्थिति इतनी ख़राब होते चली जा रही थी के कुछ लोग पैसे कमाने के लिए गाव में स्थापित मंदिरों से चोरी भी करने लगे थे।

बाद में हजारे विलासराव सालुंके जो पुणे के ससवड में ही रहते थे उनके साथ वाटरशेड बनाने के अभियान में आगे आये, वे ग्रामपंचायत के साथ साथ में काम कर रहे थे। हजारे ने उनके इसी अभियान को अपने गाव रालेगन सिद्धि में भी शुरू करने का निर्णय लिया।

उन्होंने पानी की एक-एक बूंद को बचाकर जमीं की उत्पादन शक्ति को बढ़ाने के लिए वहा के किसानो को प्रशिक्षित किया। इस तरह सबको साथ में लेकर काम करने से उन्होंने उस पिछड़े हुए गाव को आज एक आदर्श गाव बना दिया है।

जहा आज हमें पानी की कोई कमी दिखाई नहीं देती है, उन्होंने वहा जगह-जगह नाले खुदवाए, बांध बनवाए, कृत्रिम नलिकाए लगे, जमीं की उत्पादन शक्ति को बढाया ऐसे कई काम उन्होंने उस गाव की प्रगति के लिए किये। जहा लगभग 5 बाँध और 16 अंतर्गत बांध तैयार किये।

अन्ना हजारे का ऐसा मानना था की अगर हम प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करे तो निच्छित ही हमें इसका परिणाम गाव के विकास क्र रूप में मिलेंगा। वे कहते है की, “आज हम प्राकृतिक साधनों जैसे पेट्रोल, डीजल, केरोसिन, कोयला और पानी इन सभी का विनाश कर रहे है।

ये मर्यादित मात्र में ही हमारे पास उपलब्ध है इसलिए हमें इसका जरुरत के अनुसार ही उपयोग करना चाहिए नहीं तो एक दिन इन्ही वस्तुओ के लिए एक राज्य को दुसरे राज्य से लड़ना होगा। ये संसाधन सिमित होने की वजह से हमें हमारी आने वाली पीढियों के बारे में भी सोचना चाहिए।

आज देश में हर एक गाव यही सोच रहा है की वह ज्यादा से ज्यादा पानी को कैसे बचा के रखे. गांधीजी हमेशा कहते थे की जंगलो को काटकर बिल्डिंग बनाना मतलब विकास नहीं है। विकास का सही अर्थ बिल्डिंग की बजाये आदर्श व्यक्तियों का निर्माण करने से है। हमें सतत अपने रिशेदारो की, अपने सहकर्मियों की, अपने पड़ोसियों की, अपने गाव की, अपने राज्य की और अपने देश की मदद करते रहनी चाहिए।

और ये सब करते समय आपको एक आदर्श की जरुरत होंगी जिस से आप ये काम आसानी से कर पाए। और ये आदर्श किसी पैसे य ताकत से निर्माण नहीं किया जाता इसके लिए हमें सकारात्मक विचार, महान कार्य और इच्छाशक्ति की जरुरत होती है। ऐसी एक कहावत है की जब भी कोई बीज जमीन में बोया जाता है तो वह कुछ देर बाद अपने आप ही दुसरे बीजो को भी साथ लेकर बाहर आ जाता है।

इसी तरह हमें भी अपने आप को अच्छे कामो में लगाना चाहिए ताकि पूरा समाज हमारे पीछे अच्छे काम करने में लाह जाये, जिससे हम हमारे देश का विकास कर सके।

आज हमारे समाज को एक ऐसे नेता की जरुरत है जो सामाजिक भलाई के लिए खद को जलाने के लिए तैयार हो।
हजारे का रालेगन सिद्धि भारत का पहला आदर्श गाव बना और आज वह एक पर्यटन की जगह भी बन चुकी है जहा देश-विदेश से कई लोग अन्ना हजारे के इस अभूतपूर्व कार्य को देखने आते है।

और देखते है की कैसे एक पिछड़े हुए गंदे गाव को एक आदर्श गाव में बदला गया। घुमने वालो में विशेषतः राजनेता, संशोधक, सामाजिक कार्यकर्त्ता और विद्यार्थी होते है। रालेगन सिद्धि में 4 पोस्टग्रेजुएट विद्यार्थी है जिन्होंने थीसिस में Ph.D कर राखी है।

अन्ना हजारे का सामाजिक जीवन  – Anna Hazare Anti Corruption Movement :

अन्ना हजारे / Anna Hazare ने ये सोचा की विकास के मामले में केवल भ्रष्टाचार ही एक सबसे बढ़ी बाधा है इसलिए 1991 में उन्होंने अपना एक नया अभियान शुरू किया जिसे भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन का नाम दिया गया। इस से पता लगाया गया की 42 फारेस्ट अधिकारियो ने संधि का लाभ उठाते हुए करोडो का भ्रष्टाचार किया है।

अन्ना हजारे ने इसके विरुद्ध साबुत पेश कर उन्हें जेल में डालने की अपील भी की लेकिन उनकी इस अपील को ख़ारिज कर दिया गया, क्योंकी वे सारे अधिकारी किसी बड़ी प्रचलित राजनितिक पार्टी के ही अधिकारी थे। और इस बात से निराश होकर अन्ना हजारे ने उन्हें दिया गया पद्मश्री पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति को वापिस कर दिया और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा दिया गया वृक्ष मित्र पुरस्कार भी वापिस कर दिया।

बाद में वे आलंदी गए जहा उन्होंने इसी कारणवश आन्दोलन भी किये। इस से जागृत होकर सरकार ने तुरंत भ्रष्टाचारियो पर तुरंत प्रतिक्रिया की हजारे के इस अभियान / आन्दोलन का सरकार पर गहरा प्रभाव पड़ा- 6 य उस से भी ज्यादा मंत्रियो को इस्तीफा देना पड़ा और 400 से ज्यादा अधिकारियो को काम से निकलकर वापिस अपने-अपने घर भेजा गया।

लेकिन अन्ना हजारे / Anna Hazare इस छोटी सी प्रतिक्रिया से खुश नहीं थे वे पुरे के पुरे सिस्टम को ही बदलना चाहते थे और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपने सहकर्मियों के साथ जानकारी प्राप्त करने के अभियान की शुरुवात की। इसे देखते हुए आज़ाद मैदान, मुंबई 1997 के इस आंदोलन की तरफ सरकार ने ध्यान नहीं दिया और उनकी मांग को ख़ारिज कर दिया गया।

लोगो को अपने इस अभियान की जानकारी देने और इस हेतु उन्हें जागृत करने के लिए हजारे ने पुरे राज्य की यात्रा भी की।

और सरकार ने ये वादा भी किया की जानकारी के अधिकार का कानून बनाया जायेंगा लेकिन राज्यसभा में इसका कोई जिक्र नहीं किया जायेंगा। लेकिन हजारे को ये मनुर नहीं था, वे तक़रीबन इस आन्दोलन के दौरान 10 दिनों तक अशांत रहे।

अंत में जुलाई 2003 में उन्होजे फिर से भूख हड़ताल की जो वाही आज़ाद मैदान में ही थी। और 12 दिनों की भूख हड़ताल के बाद आख़िरकार भारत के राष्ट्रपति ने इस इकरारनामे पर अपने हस्ताक्षर दे ही दिए और सभी रजो में भी इसे लागु करने के आदेश दिए और इसी तरह 2005 में राष्ट्र स्तरीय जानकारी के अधिकार को बनाया गया।

जानकारी प्राप्त करने का अधिकार-2005 लागु होने के बाद हजारे ने 12000 किलोमीटर की यात्रा लोगो को इस अधिकार के बारे में जागृत करने के लिए की और दूसरी तरफ वे कई कॉलेज स्कूल में भी गये और उन्होंने 24 से ज्यादा जिल्हा और राज्य स्तरीय मीटिंग में भी इस अधिकार के बारे में लोगो को जागृत कराया।

तीसरे चरण में वे रोज 2-3 सभाए लेते गये जो उन्होंने 155 से भी ज्यादा तहसीलों में ली। इस तरह जानकारी के अधिकार की लोगो में जागरूकता बढ़ाने के लिए जगह-जगह पोस्टर्स छपे गये, बैनर लगाये गये, कई छोटे-छोटे अभियान आयोजित किये गये और साथ ही एक लाख से भी ज्यादा किताबो को कम से कम कीमत में बेचा गया।

और लोगो में जागरूकता लाने के लिए ये पर्याप्त था इस से लोग शिक्षित होने लगे और अपने अधिकारों को जानने लगे।
बाद में हजारे को पुनः पदमश्री और पद्मभूषण प्रदान किया गया. इसके अलावा उन्हें स्वामी विवेकानंद क्रिताद्न्यता निधि में से 25 लाख पुरस्कार स्वरुप दिए गये। इनमे से 2 लाख से हर साल हजारे 25-30 गरीब युगलों का सामूहिक विवाह कराते थे।

आर्मी से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने अपना सारा जीवन सामाजिक कार्य करने में व्यतीत किया , इसलिए वे कहते थे की, “मेरे गाव में खुद का एक घर है लेकिन पिछले 35 सालो से मै अपने घर में नहीं गया हु। मैंने करोड़ो रुपयों की योजनाओ को अमल में लाया लेकिन आज भी मेरे पास खुद का बैंक बैलेंस नहीं है।

पिछले 12 सालो से मै भ्रष्टाचार को हटाने के इस अभियान में लड़ रहा है। मेरा यह अभियान बिना किसी ग्रांट के केवल लोगो के सहकार्य से ही सफलता पूर्वक पुरे भारत में चल रहा है।

मै जहा भी सभा लेने जाता हु वहा मै लोगो से पैसो की अपील करता हु ताकि मै ज्यादा से ज्यादा लोगो की सेवा कर सकू, और लोग हमेशा मेरा साथ देते है। लोगो से ही मिले उन पैसो का उपयोग मै अपने अभियान में करता हु। जमा किये हुए पैसो को गाव वालो के ही सामने गिना जाता है जहा मेरे स्वयंसेवक गिने हुए पैसो की रिसीप्ट भी बना कर देते है।”

बाद में उन्होंने यह बताया की, “ये अभियान जो हमने कुछ साल पहले शुरू किया था, उस समय हमारे में एक रूपया भी नहीं था, जो आज अपने पंखो की उड़ान से राज्य की 33 जिलो और 252 तहसीलों में पहोच चूका है।

इसी को ध्यान में रखते हुए हमने ग्रामसभाओ को भी ये अधिकार प्रदान किये, जिससे वहा कार्यरत अधिकारियो द्वारा लोगो को लुटा ना जा सके। इस सभी से भ्रष्टाचार कई जगहों पर धीरे-धीरे कम होने लगा और इन सभी से जो लोग गरीब परिवार से थे उन्हें सामाजिक न्याय भी मिलने लगा।

जहा राज्य सरकार ने गरीब लोगो के लिए बहोत सी योजनाये भी बनाई जैसे की उन्हें केरोसिन देना, एलपीजी देनाऔर राशन कार्ड प्रदान करना ये सभी अन्ना हजारे के प्रयासों से ही गरीबो के घर तक आज पहोच पा रहे है।”

जहा राज्य सरकार ने सहकारी संस्थाओ और अर्बन बैंक को उन्नत बनाने के प्रयत्न भी किये। और इन सहकारी संस्थाओ पर भरोसा कर के आज गावो के गरीब लोग भी अपनी छोटी सी रकम उन संस्थाओ में जमा करने लगे है। लेकिन कई सारी संस्थाओ के मालिक उन लोगो के पैसे वापिस देने में असफल हुए जिन्होंने उन संस्थाओ में पैसे जमा किये थे।

इस वजह से लोगो का उनपर से विश्वास कम होने लगा और लोगो के करोडो रुपये इसमें डूबने लगे। और तब लोगो के पास अपनी बेटियों की शादी करने के लिए भी पैसे नहीं थे य कोई इलाज करने के लिए भी पैसे नहीं थे। इस वजह को लेकर हजारे 8 महीने तक अशान्त रहे। और इनके लगातार प्रयत्न करते रहने से 125 करोड़ से भी ज्यादा पैसे उन संस्थाओ के मालिको के पास से वापिस लिए गये। और पुरे 400 करोड़ को वापिस लाने के प्रयत्न भी वे कर रहे है.

भविष्य में, BVJS क़ानूनी शक्ति के राष्ट्रीकरण और कानूनों को पुनर्निर्मित करने के लिए लड़ना चाहते थे। अन्ना हजारे कहते है की, “ हमने यह निर्णय लिया है की हम मध्य भारत का विकास करे ताकि लोगो के बिच आसानी से सरकारी योजनाओ के बारे में जागरूकता निर्माण कर सके और उन्हें भ्रष्टाचार के बारे में और उनके प्रकारों के बारे में बताया जा सके।

उनके इसे निर्णय को ध्यान में लेते हुए राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया की वे राज्य, जिला, तहसील और ग्रामीण चारो जगहों पर अपनी समिति गठित कर के वहा उनके एक सदस्य को रखा जाये जो राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करे।

अगर देखा जाये तो सरकार ज्यादातर NGO के सदस्यों को ही चुन रही थी ताकि वे उस क्षेत्र में काम कर के भ्रष्टाचार को कम कर सके और जब ऐसा होंगा तभी हम भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देख सकते है।

किसी गाव का कायम रहने वाला विकास कर के उसे “आदर्श गाव” बंनाना और भ्रष्टाचार को हटाना ये एक ही सिक्के के दो पहलु है। अगर इन दोनों को हर जगह लागु कर दिया जाए तो निच्छित ही एक सामाजिक भलाई करने वाले राज्य का निर्माण होंगा।

अन्ना हजारे / Anna Hazare का हमेशा से यह मानना था की,

“जो अपने लिए जीते है वो मर जाते है, जो समाज के लिए जीते है वो तो मरकर भी हमेशा के लिए जिंदा रहते है।”

भारतीय आर्मी में कई साल बिताने के बाद में अन्ना ने अपना सारा जीवन देशसेवा के नाम कर दिया, वे चाहते तो आराम से अपना जीवन व्यतीत कर सकते थे, लेकिन उनमे अपने देश के प्रति सच्ची भावना थी इसीलिए उन्होंने समाजसेवा का रास्ता चुना और तब से लेकर आज तक वे लोगो की भलाई के लिए ही लड़ते आये है।

अरे खुद का पेट भरने के लिए तो जानवर भी जीते है, लेकिन मनुष्य वही कहलाता है जो अपना कुछ समय वो जिनके साथ रहता है उन्हे देता है, अपने आस-पास के लोगो की जो सेवा करता है, गरीबो की इज्ज़त कर के उनकी मदत करता है, वही मानव कहलाने के लायक है।

Slogans On Corruption By Anna Hazare:

1) वही लूट, वही भ्रष्टाचार, वही उपद्रवता आज भी मौजूद है।

2) देश को वास्तविक स्वतंत्रता आज़ादी के 65 साल बाद भी नहीं मिली, सिर्फ इतना बदलाव आया गोरों की जगह काले आ गए।

Anna Hazare Websitehttp://www.annahazare.org/

Anna Hazare Awards: Padma Shri, Padma Bhushan

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