अमरीश पुरी भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली और महान खलनायकों में से एक थे, जिन्होंने हिन्दी सिनेमा में विलेन के करेक्टर को फर्श से अर्श तक पहुंचाने का काम किया। बॉलीवुड फिल्मों में अपने शानदार अभिनय के अंदाज से उन्होंने दर्शकों के दिल में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
अमरीश पुरी की कर्कश आवाज़ आज भी दर्शकों के कानों में गूंजती है। आइए जानते हैं इस महान अभिनेता अमरीश पुरी के बारे में जिनकी दमदार एक्टिंग से हीरो को अपनी परफॉर्मेंस को लेकर डर सताता था।
भारतीय फ़िल्म जगत में मशहूर खलनायक अमरीश पूरी – Amrish Puri Biography
पूरा नाम (Name) | अमरीश लाल पुरी |
व्यवसाय (Occupation) | अभिनेता |
जन्मतिथि (Birthday) | 22 जून 1932, नवांशहर, पंजाब, भारत |
माता/पिता (Mother / Father Name) | वेद कौर/लाला निहाल चंद पुरी |
पत्नी (Wife Name) | उर्मिला दिवेकर (विवाह तिथि 1957-2005) |
बच्चे (Children) | राजीव/नम्रता |
पढ़ाई (Education) | ग्रेजुएशन |
मृत्यु (Death) | 12 जनवरी 2005, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
अमरीश पूरी का जन्म 22 जून 1932 में नवनशहर में हुआ था। उनके पिता का नाम लालानिहाल चाँद और मा का नाम वेद कौर था। अमरीश पूरी ने डिग्री की पढाई हिमाचल प्रदेश (भारत) के बी. एम.कॉलेज से पूरी की। उन्होंने 1967 से 2005 के दौरान 400 से भी अधिक फिल्मो में काम किया है।
उन्होंने 5 जनवरी 1957 को उर्मिला दिवेकर से वडाला के श्री कृष्णा मंदिर में शादी की थी। अमरीश को टोपी इकट्टा करने का बड़ा शौक था। वो जब भी विदेश घुमने जाते तो वो वहासे जरुर एक या दो टोपी साथ में लाते थे। उन्होंने पूरी दुनिया से लगभग 200 से भी अधिक टोपिया जमा की है।
अमरीश बहुत धार्मिक किस्म के इन्सान थे और वो भगवान शिव के बड़े भक्त थे।
फिल्मी सफर –
बॉलीवुड के सबसे मशहूर अभिनेता अमरीश पुरी हीरो बनने की चाहत में अपने बड़े भाई मदन पुरी, जो कि एक मशहूर अभिनेता थे, उनके साथ मुंबई आए थे।
जिन्होंने 1950 के दशक में अमरीश पुरी ने फिल्मों के लिए ट्राई किया था, लेकिन वे अपने स्क्रीन टेस्ट में सफल नहीं हुए थे, उन्हें शुरुआत में कई फिल्म डायरेक्टरों ने रिजेक्ट कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में एजेंट के रुप में भी काम किया था।
करियर को उड़ान:
शुरुआत में जब अमरीश पुरी को कई फिल्मों में लेने से मना कर दिया गया था, तब उन्होंने सत्यदेव दुबे जी द्धारा लिखे गए नाटकों में मुंबई के पृथ्वी थिएटर पर एक्टिंग करना शुरु कर दिया, जिसका उन्हें आगे चलकर काफी फायदा मिला और यहीं वे एक स्टेज एक्टर के रुप में उभरकर सामने आए।
अमरीश पुरी ने अपने करियर की शुरुआत में 60 से ज्यादा नाटक भी किए थे और वे एक प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार बन गए। वहीं नाटक में उनके महत्पूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 1979 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।
इसके बाद उन्हें टीवी में एडवरटाइमेंट के लिए कई ऑफर मिले और फिर करीब 40 साल की उम्र में उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। और इसके बाद उन्होंने अपनी कर्कश आवाज और दमदार एक्टिंग से जमकर सुर्खियां बटोरी और एक के बाद एक सुपर-डुपर हिट फिल्में दीं।
हिन्दी सिनेमा में साल 1970 में उन्होंने फिल्म ”प्रेम पुजारी” से डेब्यू किया था फिर इसके बाद साल 1971 में उन्होंने खलनायक के तौर पर सबसे पहले’रेशमा और शेरा’ फिल्मों में काम किया था। जबकि हिन्दी फिल्मों में आने से पहले वे साल 1967 में पहली मराठी फिल्म ‘शंततु! कोर्ट चालू आहे’ में काम कर चुके थे।
‘मोगैंबो’ के नाम से पहचान बनाने वाले अमरीश पुरी एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने न सिर्फ हिन्दी फिल्मों में अपनी एक खास पहचान बनाई बल्कि उन्होंने मराठी, कन्नड़, पंजाबी, मलयालम, तेलुगु, तमिल और हॉलीवुड फिल्मों में भी अपने शानदार किरदारों से दर्शकों से खूब वाहवाही लूटी।
आपको बता दें कि इस महान अभिनेता अमरीश पुरी ने हिन्दी फिल्मों में ही नहीं बल्कि हॉलीवुड फिल्म Indiana Jones and the Temple of Doom में भी अपने बेहतरीन अभिनय से भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं। अमरीश जी ने अपने फिल्मी करियर में 400 से भी ज्यादा बॉलीवुड फिल्मों में काम किया, जिनमें से उन्होंने एक आदर्श, मजबूर पिता और आदर्श दोस्त से लेकर खलनायक तक की किरदारों को बखूबी निभाया।
सम्मान –
साल 2000 में, सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए “कलाकार पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। साल1998 में, फिल्म “विरासत” के लिए बेस्ट सहायक अभिनेता के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। साल 1997 में, फिल्म “घातक” के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया।
साल 1994 में, सिंगापुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और सिडनी फिल्म महोत्सव में “सूरज का सांतवा घोड़ा” के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार से नवाजा गया।
साल 1986 में, “मेरी जंग” के लिए बेस्ट सहायक अभिनेता के रूप में फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। साल 1979 में, थिएटर में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया
इन किरदारों ने दी महान खलनायक की पहचान –
अमरीश पुरी बॉलीवुड के एक ऐसे विलेन थे, जिन्हें आज तक कोई टक्कर नहीं दे पाया। अमरीश ने कई ऐसे किरदार निभाए, जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं एवं उनके कुछ डायलॉग्स ऐसे हैं जो आज भी लोगों के जुबान पर हैं। चलिए जानते हैं अमरीश जी के उन बेहतरीन किरदारों के बारे में जिन्होंने उन्हें एक मशहूर विलेन की पहचान दिलवाई –
फिल्म मिस्टर इंडिया : (‘मोगैंबो’ विलेन)
अमरीश जी ने साल 1987 में रिलीज हुई फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में ‘मोगैंबो’ नाम के एक खलनायक का रोल अदा किया था। उनके इस किरदार को लोग आज भी याद करते हैं। इसके साथ ही इस फिल्म में उनके द्धारा बोला गया डायलॉग ‘मोगैंबो’खुश हुआ‘ काफी मशहूर हुआ, जो आज भी लोगों के जुबान पर है।
नगीना: (तांत्रिक का रोल)
1986 में रिलीज हुई फिल्म ‘नगीना’ में मशूहर अभिनेता अमरीश पुरी में एक विलेन के रुप में एक सपेरे तांत्रिक का रोल निभाया था। इस फिल्म में ऋषि कपूर और श्रीदेवी लीड रोल में थे। ‘नगीना’ फिल्म में अमरीश पुरी द्धारा बोला गया डायलॉग ‘अलक निरंजन बोलत’, काफी प्रसिद्ध हुआ था।
करण-अर्जुन: (ठाकुर दुर्जन सिंह – विलेन)
सुपरहिट फिल्म ‘करण-अर्जुन’ में अमरीश पुरी ने ठाकुर दुर्जन सिंह के रुप में एक विलेन का रोल निभाया था। इस फिल्म में वे अपनी दमदार एक्टिंग से शाहरुख और सलमान खान पर भारी पड़ गए थे।
लोहा: (विलेन)
साल 1987 में रिलीज हुई फिल्म ‘लोहा’ में अमरीश जी ने एक विलेन का किरदार निभाया था, यह किरदार उनके फिल्मी करियर का सबसे खतरनाक खलनायक का किरदार माना जाता है। इसमें अमरीश पुरी जी की विलेन के रुप में दमदार एक्टिंग के साथ-साथ उनके लुक को भी खूब सराहा गया था।
कोयला: (राजा साहब – नेगेटिव रोल)
7 अप्रैल 1997 में रिलीज हुई फिल्म ‘कोयला’ में अमरीश पुरी ने जो राजा साहब के रुप में नेगेटिव रोल निभाया था, उनके इस रोल को आज भी याद किया जाता है।
नायक:
7 सितंबर 2001 को रिलीज हुई अनिल कपूर की फिल्म ‘नायक’ में अमरीश जी ने एक लोभी और स्वार्थी मुख्यमंत्री का रोल निभाया था। जो कि अपनी सत्ता बचाने के लालच में शहर में दंगा भड़का देता है। अमरीश जी के इस रोल के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।
गदर:
फिल्म ‘गदर: एक प्रेम कथा’ में अमरीश पुरी ने एक गुस्सैल और खूसट बाप का किरदार निभाया था। इस फिल्म में बॉलीवुड अभिनेत्री अमीषा पटेल और सनी देओल मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म में अमरीश पुरी एक कट्टर पाकिस्तानी नेता के रुप में नजर आए थे, जिसके दिल में हिंदुस्तान के लिए नफरत भरी थी।
उनका यह किरदार भी काफी चर्चा में रहा था। इसके अलावा फिल्म शहंशाह, राम-लखन, दिलजले, दामिनी, विश्वात्मा, तहलका, समेत कई फिल्मों में भी विलेन का किरदार निभाया था। इन फिल्मों को सुपरहिट बनाने में उन्होंने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
डेब्यू हिंदी फिल्म:
- प्रेम पुजारी – (1970)
- कन्नड़ फिल्म – कादु (1973)
- पंजाबी फिल्म – सत श्री अकाल (1977)
- तेलुगू फिल्म – कोंदुरा (1978)
- मराठी फिल्म – ‘शंततु! कोर्ट चालू आहे’ (1967 )
- हॉलीवुड फिल्म – गांधी (1982)
- आखिरी फिल्म पूरब की लैला, पश्चिम का छैला: हैल्लो इंडिया (2009)
अमरीश पुरी भारतीय सिनेमा के सबसे महान और प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक थे। जिन्होंने अपने शानदार किरदारों में प्यार, डर और नफरत को एक ही समय में दिखाया था और दर्शकों के दिल में अपने लिए एक अलग जगह बनाई थी।
वहीं 22 जून, 2019 में उनकी जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर अमरीश पुरी को याद किया और इस महान अभिनेता को श्रद्धांजली दी।
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