Alexander Graham Bell – एलेग्जेंडर ग्रैहम बेल एक स्कॉटिश वैज्ञानिक, खोजकर्ता, इंजिनियर और प्रवर्तक थे जो पहले वास्तविक टेलीफोन के अविष्कार के लिये जाने जाते है।
टेलीफोन के अविष्कार की कहानी – Alexander Graham Bell Biography In Hindi
एलेग्जेंडर बेल का जन्म 3 मार्च 1847 को स्कॉटलैंड के एडिनबर्घ में हुआ था। उनका पारिवारिक घर 16 साउथ शेर्लोट स्ट्रीट में था और वहाँ एलेग्जेंडर के जन्म को लेकर कयी तरह के शिलालेख भी मौजूद है। उनके पिता प्रोफेसर एलेग्जेंडर मेलविल्ले बेल स्वरवैज्ञानिक और उनकी माता एलिजा ग्रेस थी।
उनका जन्म एलेग्जेंडर बेल के नाम से हुई हुआ था और 10 साल की उम्र में अपने पिता से अपने दो भाइयो के मध्य नाम की तरह अपना भी मध्य नाम रखने का निवेदन किया था।
उनके 11 वे जन्मदिन पर उनके पिता ने उनका मध्यनाम “ग्रैहम” रहने की उन्हें अनुमति भी दी थी, इसका सुझाव उनके पिता के एक कैनेडियन पारिवारिक दोस्त ने उनके पिता को ही दिया था। उनके परिवार और सहकर्मियों के अनुसार बेल बचपन से ही बहुत होशियार थे।
बेल के पिता, दादा और भाई वक्तुत्व्कला और भाषणों से संबंधित काम से जुड़े हुए थे और उनकी माँ और पत्नी दोनों ही बहरे थे। बेल लगातार भाषण और बात करने वाले उपकरणों के अविष्कार में लगे रहते थे और ऐसा करने से ही उनके दिमाग को चालना मिलती भी गयी। और इसी वजह से 1876 में टेलीफोन की खोज करने वाले बेल को यूनाइटेड स्टेट के पहले पेटेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
बेल ने टेलीफोन का अविष्कार कर विज्ञान की दुनिया का सबसे बेहतरीन और सबसे प्रसिद्ध अविष्कार भी कर दिया था।
टेलीफोन की खोज करने के बाद बेल ने अपने जीवन में और बहुत से अविष्कार भी किये है जिनमे मुख्य रूप से टेलीकम्यूनिकेशन, हीड्रोफ़ोइल और एरोनॉटिक्स शामिल है। नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी में 1898 से 1903 तक उन्होंने वहा रहते हुए सेवा की थी और सोसाइटी के दुसरे प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत रहे।
एलेग्जेंडर ग्रैहम बेल की शिक्षा – Alexander graham bell Education
युवा बालक के रूप में बेल अपने भाइयो की ही तरह थे, उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही अपने पिता से ही ग्रहण की थी। अल्पायु में ही उन्हें स्कॉटलैंड के एडिनबर्घ की रॉयल हाई स्कूल में डाला गया था और 15 साल की उम्र में उन्होंने वह स्कूल छोड़ दी थी। उस समय उन्होंने पढाई के केवल 4 प्रकार ही पुरे किये थे। उन्हें विज्ञान में बहुत रूचि थी, विशेषतः जीवविज्ञान में, जबकि दुसरे विषयो में वे ज्यादा ध्यान नही देते थे।
स्कूल छोड़ने के बाद बेल अपने दादाजी एलेग्जेंडर बेल के साथ रहने के लिये लन्दन चले गये थे। जब बेल अपने दादा के साथ रह रहे थे तभी उनके अंदर पढने के प्रति अपना प्यार जागृत हुए और तभी से वे घंटो तक पढाई करते थे। युवा बेल ने बाद में अपनी पढाई में काफी ध्यान दिया था। उन्होंने अपने युवा छात्र दृढ़ विश्वास के साथ बोलने के लिये काफी कोशिशे भी की थी। और उन्होंने जाना की उनके सभी सहमित्र उन्होंने एक शिक्षक की तरह देखना चाहते है और उनसे सीखना चाहते है।
16 साल की उम्र में ही बेल वेस्टन हाउस अकैडमी, मोरे, स्कॉटलैंड के वक्तृत्वकला और संगीत के शिक्षक भी बने। इसके साथ-साथ वे लैटिन और ग्रीक के विद्यार्थी भी थे। इसके बाद बेल ने एडिनबर्घ यूनिवर्सिटी भी जाना शुरू किया, और वही अपने भाई मेलविल्ले के साथ रहने लगे थे।
1868 में अपने परिवार के साथ कनाडा शिफ्ट होने से पहले बेल ने अपनी मेट्रिक की पढाई पूरी कर ली थी और फिर उन्होंने लन्दन यूनिवर्सिटी में एडमिशन भी ले लिया था।
एलेग्जेंडर ग्रैहम बेल का पहला अविष्कार – Alexander graham bell first invention as a child
एक बच्चे के रूप में बेल ने इस दुनिया की प्राकृतिक जिज्ञासा को प्रदर्शित किया था और अल्पायु में ही वानस्पतिक नमूनों को इकट्टा कर उनपर प्रयोग करते रहते थे। उनका सबसे अच्छा दोस्त बेन हेर्डमैन था, जो उनका पडोसी भी था और उनके परिवार की एक फ्लौर मिल भी थी। बेल हमेशा अपने दोस्त से पूछा करते थे की मिल में किन-किन चीजो की जरुरत पड़ती है। तब उनका दोस्त कहता था की कामगारों की सहायता से गेहू का भूसा बनाया जाता है और उसे पिसा जाता है।
12 साल की उम्र में बेल ने घर पर ही घुमने वाले दो कठोर पहियों को जोड़कर, (जिनके बिच घर्षण हो सके) एक ऐसी मशीन बनायी जिससे गेहू को आसानी से पिसा जा सकता था। उनकी इस मशीन का उपयोग कयी सालो तक होता रहा। बदले में बेन के पिता जॉन हेर्डमैन ने दोनों बच्चो को खोज करने के लिये एक वर्कशॉप भी उपलब्ध करवायी थी।
एलेग्जेंडर ग्रैहम बेल के अविष्कार – Alexander Graham Bell Telephone Inventions
मई, 1874 में टेलीफोन का अविष्कार।
बाद में उन्होंने फ़ोनोंऑटोग्राफ पर प्रयोग करना शुरू किया, एक ऐसी मशीन जो स्वर की लहरों को रुपरेखा दी सके। इसी साल की गर्मियों में उन्होंने टेलेफोन बनाने की योजना भी बनायी। इसके बाद उन्होंने अपने असिस्टेंट थॉमस वाटसन को भी काम पर रख लिया था।
2 जून 1875 को बेल ने टेलीफोन पर चल रहे अपने काम को सिद्ध किया।
इसके बाद वाटसन ने बेल के फ़ोनोंऑटोग्राफ में लगी धातु की एक नलिका को खिंचा। अचानक हुई इस घटना से यह भी पता चला की टेलीफोन से हम ध्वनि को भी स्थानांतरित कर सकते है।
7 मार्च 1876 को बेल में अपने विचारो का पेटेंट हासिल किया।
बेल को यूनाइटेड स्टेट पेटेंट ऑफिस पेटेंट नंबर 174,465 मिला। इससे उनके विचारो को भी कॉपी नही कर सकता था और वे आसानी से टेलेग्राफी तरंगो से मशीन से आवाज को स्थानांतरित कर सकते थे।
3 अगस्त 1876 को उन्होंने पहला लंबी दुरी का कॉल लगाया।
इसके बाद बेल को दूर के किसी ब्रन्तफोर्ड गाँव से एक ध्वनि-सन्देश भी मिला, यह सन्देश तक़रीबन 4 मिल दूर से आया था। इस घटना के बाद बेल ने अपनी योजनाओ को लोगो के सामने बोलना शुरू किया और अपनी खोजो को सार्वजानिक रूप से जाहिर भी किया।
11 जुलाई 1877 को बेल ने पहली टेलेफोन कंपनी की स्थापना की।
बेल के टेलीफोन कंपनी की स्थापना हुई। इसी साल बेल ने कैम्ब्रिज के मबेल हब्बार्ड से शादी की। लेकिन अभी भी उनकी कमाई का जरिया पढाना ही था क्योकि उस समय टेलीफोन उनके लिए ज्यादा लाभदायी नही था।
1881 को बेल ने दुसरे कयी अविष्कार भी किये।
बेल ने फोनोग्राफ, मेटल डिटेक्टर, मेटल जैकेट की भी खोज की और साथ ही ऑडियोमीटर की भी खोज की ताकि लोगो को सुनने में परेशानी ना हो, इसके बाद उनके नाम पर 18 पेटेंट दर्ज किये गए। उनके अविष्कारों को देखते हुए उन्हें बहुत से सम्मानों और पुरस्कारों से नवाजा भी गया था और आज भी उन्हें कयी पुरस्कार दिये जाते है।
1897 में बेल प्रसिद्ध हुए और बहुत सी संस्थाओ में भी उन्हें शामिल किया गया।
25 जनवरी 1915 को बेल ने पहला ट्रांस-अटलांटिक फ़ोन कॉल लगाया।
पहली बार बेल ने उपमहाद्वीप के बाहर से भी वाटसन को कॉल लगाया। इस कॉल के 38 साल पहले, बेल और वाटसन ने फ़ोन पर बात की थी। लेकिन यह कॉल उस फ़ोन से काफी बेहतर था और आवाज भी साफ़ थी।
एलेग्जेंडर ग्रैहम बेल की मृत्यु – Alexander Graham Bell Death
2 अगस्त 1922 को 75 साल की उम्र में अपनी व्यक्तिगत जगह बेंन भ्रेअघ, नोवा स्कॉटिया में डायबिटीज की वजह से उनकी मृत्यु हुई थी। बेल एनीमिया से भी ग्रसित थे। आखरी बार उन्होंने रात को 2.00 बजे अपनी माउंटेन एस्टेट के दर्शन किये थे। लम्बी बीमारी के बाद उनकी पत्नी मबेल ने उनके गानों में गुनगुनाते हुए कहा था, “मुझे छोड़कर मत जाओ।” जवाब में बेल ने “नहीं….” कहा और कुछ ही समय बाद उनकी मृत्यु भी हो गयी थी।
अंतिम यात्रा में आये महेमान जीन मैकडोनाल्ड ने एक शोकगीत भी गाया था, –
“विशाल और तारो से भरे आकाश के निचे,
कब्र खोदो और मुझे मरने दो,
मुझे ख़ुशी है की मै अपनी इच्छा से मरा,
और मुझे अपनी इच्छा से ही कब्र में डाला जा रहा है।”
बेल की अंतिम यात्रा को सम्मान देते हुए उत्तरी अमेरिका उपमहाद्वीप के सभी फ़ोन को उनके सम्मान में साइलेंट पर रखा गया था, वे एक ऐसे अविष्कारक थे जिन्होंने अपने अविष्कार से लाखो मील दूर रह रहे इंसान को भी जोड़ा था।
एलेग्जेंडर ग्रैहम बेल के सुविचार – Alexander Graham Bell Quotes
“एक दिन ऐसा जरुर आयेगा जिस दिन इंसान टेलीफोन पर बात कर रहे दुसरे इंसान से कितना दूर है यह भी जान पायेंगा।”
“भगवान ने हमारे रास्तो ने कई आश्चर्य बिखरे हुए है और हम कभी भी आँखे बंद करके भगवान पर भरोसा रखकर आगे नही बढ़ते।”
“बातचीत की कीमत को पूछना ही जिंदगी की कीमत को पूछने के बराबर है।”
“अविष्कारक एक ऐसा इंसान होता है जो इस दुनिया को चारो तरफ से देखता है और चीजे जैसी है उससे वह कभी संतुष्ट नही होता। वो जो कुछ भी देखता है उसे और बेहतर बनाना चाहता है, वह इस दुनिया को आसान बनाना चाहता है, वह विचारो से त्रस्त होता है। अविष्कार करने की चाह ही उसे संपन्न बनाती है।”
“मै अपनेआप को हमेशा एक संशयवादी समझता हूँ लेकिन अभी मैंने जाना की मै एक एकेश्वरवादी संशयवादी हूँ।”
“मृत्यु और अमरत्व, मुक्ति, भरोसा और सभी दुसरे तथ्यों का संबंध अनुमानित धर्म से ही है, मुझे इनके बारे में कुछ भी नही पता और मुझे इन सब बातो पर जरा भी विश्वास नही।”
“वह दिन ज्यादा दूर नही जब इंसान डिनर न्यू यॉर्क में करेंगा और सुबह का अल्पाहार लिवरपूल में करेंगा।”
“कोयला और तेल…सिमित मात्रा में ही उपलब्ध है। हम खदानों में से कोयला बाहर तो निकाल सकते है लेकिन उन्हें पुनः खदान में नही डाल सकते।“ “जब कोयला और तेल ही नही बचेगा तब हम क्या करेंगे?”
“ऐसा देश जो हवाओ को नियंत्रित कर सकता है वही इस दुनिया पर राज करेगा।”
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bahut achcha lga padkar , apke sabhi lekh padti hu me
Too nice sir ji aapke lekh main hamesha read karta hu. Thanks ji.
Unone jub suru kiyatha 1859 me lokhon logon ke samaro me bataya gaya tha ki insaan sirf ek dusre ki awaj 100 mtr se hi sunte hai
Duniya ke sare logone man tha lekin bell ne nihi mana
knowledge of g.k.
nice information. really liked it. 🙂 keep posting 🙂