दुनिया से सबसे बुद्धिमान और सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को शायद ही कोई नहीं जानता हो, उन्होंने न सिर्फ विज्ञान के क्षेत्र में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया, बल्कि अपनी कई खोजों के माध्यम से कठिन से कठिन चीजों का बेहद आसान बना दिया और अपने सफल अविष्कारों से विज्ञान को एक नई दिशा दी।
अल्बर्ट आइंस्टीन एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक सफल भौतिक शास्त्री भी थे, जिन्होंने दुनिया में सबसे प्रसिद्ध द्रव्यमान और ऊर्जा का समीकरण सूत्र दिया।
इसके अलावा उन्होंने 300 से भी ज्यादा वैज्ञानिक शोध पत्रों का प्रकाशन किया, वहीं उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें सर्वोच्च सम्मान नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने जीवन में कई बार असफलता पाने के बाबजूद भी हार नहीं मानी और निरंतर प्रयास करते रहे और सफलता हासिल कर लोगों के लिए एक मिसाल कायम की।
वहीं आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में अल्बर्ट आइंस्टीन के जन्म से लेकर उनके महान वैज्ञानिक बनने तक के सफर के बारे में बताएंगे , साथ ही उनके जीवन के संघर्षों के बारे में भी चर्चा करेंगे, तो आइए जानते हैं, दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में –
अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी | Albert Einstein Biography in Hindi
पूरा नाम (Name) | अल्बर्ट हेर्मन्न आइंस्टीन |
जन्म (Birthday) | 14 मार्च 1879 |
जन्मस्थान (Birthplace) | उल्मा (जर्मनी) |
पिता (Father) | हेर्मन्न आइंस्टीन |
माता (Mother) | पौलिन कोच |
शिक्षा (Education) | स्विट्जरलैड में उन्होंने अपनी शिक्षा प्रारंभ की।, ज्युरिच के पॉलिटेक्निकल अकादमी में चार साल बिताये।, 1900 में स्तानक की उपाधि ग्रहण कर स्वीटजरलैड का नागरिकता का स्वीकार कर ली।, 1905 में आइंस्टीन ने ज्युरिंच विश्वविद्यालय से P.H.D. की उपाधि प्राप्त की। |
विवाह (Wife) | पहला मरिअक के साथ दूसरा एलिसा लोवेंन थाल के साथ |
मृत्यु (Death) | 18 अप्रैल, 1955 |
जन्म और शिक्षा –
दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, जर्मनी के उल्म शहर में एक यहूदी परिवार में 14 मार्च साल 1879 को जन्में थे। वे हेर्मन आइंस्टीन और पौलिन कोच की संतान थे। उनके पिता एक इंजीनियर और सलेस्मैन थे, वहीं अल्बर्ट आइंस्टीन के जन्म के थोड़े दिनों बाद ही उनका परिवार म्युनिच में शिफ्ट हो गया, जिसके चलते म्युनिच में ही आइंस्टीन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत की।
आपको बता दें कि अल्बर्ट आइंस्टीन को शुरु से ही किताबी ज्ञान में कोई रुचि नहीं थी, बचपन में जिद्दी और कमजोर बच्चों में उनकी गिनती होती थी। उनकी कुछ हरकतों की वजह से उन्हें कुछ अध्यापकों ने तो शारीरिक रुप से विकलांग तक कहना शुरु कर दिया था।
आइंस्टीन के बारे में यह भी कहा जाता है कि 9 साल की उम्र तक वे ठीक तरीके से बोल भी नहीं पाते थे।
लेकिन बचपन से ही वे कुछ न कुछ एक्सपेरिमेंट करते रहते थे, उनका कंपास की सुई की दिशा, प्रकृति के नियमों आदि में उनका मन रमता था। वहीं म्यूजिक से उन्हें बचपन से ही काफी लगाव था, यही वजह है कि उन्होंने मात्र 6 साल की उम्र में वायलिन बजाना सीख लिया था, और अपने जीवन के खाली समय में वे अक्सर इसे बजाते थे।
इसके अलावा महज 12 साल की उम्र में उन्होंने ज्यामिति की खोज की थी और वे इतनी तेज बुद्दि के छात्र थे कि महज 16 साल की उम्र में वे गणित के कठिन सवालों को भी चुटकियों में हल कर देते थे।
आपको बता दें कि 16 साल की उम्र में ही आइंस्टीन ने अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी कर ली थी, इसके बाद वे स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिच में ‘फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ में एडमिशन लेना चाहते थे, उन्होंने इसके लिए इंतिहान भी दिया, लेकिन वे सफल नहीं हो सके।
इसके बाद उन्होंने अपनी एक टीचर की सलाह को मानते हुए स्विट्ज़रलैंड के आरौ में ‘कैनटोनल स्कूल’ से डिप्लोमा किया।
इसके बाद साल 1900 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने स्विज फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और इस दौरान उन्होंने स्विट्जरलैंड की नागरिकता भी हासिल की वहीं इसके 5 साल बाद साल 1905 में उन्होंन PHD की डिग्री हासिल की
कैरियर –
PHD की डिग्री हासिल करने के बाद अल्बर्ट आइंस्टीन की ज्यूरिख यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रुप में नियुक्ति की गई। इस दौरान उन्होंने अपना पहला क्रांतिकारी विज्ञान से संबंधित एक डॉक्यूमेंट भी लिखा।
इसके कुछ दिनों के बाद अल्बर्ट आइंस्टीन क्ज़ेकोस्लोवाकिया के प्राग शहर में जर्मन यूनिवर्सिटी में प्रिंसिपल के लिए चुने गए। इसके बाद फिर वे फेडरल इंस्टिटयूट ऑफ़ टेक्नोलोजी में प्रिंसिपल बनाए गए।
साल 1913 में मशहूर वैज्ञानिक मैक्स प्लांक और वाल्थेर नेर्न्स्ट ने आइंस्टीन को बर्लिन की एक यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च के लिए प्रोत्साहित किया, जिसके बाद आइंस्टीन बर्लिन चले गए।
फिर साल 1920 में उन्हें हॉलैंड में लंदन की यूनिवर्सिटी की तरफ से आजीवन रिसर्च करने और लेक्चर देने का ऑफर मिला । वहीं इसके बाद विज्ञान के क्षेत्र में उनके द्धारा की गई तमाम खोजों के लिए उन्हें कई अवॉर्ड भी दिए दिए।
वहीं जब आइंस्टीन ने कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से जुड़े उस समय उनका कैरियर एक नए मुकाम पर पहुंचा। इसके बाद उन्होंने अपने प्रयोगों से कई नए अविष्कार कर विज्ञान के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान की।
अविष्कार –
प्रकाश की क्वांटम थ्योरी:
प्रकाश की क्वांटम थ्योरी में आइंस्टीन ने ऊर्जा की छोटी थैली को फोटोन कहा और इसकी तरंगों की खासियत बताई है। इसके साथ ही उन्होंने कुछ धातुओं के इलेक्ट्रॉन्स के उत्सर्जन और फोटो इलेक्ट्रिक इफेक्ट की रचना को समझाया. वहीं इसी खोज के आधार पर टेलीविजन की खोज की गई।
E = MC square
साल 1905 में आइंस्टीन ने द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच एक ऐसा फॉर्मूला बनाया जो कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ।
रेफ्रिजरेटर की खोज:
आइंस्टीन ने बेहद कम समय में रेफ्रिजरेटर की खोज की थी। इसमें उन्होंने अमोनिया, ब्यूटेन और पानी और ऊर्जा का अधिक इस्तेमाल किया था।
स्पेशल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी:
आइंस्टीन ने अपनी इस थ्योरी में गति और समय के सम्बन्ध को समझाने की कोशिश की है।
आसमान नीला होता है:
इसमें आइंस्टीन के प्रकाश के प्रकीर्णन (Light Scattering) के बारे में बताया था, और इसी वजह से आसमान का रंग नीला होता है।
इसके अलावा भी अल्बर्ट आइंस्टीन में अपने कई अद्भुत अविष्कारों से विज्ञान के विकास को गति प्रदान की।
शादी –
विश्व के इस महान वैज्ञानिक ने अपने जीवन में दो शादियां की थी। वे स्कूल में मिलेना मरिअक से मिले थे, जिसके बाद साल 1903 में उन दोनो ने शादी कर ली, उन्हें इस शादी से तीन संतानें भी प्राप्त हुईं थी, हालांकि यह शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई और साल 1919 में उन दोनों में तलाक हो गया। इसके बाद आइंस्टीन ने एलिसा लोवेस से अपनी दूसरी शादी रचा ली।
पुरस्कार –
विज्ञान के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान देने और महान खोजों के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन को कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया, जो कि निम्नलिखित है –
- साल 1921 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
- साल 1921 में ही उन्हें मत्तयूक्की मैडल से नवाजा गया।
- साल 1925 में आइंस्टीन को कोपले मैडल से भी नवाजा गया।
- साल 1929 में मैक्स प्लांक मैडल से भी आइंस्टीन सम्मानित किया गया।
- साल 1999 में उन्हें शताब्दी के टाइम पर्सन का पुरस्कार भी दिया गया।
मृत्यु –
जर्मनी में जब हिटलर शाही का समय आया तो अल्बर्ट आइंस्टीन को यहूदी होने के कारण जर्मनी छोड़ कर अमेरिका के न्यजर्सी में आकर रहना पड़ा, जहां प्रिस्टन कॉलेज में काम करते हुए 18 अप्रैल, साल 1955 में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने महान खोजों के द्धारा विज्ञान के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी और मुश्किल से मुश्किल चीजों को बेहद आसान बना दिया। वहीं कई बार हार जाने के बाद भी वे रुके नहीं और अपने प्रयासों को एक दिन दुनिया के सामने लाकर खुद को साबित किया और दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की।
अल्बर्ट आइंस्टीन सुविचार –
- दो चीजें अनंत हैं: ब्रह्माण्ड और मनुष्य कि मूर्खता; और मैं ब्रह्माण्ड के बारे में दृढ़ता से नहीं कह सकता।
- जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।
- ईश्वर के सामने हम सभी एक बराबर ही बुद्धिमान हैं-और एक बराबर ही मूर्ख भी।
The Grate man and mind., positive thingking,time is life.,Anythink is possible.
albert einstein ki sabhi search chahie
Your time is limited, so don’t waste it living someone else’s life. Don’t be trapped by dogma – which is living with the results of other people’s thinking. Don’t let the noise of other’s opinions drown out your own inner voice. And most important, have the courage to follow your heart and intuition. They somehow already know what you truly want to become. Everything else is secondary.
Sabhi human ke pas kitna % brain use Krta hai
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he the grate man.