मुग़ल साम्राज्य का सबसे बहादुर और शांतिप्रिय राजा जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर की कहानी

Akbar History in Hindi

मुग़ल शासनकाल में जितने भी राजा महाराजा हुए उन सबमे अकबर सबसे अलग प्रभावशाली और शक्तिशाली राजा थे। अकबर एक बहुत ही बहादुर और शांतिप्रिय राजा था। उसकी सबसे खास बात यह है की उसने बचपन से राज्य चलाने का काम किया था।

अकबर तीसरे मुगल सम्राट थे, जो कि महज 13 साल की छोटी सी उम्र में मुगल राजवंश के सिंहासन पर बैठ गए थे और उन्होंने अपने मुगल सम्राज्य का न सिर्फ काफी विस्तार किया, बल्कि हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल देने के लिए कई नीतियां भी बनाईं। अपने शासनकाल में शांतिपूर्ण माहौल स्थापित किया एवं कराधान प्रणाली को फिर से संगठित किया। उन्हें अकबर-ए-आज़म शहंशाह अकबर के नाम से भी जाना जाता था।

अकबर खुद अनपढ़ होने के बाद भी शिक्षा सबसे ज्यादा महत्व देते थे। लेकिन वे एक बुद्धिमान और ज्ञानी शासक थे, जिन्हें लगभग सभी विषयों में आसाधरण ज्ञान प्राप्त था। इसीलिए उसके शासन काल में कला, साहित्य, शिल्पकला का काफी विकास हुआ था। उसने अपने राज्य में सभी के लिए विशेषरूप से महिलाओ के लिए शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया था।

उनके द्धारा किए गए नेक कामों की वजह से उन्हें अकबर महान कहकर भी बुलाया जाता था। वे सभी धर्मों को आदर-सम्मान देने वाले महान योद्धा थे, कई अलग-अलग धर्मों के तत्वों को इकट्ठा कर अकबर ने नया संप्रदाय दीन-ए-इलाही की स्थापना की थी।

उनकी पहचान सभी मुगल शासकों में एकदम अलग थी, तो आइए जानते है, मुगल वंश के शासक सम्राट अकबर की जीवनी (Akbar ki Jivani) के बारे में-

मुग़ल साम्राज्य का सबसे बहादुर और शांतिप्रिय राजा जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर की कहानी – Akbar History in Hindi

Akbar History in Hindi
Akbar History in Hindi

अकबर जीवनी के बारेमें जानकारी – Akbar Information in Hindi

पूरा नाम (Full Name of Akbar) अबुल-फतह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर
जन्म (Birthday) 15 अक्तुबर, 1542
जन्मस्थान (Birthplace) अमरकोट
पिता Father of Akbar हुमांयू
माता (Mother Name) नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा
शिक्षा (Education) अल्पशिक्षित होने के बावजूद सैन्य विद्या में अत्यंत प्रवीण थे।
विवाह (Wives of Akbar)
  • रुकैया बेगम सहिबा,
  • सलीमा सुल्तान बेगम सहिबा,
  • मारियाम उज़-ज़मानि बेगम सहिबा,
  • जोधाबाई राजपूत।
संतान (Son of Akbar) जहाँगीर

 

अकबर प्रारंभिक जीवन – King Akbar Biography in Hindi

जलाल उद्दीन अकबर जो साधारणतः अकबर और फिर बाद में अकबर एक महान के नाम से जाना जाता था। वह भारत के तीसरे और मुग़ल के पहले सम्राट थे। वे 1556 से उनकी मृत्यु तक मुग़ल साम्राज्य के शासक थे। अकबर मुग़ल शासक हुमायु के बेटे थे, जिन्होंने पहले से ही मुग़ल साम्राज्य का भारत में विस्तार कर रखा था।

1539-40 में चौसा और कन्नौज में होने वाले शेर शाह सूरी से युद्ध में पराजित होने के बाद हुमायु की शादी हमीदा बानू बेगम के साथ हुयी। जलाल उद्दीन मुहम्मद का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को सिंध के उमरकोट में हुआ जो अभी पाकिस्तान में है।

लम्बे समय के बाद, अकबर अपने पुरे परिवार के साथ काबुल स्थापित हुए। जहा उनके चाचा कामरान मिर्ज़ा और अस्करी मिर्ज़ा रहते थे। उन्होंने अपना बचपन युद्ध कला सिखने में व्यतीत की जिसने उसे एक शक्तिशाली, निडर और बहादुर योद्धा बनाया।

1551 के नवम्बर में अकबर ने काबुल की रुकैया से शादी कर ली। महारानी रुकैया उनके ही चाचा हिंदल मिर्ज़ा की बेटी थी। जो उनकी पहली और मुख्य पत्नी थी।

हिंदल मिर्ज़ा की मृत्यु के बाद हुमायु ने उनकी जगह ले ली और हुमायु ने दिल्ली को 1555 में पुनर्स्थापित किया और वहा उन्होंने एक विशाल सेना का निर्माण किया। और इसके कुछ ही महीनो बाद हुमायु की मृत्यु हो गयी।

हुमायु गुजरने के बाद अकबर ने बैरम खान की मदत से राज्य का शासन चलाया क्यों की उस वक्त अकबर काफी छोटे थे। उन्होंने बैरम खान की सहायता से पुरे भारत में हुकूमत की। एक बहुत सक्षम और बहादुर बादशाह होने के नाते उन्होंने पुरे भारत में और करीब गोदावरी नदी के उत्तरी दिशा तक कब्ज़ा कर लिया था।

मुगलों की ताकतवर फ़ौज, राजनयिक, सांस्कृतिक आर्थिक वर्चस्व के कारण ही अकबर ने पुरे देश में कब्ज़ा कर लिया था। अपने मुग़ल साम्राज्य को एक रूप बनाने के लिए अकबर ने जो भी प्रान्त जीते थे उनके साथ में एक तो संधि की या फिर शादी करके उनसे रिश्तेदारी की।

अकबर के राज्य में विभिन्न धर्म और संस्कृति के लोग रहते थे और वो अपने प्रान्त में शांति बनाये रखने के लिए कुछ ऐसी योजना अपनाते थे जिसके कारण उसके राज्य के सभी लोग काफी खुश रहते थे।

साथ ही अकबर को साहित्य काफी पसंद था और उसने एक पुस्तकालय की भी स्थापना की थी जिंसमे करीब 24,000 से भी अधिक संस्कृत, उर्दू, पर्शियन, ग्रीक, लैटिन, अरबी और कश्मीरी भाषा की क़िताबे थी और साथ ही वहापर कई सारे विद्वान्, अनुवादक, कलाकार, सुलेखक, लेखक, जिल्दसाज और वाचक भी थे।

खुद अकबरने फतेहपुर सिकरी में महिलाओ के लिए एक पुस्तकालय की भी स्थापना की थी। और हिन्दू, मुस्लीम के लिए भी स्कूल खोले गयें। पूरी दुनिया के सभी कवी, वास्तुकार और शिल्पकार अकबर के दरबार में इकट्टा होते थे विभिन्न विषय पर चर्चा करते थे।

अकबर के दिल्ली, आगरा और फतेहपुर सिकरी के दरबार कला, साहित्य और शिक्षा के मुख्य केंद्र बन चुके थे। वक्त के साथ पर्शियन इस्लामिक संस्कृति भारत के संस्कृति के साथ घुल मिल गयी और उसमे एक नयी इंडो पर्शियन संस्कृति ने जन्म लिया और इसका दर्शन मुग़लकाल में बनाये गए पेंटिंग और वास्तुकला में देखने को मिलता है।

अपने राज्य में एक धार्मिक एकता बनाये रखने के लिए अकबर ने इस्लाम और हिन्दू धर्मं को मिलाकर एक नया धर्मं ‘दिन ए इलाही’ को बनाया जिसमे पारसी और ख्रिचन धर्म का भी कुछ हिस्सा शामिल किया गया था।

जिस धर्म की स्थापना अकबर ने की थी वो बहुत सरल, सहनशील धर्म था और उसमे केवल एक ही भगवान की पूजा की जाती थी, किसी जानवर को मारने पर रोक लगाई गयी थी। इस धर्म में शांति पर ज्यादा महत्व दिया जाता था। इस धर्म ना कोई रस्म रिवाज, ना कोइ ग्रंथ और नाही कोई मंदिर या पुजारी था।

अकबर के दरबार में के बहुत सारे लोग भी इस धर्मं का पालन करते थे और वो अकबर को पैगम्बर भी मानते थे। बीरबल भी इस धर्मं का पालन करता था।

भारत के इतिहास में अकबर के शासनकाल को काफी महत्व दिया गया है। अकबर शासनकाल के दौरान मुग़ल साम्राज्य तीन गुना बढ़ चूका था। उसने बहुत ही प्रभावी सेना का निर्माण किया था और कई सारी राजनयिक और सामाजिक सुधारना भी लायी थी।

अकबर को भारत के उदार शासकों में गिना जाता है। संपूर्ण मध्यकालीन इतिहास में वो एक मात्र ऐसे मुस्लीम शासक हुए है जिन्होंने हिन्दू मुस्लीम एकता के महत्त्व को समझकर एक अखण्ड भारत निर्माण करने का प्रयास कीया।

जोधा अकबर का इतिहास – Jodha Akbar History in Hindi

भारत के प्रसिद्ध शासकों में मुग़ल सम्राट अकबर अग्रगण्य है, वो एकमात्र ऐसे मुग़ल शासक सम्राट थे, जिन्होंने हिंदू बहुसंख्यकों के प्रति कुछ उदारता का परिचय दिया।

अकबर ने हिंदु राजपूत राजकुमारी से विवाह भी किया। उनकी एक राणी जोधाबाई राजपूत थी। इतिहास में झाककर देखा जाए तो हमें जोधा-अकबर की प्रेम कहानी विश्व प्रसिद्द दिखाई देती है।

वो ऐसे पहले मुग़ल राजा थे जिन्होंने मुस्लीम धर्म को छोड़कर अन्य धर्म के लोगो को बड़े पदों पर बिठाया था और साथ ही उनपर लगाया गया सांप्रदायिक कर भी ख़तम कर दिया था। अकबर ने जो लोग मुस्लिम नहीं थे उनसे कर वसूल करना भी छोड़ दिया और वे ऐसा करने वाले पहले सम्राट थे, और साथ ही जो मुस्लिम नहीं है उनका भरोसा जितने वाले वे पहले सम्राट थे।

विभिन्न धर्मो को एक साथ रखने की शुरुवात अकबर के समय ही हुई थी। अकबर के बाद उसका बेटा सलीम यानि जहागीर राजा बना था।

अकबर की मृत्यु  – Akbar Death

3 अक्तूबर 1605 को पेचिश के कारण बीमार हो गये थे मगर उसमेसे वो कभी अच्छे नहीं हुए। ऐसा माना जाता है की 27 अक्तूबर 1605 को अकबर की मृत्यु हो गयी थी और उन्हें आगरा के सिकंदरा में दफनाया गया था।

मुगल सम्राट अकबर की सबसे बड़ी उपलब्धियां – Akbar Achievements

Akbar Fort Allahabad
Akbar Fort Allahabad

मुगल वंश के महान सम्राट अकबर ने अपने शासनकाल में मुगल सम्राज्य का काफी विस्तार किया था, उन्होंने अपना सम्राज्य भारत के उपमहाद्धीपों के ज्यादातर हिस्सों में फैला लिया था, उन्होंने महान सम्राट अकबर का सम्राज्य उत्तर में हिमालय तक, पूर्व में ब्रहमनदी तक, उत्तर-पश्चिम में हिन्दुकश तक एवं दक्षिण में विंध्यां तक फैला लिया था।

फतेहपुरी सीकरी की स्थापना का श्रेय अकबर को ही जाता है। अकबर ने चित्तौड़गढ़ और रणथम्भौर पर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए आगरा पश्चिम की नई राजधानी फतेहपुर सीकरी की स्थापना की।

मुस्लिम शासक होते हुए भी अकबर ने हिन्दुओं के हित के लिए कई काम किए और हिन्दुओं की तीर्थयात्रा के लिए दिए जाने वाले टैक्स को पूरी तरह खत्म किया और हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया एवं शांतिपूर्ण माहौल स्थापित किया।

अकबर महान के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य एक नजर में – Facts about Akbar

  • 15 अक्टूबर 1542 ई. में अमरकोट में जन्में जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर महज 9 साल की उम्र में गजनी का सूबेदार नियुक्त किया गया था।
  • 13 साल की उम्र में मुगल सिंहासन पर बैठ गए थे। 1555 ईसवी में हुंमायू ने अकबर को अपना युवराज घोषित किया था। 1556 ईसवी में अकबर के संरक्षक बैरम खां ने उनका राज्याभिषेक करवाया था।
  • मुगल सम्राट अकबर ने 1556 में अपनी जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ी। उन्होंने यह लड़ाई हेमू के खिलाफ लड़ी थी, और हेमू और सुर सेना का बहादुरी से मुकाबला कर उन्हें परास्त किया था
Buland Darwaza
Buland Darwaza
  • अकबर ने फतेहपुर सीकरी के साथ बुलंद दरवाजा का भी निर्माण करवाया था।
  • सबसे अलग मुगल सम्राट के रुप में अपनी पहचान विकसित करने वाले अकबर को अकबर महान, अकबर-ऐ-आजम, मशहाबली शहंशाह के नाम से जाना जाता है।
  • अकबर ने 1582 ईसवी में दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की।
  • साल 1576 ईसवी में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हल्दीघाटी का घमासान युद्ध हुआ, इस युद्द में अकबर ने विजय प्राप्त की।
  • अकबर के शासनकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णकाल माना जाता है।
  • अबुल फजल ने अकबरनामा (Akbarnama) ग्रंथ की रचना की थी।
Akbar Ke Navratna
Akbar Ke Navratna
  • अकबर के दरबार में नौ रत्न थे, जिसमें तानसेन, टोडरमल, बीरबल, मुल्ला दो प्याजा, रहीम खानखाना, अ्बुल फजल, हकीम हुकाम, मानसिह शामिल थे।
  • अकबर अशिक्षित था, लेकिन उसे लगभग हर विषय में असाधारण ज्ञान था, साथ ही वह अपना स्मरण शक्ति के लिए जाना जाता था, वो एक बार जो सुन लेता था, उसे दिमाग में छप जाता था।
  • मुस्लिम शासक होते हुए भी मुगल शासक अकबर ने उसने हिन्दुओं के हित में कई काम किए  हिन्दु तीर्थयात्रियों द्धारा दिए जाने वाले जजीया कर और यात्री कर को माफ किया।
  • 1556 से 1605 तक मुगल सिंहासन पर राज करने वाले अकबर की मृत्यु अतिसार रोग के कारण हो गई थी।

जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर अपनी प्रजा के लिए किसी भगवान् से कम नहीं थे। उनकी प्रजा उनसे बहुत प्यार करती थी। और वे भी सदैव अपनी प्रजा को हो रहे तकलीफों से वाकिफ होकर उन्हें जल्द से जल्द दूर करने का प्रयास करते। इसीलिए इतिहास में शहंशाह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर को एक बहादुर, बुद्धिमान और शक्तिशाली शहंशाह माने जाते है।

अकबर के दरबार की सबसे विशेष बात थी। उसके दरबार में एक से बढ़कर एक कलाकार, विद्वान्, साहित्यिक थे। वो सभी अपने अपने काम में निपुण थे। अकबर के दरबार कुछ ऐसे ही 9 लोग थे जिन्हें “अकबर के नवरत्न” कहा जाता था।

Birbal
Birbal

इसमें बीरबल, अबुल फ़ज़ल, टोडरमल, तानसेन, मानसिंह, अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना, मुल्ला दो प्याज़ा, हक़ीम हुमाम, फ़ैजी इनका समावेश हैं जो अपने अपने काम में प्रसिद्ध थे।

वो सभी जब एक साथ दरबार में जमा होते थे तो वो नजारा काफी देखने जैसा बन जाता था। उन सबको अकबर के नवरत्न नाम दिया गया था। इसीलिए इतिहास में उन्हें अकबर के सबसे अहम नवरत्न माना जाता है।किसी भी राजा के दरबार में इस तरह के नवरत्न देखने को नहीं मिलते। वो केवल महान शासक अकबर के दरबार में ही थे।

अकबर की वंशावली – Akbar Family Tree

अकबर के समय में हिन्दू एवं मुस्लिमो के राजघरानो के बिच विवाह के कुछ उदाहरण अकबर की जीवनी से उपलब्ध होते है।जिसमे अकबर के संपूर्ण वंशावली का वर्णन यहाँ आपके जानकारी हेतु निम्नलिखित तौर पर दे रहे है।

अकबर को पाच पुत्र थे जिनके क्रमशः नाम इस प्रकार है, जहाँगीर, मुराद मिर्ज़ा, दानियाल मिर्ज़ा, हुसैन एवं हसन।

इसके अलावा अकबर को पाच पुत्रिया भी थी जिनके नाम आरम बानू बेगम, शाक्रूनिस्सा बेगम, खानम सुलतान बेगम, मेहेरुनिस्सा और माही बेगम इस प्रकार से था।

अकबर के पुत्र – Akbar’s Son

१. जहाँगीर:

जहाँगीर जो के अकबर के उपरांत मुग़ल बादशाह बना था, उसका जन्म अकबर की पत्नी जोधाबाई से हुआ था। जोधाबाई राजपूत राजा भारमल जी की पुत्री थी जिसे मुग़ल साम्राज्य की प्रमुख रानी का पद एवं सम्मान दिया गया था। अकबर के पाच पुत्रो में से एक जहाँगीर था, जो हर वक़्त अकबर के मन के विरुध्द निर्णय लेने की वजह से चर्चा में रहता था।

२. शहजादा मुराद मिर्जा:

इसका जन्म अकबर की उपपत्नी से हुआ था, जो के अकबर के पाच पुत्रो में से एक था। इसकी मृत्यु जिवन के अत्यंत कम आयु में यानि के ३० वे साल में हो गई थी। अकबर ने अपने पुत्रो के बिच कभी भी भेद नहीं किया इसलिए मुराद और जहाँगीर का जन्मदिन एक जैसे शाही अंदाज में मनाया जाता था।

३. शहजादा दानियाल:

ये अकबर का तिसरा पुत्र था जिसकी माता को अकबर ने गर्भवती अवस्था में सूफी संत दानियाल के यहाँ सुरक्षा हेतु छोड़ा था। उस समय अकबर गुजरात की मुहीम में व्यस्त था, दानियाल का जन्म सूफी संत के घर पर हुआ था।

बादमे एक माह की आयु से छह माह तक शहजादा दानियाल को राजपूत राजा भारमल जी की पत्नी के पास लालन पालन हेतु रखा गया। छह माह की आयु में शहजादा दानियाल को अकबर ने आग्रा लाया, जहा वो बड़ा हुआ।

४. हुसैन एवं हसन:

ये अकबर के दो पुत्र रानी जोधाबाई से हुए थे जिनकी अल्पायु में मृत्यु हुई थी।

अकबर की पुत्रिया – Akbar’s Daughter

१. शहजादी शाक्रूनिस्सा बेगम:

अकबर की इस पुत्री का जन्म बेबी दौलत बेगम से हुआ था, इसका जन्म फतेहपुर सिक्री में हुआ था।

२. शहजादी आरम बानू बेगम:

अकबर की ये पुत्री शाक्रुनिस्सा बेगम की सगी बहन थी, जिसका जन्म भी बेबी दौलत बेगम की कोख से हुआ था।

३. खानम सुलतान बेगम:

ये अकबर की सबसे बड़ी पुत्री थी, जिसे अन्य नाम शहजादा खानम नाम से भी जाना जाता था। इसकी माता का नाम बीबी सलीमा था जो के अकबर की उपपत्नियो में से एक थी। इसका विवाह उम्र के पच्चिसवे साल में मुजफ्फर हुसैन सफावी से हुआ था।

इसके अलावा मेहेरुनिस्सा और माही बेगम ये अकबर की दो पुत्रिया थी, इस तरह अकबर के वंशावली का वर्णन ‘अकबरनामा’ और ‘आइन-इ- अकबरी’ इत्यादी ऐतेहासिक दस्तावेजो से उपलब्ध होता है। जिसमे अकबर के कुछ उपपत्नियो के नाम और उनकी संतानों के बारे में जानकारी दी गई है।

इस विषय पर अधिकतर बार पूछे गये सवाल- Quiz Questions on Akbar

१. अकबर कौनसे वंश का शासक था?

जवाब: मुग़ल वंश।

२. अकबर के पिता का नाम क्या था?

जवाब: हुमायु।

३. आयु के कौनसे साल में अकबर ने मुग़ल सत्ता की गद्दी संभाली?

जवाब: १३ वे साल में।

४. अकबर को किसने राजनैतिक शिक्षा का ज्ञान दिया?

जवाब: बैरम खान ने।

५. अकबर की प्रमुख रानी कौन थी, वह किसकी पुत्री थी?

जवाब: अकबर की प्रमुख पत्नी रानी जोधाबाई थी, जो के राजपूत राजा भारमल की पुत्री थी।

६. अकबर के किस पुत्र को मुग़ल सत्ता की गद्दी सौपी गई?

जवाब: शहजादा सलीम यानि के जहाँगीर को।

७. अकबर की मृत्यु किस वजह से हुई थी? (How did Akbar Died?)

जवाब: पेचिश नामक बीमारी के कारण अकबर की मृत्यु हुई थी।

८. अकबर को कितने पुत्र एवं पुत्रिया थी?

जवाब: अकबर को पाच पुत्र एवं पाच पुत्रिया थी।

९. अकबर की जीवनी किस नामसे प्रसिद्ध है?

जवाब: ‘अकबरनामा’ नाम से अकबर की जीवनी प्रसिद्ध है जो के प्रसिध्द पर्सियन और अरबी लेखक अबुल फजल ने अकबर के जिवन पे लिखी है।

१०. अकबर और महाराणा प्रताप के बिच हुई लड़ाई किस नाम से प्रसिद्ध है?

जवाब: हल्दीघाटी की लड़ाई या हल्दीघाटी का युध्द।

243 thoughts on “मुग़ल साम्राज्य का सबसे बहादुर और शांतिप्रिय राजा जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर की कहानी”

  1. Jeetrajshinh rajput rathod

    Akbar ek bahut bura admi tha usne apne bete salim ki premika ko deewar me chunva diya tha jab ki prithviraj chauhan aur maharana pratap jaise veer putro ki vajah se bharat desh ka naam roshan he baki akbar or sare mughal to videshi lutere he jo hamare sone ki chidiya jaise desh ko lutne aye the. prithviraj chuhan ke vakt me ek bhi mughal ya muslim desh me ghusne ki himmat bhi nhi karte the akbar to sala fattu he hamesha sainiko dhavara ya kayro ki tarah piche se hi humla krta he napunsak kabhi face to face ladta to pata chalta kon he veer aur kon napunsak.

  2. Is dharti ke laal they to wo sirf The great “Maharana Pratap Singh Sisodiya” they aur Shri Gurugovind Singh Ji they jinhone apna sabkuchh nyochhawar kar diya tha hamare liye, in ke alawa aur kisi ko mai great nahi manta.
    Akbar ke nawratno dwara badha chadha kar gungaan karke likhi gai kahaniya inhen mahan kahlwa rahin hai. Mugal to videshi they to ham inhen behad apna bata kar kya misal dena chahte hain.
    Akbar ek Bada samraat tha lekin uska itna gungaan hazam nahi horaha,jaiseki uske alawa Koi mahaan hi nahin tha desh me.
    “Jai hind “

    1. Haan tmlog to isme bhi Muslim Hindu kroge mughal rajao n kitni khubsurat khubsurt imart bnai h Jo k aaj India ki pahchan h

    2. to kushwah
      o bhai akbar was a muslim. aur akbar bharat ka muslim nahi tha jo kamjor tha wah turkey ka muslim tha
      jiske samne koi bhi bharat ka raja tik nahi paata tha akbar ek kushal aur bahadur aur ekta par bal dene wala shashak tha

      aur rahi baat shivaji ki to ye wo hi shashak hai jinhone khud hinduo se sardeshmukhi kar ke roop me poori income ka 17/20 bhaag kar liya tha. jis se praja me bahud dukh tha bhai baat karte hai….

      aap rana pratap shivaji ki tulna mughal samrajya se nahi kar sakte. mughal samrajya vishal shshaqt taqatwar aur poore bharat me phela tha . jabki shivaji kewal maharashtra ke shivner ,poone me aur rana pratap mewad me the.

      bhai kisi ne kuchh bada chada ke nahi likha hai baat yahi sach hai ki mughal samrajya vishal tha aur shivaji rana pratap ki koi tulna akbar se nahi kar sakta akbar in jaise 20 ke barabar tha

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