Aga Khan Palace – आगा खान पैलेस का निर्माण सुल्तान मुहम्मद शाह आगा खान तृतीय ने भारत के पुणे में करवाया था। इसका निर्माण 1892 में हुआ और यह भारतीय इतिहास की विशालकाय इमारतो में से एक है।
आगा खान पैलेस एक राजसी ईमारत और भारत के महानतम चमत्कारों में से एक है। इस पैलेस का निर्माण सुल्तान ने चैरिटी के लिए किया था, जहाँ पुणे और उसके आस-पास के क्षेत्रो में रहने वाले गरीबो की सहायता की जाती थी।
आगा खान पैलेस उर्फ़ गाँधी स्मारक – Aga Khan Palace Pune
एतिहासिक रूप से भी इस पैलेस का बहुत महत्त्व है। भारत छोडो अभियान के समय महात्मा गांधी, उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी और उनके सेक्रेटरी महादेव देसाई को पैलेस में 9 अगस्त 1942 से 6 मई 1944 तक कैद करके रखा गया था। कैद की अवधि के दौरान ही कस्तूरबा गांधी और महादेव देसाई की मृत्यु हो चुकी थी।
महल के पास ही में हमें उनकी समाधी भी दिखाई देती है। महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी के स्मारक चिन्ह भी हमें महल परिसर के पास वाली मुला नदी में दिखाई देते है।
1969 में आगा खान पैलेस को आगा खान चतुर्थ ने गांधीजी और उनके विचारो का सम्मान करते हुए भारतीय लोगो को दान कर दिया था। वर्तमान में यह पैलेस एक गाँधी स्मारक के नाम से भी जाना जाता है, जहाँ उनकी अस्थियो को भी रखा गया है।
1974 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी पैलेस के दर्शन के लिए आयी थी और उन्होंने पैलेस की देखभाल के लिए हर साल 2,00,000 रुपये देने का भी वादा किया।
1990 तक यही बढ़कर 1 मिलियन हो गयी। इसके बाद भारत की राष्ट्रिय धरोहर को पैसो की कमी की वजह से कुछ सालो तक अनदेखा किया गया। फिर जब 1999 में पुणे स्टेशन के पास महात्मा गांधी के स्टेचू का विरोध किया गया तभी इस राष्ट्रिय धरोहर की परिस्थिति में कुछ सुधार आया।
2003 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) ने इस जगह को राष्ट्रिय एतिहासिक धरोहर घोषित किया था।
पैलेस से जुडी हुई संगठित गतिविधियाँ:
गाँधी मेमोरियल सोसाइटी हर साल निम्न कार्यक्रमों का आयोजन पैलेस में करती है:
- गणतंत्र दिवस – 26 जनवरी
- शहीद दिवस – 30 जनवरी
- महाशिवरात्रि – कस्तूरबा गांधी मृत्यु दिवस उर्फ़ मदर्स डे
- स्वतंत्रता दिवस – 15 अगस्त
- महात्मा गाँधी जन्म एनिवर्सरी – 2 अक्टूबर
इसके साथ-साथ दशको से यहाँ रोज प्रातःकालीन प्रार्थना का आयोजन समाधी के पास किया जाता है। हर दिन इस प्रार्थना में बहुत से लोग भाग लेते है और साथ ही 2 अक्टूबर के दिन हजारो लोग इस पैलेस को देखने के लिए आते है।
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