एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एक ऐसा विषय है जिसके बारे में आजकल के युवाओं की रूचि बहुत अधिक पाई जाती है। वास्तव में खुले आकाश में उड़ते हुये हवाई जहाजों को देखकर किसी भी विद्यार्थी को स्वाभाविक रूप से जिज्ञासा हो जाती है, कि काश वह भी इन विमानों से अपना संबंध जोड़ पाता।
वास्तव में वैमानिकी व विमान से संबंधित इंजीनियरिंग एक बहुत ही आकर्षक विषय है लेकिन इसमें प्रवेश पाना इतना सरल नहीं है जितना दिखता है। किन्तु यदि आप होनहार है, मेहनती है तथा प्रतिस्पर्धा में सफलता पाने की क्षमता रखते है तो फिर इस क्षेत्र में आपको अधिक समस्या नहीं होगी।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में करियर कैसे बनाए | Aeronautical Engineering
इस आर्टिकल में हम लोग ये देखने वाले है कि एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में कैसे आप अपना करियर बना सकते है। हम कुछ पॉइंट्स को यहापर डिस्कस करने की कोशिश करेंगे, जैसे एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग क्या होती है, कौनसे कॉलेजेस है एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के लिए, और कैसे प्रवेश ले सकते है।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग क्या है?
सबसे पहले, जो लोग एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के बारे में अच्छे से नहीं जानते, उनके लिए एकदम शोर्ट में हम बता देते है कि एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग होती क्या है?
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग ऐसी ब्रांच है, जिसमे छात्रों को एयरक्राफ्ट डिजाईन, ऑपरेशन और डेवलपमेंट के बारे में पढ़ाया जाता है। एक एयरोनॉटिकल इंजिनियर बनने के बाद छात्र एयरक्राफ्ट से जुड़े डिजाईन एंड डेवलपमेंट से रिलेटेड काम कर सकते है। और इसमें एयरप्लेन, ड्रोन, हेलिकॉप्टर, मिसाइल्स, आदि का समावेश है।
अगर आपको भी एयरक्राफ्ट से सम्बंधित काम करने में इंटरेस्ट है, तो एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग आपके ही लिए है, क्योकि ये सीखना और करना इतना आसान नहीं है, इसके लिए बहुत इंटरेस्ट, और जज्बा चाहिए।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर लाइसेंस(AME License)
वैमानिकी में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग तथा एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स लाइसेंस (AME License) दो अलग-अलग क्षेत्र हैं और इन्हें प्राप्त करने के तरीके भी बिल्कुल अलग हैं।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में वैसे हवाई जहाज, रॉकेट, स्पेसक्राफ्ट और मिसाइल आदि के निर्माण, डिजाइन, डेवलपमेंट आदि के रिलेशन में होता है। यह हाई टेक्नोलॉजी वाला विषय है तथा इसके अंतर्गत बी.टेक, एम.टेक तथा पीएचडी आदि तक की जा सकती है।
दूसरी तरफ एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स लाइसेंस एक प्रकार का लाइसेंस होता है जो भारत सरकार के महानिदेशक, डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) द्वारा प्रदान किया जाता है।
डी.जी.सी.ए. द्वारा इस लाइसेंस को प्राप्त कर लेने के बाद ही किसी व्यक्ति को किसी विमान, विमान के इंजन या विमानों में लगे हुये कंपोनेंट्स को प्रमाणित करने की अनुमति दी जाती है।
दूसरे शब्दों में कहे तो, कोई विमान तब तक उड़ान पर नहीं जा सकता है जब तक एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर पूरी चेकिंग करके उससे संबंधित कागजों पर अपने हस्ताक्षर न कर दे।
विमानों में खराबी आने पर उसकी मरम्मत, कल-पुर्जों, इंजनों आदि को बदलने की जिम्मेदारी भी एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर की ही होती है।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग व एयरोस्पेस इंजीनियरिंग – Aeronautical Engineer And Aerospace Engineering
अब आप एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के बारे में तो जानते है, पर एयरोस्पेस इंजीनियरिंग भी एक अच्छी फील्ड है, जो एयरक्राफ्ट के साथ साथ स्पेसक्राफ्ट के भी सम्बन्ध में है। तो आप अगर स्पेसक्राफ्ट से सम्बंधित काम करने में दिलचस्पी रखते है, तो आप एयरोस्पेस इंजीनियरिंग भी कर सकते है।
भारत में ऐसे कई कॉलेजेस है, जहा पर आपको एयरोनॉटिकल या एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के कोर्स मिल जाते है, और आप वहा से अपनी डिग्री प्राप्त कर अपने करियर में आगे बढ़ सकते है। यहापर हम कुछ इंस्टिट्यूट की लिस्ट प्रोवाइड करते है, जो इंस्टिट्यूट में आप बड़े ही आसानी से एयरोनॉटिकल या एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के कोर्सेस कर सकते है।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), मद्रास
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), कानपुर
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), मुंबई
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), खड़गपुर
- Amity यूनिवर्सिटी
- SRM यूनिवर्सिटी चेन्नई
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी, शिबपुर
- पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़
- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी
- मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, चेन्नई
- मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मणिपाल
- दयानंद सागर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग बैंगलोर
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, त्रिवेंद्रम
तो आप देख सकते है, कि कई सारे अच्छे अच्छे कॉलेजेस है जो एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, या एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कर सकते है, और आगे बढ़ सकते है।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम 4 वर्षों का होता है तथा PCM (Physics, Chemistry, Maths) से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर इन की प्रवेश परीक्षा, JEE और फिर JEE Advance में शामिल हो होना होगा।
ये परीक्षाएं काफी उच्च स्तर की होती हैं इसलिए काफी मेहनत तथा तैयारी की आवश्यकता होती है। ऊपर बताये गए संस्थानों में बी.टेक के बाद एम.टेक तथा पी.एच.डी. भी की जा सकती है।
एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया – Aeronautical Society Of India
एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया साल में 2 बार एसोसिएट मेम्बरशिप एग्जामिनेशन की परीक्षाएँ आयोजित करती है। इन परीक्षाओं के सेक्शन ‘ए’ तथा ‘बी’ को उतीर्ण करने पर बी.टेक (एयरो) के समान योग्यता मानी जाती है।
इस परीक्षा को पास करने के बाद Union Public Service Commission द्वारा प्रसारित नौकरियों या अन्य सरकारी, अर्धसरकारी नौकरियों में अप्लाई कर सकते हैं।
एयरोनॉटिकल सोसाइटी की परीक्षायें कुछ-कुछ AMIE (एसोसिएट मेम्बर ऑफ द इंस्टिट्यूट ऑफ इंजिनीयर्स) की परीक्षाओं जैसी होती हैं, जिसमें सेक्शन ‘A’ और ‘B’ में दस-दस पेपर शामिल होते हैं।
ये पेपर गणित, विज्ञान, इंजीनियरिंग तथा एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के अलग-अलग विषयों संबंधित होते हैं। प्रतिवर्ष औसतन 40 से 50 लोग इस परीक्षा को पास करते हैं।
एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की परीक्षाओं में एलिजिबल होने के लिए आपको ग्रेजुएट होना जरूरी है, या एग्जामिनेशन देना जरूरी है. वैसे आप तब भी एलिजिबल हो सकते है, अगर आप एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग(या किसी और सिमिलर ब्रांच) में UG या PG कोर्स कर चुके है।
एयरोनॉटिकल सोसाइटी से सम्बन्धित जानकारी वेबसाइट पर भी देखी जा सकती है – www.aerosocietyindia.co.in
एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर लाइसेंस – Aircraft Maintenance Engineer License
हवाई जहाजों की मेंटेनेंस और इंस्पेक्शन के लिए डी.जी.सी.ए. द्वारा जारी किया गया ए.एम.ई. का लाइसेंस होना आवश्यक है।
यहाँ तक कि यदि कोई बी.टेक (एयरोस्पेस) डिग्री होल्डर भी विमान की रिपेयर, मेंटेनन्स और इंस्पेक्शन का कार्य करना चाहता है तो उसे भी डी.जी.सी.ए. का AME लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी है। ऐसे इंजीनियरों को एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर या ग्राउंड इंजीनियर कहते हैं।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन(डी.जी.सी.ए.) एक मात्र ऐसी एजेंसी है जो ए.एम.आई लाइसेंस प्रदान कर सकती है।
अब सवाल ये है कि ये AME लाइसेंस कैसे प्राप्त करना है? तो इसके लिए, पहले कैंडिडेट को AMECET परीक्षा देनी होती है, वो क्वालीफाई करके AME इंस्टिट्यूट में एडमिशन लेनी होगी. इस दौरान कोर्स ४ साल का होगा, जिसमे 2 साल पढाई, और आगे 2 साल लाइव ट्रेनिंग होती है. DGCA द्वारा भी कुछ मोड्यूल कवर किये जायेंगे, और इन मोड्यूल्स, और 2 साल की लाइव ट्रेनिंग के बाद आपको DGCA द्वारा लाइसेंस इशू किया जायेगा।
डी.जी.सी.ए. द्वारा प्रदान किये जाने वाला ए.एम.ई. लाइसेन्स हालांकि बहुत कठिनाई तथा कई वर्षों की मेहनत के बाद प्राप्त होता है, लेकिन इस लाइसेंस का बहुत महत्व है। आप चाहे दुनिया में कही भी एयरक्राफ्ट मेंटेनन्स इंजिनियर बनना चाहते है, तो आपको इस लाइसेंस की आवश्यकता होगी ही।
इस लाइसेंस को प्राप्त किये हुये लोगों की हवाई कंपनियों आदि में आसानी से नौकरी मिल जाती है तथा उनका वेतन आदि भी बहुत होता है।
डी.जी.सी.ए. द्वारा मान्यता प्राप्त प्राइवेट संस्थान – Directorate General Of Civil Aviation (DGCA)
डी.जी.सी.ए. ने देश के अनेक प्राइवेट संस्थानों को मान्यता प्रदान कर रखी है जिसके आधार पर वे ए.एम.ई. लाइसेंस की परीक्षाओं के लिए संपूर्ण प्रशिक्षण (लिखित, मौखिक तथा प्रायोगिक) प्रदान कर सकते हैं।
इन सभी संस्थानों के पास प्रशिक्षण के लिए छोटे विमान (वास्तविक वायुयान) तथा इंजन आदि उपलब्ध रहते हैं, जिनका होना डी.जी.सी.ए. मान्यता के लिए आवश्यक है। विस्तृत जानकारी के लिए डी.जी.सी.ए. की वेबसाइट देखें – https://www.dgca.gov.in/digigov-portal/
ये संस्थान एक प्रकार से कोचिंग प्रदान करने वाले इंस्टीट्यूट होते हैं जो प्रशिक्षणार्थियों को एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से सम्बन्धित विषयों का प्रशिक्षण देते हैं जो तीन से चार वर्षों तक चलता है।
इस प्रशिक्षण के आधार पर प्रशिक्षार्थी एयरोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं या फिर ए.एम.ई. लाइसेंस की परीक्षाओं में भाग ले सकते हैं।
- डी.जी.सी.ए. द्वारा मान्यता प्राप्त कुछ प्राइवेट संस्थानों की सूची –
- स्टार एविएशन अकादमी, गुडगाँव
- JRN इंस्टिट्यूट ऑफ़ एविएशन टेक्नोलॉजी, नयी दिल्ली
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग, सोनेपत, हरयाणा
- स्कूल ऑफ़ एरोनॉटिक्स, नीमराना, राजस्थान
- स्कूल ऑफ़ एयरक्राफ्ट मेंटेनन्स इंजीनियरिंग, ग्रेटर नॉएडा
- इन्द्रप्रस्थ इंस्टिट्यूट ऑफ़ एरोनॉटिक्स
- स्कूल ऑफ़ एरोनॉटिक्स, द्वारका, नयी दिल्ली
- पंजाब एयरक्राफ्ट मेंटेनन्स इंजीनियरिंग कॉलेज, पटियाला
- एयरोनॉटिकल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, लखनऊ
- पवन हंस लिमिटेड, नयी दिल्ली
- इंस्टिट्यूट ऑफ़ एयरक्राफ्ट मेंटेनन्स इंजीनियरिंग गोरखपुर
और ऐसे कई कॉलेजेस है, जो DGCA द्वारा मान्यता प्राप्त है. आप इनके बारे में सर्च कर सकते है, और उस हिसाब से तैयारी कर सकते है.
एयरोनॉटिक्स के क्षेत्र में जाने के लिए अन्य डिग्रियां – Aeronautical Engineering Information
लोगों के दिमाग में एक बड़ी गलतफहमी होती है कि एविएशन के क्षेत्र में प्रवेश के लिए केवल एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करना आवश्यक है। लेकिन यह बिल्कुल ही गलत है।
वास्तव में मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की भी डिग्री के आधार पर भी एयरलाइन या एयरोनॉटिक्स से सम्बन्धित क्षेत्रों में नौकरी प्राप्त की जा सकती है।
पता करने पर आपको मालूम होगा कि विभिन्न एयरलाइनों के अनेक ए.एम.ई. लाइसेंस होल्डर तथा ग्रेजुएट इंजीनियर एयरोनॉटिकल इंजीनियर न हो कर मैकेनिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स आदि ब्रांचों के हैं। ये लोग एक बार नौकरी में प्रवेश पा लेने के बाद एयरोनॉटिकल सोसायटी की परीक्षायें उत्तीर्ण करने या डी.जी.सी.ए. लाइसेंस लेने का प्रयास करते हैं।
वैसे यहां यह बताना भी जरूरी है कि एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग तथा वैमानिकी के क्षेत्र में प्रवेश का एक और बड़ा विकल्प भारतीय वायु सेना है।
इस प्रकार यदि किसी का सिलेक्शन विभिन्न प्रतियोगिताओं तथा सिलेक्शन क्राइटेरिया के हिसाब से भारतीय वायु सेना में (विशेष रूप से तकनीकी शाखा में) हो जाता है तो वह भी इस क्षेत्र में किसी न किसी रूप में आ सकता है।
एयरोनॉटिकल इंजीनियर की सैलरी – Aeronautical Engineering Salary in India
एयरोनॉटिकल इंजीनियर भारत में की सैलरी बाकि किसी फिल्ड से काफी अच्छी होती हैं, जैसे की हम सभी जानते हैं की गवर्नमेंट इंजीनियर की सैलरी सिमित होती हैं वही प्रायवेट में इंजीनियर की सैलरी सिमित नहीं होती। हम आपको बता दे की गवर्नमेंट इंजीनियर की सैलरी लगभग 30,000 /- से लेकर 60,000/- तक और प्रायवेट इंजीनियर की सैलरी लगभग 1,00,000 /- से 2,00,000/- प्रतिमाह तक भी हो सकती है यानी प्रति वर्ष 12-15 लाख रुपये के बीच औसत सैलरी अर्जित कर सकते है।
तो आप एयरोनॉटिकल इंजिनियर बनने के बाद, आप मेंटेनन्स इंजिनियर के तौर पर काम कर सकते है, और कई गवर्नमेंट संस्था के लिए, या प्राइवेट कंपनियों के लिए काम कर सकते है. आप के काम के जरूरत के अनुसार, आपको एक एयरोनॉटिकल इंजिनियर के तौर पर अच्छी सैलरी मिल सकती है।
तो यहाँ पर हमने समझा है कि आप एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अपना करियर कैसे कर सकते है। वैसे ये आसान नहीं है, पर मुश्किल भी नहीं है, बस ये आपके जज्बे और जूनून पर डिपेंड करता है, पर आप ये जरूर कर सकते है, और एक बार एयरोनॉटिकल इंजिनियर बनने के बाद आपके पास कई सारे मौके हो सकते है।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में करियर कैसे बनाए, इसपर पूछे जाने वाले सवाल – FAQ about Aeronautical Engineering
उत्तर: हां, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एक अच्छा करियर विकल्प हो सकता है, जिसमे आगे बढ़ने के आपको बहुत सारे मौके मिल सकते है।
उत्तर: आप एयरोनॉटिकल इंजिनियर, या एयरोस्पेस इंजिनियर बन सकते है, और उसके लिए आपको किसी मान्यता प्राप्त इंस्टिट्यूट से डिग्री प्राप्त करनी होती है, और ट्रेनिंग करनी होती है, ताकि आप सफलतापूर्वक आगे बढ़ सके।
उत्तर: एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के बाद आपको कई मौके मिल सकते है, और आपको ७ लाख रुपये सालाना इनकम मिल सकती है।
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग पर जानकारी देने के लिए धन्यवाद। इस पोस्ट ने मेरे बहुत से doubts दूर कर दिये.