Gangster Abdul Latif
साल 2017 में एक फिल्म आई “रईस” जिसमे शाहरुख़ खान अभिनेता थे और उन्होंने एक डॉन का रोल किया था। इस फिल्म को देखकर एक शक्स सामने आया और उसने कहा की उसे फिल्म डायरेक्टर से 101 करोड़ रुपये का मुआवजा चहिये और इस बात ने जोर पकड़ ली। पूछे जाने पर उसने कहा की ये फिल्म उनके पिता के नाम पर बनी है जो ऐसे थे ही नहीं।
इस बेटे का नाम था मुश्ताक अहमद (Abdul Latif Son)और उस शख्स का नाम था अब्दुल लतीफ़ – Abdul Latif जिसकी ये कहानी है। गुजरात की झोपड़ पट्टी से उठकर एक शख्स रिक्शा चलाने लगा और फिर बन गया सबसे बड़ा डॉन।
कहानी उस शक्स की जो रिक्शा चलाते चलाते गुजरात का डॉन बन गया – Gangster Abdul Latif
अब्दुल लतीफ़ बायोग्राफी – Abdul Latif Biography
24 अक्टूबर 1951 को लतीफ़ का जन्म हुआ अहमदाबाद की एक मुस्लिम बस्ती कालूपुर में जहाँ वो अपने परिवार के साथ रहता था। बचपन गरीबी और तंगी में बीता और लतीफ़ का मन पढ़ाई में ज्यादा नहीं लगता था।
सत्तर के शुरुआती दशक में बीस साल के लतीफ़ की शादी हो गई और परिवार का खर्चा चलाने के लिए उसने रिक्शा चलाना शुरू कर दिया। पैसे कम पड़ते थे इसीलिए लतीफ़ ने घर के पास ही चल रहे एक जुए के अड्डे में जाना शुरू कर दिया लेकिन वहां हारने भी लगा और फिर तंगी और अधिक बढ़ गई।
इसके बाद उनसे मंजूर अली नाम के शख्स से हाथ मिलाया और उसके जुए के अड्डो का सुपरवाइजर बन गया लेकिन मन वहां अधिक दिन लगा नहीं तो शराब बेचने के धंधे में आ गया। आज के जैसे गुजरात में उस समय भी शराब पर बैन था और राजस्थान से मगाई जाती थी और महगे दामो में यहाँ बिकती थी।
इसके बाद लतीफ़ लगातार शराब मगाता और बेचता और इसमें लगभग एक ट्रक में पंद्रह हजार रुपये मिला करते थे। धीरे धीरे लतीफ़ ने धंधे को बढाया और उसके नाम कई सारे मुक़दमे भी दर्ज होने लगे और उसका धंधा भी बढ़ता गया।
दाऊद इब्राहिम के साथ दुश्मनी-
ये किस्सा आम है की लतीफ़ को दाऊद का साथ मिला लेकिन उससे पहले ये दोनों दुश्मन हुआ करते थे। लतीफ़ ने मुंबई से भागे दो ऐसे लोगो को पनाह दी जिहोने दाऊद के भाई की ह्त्या की थी। साल 1983 में दाऊद इब्राहिम और उसके गुट में मुठभेड़ हुई जिसमे दाऊद घायल भी हुआ और उसे पकड़ भी लिया गया।
उसे पकड़कर साबरमती जेल में रखा गया लेकिन लतीफ़ ने अभी भी दाऊद को मारने का सपना नहीं छोड़ा था। इसके बाद दाऊद को पेशी के लिए बडौदा कोर्ट लाया जाता था तो रास्ते में लतीफ़ ने अपने गैंग के साथ उसपर हमला किया जिसमे दाऊद जान बचाकर भागा।
इसके बाद दाऊद और लतीफ़ के गैंग में आपसी वार चलता रहा। कभी दाऊद के आदमी डेविड ने लतीफ़ के आदमी अमीरजादा को मुंबई में मारा तो कभी लतीफ़ ने डेविड को मारकर उसका बदला ले लिया। अब उसका आतंक बढ़ता जा रहा था और वो गुजरात का दाऊद इब्राहिम बनने का सपना पाले बैठा था।
वह लोगो की मदत बहुत करता था। गरीबो को सालभर का राशन, उनकी बेटी की शादी जैसे काम। कहते है की अपने एक सहयोगी की शादी में ख़ुशी के चलते उसने एके-47 से 150 राउंड फायरिंग करवाई थी।
इसके बाद 1985 में उसके ऊपर आर्म्स एक्ट के कई सारे मुकदमे लगे और वो जेल में चला गया लेकिन जेल में रहते ही उसने निकाय चुनाव लड़ा और जीत गया जिससे उसका दबदबा और अधिक बढ़ गया। इसके बाद उसने देश के सबसे बड़े वकील राम जेठमलानी को अपना केस लड़ने को कहा और सुप्रीम कोर्ट से छूटकर बाहर आ गया।
दाऊद से दोस्ती-
उसके छूटने के बाद दाऊद भी उसका लोहा मानने लगा और उसे लतीफ़ को दुबई बुलवाया और ये साल था 1989 का। इस दौरान दाऊद और लतीफ़ में सुलह हुई और कसम खाई गई एक साथ काम करने की। बीच में एक मौलाना कुरआन लेकर खड़ा था और अगल बगल दोनों वो शख्स जो कभी एक दूसरे को मारने के लिए हमले करवाते थे आज दोस्त हो गए थे। दाऊद ने लतीफ़ को सोने की तस्करी करने की सलाह दी। लतीफ़ ने ये काम गुजरात के दो गैंग्स के साथ मिलकर करना शुरू कर दिया और फिर बीच में कुछ और भी गैंगवार हुए।
राधिका जिमखाना केस – Radhika Gymkhana Murder Case
इसके बारे में आप इन्टरनेट करेगे तो कई सारी न्यूज़ कवरेज मिल जाएगी। देश का सबसे चर्चित हत्याकांड जिसमे पहले बार लतीफ़ की मुश्किलें बढी। एक शक्स था हंसराज त्रिवेदी जो गुजरात में अवैध शराब का धंधा करता था।
कहते है की लतीफ़ ने कहा की वो उससे शराब खरीदे लेकिन वो नहीं माना इसीलिए लतीफ़ से उसकी दुश्मनी हो गई और ये भी कहा जाता है की उसने लतीफ़ लतीफ़ के दुशमन को शरण दी थी। अब लतीफ़ त्रिवेदी को मरवाना चाहता था।
एक दिन उसे भनक लगी की त्रिवेदी अहमदाबाद के औढब इलाके में अपने लोगो के साथ राधिका जिमखाना में ताश खेल रहा है। लतीफ़ ने अपना शूटर भेजा उसे मारने के लिए लेकिन जब शूटर वहां गया तो वो त्रिवेदी को नहीं जनता था और वहां नौ लोग बैठे हुए थे।
शूटर ने लतीफ़ को फोन किया और बताया तो उसने कहा की सबको मार दे क्योकि वो ऐसा मौका नहीं छोड़ना चाहता है। शूटर ने सबको उड़ा दिया और ये केस लतीफ़ की गले की फांस गया और अगले दिन देशभर के अखबारों ने इसे पहले पन्ने में जगह दी।
नेता रउफ की ह्त्या –
राधिका जिमखाना केस के बाद लतीफ़ भागता रहा और भागते भागते गुजरात युवक कांग्रेस के अध्यक्ष हसन लाला के पास पंहुचा और मदत मागी लेकिन लाला ने कह दिया की जब तक रउफ वलीउल्लाह है तब तक वो कुछ नहीं कर सकता है।
वलीउल्लाह पूर्व राज्यसभा सदस्य थे और लगातार चिमनभाई पटेल पर दवाब बनाये थे की राधिका जिमखाना केस के लोगो को पकड़ा जाए। उन्होंने तो ये तक कह दिया की चिमनभाई ही उन लोगो को पाल रहे है। अब लतीफ़ ने इन्हें रास्ते से हटाने का इरादा किया। लतीफ़ दुबई भाग गया और अपने गुर्गे रसूल पट्टी को हुकम दिया की वलीउल्लाह को मार दिया जाय।
दिन था 9 अक्टूबर 1992 का और खबर मिली की वलीउल्लाह अहमदाबाद के टाउन हाल के पास एक फोटोकॉपी की दुकान के खड़े है और उन्हें मार दिया गया। इस घटना से पूरे देश में हंगामा मच गया और मामला इतने बड़े नेता की ह्त्या का था तो इसका जांच सीबीआई को दे दी गई।
मुंबई धमाको में अब्दुल लतीफ़ का नाम- Mumbai blast
इसके बाद साल 1993 में मुंबई में बम धमाके हुए जिसमे केवल सामने दाऊद का नाम आया लेकिन इस हमले का प्लान लतीफ़ ने बनाया था और इसमें शामिल था टाइगर मेनन। लतीफ़ ने ही उन लोगो को सभी सामान दिलवाए थे जो ये हमला करने वाले थे। इस हमले के बाद लतीफ़ और दाऊद ने खूब जश्न मनाया और एक दूसरे को बधाई दी।
अब्दुल लतीफ़ का अंत- Abdul Latif Death
इसके बाद लतीफ़ की मुश्किलें बढ़ी और कई बार उसने भारत आने की कोशिश की लेकिन एक बाद जॉइंट ऑपरेशन में पकड़ा गया। इसके बाद 28 नवम्बर साल 1997 को उसका एनकाउंटर (Latif Don Encounter )कर दिया गया।
रॉबिनहुड – Robin Hood
उसे लोग रॉबिनहुड कहते थे। गरीबो को खूब सहारा देता था लेकिन था क्रिमिनल। ये थी अब्दुल लतीफ़ यानि रईस की रिअल स्टोरी (Raees Real Story) । शाहरुख़ खान की फिल्म रईस को इसी कहानी से प्रेरित बताया जाता है और उस समय इस कहानी की चर्चा भी बहुत हुई थी।
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Amresh ji great article