आपदा प्रबंधन पर निबंध – Essay on Disaster Management in Hindi

Aapda Prabandhan par Nibandh

अक्सर स्कूलों में या काई कार्यक्रमों में आपदा प्रबंधन (Aapda Prabandhan) को लेकर जागरुक करने के उद्देश्य से बच्चों को आपदा प्रबंधन पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए इस लेख में हम आपको आपदा प्रबंधन पर निबंध (Essay on Disaster Management) उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसे चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं।

Aapda Prabandhan par Nibandh
Aapda Prabandhan par Nibandh

आपदा प्रबंधन पर निबंध – Aapda Prabandhan par Nibandh

प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन सही समय पर उचित कदम उठाए जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है और इससे होने वाली भारी त्रासदी को रोका जा सकता है। प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए आपदा प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

आपदा का अर्थ – Meaning of Disaster

अचानक होने वाली भयावह और विध्वंशकारी घटना जिससे बड़े स्तर पर भौतिक क्षति होती है, और भारी जान-माल का नुकसान होता है।

अर्थात आपदा से तात्पर्य किसी क्षेत्र में हुई उन गंभीर घटनाओं से है, जो या तो मानव निर्मित कारणों से घटित होती हैं या फिर प्राकृतिक कारणों से घटित होती हैं, और जिन घटनाओं से बहुत बड़ी मात्रा में मानव जीवन को नुकसान पहुंचता है, मानव पीड़ित होता है और करोड़ों-अरबों की संपत्ति का नुकसान होता है, साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है और जिन्हें प्रभावित समुदाय द्धारा तत्काल प्रभाव से नहीं रोका जा सकता है।

आपदा प्रबंधन क्या होता है – What is Disaster Management

समुद्री तूफान, बाढ़, सूखा, भूस्खलन, भूकंप, सुनामी, चक्रवात, जंगलों में आग लगना बादल फटने जैसी तमाम प्राकृतिक घटनाएं। या फिर आग लगना, पुल टूटना, सड़क दुर्घटनाएं, रासायनिक आपदा, परमाणु हमला, भवनों का ढहना जैसी तमाम मानव निर्मित आपदाएं।

जिनकी वजह से जान – माल का काफी नुकसान होता है और पर्यावरण प्रदूषित होता है। इस तरह की आपदाओं का पूर्वानुमान कर इन आपदाओं के प्रभाव को कम करने को और उनसे बचने के उपाय को, ही आपदा प्रबंधन कहते हैं। आपदा प्रबंधन के लिए सामूहिक प्रयासों की जरुरत होती है।

आपदा प्रबंधन के लिए आपसी समन्वय, नुकसान का तुरंत मूल्यांकन करने, आदेश और नियंत्रण, टेली संचार, परिवहन, खोज और बचाव, चिकित्सा, पैरा मेडिकल टीमों, पेयजल एवं खाद्य सामग्री अथवा भोजन की उचित व्यवस्था, बिजली बहाल करना, संसाधनों का निर्माण,और कानून और व्यवस्था का रखरखाव जैसी गतिविधियां शामिल होती हैं।

वहीं किसी भी आपदा के समय इन सभी चीजों का प्रबंधन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। आपको बता दें कि आपदा प्रबंधन के तहत किसी आपदा की चेतावनी को लेकर की गई तैयारी और आपदा के बाद पीड़ित लोगों की मद्द करना और उन्हें खान-पान, सुरक्षित आवास तक पहुंचाना आता है।

इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि किसी भी तरह की आपदा और खतरे की पहचान करना ही आपदा प्रबंधन का पहला काम होता है, इसके बाद इसके प्रभाव को कम करना और लोगों को आगाह करना होता है।

प्राकृतिक आपदाओं के कारण – Causes of Natural Disasters

प्राकृतिक आपदाओं का मुख्य कारण मनुष्य खुद ही है, क्योंकि आजकल मनुष्य अपनी सुख-सुविधाओं और लालच के लिए प्रकृति का जमकर दोहन कर रहे हैं, वनों की अंधाधुंध कटाई, अच्छी फसल के लिए अत्याधिक कीटनाशकों और रसायनों का इस्तेमाल करना मनुष्य की आदत बन चुकी है।

वहीं मनुष्य की आराम के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इलैक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे एसी, कूलर, फ्रिज, कार आदि से ग्लोवल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, इसी वजह से प्रकृति में असंतुलन और विषमता भी देखने को मिल रही है और तापमान बढ़ रहा है।

वहीं आजकल बेमौसम बारिश हो जाती है, या फिर गर्मी और सर्दी के मौसम में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है।

आपदाओं से नुकसान – Effects of Disaster

आपदाएं चाहे प्राकृतिक हों या फिर मानव निर्मित हों, यह किसी भी देश की उन्नति के लिए बाधक होती हैं, और उस राष्ट्र को कई साल पीछे धकेल देती हैं। इसके साथ ही इन आपदाओं में न जाने कितने लोगों की जान चली जाती हैं, और करोड़ो रुपए की संपत्ति नष्ट हो जाती हैं।

आपदा प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम – Steps Taken by Indian Government for Disaster Management

भारत सरकार ने प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए और उसके प्रभाव को कम करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। आपको बता दें कि 23 दिसंबर, साल 2005 में भारत सरकार ने “आपदा प्रबंधन अधिनियम” लागू किया था।

इसके साथ ही सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), केन्द्रीय जेल आयोग (सीआरसी), राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनारएससी) समेत कई संगठनों और विभागों की स्थापना की है और दैवीय नाभकीय आपदाओं के लिए NDRF वटालियन का गठन किया।

यही नहीं सरकार ने आपदा क्षेत्र में काम करने के लिए “नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट” की भी स्थापना की है। वहीं मौसम की सही जानकारी के लिए दूर संबेदी उपग्रहों को भी विकसित किया है।

इसके अलावा आपदा प्रबंधन के उपायों के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वहीं किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा की सूचना और अलर्ट करने में युवा संगठनों जैसे NCC, NSS और मीडिया भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

प्राकृतिक आपदाओं से बचने के उपाय – Solution of Disaster Management

  • बाढ़ से खतरे वाले इलाकों के बारे में लोगों की सूचना दी जानी चाहिए, ताकि लोग बाढ़ से बचने के लिए किसी ऊंचे अथवा सुरक्षित स्थानों पर जा सकें।
  • बाढ़ के समय में घर के इलैक्ट्रॉनिक उपकरण पूरी तरह बंद कर देने चाहिए और बिजली का मैन स्विच बंद करना चाहिए ताकि करंट नहीं फैल सके।
  • भूकंप के झटकों का एहसास होते ही तुरंत अपने घर, ऑफिस की बिल्डिंग से बाहर, खुले स्थान पर जाएं। इस दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं करे और भूकंप के समय में कार ड्राइव नहीं करें बल्कि तुरंत ही कार के बाहर निकल जाएं।
  • सूखा जैसी विकराल समस्या से निपटने के लिए जल संरक्षण करना बेहद जरूरी है और खेती के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, और ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने चाहिए।
  • भूस्खलन के खतरे को तभी कम किया जा सकता है, जब ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।
  • हिमस्खलन से बचने के लिए पहाड़ों पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाने चाहिए और ढलानों को काटकर चबूतरा बनाया जाना चाहिए। साथ ही लोहे के तारों का जाल बनाकर भी पहाड़ों पर सड़कों की सुरक्षा की जा सकती है।

निष्कर्ष

प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए और इससे निपटने के लिए सरकार और लोगों को इसके प्रति सतर्क रहने की जरूरत है, इसके साथ ही हम सभी को अपने सुख, सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन करने से बचना चाहिए, ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने चाहिए और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए तभी प्राकृतिक आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

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