रक्षाबंधन की जानकारी – निबंध

Happy Raksha Bandhan Essay And Information in Hindi

भारत, त्योहारों और मेलों का देश है और विविधता में एकता ही इसकी मूल पहचान है, क्योंकि यहां अलग-अलग धर्म, जाति, लिंग, पंथ, संप्रदाय आदि के लोग मिलजुल कर रहते हैं और सभी अपने-अपने रीति-रिवाज, परंपरा और संस्कृति के हिसाब से अपने त्योहारों को मनाते हैं।

यह त्योहार लोगों के बीच आपसी प्रेम संबंधों को बढ़ाने और रिश्ते को और अधिक मजबूती प्रदान करता है। रक्षाबंधन का त्योहार भी भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भाई -बहन के प्यार का प्रतीक है, जिसे मनाने के पीछे कई पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक कथाएं जुड़ी हुईं हैं।

वहीं इस त्योहार के महत्व को आज की युवा पीढ़ी को समझाने और आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने के उद्देश्य से स्कूलों में विद्यार्थियों को इस पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।

इसलिए आज हम इस आर्टिकल में आपको रक्षाबंधन पर अलग-अलग शब्द सीमा में निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं, तो आइए जानते हैं रक्षाबंधन के निबंध (Raksha Bandhan Essay) के बारे में –

Essay on Rakshabandhan
Essay on Rakshabandhan

रक्षाबंधन की जानकारी – निबंध – Raksha Bandhan Essay in Hindi

प्रस्तावना-

राखी का त्योहार (Rakhi ka Tyohar) हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार बहन और भाई के पवित्र रिश्ते और उनके प्यार का प्रतीक है।

जिसमें बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी लंबी उम्र और उनकी तरक्की की कामना करती हैं, तो वहीं भाई इस दिन अपने बहन की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और अधिक मजबूती प्रदान करता है।

राखी का त्योहार कब मनाया जाता है? – Rakhi or Raksha Bandhan Kab Hai

राखी का यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक श्रावण मास की शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। ज्यादातर अगस्त महीने में यह त्योहार पड़ता है। हिन्दू धर्म में श्रावण का महीना काफी शुभ होता है, जिसमें भगवान शिव की पूजा-अर्चना का काफी महत्व है।

कैसे मनाते हैं राखी का त्योहार – How To Celebrate Rakhi

रक्षाबंधन का त्योहार (Raksha Bandhan ka Tyohar) भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और उनके प्रेम का प्रतीक है।  इस त्योहार के दिन बहन अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती हैं और अपने भाई की आरती कर उसका मुंह मीठा करवाती है एवं अपने भाई की लंबी उम्र, उन्नति और खुशहाल जीवन की कामना करती है।

वहीं इसके बाद भाई अपने बहन को उपहार देता है और अपने बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है। वहीं कई राखी बांधने तक कई भाई-बहन कुछ नहीं खाते-पीते हैं, राखी बांधने के समय तक वे व्रत रखते हैं।

रक्षा सूत्र बांधने के बाद ही भाई-बहन और परिवार के सभी सदस्य मिलकर एक साथ भोजन करते हैं। इस दिन तरह-तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं, तो कई लोग रेस्टोरेंट में खाने के लिए भी जाते हैं।

इस त्योहार के दिन नए कपड़े पहनने का भी चलन है। वहीं शादी-शुदा बहनें या फिर जो बहने अपने भाइयों से दूर रहती हैं वो कई दिन पहले से ही इस त्योहार को खास बनाने की तैयारियों में जुट जाती हैं।

बाजारों में भी इस त्योहार की रौनक कई दिनों पहले से ही दिखने लगती हैं। रंग-बिरंगी राखियों से सजी दुकानें, गिफ्ट और मिठाई की दुकानें इस पर्व के दौरान देखते ही बनती है।

जो बहनें राखी के दिन अपने भाईयों के पास नहीं होती हैं, वे पोस्ट के जरिए या फिर ऑनलाइन अपने भाई के पास राखी भेजती हैं। वहीं माॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस जमाने में आजकल दूर रह रहे भाई-बहन वीडियो कॉल से माध्यम से एक-दूसरे से बात करते हैं और ऑनलाइन गिफ्ट भेजकर राखी की बधाई देते हैं एवं अपने बचपन की यादें ताजा करते हैं।

रक्षाबंधन के पर्व पर जरूरी नहीं है कि सिर्फ सगे भाई-बहनें ही एक दूसरे को राखी बांधे, बल्कि इस दिन चचेरे भाई-बहन या फिर वो लोग जो किसी अन्य को अपना भाई-बहन के समान मानते हैं, ऐसे लोग भी इस पवित्र त्योहार के मौके पर राखी बांधकर अपने रिश्ते की डोर को मजबूत करते हैं।

उपसंहार

भाई-बहन के प्रेम के पर्व रक्षाबंधन पर हर तरफ प्यार और सदभाव का माहौल देखने को मिलता है। वहीं इस त्योहार के बहाने भाई-बहन एक-दूसरे के और अधिक करीब आ जाते हैं और यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और अधिक मजबूत करने का पावन पर्व है।

इसके साथ ही इस पर्व पर परिवार के सभी सदस्यों को आपस में समय व्यतीत करने का भी मौका मिलता है।

रक्षाबंधन पर निबंध – Raksha Bandhan Nibandh

प्रस्तावना

हिन्दू धर्म के प्रमुख पर्व रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और अटूट प्रेम का पर्व है। इस दिन हर बहन अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधती है और उसके स्वस्थ जीवन और लंबी उम्र की कामना करती है।

भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है रक्षाबंधन:

जाहिर है कि भाई-बहन के बीच जो प्यार होता है, वो अतुलनीय होता है, भाई-बहन के रिश्ते जैसा दुनिया में कोई और दूजा रिश्ता नहीं होता है। हर भाई-बहन के बीच छोटी-छोटी बातों में कुछ खट्ठी -मीठा नोंकझोंक तो होती रहती है, लेकिन इन तकरारों के बाबजूद भी इस रिश्ते में सबसे ज्यादा प्यार की मिठास घुली रहती है, हर भाई-बहन एक-दूसरे पर अपनी जान छिड़कते हैं।

यह एक ऐसा रिश्ता होता है जिसमें दिन पर दिन प्यार और भी ज्यादा गहराता जाता है। वहीं रक्षाबंधन का पर्व इस रिश्ते को और भी अधिक मजबूती प्रदान करता है।

भाई-बहन का रिश्ता एक दोस्त की तरह होता है, जिसमें अपने मन की बात बेझिझक कही जा सकती है, कुछ बातें ऐसी होती हैं जो माता-पिता से नहीं की जा सकती है, लेकिन भाई-बहनों के साथ शेयर कर मन हल्का हो जाता है। वहीं भाई-बहन एक-दूसरे को बेहद अच्छी तरह समझते हैं और उनकी भावनाओं को जानते हैं।

जिस तरह बड़े भाई अपनी बहन की सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, उसी तरह बड़ी बहनें भी अपने भाईयों का सही मार्गदर्शन करती हैं और हर परिस्थिति में उनका साथ देने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं।

रक्षाबंधन, भाई-बहन के इस पवित्र रिश्ते की डोर को और अधिक मजबूती प्रदान करता है और उनके बीच के प्यार को बढ़ाने का काम करता है। रक्षाबंधन का त्योहार आपसी प्रेम, स्नेह, भाईचारा, सोहार्द, एकजुटता और भरोसे का पावन पर्व है।

रक्षाबंधन का महत्व – Importance Of Raksha Bandhan

रक्षाबंधन का पर्व बेहद खास पर्व है, यह हर भाई-बहन के लिए बेहद महत्वपूर्ण पर्व है। इस पर्व का सभी भाई-बहन पूरे साल भर इंतजार करते हैं। इस त्योहार का महत्व तो शास्त्रों और पुराणों में भी बताया गया है।

भाई-बहन के प्रेम के इस पर्व पर  सदियों से बहन अपने भाई की रक्षा के लिए उनकी कलाई में राखी बांधती आ रही हैं और भाई रक्षासूत्र के महत्व को समझते हुए अपनी बहन की रक्षा कर रहे हैं और अपने दिए हुए वचन को निभाते आ रहे हैं।

श्रावस मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाए जाने वाला यह पर्व न सिर्फ भाई-बहनों के आपसी प्रेम और स्नेह को बढ़ाता है, बल्कि एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध करवाता है।

उपसंहार –

रक्षाबंधन का त्योहार आपसी प्रेम और भाईचारे  को बढ़ाता है साथ ही एक साथ मिलजुल कर रहने का संदेश देता है। राखी के त्योहार से भाई-बहन के रिश्ते को और अधिक मजबूती मिलती है।

राखी पर निबंध – Rakhi Par Nibandh

प्रस्तावना

रक्षाबंधन का त्योहार हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है और उसके सुखी जीवन एंव लंबी उम्र की कामना करती है। तो वहीं भाई, इस दिन अपने बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है।

राखी के त्योहार की शुरुआत और इससे जुड़ी पौराणिक-धार्मिक कथाएं – Raksha Bandhan Story

हमारे भारत देश में सावन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का यह पावन त्योहार सदियों से मनाया जा रहा है। इस त्योहार को मनाने के पीछे कई ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक कथा जुड़ी हुईं हैं। जो कि इस प्रकार हैं-

श्रीकृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी रक्षाबंधन की कथा:

रक्षाबंधन के इस पवित्र त्योहार को मनाने की एक धार्मिक कथा का उल्लेख महाभारत में मिलता है। इस कथा के मुताबिक एक बार जब युधिष्ठर यज्ञ कर रहे थे तभी शिशुपाल द्धारा भगवान श्री कृष्ण को घोर अपमान किया गया, तब श्री कृष्ण ने शिशुपाल को सबक दिखाने के लिए सुदर्शन चक्र से उसका वध करने का निश्चय किया।

वहीं जब भागवन श्री कृष्ण अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध कर रहे थे, तभी गलती से भगवान श्री कृष्ण की उंगली उनके संदुर्शन चक्र में फंस गईं और चोट लगने से  खून निकलने लगा, जिसे देख द्रोपदी दौड़ी-दौड़ी श्री कृष्ण के पास पहुंची और अपनी साड़ी का एक टुकड़ा भगवान श्री कृष्ण की उंगली में बांध दिया।

वहीं द्रौपदी के ऐसा करने से भगवान श्री कृष्ण बेहद खुश हुए और इसके बाद उन्होंने सदैव द्रौपदी की रक्षा करने का वचन दिया। फिर इसके बाद जब कौरवों द्धारा भरी सभा में द्रौपदी का चीर-हरण किया जा रहा था, तब भगवान श्री कृष्ण ने  राखी की लाज रखी और भाई का फर्ज निभाते हुए अपनी बहन द्रौपदी की रक्षा की।

ऐसा कहा जाता है कि जब द्रोपदी ने भगवान श्री कृष्ण की कलाई में साड़ी का पल्लू बांधा था, उस दिन सावन मास की शुक्ल पूर्णिमा थी। तभी से भाई-बहन के पावन पर्व के रुप में यह त्योहार मनाया जाने लगा।

माता लक्ष्मी ने राजा बली की कलाई पर बांधा रक्षा सूत्र:

रक्षाबंधन को मनाने के पीछे माता लक्ष्मी और राजा बलि से भी एक प्राचीन कथा जुड़ी हुई है। अपने दादा प्रह्लाद की तरह ही राजा बलि भगवान विष्णु का बहुत बड़ा उपासक था।

राजा बलि एक महाप्रतापी, महादानी और अपनी प्रजा को अत्याधिक प्रेम करने वाला राजा था, जो कि असुर कुल में पैदा हुआ था और उसने अपनी शक्तियों से अपने असुर सम्राज्य का विस्तार धरतीलोक से लेकर स्वर्गलोक तक कर लिया था।

वहीं एक बार जब राजा महाबली ने अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया तब महाबली की परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु  एक ब्राह्म्ण का रुप धारण  कर उसके पास गए और महादानी राजा बलि से दान में तीन पग भूमि देने के लिए कहा, लेकिन भगवान विष्णु ने अपने दो पग में ही पूरी धरती और आकाश माप लिया।

जिसके बाद राजा बलि समझ गए कि भगवान उनकी परीक्षा ले रहे हैं इसलिए तीसरे पग के लिए राजा बलि ने भगवान का पग अपने सिर पर रखवा लिया और प्रभु से अपने साथ पाताल में चलकर रहने के लिए कहा, जिसके बाद भगवान ने अपने भक्त की बात मान ली और वे बैकुंठ छोड़कर पाताल चले गए।

जिससे माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और फिर उन्होंने अपने प्रभु विष्णु जी को पाताल लोक से बाहर लाने के लिए एक गरीब महिला का वेष धारण किया और सम्राट बलि के पास पहुंची और रक्षासूत्र बांधकर उन्हें अपना भाई बना लिया, जब महाबलि ने कहा कि मेरे पास उपहार देने के लिए कुछ नहीं है तब माता लक्ष्मी ने अपना असली रुप धारण कर लिया और अपने प्रभु विष्णु को बैकुंठ वापस भेजने के लिए कहा, जिसके बाद महाबलि अपनी बहन को  मना नहीं कर पाएं।

वहीं जाते वक्त विष्णु जी ने राजा बलि को वचन दिया कि वह साल में 4 महीने पाताल में ही निवास करेंगे, आपको बता दें कि यह 4 महीने चतुर्मास के रुप में जाने जाते हैं, जो देवश्यनी एकादशी से लेकर देवउठानी एकदशी तक होते हैं।

इस तरह तभी ससे भाई को बांधे जाने वाले इस रक्षा सूत्र का काफी महत्व माने जाने लगा और रक्षाबंधन के इस त्योहार को पूरे देश में मनाया जाने लगा।

उपसंहार

रक्षाबंधन का पावन पर्व पूरे देश में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह त्योहार भाई बहन के रिश्ते को कायम रखने  के लिए मनाया जाता है। इस त्योहार का महत्व शास्त्रों और पुराणों में भी बताया गया है।

राखी पर निबंध – Rakhi Essay in Hindi

प्रस्तावना-

रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की शुक्ल मास की पूर्णिमा को पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भाई – बहन के पवित्र रिश्ते और प्रेम का प्रतीक है। वहीं इतिहास में भी रक्षासूत्र के महत्व को समझते हुए सिंकदर और हुमायूं जैसे बड़े शासकों ने भी राखी की लाज राखी थी।

इतिहास में रक्षाबंधन का महत्व

भाई-बहन के प्रेम के पर्व रक्षाबंधन को मनाने के पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं तो जुड़ी हुई हैं, इसके साथ ही इतिहास में कई ऐसी घटनाएं हुईं जिससे इस पर्व का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। इतिहास से जुड़ी घटनाएं इस प्रकार हैं –

सिंकदर की पत्नी ने राजा पुरु को बनाया अपना भाई:

इतिहासकारों के मुताबिक सिकंदर (अलेक्जेंडर द ग्रेट) ने जब भारत पर आक्रमण किया था, तब उनकी सुरक्षा को लेकर उनकी पत्नी ने हिन्दू राजा पुरु (पोरस) को राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बनाया था और उपहार के तौर पर युद्ध के दौरान अपने पति सिकंदर को नहीं मारने का वचन लिया था, जिसके बाद राजा पोरस ने अपनी बहन की राखी का मर्यादा रखी और बहन को दिए गए वचन का मान रखते हुए सिकंदर को हाथ भी नहीं लगाया और उसे जीवनदान दे दिया था।

मेवाड़ की महारानी कर्णावती ने जब हुमायूं को बनाया अपना भाई:

मेवाड़ की महारानी कर्णावती और मुगल शासक हुमायूं से भी रक्षाबंधन के पर्व की ऐतिहासिक कहानी जुड़ी हुई है। इतिहासकारों के मुताबिक रानी कर्णावती ने बहादुर शाह से अपने सम्राज्य को बचाने के लिए मुगल शासक हुंमायूं को अपना भाई बनाया था।

रानी कर्णावती ने हुंमायूं को रक्षा सूत्र भेजकर उनके राज्य को बचाने और उनकी रक्षा के लिए आग्रह किया था, जिसके बाद हुंमायूं ने मुस्लिम होते हुए भी इस रक्षासूत्र का मान रखा था और रानी कर्णावती के प्राणों की रक्षा की थी। जिसके बाद से रक्षाबंधन के पर्व को मनाया जाने लगा।

रक्षाबंधन पर सैनिकों को राखी और इससे जुड़ी धार्मिक कथा:

रक्षाबंधन के पर्व पर हमारे देश की महिलाएं अपने सैनिकों को देश की रक्षा करने और उनकी हिफाजत करने के लिए शुक्रिया अदा करती हैं और उन्हें अपना भाई मानकर राखी भेजती हैं।

वहीं रक्षाबंधन पर सैनिकों को बांधी जाने वाली राखी के पीछे एक अन्य धार्मिक कथा भी जुड़ी हुई है जिसके मुताबिक एक बार जब महाभारत में युद्ध के दौरान जब युधिष्ठर संकट में फंस गए थे, तब भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठर को अपने सैनिकों को रक्षासूत्र बांधने के लिए कहा जिसके बाद न सिर्फ उनकी सारी मुश्किलें खत्म हो गईं बल्कि वे विजयी भी हुए।

ऐसा कहा जाता है कि युधिष्ठर ने यह रक्षा सूत्र श्रावण मास की पूर्णिमा को बांधा था इसलिए तब से इस दिन देश के सैनिकों को रक्षासूत्र बांधने की परंपरा चली आ रही है। 

उपसंहार

रक्षाबंधन के पर्व पर बहन द्धारा भाई की कलाई पर बांधी जाने वाली राखी अथवा रक्षासूत्र का काफी महत्व होता है,जिसे बांधकर हर बहन अपने भाई की लंबी उम्र और उसके सफल होने की दुआ करती है तो हर भाई अपने बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है।

वहीं त्योहार आपस में प्रेम और भाईचारा बढ़ाता है, साथ ही इस तरह के त्योहारों में हमारी भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।

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