भीमसेन गुरुराज जोशी – Bhimsen Joshi कर्नाटक के भारतीय क्लासिक परंपरा के एक भारतीय गायक थे। वे गायिकी के ख्याल प्रकार के लिए प्रसिद्ध है, और साथ ही वे अपने प्रसिद्ध भक्तिमय भजनों और अभंगो के लिए भी जाने जाते है।
क्लासिक गायक भीमसेन जोशी – Bhimsen Joshi Biography In Hindi
1998 में उन्हें म्यूजिक, डांस और नाटक के क्षेत्र में अतुल्य योगदान के लिए भारतीय राष्ट्रिय अकादमी की संगीत नाटक अकादमी ने उनके सर्वोच्च पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी शिष्यवृत्ति से नवाजा था। इसके बाद 2009 में उन्हें भारत के सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
भीमसेन गुरुराज जोशी का जन्म 4 फरवरी 1922 को कर्नाटक के धारवाड़ (गडग) जिले के रोन ग्राम में हुआ था। यबके पिता का नाम गुरुराज जोशी (कन्नड़-इंग्लिश शब्दकोष के लेखक) और माता का नाम गोदवरिदेवी था, जो एक गृहिणी थी। अपने 16 भाई-बहनों में भीमसेन सबसे बड़े थे। युवावस्था में ही उन्होंने अपनी माता को खो दिया था और बाद में उन्हें उनकी सौतेली माँ ने बड़ा किया था।
बचपन से ही भीमसेन में संगीत के प्रति प्रेम और रूचि थी और इसके साथ ही संगीत के वाद्य जैसे हार्मोनियम और तानपुरा बजाना भी उन्हें काफी पसंद था। वे दिन-रात संगीत का अभ्यास करते रहते और कभी-कभी तो अब्यास करते-करते ही उन्हें नींद लग जाती।
इससे उनके पिता काफी परेशान रहते और एक बार तो उन्होंने उसकी शर्ट पर भी लिख दिया था की, “यह शिक्षक जोशी का बेटा है।” उनकी यह योजना सफल साबित हुई इससे जब भी भीमसेन कही सो जाते तो लोग उन्हें जोशी के घर ले जाते।
पंडित भीमसेन जोशी करियर –
1941 में 19 साल की आयु में उन्होंने अपना पहला लाइव परफॉरमेंस दिया था। उनके पहले एल्बम में मराठी और हिंदी भाषा के कुछ भक्ति गीत और भजन थे, इसे 1942 में HMV ने रिलीज किया था। बाद में 1943 में जोशी मुंबई चले गए और वहाँ रेडियो आर्टिस्ट के रूप में काम करने लगे।
1946 में गुरु सवाई गंधर्व के 60 वे जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में उनके परफॉरमेंस की दर्शको के साथ ही गुरु ने भी काफी प्रशंसा की थी।
पंडित भीमसेन जोशी व्यक्तिगत जीवन –
भीमसेन ने दो शादियाँ की। उनकी पहली पत्नी उनके मातृक अंकल की बेटी सुनंदा कट्टी थी, उनकी पहली शादी 1944 में हुई थी। सुनंदा से उन्हें चार बच्चे हुए, राघवेन्द्र, उषा, सुमंगला और आनंद।
1951 में उन्होंने कन्नड़ नाटक भाग्य-श्री में उनकी सह-कलाकारा वत्सला मुधोलकर से शादी कर ली। उस समय बॉम्बे प्रान्त में हिन्दुओ में दूसरी शादी करना क़ानूनी तौर पे अमान्य था इसीलिए वे नागपुर रहने के लिए चले गए, जहाँ दूसरी शादी करना मान्य था। लेकिन अपनी पहली पत्नी को ना ही उन्होंने तलाक दिया था और ना ही वे अलग हुए थे। वत्सला से भी उन्हें तीन बच्चे हुए, जयंत, शुभदा और श्रीनिवास जोशी।
समय के साथ-साथ कुछ समय बाद उनकी दोनों पत्नियाँ एक साथ रहने लगी और दोनों परिवार भी एक हो गए, लेकिन जब उन्हें लगा की यह ठीक नही है तो उनकी पहली पत्नी अलग हो गयी और लिमएवाडी, सदाशिव पेठ, पुणे में किराये के मकान में रहने लगी।
पंडित भीमसेन जोशी अवार्ड और उपलब्धियाँ –
- 1972 – पद्म श्री
- 1976 – संगीत नाटक अकादमी अवार्ड
- 1985 – पद्म भुषण
- 1985 – बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड
- 1986 – “पहली प्लैटिनम डिस्क”
- 1999 – पद्म विभूषण
- 2000 – “आदित्य विक्रम बिरला कलाशिखर पुरस्कार”
- 2002 – महाराष्ट्र भुषण
- 2003 – केरला सरकार द्वारा “स्वाथि संगीता पुरस्कारम”
- 2005 – कर्नाटक सरकार द्वारा कर्नाटक रत्न का पुरस्कार
- 2009 – भारत रत्न
- 2008 – “स्वामी हरिदास अवार्ड”
- 2009 – दिल्ली सरकार द्वारा “लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड”
- 2010 – रमा सेवा मंडली, बंगलौर द्वारा “एस व्ही नारायणस्वामी राव नेशनल अवार्ड”
पंडित भीमसेन जोशी को “मिले सुर मेरा तुम्हारा” के लिए भी याद किया जाता है, जिसमे उनके साथ बालमुरली कृष्णा और लता मंगेशकर ने जुगलबंदी की थी। तभी से वे “मिले सुर मेरा तुम्हारा” के जरिये घर-घर में पहचाने जाने लगे। तब से लेकर आज भी इस गाने के बोल और धुन पंडित भीमसेन जी की पहचान बने हुए है।
जोशी 20 वी सदी के सबसे महान शास्त्रीय (क्लासिक) गायकों में से एक थे। उनकी अपनी अलग ही मनमोहक गायक शैली थी जिसमे कई पीढियों तक लोगो के दिलो में राज किया और आज भी राज कर रहे है।
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