बाला साहेब ठाकरे एक अदम्य साहस वाले प्रभावशाली राजनेता थे, जिन्हे भारत के हिंदूवादी और हिन्दू हर्दय सम्राट कहा जाता था।
वे एक ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने कभी भी अपने जीवन में चुनाव नहीं लड़ा लेकिन इसके बाबजूद भी उनका पूरे महाराष्ट्र में काफी प्रभाव था।
बाला साहब ठाकरे के एक इशारे पर मुंबई थम जाती हैं एवं बॉलीवुड एवं मुंबई केअन्य संस्थान उनके नाम से भी खौफ खाते थे।
आपको बता दें कि बाला साहेब राजनीति में आने से पहले एक कार्टूनिस्ट और संपादक के तौर पर काम करते थे, जिन्होंने सिर्फ 18 सदस्यों के साथ मिलकर नारियल फोड़कर शिवसेना की स्थापना की थी।
आइए जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में जिनके राजनीति के सिद्धांतों के लिए लोग उन्हें आज भी याद करते हैं।
हिन्दू ह्रद्य सम्राट बाला साहेब ठाकरे की जीवनी – Balasaheb Thakre History in Hindi
एक नजर में –
पूरा नाम (Name) | बाला साहेब केशव ठाकरे |
जन्म (Birthday) | 23 जनवरी 1926 पुणे, महाराष्ट्र |
पिता (Father Name) | प्रबोधनकार ठाकरे |
माता (Mother Name) | रमाबाई |
विवाह (Wife Name) | मीना ठाकरे |
बच्चे (Childrens) |
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भतीजे | राज ठाकरे, मनसे प्रमुख |
निवास (Home) | मातोश्री, मुंबई |
राजनैतिक पार्टी (Political Party) | शिव सेना |
मृत्यु (Death) | 17 नवम्बर, 2012 मातोश्री, मुंबई |
जन्म और प्रारंभिक जीवन –
बाल ठाकरे महाराष्ट्र के पुणे में 23 जनवरी 1927 में एक साधारण परिवार में जन्में थे, उनके पिता केशव चन्द्रसेनीय एक लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. जिन्होंने बाद में अपना नाम प्रबोधनकार ठाकरे कर लिया था।
उनके पिता एक हिन्दूवादी विचाराधारा वाले व्यक्ति थे, जिन्होंने मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थीं। वहीं बचपन में ही उनका परिवार मुंबई के भिवंडी में आकर बस गया। बाल ठाकरे के अलावा उनके परिवार में भाई और बहन भी थे।
शादी, बच्चे एवं निजी जीवन –
बाल ठाकरे ने मीना ठाकरे से विवाह किया था। शादी के बाद दोनों को बिंदुमाधव, जयदेव और उद्दव ठाकरे नाम के नाम बेटे हुए।
हालांकि उनके बड़े बेटे बिंदुमाधव की साल 1996 में एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी, जबकि दूसरे बेटे जयदेव परिवारिक कलह की वजह से घऱ छोड़कर चले गए थे। वहीं उनके तीसरे बेटे उद्दव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम के रुप में राज्य की बागडोर संभाल रहे हैं।
शुरुआती करियर –
बाल ठाकरे ने अपना करियर एक कार्टूनिस्ट के तौर पर शुरु किया था। इसके बाद उन्होंने अपने भाई श्रीकांत के साथ मिलकर खुद का सप्ताहिक मराठी अखबार ”मार्मिक” की भी शुरुआत की थी। इसके बाद फिर से एक अखबार की शुरुआत की, लेकिन बाद यह बंद हो गया इसलिए उन्होंने राजनीति में आने का फैसला लिया था।
18 लोगों की मौजूदगी में किया था शिवसेना का गठन –
बालठाकरे ने 19 जून 1966 में महाराष्ट्र में 18 सदस्यों के साथ मिलकर कट्टरवादी हिन्दूवादी संगठन शिवसेना की स्थापना की थी।
इसके बाद बाल ठाकरे ने अपनी पार्टी की पहली रैली दशहरे पर शिवाजी पार्क में रखी और इस रैली में हजारों की भीड़ इकट्ठी हुई। इस रैली में बाल ठाकरे के भाषण सुनने के बाद मराठी युवा जोश से इस कदर लबरेज हो गए या कहें कि भड़क गए कि दक्षिण भारतीयों की दुकानों के साथ तोड़फोड़ कर दी।
और फिर बाल ठाकरे की रैलियों के बाद इस तरह की तोड़फोड का सिलसला आम हो गया।
आपको बता दें कि बाला साहेब ठाकरे की पार्टी शिवसेना का उद्देश्य मराठियों को उनका हक दिलवाना था। मराठियों के लिए बाला साहेब ठाकरे ने कई आंदोलन भी किए और कई बार उन्हें इसके लिए जेल भी जाना पड़ा।
यही नहीं कई बार उनकी पार्टी पर हिंसा के मामले भी दर्ज हो चुके हैं। यही नहीं विपक्षी पार्टियों के साथ रिश्ते खराब और मारपीट तक की खबरें खूब सुर्खियों में रही। इसके अलावा 1992 में हुए मुंबई दंगों में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा करने के आरोप भी बाला साहेब ठाकरे पर लगते रहे है।
1995 में शिव सेना और बीजेपी का गठबंधन हुआ और दोनों ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक साथ खड़े होने का फैसला लिया।
इसके बाद 1999 में बाला साहेब ठाकरे को चुनाव आयोग ने उन्हें आचार संहिता के नियमों का पालन नहीं करने पर करीब 6 साल तक चुनाव में खड़े नहीं होने और वोट नहीं देने के लिए बैन कर दिया गया। हालांकि बाल ठाकरे ने अपने जीवन में कभी भी चुनाव नहीं लड़ा था।
इसके बाद 2005 में बाला साहब ठाकरे ने अपने सबसे छोटे बेटे उद्दव ठाकरे को पार्टी में ज्यादा महत्व दिया, जिसके परिवार में आंतरिक मनमुटाव बढ़ गए फिर उनके भाई के बेटे राज ठाकरे ने 2006 में अपनी एक अलग पार्टी ”महाराष्ट्र नव निर्माण सेना”(मनसे) बना ली।
मृत्यु –
अदम्य शक्ति वाले साहसी राजनेता बाल ठाकरे को उनकी जिंदगी के अंतिम दिनों में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को झेलना पड़ा था। वहीं लगातार गिरती हेल्थ और कमजोरी के चलते इस हिन्दू ह्रदय सम्राट बाल ठाकरे ने 17 नवंबर 2012 में मुंबई मातोश्री में अपनी आखिरी सांस ली और वे इस दुनिया से अलविदा कहकर चले गए।
उनके जाने के बाद पूरे महाराष्ट्र में मातम छा गया और उनकी अंतिम यात्रा में लाखों की तादाद में लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई इसके बाद उन्हें शिवाजी पार्क में उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
फिल्म –
अपने अदम्य साहब एवं निर्भीकता के लिए जाने जाने वाले बाल ठाकरे के महान जीवन पर साल 2015 में बाल-कडू नाम से फिल्म भी बन चुकी है। इस फिल्म में उनके जीवन और उनके आदर्शों को दिखाया गया है।
रोचक और अनसुने तथ्य –
- हिन्दू ह्र्दय सम्राट के नाम से प्रसिद्ध बाल ठाकरे चांदी के सिंहासन पर बैठने के बेहद शौकीन थे, उनका प्रभाव पूरे महाराष्ट्र में था।
- बाल ठाकरे अपने बेबाक भाषणों के लिए भी जाने जाते थे। उनके दरबार में विरोधी भी हाजरी लगाते थे, एवं ठाकरे अपने दुश्मनों को खुलेआम धमकी देते थे।
- बाल ठाकरे को अपनी जिंदगी में जेल भी जाना पड़ा था। एक बार बाल ठाकरे ने मुस्लिमों पर बयान देते हुए था कि यह कैंसर की तरह फैल रहे हैं और देश को इनसे बचाया जाना चाहिए।
- बाल ठाकरे को सिगार और व्हाइट वाइन बेहद पसंद थी। वहीं उके हर फोटो और इंटरव्यू में हाथ में सिगार या पाइप जरूर होती थी।
- बाल ठाकरे न तो सीएम थे और न ही सांसद लेकिन इसके बाबजूद भी उनका प्रभाव महाराष्ट्र में इतना था कि उनके मरने के बाद उन्हें एक राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तरह 21 तोपों की सलामी दी गई।वहीं उनके निधन पर लोगों ने अपनी मर्जी से पूरे मुंबई को बंद रखा था।
- बाल ठाकरे अक्सर हिटलर औऱ श्रीलंका के आंतकी संगठन लिट्टे की जमकर तारीफ करते थे।
महाराष्ट्र में लोग उन्हें “टाइगर ऑफ़ मराठा” के नाम से जानते थे। वे पहले व्यक्ति थे जिनकी मृत्यु पर लोगो ने बिना किसी नोटिस के स्वयम अपनी मर्ज़ी से पूरी मुंबई बंद रखी थी। निच्छित ही हमें महाराष्ट्र के इस महान नेता को सलामी देनी चाहिये।
बालासाहेब ठाकरे जी ने उत्तराखण्ड राज्य उत्तरप्रदेश से अलग बनने के लिए अपना सहयोग दिया था