रेल यात्रा पर निबंध – Essay on Rail Yatra in Hindi

Essay on Rail Yatra in Hindi

यात्रा करने का एक अलग आनंद होता है। यात्रा करना ज्यादातर लोगों को पसंद होता है, क्योंकि यात्रा करने से न सिर्फ घर से बाहर निकलकर थोड़ा मूड फ्रेश होता है, बल्कि बाहर की दुनिया को भी समझने का मौका मिलता है एवं दुनिया की खूबसूरती से रूबरू होने का मौका मिलता है।

वहीं अगर यात्रा ट्रेन से की जाए तो इसका रोमांच दो गुना हो जाता है, हर किसी की रेल यात्रा का एक अलग अनुभव होता है। वहीं कई बार स्कूलों में आयोजित परीक्षाओं में विद्यार्थियों से रेल यात्रा के विषय पर निबंध – Essay on Rail Yatra लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको इस विषय पर अलग-अलग शब्द सीमा के अंदर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है –

Essay on Rail Yatra

रेल यात्रा पर निबंध – Essay on Rail Yatra in Hindi

रेल से यात्रा करने का मजा ही कुछ और होता है, खासकर जब लंबे सफर की यात्रा तय करना हो तो भला किफायती दामों में और अच्छी सुविधाओं के साथ रेल यात्रा से अच्छा विकल्प कुछ और नहीं है, क्योंकि इसमें खान-पान, चलने-फिरने और बैठने, लेटने की व्यवस्था के साथ टॉयलेट आदि की सुविधा भी होती है, इसलिए ट्रेन का सफर बच्चों से लेकर सीनियर सिटीजन सभी के लिए आरामदायक होता है।

मेरी रेल यात्रा की शुरुआत और ट्रेन की सुखद सुविधाएं:

मै रमण शाह अपनी पहली रेल यात्रा के बारे में बखान कर रहा हूं, मैं कक्षा नौ का छात्र हूं, अभी तक मैने कई बार ट्रेन से सफर किया है, लेकिन मेरे सबसे यादगार रेल यात्रा मेरे घर चंडीगढ़ से मुंबई जाने की रही है। यह यात्रा मेरे अभी तक की यात्राओं में बेस्ट रही और सबसे ज्यादा मनोरंजक भी।

जब मै क्लास 7th में था, तब मै अपने माता-पिता के साथ मुंबई घूमने के लिए ट्रेन से गया। मुंबई घूमने के लिए मै पहले ही बड़ा उत्साहित था, वहीं जब मुझे पता चला कि ट्रेन से जाना है तो मै हर रोज अपनी यात्रा के दिन का इंतजार करने लगा और मन ही मन बहुत खुश था।

मेरे पिता ने इस यात्रा के लिए पहले से ही केरला संपर्क क्रांन्ति ट्रेन के AC 3rd Class में टिकट बुक करा लिया था और इस यात्रा के लिए मेरी मम्मी ने सभी सामान की पैंकिंग कर ली थी, इसके अलवा मेरी मम्मी ने ट्रेन में खाने के लिए भी बहुत सारा सामान रखा था।

मेरी सुबह की ट्रेन थी, मै फटाफट तैयार हुआ और अपनी माता-पिता और छोटी बहन के साथ टैक्सी से रेलवे स्टेशन पहुंचा। इसके बाद हम प्लेटफॉर्म पर पहुंचे, जहां बहुत भीड़ थी सभी अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहे थे।

इसके करीब 20 मिनट बाद जब मेरी ट्रेन आई तो मै अपने परिवार के साथ ट्रेन में बैठ गया और अपनी सीट के नीचे अपना सामान रखा। इस ट्रेन के AC3rd tier में बैठने पर मुझे बेहद मजा आ रहा था, घर के कमरे जैसा रेल का डिब्बा था, जिसमें खाने-पीने, उठने -बैठने, सोने के लिए बिस्तर एवं टॉयलेट की उचित व्यवस्था थी, जिसे देखकर मुझे बेहद अच्छा लग रहा था।

ट्रेन में लिया मनोरम, प्राकृतिक सुंदर दृश्यों का अनुभव:

ट्रेन में बैठने के बाद हमारी ट्रेन ने जब रफ्तार पकड़ी तब मै अपनी ट्रेन की खिड़की से बाहर की तरफ देख रहा था, सुंदर पहाड़ो, खेत-खलियान, बाग-बगीचे समेत चारों तरफ हरियाली का दृष्य अति सुंदर और मनोरम लग रहा था।

इसके साथ ही मै म्यूजिक भी सुन रहा था, जिससे मेरा सफर और ज्यादा रोचक होता जा रहा था, फिर थोड़ी देर बात जब हमारी ट्रेन आगे बढ़ी तब मम्मी ने खाना निकाला, हम सभी ने ट्रेन में खाना खाया, जिसमें मुझे काफी आनंद आ रहा था।

खाना-खाने के थोड़ी ही देर बार मुझे नींद आने लगी, फिर मैंने अपनी लोअर बर्थ पर ट्रेन से मिला हुआ साफ चादर बिछाया और करीब 2 घंटे के बाद उठा।

मेरी ट्रेन यात्रा में मिला मेरा सबसे अच्छा दोस्त:

इसके बाद मुझे चॉकलेट खाने का मन हुआ, और मैने देखा कि मेरी सीट के सामने मेरी ही उम्र का एक लड़का बैठा हुआ था, जो मुझसे बात करना चाहता था, जिसके बाद मैने उसे अपनी चॉकलेट ऑफर की।

पहले तो उसने मना कर दिया, फिर जब उसके मम्मी-पापा ने लेने के लिए कहा तो फिर उसने ले ली और मुझे धन्यवाद कहा। फिर धीरे-धीरे मेरी उससे बात होने लगी और मानो हम ऐसे बात कर रहे थे जैसे कि मै उसे बहुत दिनों से जानता हूं। उसका साथ मेरा सफर कब कट गया पता ही नहीं चला अब मेरी ट्रेन मुंबई स्टेशन पर पहुंच चुकी थी।

उपसंहार

मेरी यह ट्रेन यात्रा मेरी सबसे यादगार एवं सुखद यात्रा रही जिसमें न सिर्फ मुझे सबसे अच्छा मित्र मिला, बल्कि मैने ट्रेन की सभी आधुनिक सुविधाओं का लुफ्त उठाया, और प्राकृतिक खूबसूरती का भी भरपूर आनंद लिया।

रेल यात्रा पर निबंध – Rail Yatra Par Nibandh

प्रस्तावना

हर कोई अपनी व्यस्त जिंदगी में थोड़ा सा वक्त खुद के लिए निकालना चाहता है, तो ऐसे में घूमना एवं यात्रा करना हर किसी को लुभाता है, क्योंकि इससे न सिर्फ प्रकृति के करीब आने का मौका मिलता है, बल्कि मन शांत होता है और खुशी मिलती है इसके साथ ही दैनिक जिंदगी में थोड़ा सा बदलाव भी आता है। वहीं सभी सुविधाओं से परिपूर्ण रेल यात्रा, सफर के रोमांच को दोगुना कर देती है।

मेरी पहली रेल यात्रा – Meri Paheli Rail Yatra

मेरी पहली रेल यात्रा मेरी सबसे खूबसूरत अनुभवों में से एक हैं क्योंकि इस यात्रा में मैने एक ऐसा उदार दृश्य देखा, जिससे मुझे अपने अंदर मानवीय गुणों को विकसित करने में मद्द मिली और मेरे अंदर परोपरकार की भावना जागृत हुई।

जब मैं क्लास 9th में पढ़ता था, उस समय मेरे घर वालों ने रेल यात्रा के माध्यम से शिमला घूमने जाने के प्लान के बारे में मुझे बताया, जिसे सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और इससे पहले मैंने कभी ट्रेन से यात्रा भी नहीं की थी तो मैं अपने पहली रेल यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित भी था, मेरी खुशी मेरे चेहरे पर साफ झलक रही थी।

मेरी रात की ट्रेन थी, मै इतना उत्साहित था कि पूरा दिन का इंतजार करना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था, मेरी नजर घड़ी की सुई पर अटकी हुई थी, वहीं जैसे ही शाम के 7 बजे मेरे पिता जी ने टैक्सी मंगवाई और हम सब ट्रेन आने के 1 घंटा पहले ही रेलवे स्टेशन पहुंच गए और फिर अपनी ट्रेन आने का इंतजार करने लगे।

मेरे पिता जी ने सीट पहले से ही AC कोच में रिजर्व करवा ली थी, वहीं जब ट्रेन आई तो मुझे आसानी से सीट मिल गई, और मैने अपने परिवार वालों के साथ अपना सामान शिफ्ट किया, ट्रेन पर बैठकर मुझे ऐसा लग रहा था कि मानों मुझे घर में कोई सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण कमरा दे दिया गया है जिसे देखकर मै बहुत खुश था।

थोड़े ही देर बाद ट्रेन ने अपनी रफ्तार पकड़ ली और ट्रेन दूसरे स्टेशन पर पहुंची जिसके बाद मैने ट्रेन में स्वादिष्ट भोजन का लुफ्त उठाया फिर मै ट्रेन का खिड़की में बैठकर म्यूजिक सुनने लगा, और बाहर की सुंदरता का अनुभव लेने लगा।

फिर मेरी ट्रेन जब दूसरे स्टेशन पर पहुंची तो मैने देखा एक बुजुर्ग दंपति ट्रेन पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे, तभी एक बुजुर्ग अंकल का पैर फिसल गया और यह देखकर मेरे सामने वाली सीट पर बैठा शख्स जल्दी से उठा और उनको ट्रेन में चढा़ने में न सिर्फ उनकी मद्द की बल्कि उनके सामान को शिफ्ट किया और उन्हें सीट पर सही तरीके से बिठाया।

इसके साथ ही ट्रेन में दिए हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से उस शख्स ने डॉक्टर को भी कॉल किया जिसके बाद बुजुर्ग अंकल को तुरंत ट्रीटमेंट दिया गया, जिसे देखकर मुझे अच्छा लगा साथ ही परोपकार करने की सीख भी मिली।

इस तरह मेरी पहली ट्रेन यात्रा से मैने मानवीयता की शिक्षा ली और सुखद यात्रा का अनुभव किया।

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1 thought on “रेल यात्रा पर निबंध – Essay on Rail Yatra in Hindi”

  1. Nivedita Srivastava

    It is showing the true relation between the essay and the topic. I think it is very useful and calming the mind type essay for all people who read it.

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