Eid Essay in Hindi
भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, यहां पर सभी धर्मों के लोग अपने-अपने त्योहारों को अपनी-अपनी परंपरा और रीति-रिवाज के साथ बेहद खुशी से मनाते हैं। हालांकि, भारत में मनाए जाने वाले सभी त्योहार का मकसद प्रेम, भाईचारा, सम्मान, सदभाव और आदर ही है। वहीं उन्हीं त्योहारों में से एक है ईद का त्योहार, जो कि मुस्लिम धर्म के लोगों का प्रमुख एवं सबसे बड़ा त्योहार है।
यह त्योहार रमजान के पावन महीने के आखिरी दिन दूज का चांद दिखने पर मनाया जाता है। इस पावन पर्व पर ईदगाहों पर मुस्लिम धर्म के लोग अल्लाह की सच्चे मन से इबादत करते हैं और अपने सभी गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं साथ ही अपने करीबी मित्रों को परिवारजनों की तरक्की के लिए दुआ करते हैं और एक-दूसरे को गले मिलकर इस पावन पर्व की मुबारकबाद देते हैं।
ईद के पावन पर्व के महत्व को समझाने के लिए समय-समय पर स्कूल के बच्चों को ईद के विषय पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। इसलिए आज अपने इस आर्टिकल में आपको प्रेम-भाईचारे और सोहार्द के इस पवित्र त्योहार पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं जो कि इस प्रकार हैं –
ईद पर निबंध – Eid Essay in Hindi
प्रस्तावना
मुस्लिम समुदाय के लोगों द्धारा इस प्रमुख त्योहार ईद का बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ईद का त्योहार आपसी प्रेम, भाईचारा, मधुर-मिलन, खुशी, सदभाव आदि की भावना को व्यक्त करने वाला पर्व है।
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक साल में 2 बार ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा के रुप में इस पावन पर्व को बनाया जाता है। ईद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों में विशेष नमाज अदा करते हैं और एक-दूसरे को इस पावन पर्व की बधाई देते हैं एवं अपने करीबी मित्रों और परिवार के लोगों के सुखी जीवन के लिए दुआ मांगते हैं।
कब और क्यों मनाया जाता है ईद का त्योहार – When Eid Celebrated
सदभाव और प्रेम का यह पावन पर्व ईद, इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक साल में 2 बार मनाया जाता है। रमजान के पावन महीने के बाद ईद-उल-फितर का पवित्र त्योहार आता है।
रमजान का महीना त्याग, समर्पण और व्रत का महीना होता है। रमजान के महीने में मुस्लिम धर्म में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर स्वस्थ मुसलमान रोजे रखता है और दिन में पानी तक नहीं पीता है एवं अपना ज्यादा से ज्यादा समय अल्लाह की इबादत करने में निकालता है। इस महीने के आखिरी दिन चांद दिखने पर ईद-उल-फितर को मनाया जाता है।
वहीं इसके बाद शव्वाल का महीना आता है, वहीं इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी साल में ज़ुल हज माह की 10वीं तारीख को ईद-उल-जुहा का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन हाजी हज़रात का हज पूरा होता है, जिसे लोग कुर्बानी के पर्व के रुप में मनाते हैं। बकरीद पर बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा है।
ईद के त्योहार मनाने की शुरुआत कैसे हुई – Eid History
ऐसी मान्यता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्द में अपनी जीत हासिल की थी। उनके जीतने की खुशी का जश्न मनाने के लिए ईद का पावन पर्व मनाया जाता है। वहीं पहला ईद-उल-फितर साल 624 ईसवी में मनाया गया था और तब से लेकर अभी तक इसे मनाने की परंपरा चली आ रही है।
ईद का अर्थ एवं इसके प्रकार – Types of Eid
ईद को जश्न मनाने से लेकर जोड़ा जाता है। वहीं इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक दो तरह की ईद मनाई जाती हैं –
- ईद-उल-फितर
- ईद-उल-जुहा
ईद-उल-फितर – Eid al-Fitr
इद-उल-फितर शब्द फासरी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है अदा। इसे मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है। ईद-उल-फितर बड़ी ईद के रुप में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्धारा मनाया जाता है।
रमजान के पावन महीने के आखिरी इफ्तार के बाद और नई महीने के पहली तारीख को चांद दिखने के बाद ईद-उल-फितर का जश्न मनाया जाता है। इस दिन मुस्लिम धर्म के लोग नए कपड़े पहनकर ईदगाहों में सच्चे मन से अल्लाह से इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अपने खुशहाल जीवन एवं बरकत के लिए दुआ करते हैं।
ईद के दिन दान देने की भी परंपरा है। इस दिन दान देकर मुस्लिम लोग अपने अल्लाह से इबादत करते हैं। वहीं इसी दान को मुस्लिमों में फितरा कहा जाता है, इसलिए इस ईद को ईद-उल-फितर कहते है।
ईद-उल-फितर पर सौहार्दपूर्ण वातावरण देखने को मिलता है। इस दिन मीठी सेवइयां समेत तमाम पकवान बनाए जाते हैं। मुस्लिम धर्म के लिए एक-दूसरे का मुंह मीठा करवाकर इस पावन पर्व की गले मिलकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं।
ईद के दिन अपने से छोटों को ईदी देने का भी रिवाज है। अपने करीबियों में छोटे भाई-बहनों को स्पेशल गिफ्ट देकर लोग ईद की मुबारकबाद देते हैं और इस त्योहार का हर्ष और उल्लास के साथ जश्न मनाते हैं।
ईद-उल-जुहा (बकरीद) – Eid al-Adha
ईद-उल-जुहा यानि की बकरीद, जिसे कुर्बानी के पर्व के रुप में इस्लाम समुदाय के लोग मनाते हैं। बकरीद का मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए काफी महत्व है।
यह मुस्लिम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। शव्वाल के महीने के बाद या फिर रमजान के पावन माह के करीब 70 दिनों के बाद कुर्बानी के इस पर्व को मनाया जाता है।
इस पर्व को मनाने के पीछे कई तरह की इस्लामिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इसके पीछे यह माना जाता है कि पैगम्बर हजरत इब्राहिम, जिन्हें कई सालों तक खुदा की इबादत करने के बाद 90 साल की उम्र में इस्माइल नाम की औलाद हासिल हुई थी, उन्हें अपने सबसे प्रिय चीज को कुर्बान करने का सपना आया था।
वहीं इसके बाद जब वे अपनी औलाद इस्माइल को कुर्बान करने के लिए जाने लगे, तब अल्लाह ने उनके बच्चे की जगह बकरे को बदल दिया था। इस तरह बकरीद के पर्व पर बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा प्रचलित हो गई।
बकरीद के पावन पर्व पर जिस बकरे की कुर्बानी दी जाती है, उसके तीन हिस्से किए जाते हैं। इसका पहला हिस्सा गरीबों को बांटा जाता है, दूसरे दोस्तों के अहबाब के लिए रखा जाता है, और तीसरे हिस्सा को घर-परिवार के लोगों में बांटा जाता है।
कैसे मनाया जाता है ईद का त्योहार – How To Celebrate Eid
ईद के त्योहार की रौनक कई दिनों से ही बाजारों में दिखने लगती है। ईद के पावन पर्व पर लोग नए कपड़े पहनते हैं। और ईदगाहों में जाकर विशेष नमाज अदा करते हैं और खुद से अमन, चैन की इबादत करते हैं।
ईद का चांद दिखने के बाद लोगों एक-दूसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं और उनकी तरक्की की कामना करते हैं। इस मौके पर इस्लामिक समुदाय के लोगों के घरों में खास तरीके की सेवइयां बनाई जाती हैं।
इसके साथ ही घर में आने-जाने वाले रिश्तेदारों, दोस्तों एवं करीबी लोगों को सेवइयां खिलाकर मुंह मीठा करते हैं और ईद का जश्न मनाते हैं।
ईद से पहले रमजान का महत्व:
ईद-उल-फितर से पहले पड़ने वाला रमजान का महीना सबसे पवित्र एवं पावन माह माना गया है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक यह साल का 9वां महीना होता है। इस महीने को त्याग, समर्पण एवं व्रत का महीने के रुप में जाना जाता है। रमजान को रमादान के रुप भी जाना जाता है।
इस पावन महीने में मुस्लिम लोग रोजे रखते हैं और सूर्योदय से सूर्यास्त कर कुछ नहीं खाते-पीते हैं और सूर्यास्त के बाद इफ्तार कर लोग अपना रोजा खोलते हैं। इसके साथ ही रमजान में लोग सच्चे मन से अल्लाह की इबादत करते हैं और मुस्लिम धर्म की मुख्य पुस्तक कुरान शरीफ का पाठ करते हैं।
रमजान के पावन महीन में इस्लाम धर्म के लोग के अपने धर्म के सभी नियमों का सख्ती से पालन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस माह में सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करने और नेक काम करने से जन्नत के दरवाजे खुलते हैं और दोजख के दरबाजे अल्लाह के बंदों के लिए बंद हो जाते हैं।
उपसंहार
इस प्रकार ईद का त्योहार प्रेम,भाईचारे, सदभाव, त्याग और समर्पण का त्योहार है। जो लोगो को मिलजुल कर रहने, आपस में प्रेम करने एवं अमन, चैन, सुख और शांति का पैगाम देता है और लोगों के जीवन में खुशियां भरने का काम करता है।
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