Dakor Temple History in Hindi
भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक गुजरात का डाकोर धाम, भगवान श्री कृष्ण के अद्भुत एवं अति सुंदर स्वरुप के लिए जाना जाता है। यहां रणछोड़जी का भव्य मंदिर है, जिसके धार्मिक महत्व की वजह से और भक्तों में यहां के प्रति गहरी आस्था होने की वजह से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते ही है।
इसके साथ ही इस प्रख्यात डाकोर धाम तीर्थ की अनूठी शिल्पकला की भी जमकर तारीफ करते हैं। भारत के इस प्रमुख तीर्थ स्थल में हर पूर्णिमा को श्रद्धालुओं का तांता लगता है।
आपको बता दें हिन्दुओं के इस पवित्र तीर्थधाम आनंद से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं गुजरात में डाकोर जी के रणछोर जी के अलावा स्वामी नारायण और श्री वल्लभ समेत वैष्णव संपदायों के कई मंदिर स्थित है, लेकिन इस पवित्र डाकोर धाम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां सभी संप्रदाय, जाति आदि के लोग बिना किसी भेदभाव के समान रुप से पूजा-अर्चना करते हैं।
वहीं इस सुप्रसिद्ध एवं विख्यात डाकोर धाम के पीछे कई बेहद दिलचस्प एवं रोचक कहानियां जुड़ी हुई हैं, तो आइए इस रोचक मंदिर के इतिहास के बारे में जानते हैं –
डाकोर धाम मंदिर का इतिहास – Dakor Temple History in Hindi
गुजरात के रणछोर जी के प्रसिद्द मंदिर की मूर्ति का दिलचस्प इतिहास, द्धारका से चोरी किए जाने से जुड़ा हुआ है।
ऐसी मान्यता है कि, गुजरात के डाकोर में बाजे सिंह नाम का एक राजपूत रहता था, जो कि भगवान रणछोड़ जी का परम भक्त था, वह अपनी हाथों पर तुलसी जी का पौधा उगाकर अपनी पत्नी के साथ साल में दो बार पैदल द्धारका जाता था और सांवले स्वरुप वाले भगवान श्री कृष्ण को तुलसी जी के पत्ते अर्पित करता था।
भक्त बाजे सिंह ऐसा कई सालों तक करता रहा, लेकिन 72 साल की आयु में जब उसकी चलने फिरने की सामर्थ्य खत्म हो गई और जिससे वह द्धारका जी में तुलसी जी के पत्ते अर्पण नहीं कर सका, जिसके बाद भगवान अपने भक्त के बाजे सिंह के सपने में आए और उनकी मूर्ति को द्धारका से लेकर डाकोर में स्थापित करने के लिए कहा।
जिसके बाद भक्त बाजे सिंह ने अपने भगवान के कहे आदेश को मानते हुए,वे आधी रात को जब समस्त गांववासी सो गए, तब द्धारका जी के मंदिर में बैलगाड़ी लेकर पहुंचे और वहां से भगवान की मूर्ति चोरी कर ली और डाकोर लाकर स्थापित कर दी।
वहीं ऐसा माना जाता है, जब भगवान रणछोड़ जी डाकोर में विराजमान हुए थे, उस दिन कार्तिक पूर्णिमा का शुभ दिन था, इसलिए इस मंदिर में पूर्णिमा वाले दिन का एक अलग महत्व है।
मूर्ति पर भाले के निशान से जुड़ी ऐतिहासिक एवं पौराणिक कथा – Dakor Dham Story
द्धारका के मंदिर से भगवान जी की मूर्ति गायब होने का पता लगते ही, द्धारका मंदिर का पुजारी, गांव वालों के साथ मूर्ति की खोज में निकल पड़ा। जिसकी भनक लगते ही भक्त बाजे सिंह में भगवानन रणछोड़ जी की मूर्ति को पहले ही गोमती सरोवर में छिपा दी।
जिसके बाद मंदिर के पुजारी को तालाब में भगवान की मूर्ति छिपी होने की भनक लगी और वह भालों से तालाब में भगवान जी की मूर्ति को ढूंढने लगा, इस दौरान भाले की नोंक भगवान रणछोड़ जी को चुभ गई, जिसका निशान आज भी भगवान रणछोड़ जी की इस मूर्ति में है।
इस तरह द्धारका जी मंदिर के पुजारी को मूर्ति तो मिल गई, लेकिन फिर बाजे सिंह के कहने पर वह भगवान की इस प्रतिमा के बराबर स्वर्ण मुद्रा लेकर मूर्ति को डाकोर में स्थापित करने के लिए राजी हो गया। और इस तरह श्याम रंग-रुप वाले भगवान रणछोड़ भगवान जी यहां विराजित हो गए, और आज रणछोड़ जी के इस अति सुंदर मंदिर से तमाम भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है।
डाकोर जी के मंदिर की सुंदरता और भव्यता – Dakor Temple Architecture
गुजरात में द्धारकाधीश मंदिर की तरह ही डाकोर में भगवान रणछोड़ जी के मंदिर का महत्व है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के सांवले रंग के अति सुंदर और भव्य प्रतिमा विराजित है, वहीं गोमती नदी के किनारे बनाए गए इस अतिसुंदर और भव्य मंदिर का निर्माण सफेद संगममर से किया गया है।
वहीं भगवान रणछोड़ जी की प्रतिमा द्धारकाधीश की प्रतिमा की तरह ही है, काले रंग की बनी इस अतिसुंदर और भव्य भगवान जी की मूर्ति में भगवान रड़छोड़ जी अपने ऊपर के हाथ में सुंदर चक्र और निचले हाथ में शंख लिए हुए हैं, जो कि देखने में अति सुंदर लगती है।
इसके अलावा मंदिर का ऊपरी गुंबद में सोने का आवरण चढाया गया है, यहां का कृष्णमय माहौल हर किसी को अपनी तरफ आर्कषित करता है।
डाकोर जी के इस विशाल मंदिर के पास गोमती तालाब बना हुआ है,जिसके तट पर डंकनाथ महादेव का मंदिर बना हुआ है। यही नहीं इस मंदिर के परिसर में भगवान रणछोड़ जी के परम भक्त बाजे सिंह जी का मंदिर बनाया गया है, जहां पर प्रभु अपने भक्त के साथ विराजमान है।
डाकोर धाम कैसे पहुंचे – How to Reach Dakor Dham
हवाई मार्ग – सबसे पास का हवाई अड्डा अहमदाबाद में है, जो कि डाकोर से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेलमार्ग – डाकोर आनंद-गोधरा बड़ी लाइन रेलवे मार्ग पर स्थित है। वहीं डाकोर से करीब 33 किलोमीटर की दूरी पर आणंद रेलवे स्टेशन है।
सड़क मार्ग – डाकोर जाने के लिए अहमदाबाद से कई पर्सनल टैक्सी, बसें चलती हैं, वहीं भक्त जन चाहे तो अपने वाहन से भी यहां जा सकते हैं।