Gudi Padwa Information
विजय का पर्व गुड़ी पड़वा हिन्दुओं की नव वर्ष का प्रतीक माना जाता है, इस पर्व को महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के लोग बेहद धूमधाम से मनाते हैं। यह पर्व हर साल चैत्र नवरात्रि के पहले दिन पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। कई दिन पहले से ही लोग गुड़ी पड़वा के पर्व की तैयारी करने में जुट जाते हैं।
इस दिन लोग खास तरीके से अपने घर को सजाते हैं और सुंदर-सुंदर रंगोली बनाते हैं। गुड़ी पड़वा के पर्व को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में इस पर्व को उगादि (Ugadi) के नाम से जाना जाता है।
इसके साथ ही इसे चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा के रुप में भी जाना जाता है, वहीं हिन्दु के नववर्ष की शुरुआत की वजह से इसके नव संवत्सर भी कहा जाता है। इसके अलावा इस दिन से ही मराठी संवत्सर यानि कि मराठी के नए साल की शुरुआत होती है।
हिन्दू नववर्ष की शुरुआत और विजय का प्रतीक – गुड़ी पड़वा का पर्व – Gudi Padwa
कब मनाया जाता है विजय पताका का पर्व गुड़ी पड़वा – When is Gudi Padwa Celebrated
गुड़ी पड़वा यानि कि गुड़ी + पड़वा, गुड़ी का अर्थ है झंड़ा, ध्वज, विजय पताका, जबकि पड़वा का अर्थ होता है प्रतिपदा, जो कि तिथि को कहा जाता है। आपको बता दें कि इस पर्व को हिन्दु कैलेंडर के मुताबिक हर साल चैत्र माह की नवरात्रों के पहले दिन मनाया जाता है।
वहीं ऐसा माना जाता है कि इस खास दिन ब्रहा् जी ने सृष्टि की रचना करना शुरु किया था, इसलिए इस दिन को नव संवत्सर के रुप में भी मनाया जाता है।
कैसे मनाया जाता है गुड़ पड़वा का ये खास पर्व – How to Celebrate Gudi Padwa
गुड़ी पड़वा के इस खास पर्व को अलग-अलग राज्यों में लोग अपनी-अपनी रीति-रिवाज और परंपरा के साथ मनाते हैं, लेकिन इस त्योहार को मनाने को लेकर, सभी लोगों के बीच कॉमन यह है कि सभी लोग अपने दिन की शुरुआत पारंपरिक तेल से स्नान कर करते हैं, इस बाद घर के मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं, वहीं इस दिन नीम की पत्तियों को ग्रहण कर अति लाभकारी माना जाता है।
इस तरीके से यह पर्व स्वास्थ्य के लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं इस पर्व के मौके पर लोग अपने घरों में रंगोली आदि बनाकर विशेष तरीके से सजावट करते हैं।
इसके साथ ही इस दिन भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना के साथ सुंदरकांड और माता भगवती की आराधना कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और विकास की कामना करते हैं।
इसके साथ ही इस दिन घरों में विशेष तरीके के पकवान बनाए जाते हैं, गुड़ पड़वा के दिन आंध्रप्रदेश में पच्चड़ी, जबकि महाराष्ट्र में पूरन पोली जैसे बेहद खास और स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं।
वहीं इस दिन पारंपरिक वस्त्र पहनने की भी परंपरा है, इस दिन महाराष्ट्र में ज्यादातर महिलाएं पारंपरिक साड़ी और पुरुष केसरिया, लाल रंग की पगड़ी के साथ कुर्ता पैजामा पहनते हैं। इसके अलावा इस मौके पर कई धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
क्यों मनाते हैं गुड़ी पड़वा और क्या है इस पर्व से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं – Why we Celebrate Gudi Padwa
सृष्टि के निर्माण से जुड़ा है विजय का यह खास पर्व:
चैत्र नवरात्रि की पहले दिन मनाया जाने वाला यह खास पर्व मनाने की पीछे सबसे ज्यादा लोकप्रिय और प्रचलित यह मान्यता है कि, इसी दिन पालनहार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी, इसके अलावा यह भी माना जाता है कि इस दिन सतुयग की शुरुआत हुई थी, इसलिए इस पर्व को मनाया जाता है।
गुड़ी पड़वा से जुड़ी पौराणिक कथाएं – Gudi Padwa Story or Gudi Padwa History
श्री राम द्धारा बालि के वध से जुड़ी है पौराणिक कथाए:
विजय का यह पर्व गुड़ी पड़वा मनाने के पीछे यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान राम ने राक्षस बाली का अंत कर दक्षिण भारत में रहने वाले लोगों को उसके अत्याचारों और आतंक से छुटकार दिलवाया था, जिसकी खुशी में वहां को लोगों ने अपने-अपने घरों में विजय पताका फहराई थी, जिसे गुड़ी के नाम से जाना जाता है, इसलिए तभी से गुड़ी पड़वा का यह पर्व मनाया जाने लगा। वहीं महाराष्ट्र में इस दिन आज अपने घर के आंगन में गुड़ी खड़े करने की परंपरा बनी हुई है।
शालिवाहन की मिट्टी की सेना ने अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त:
शालिवाहन की पौराणिक कथा से भी गुड़ा पड़वा का पर्व जुड़ा हुआ है, ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शालिवाहन नाम के एक कुम्हार-पुत्र ने अपने मिट्टी के सैनिकों की विशाल सेना बनाई, और फिर उसमें कठोर तप के बाद प्राण डाले, उन्हें सजीव बनाया फिर उसकी सहायता से अपने शक्तिशाली शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी।
वहीं इस विजय के प्रतीक के रुप में यही शालिवाहन शक की शुरुआत हुई, और तभी से विजय का यह पर्व गुड़ी पड़वा मनाने की शुरुआत हुई।
गुड़ी पड़वा के शुभकामना संदेश – Gudi Padwa Wishes in Hindi
चैत्र नवरात्र के आगमन से सजता है नया साल,
गुड़ी के त्यौहार से खिलता है नया साल,
कोयल गाती है नए साल का मल्हार,
संगीतमय हो जाता है पूरा संसार,
चैत्र की शुरुआत से होती है नई शुरुआत,
यही है हिंदू नव वर्ष का शुभारंभ।
हैप्पी गुड़ी पाड़वा।
शाखों पर सजता है नए पत्तो का श्रृंगार
मीठे पकवानों की होती है चारो तरफ बहार
मीठी बोली से करते, सब एक दूजे का दीदार
चलो मनाये हिन्दू नव वर्ष इस बार।
मधुर संगीत सा साल खिले,
हर एक पल खुशियां ही खुशियां मिले,
दीया-बाती से सजाओ गुड़ी का यह पर्व,
ऐसे ही रोशन रहे आपका नव वर्ष,
हैप्पी गुड़ी पाड़वा।
आई हैं बहारे, नाचे हम और तुम
पास आये खुशियां और दूर जाए ग़म
प्रकृति की लीला है छाई
आप सभी को दिल से गुड़ी पड़वा की बधाई।
बड़ों का करो सम्मान,
बच्चों को दो प्यार,
इस संकल्प के साथ मनाओ
गुड़ी पड़वा का त्यौहार।
ऋतू से बदलता हिन्दू साल
नये वर्ष की छाती मौसम में बहार
बदलाव दिखता पृकृति में हर तरफ
ऐसे होता हिन्दू नव वर्ष का त्यौहार
नए पत्ते आते है वृक्ष ख़ुशी से झूम जाते हैं
ऐसे मौसम में ही तो नया आगाज होता हैं
हम यूँही हैप्पी न्यू ईयर नहीं मनाते
हिन्दू धर्म में यह त्यौहार प्राकृतिक बदलाव से आते
हैप्पी गुड़ी पाड़वा।
बीते पल अब यादों का हिस्सा हैं
आगे खुशियों का नया फ़रिश्ता हैं
बाहे फैलाये करो नए साल का दीदार
आया हैं आया गुड़ी का त्यौहार
चारों तरफ हो खुशियाँ ही खुशियाँ
मीठी पुरनपोली और गुजियाँ ही गुजियाँ
द्वारे सजती सुंदर रंगोली की सौगात
आसमान में हर तरफ पतंगों की बारात
सभी को शुभ को नव वर्ष हर बार।
घर में आये शुभ संदेश
धरकर खुशियों का वेश
पुराने साल को अलविदा हैं भाई
हैं सबको नवीन वर्ष की बधाई।
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