Sanjay Gandhi Jaivik Udyan
जैसे कि हम सभी जानते हैं कि, चिड़ियाघर एक ऐसी जगह होती है, जहां एक साथ हम कई अलग-अलग प्रजातियों के पशुओं को देख सकते हैं और उनके बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
वहीं आधुनिक चिड़ियाघर न केवल लोगों के मनोरंजन के लिए होते हैं बल्कि शिक्षा, शोध और जानवरों के संरक्षण के लिए भी होते हैं।
पटना का संजय गांधी जैविक उद्यान – Sanjay Gandhi Jaivik Udyan
वहीं ऐसा ही एक पटना का चिड़ियाघर है, जिसे लुप्तप्राय जानवरों की प्रजाति में शामिल एक सींग वाले गैंडो का बसेरा माना जाता है, यह चिड़ियाघर, अमेरिका के कैलिफॉर्निया में स्थित सैन डिएगो चिड़ियाघर के बाद गैंड़ों की संख्या के मामले में दूसरे नंबर पर आता है, जबकि एशिया महाद्धीप में पटना चिड़ियाघर का पहला स्थान है।
इसे संजय गांधी जैविक उद्यान (Sanjay Gandhi Jaivik Udyan), संजय गांधी बॉटनिकल एंड जूलॉजिकल गार्डन और पटना जू के नाम से भी जाना जाता है।
यह भारत के बिहार राज्य में पटना के बेली रोड में स्थित है। यह बिहार राज्य का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल और पिकनिक स्पॉट में से एक है।
पटना जू (Patna Zoo) की सुंदरता को निहारने और यहां के अलग-अलग जानवरों के बारे में जानने और उन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
आपको बता दें कि संजय गांधी जैविक उद्यान (Sanjay Gandhi Jaivik Udyan) को साल 1969 में वनस्पति उद्यान के रुप में स्थापित किया गया था।
उस समय बिहार के राज्यपाल श्री नित्यानंद कानूनगो ने संजय गांधी बॉटेनिकल एंड जूलॉजिकल गार्डन के लिए गवर्नर हाउस के परिसर से करीब 34 एकड़ (14 हेक्टेयर) जमीन दी थी।
इसके बाद साल 1972 में राजस्व विभाग की 58.20 एकड़ जमीन और लोक निर्माण की 60.75 एकड़ जमीन पटना जू (Patna Zoo) के निर्माण के लिए दी गई थी।
पटना जू को पब्लिक के लिए चिड़ियाघर के रुप से साल 1973 में खोला गया था। जबकि साल 1980 में वन्य प्राणी सप्ताह के दौरान इसका नामकरण संजय गांधी जैविक उद्यान (Sanjay Gandhi Jaivik Udyan) के रुप में किया गया था।
पटना जू, आज गैंडो की संख्या के लिए अपनी अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुका है, इसके साथ ही संजय गांधी बॉटेनिकल एंड जूलॉजिकल गार्डन, अपनी प्रजनन तकनीकों के लिए भी विश्व भर में प्रसिद्ध है।
साल 2008 में पटना जू ने, गैंडो के प्रजनन के लिए इस्तेमाल की जा रही अभिनव तकनीकों (Innovative Techniques) के लिए दुनिया भर में काफी प्रशंसा अर्जित की थी।
आपको बता दें कि कैलीफोर्निया का सैन डिएगो जू, गैंडो के प्रजनन के लिए पूरे विश्व में पहले स्थान पर आता है, जबकि संजय गांधी जैविक उद्यान एक प्राणी और वनस्पति उद्यान है, जिसमें गैंडो की संख्या में 2 से 11 तक की बढ़ोतरी हुई है, और यह कैलीफोर्नियां के सैन डिएगो जू के बाद दूसरे नंबर पर आता है।
गैंडो की प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। गैंडो की तेजी से घट रही आबादी आज पूरी दुनिया में चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि इसे अनुसूचीI श्रेणी के तहत सबसे लुप्तप्राय प्रजाति का दर्जा दिया गया है।
इसके साथ ही गैंडे आज दुनिया के सबसे दुर्लभ स्तनधारियों में से है। आपको बता दें कि हाथी के बाद गैंडो की गिनती सबसे बड़े भूमि स्तनधारियों (Land Mammals) में होती है, जिनका वजन 1800 से 3600 किलो तक होता है।
फिलहाल, आपको बता दें कि पटना में स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान में साल 1979 में सबसे पहले असम से 1 जोड़ा गैंडे को लाया गया था। इसके बाद मार्च, 1982 में एक और गैंडें को यहां लाया गया।
पटना चिड़ियाघर में अगस्त 1988 को यहां पहले मादा गैंडे हड़ताली का जन्म हुआ था, वहीं इसके बाद मादा गैंडें हड़ताली ने साल 2012 तक 8 आठ गैंडो को जन्म दिया है। इस तरह यहां विलुप्त हो रहे एक सींग वाले गैंडों की संख्या बढ़ गई।
पटना चिड़ियाघर में भारतीय गैंडो के अलावा, गैंडो की दूसरी प्रजातियां भी मौजूद हैं।
दरअसल, ‘नस्ल सुधार’ को बढ़ावा देने वाले ‘एक्सचेंज प्रोग्राम’ के तहत साल 2007 में, कैलीफॉर्नियां के सैन डिएगो चिड़ियाघर से एक मादा गैंडा गैरी को संजय गांधी जैविक उद्यान में लाया गया था।
इसके बाद साल 2009 में गैरी ने एक नर गैंडें को जन्म दिया था, जिसका नाम एलेक्शन रखा गया था। इसके साथ ही आपको बता दें कि पटना चिड़ियाघर में अब गैंडे की चार ब्लडलाइन उपलब्ध हैं, ये ब्लडलाइन मुश्किल ही किसी अन्य चिड़ियाघर में मिलती हैं।
संजय गांधी जैविक उद्यान (Sanjay Gandhi Jaivik Udyan) में एक मछली घर (फिश एक्वेरियम) भी है, जिसमें मछलियों की 35 अलग-अलग प्रजातियां हैं, इसके साथ ही यहां एक साँप घर (स्नेक हाउस) है, जिसमें 5 अलग-अलग प्रजाति के 32 सांप है।
यही नहीं पटना जू में कई अलग-अलग प्रकार की प्रजातियों की पक्षियां भी हैं, जो कि यहां आने वाले लोगों के बीच काफी मशहूर हैं, उनकी चहचहाट सुनने और यहां के मनोरम वातावरण को देखने के लिए लोग यहां आते हैं।
पटना में स्थित संजय गांधी बॉटनिकल एंड जूलॉजिकल गार्डन में वर्तमान में करीब 110 अलग-अलग प्रजातियों के लिए 800 से ज्यादा घर हैं, जिसमें गैंडें, शेर, हिरण, हाथी, भालू, बंदर, बाघ, तेंदुआ, दरियाई घोड़ा, मगरमच्छ, काले हिरन, सियार, चित्तीदार हिरण, पहाड़ी मैना, घड़ियाल, चिंपाजी,अजगर, सफेद मोर आदि शामिल है, जो कि पर्यटकों के मुख्य आर्कषण का केन्द्र हैं।
इसके अलावा पटना जू में पेड़-पौधे, तमाम जड़ी बूटियां और झाड़ियों की 300 से ज्यादा प्रजातियां हैं। पटना जू में जीव-जन्तु के अलावा पौधों का भी प्रदर्शन किया जाता है। पौधों के प्रदर्शन में औषधीय पौधों के लिए एक नर्सरी, एक ऑर्चिड हाउस, एक ग्लास हाउस और एक गुलाब का उद्यान शामिल हैं।
इसके साथ ही यह शोधकर्ताओं (Researchers) के लिए भी एक बेहतरीन जगह है।
इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि संजय गांधी जैविक उद्यान ने कई सफलताएं अर्जित की हैं, यहां 19 अप्रैल साल 2001 में एक दरियाई घोड़ा (हिप्पोपॉटेमस) ने एक नर दरियाई घोड़ा (हिप्पोपॉटेमस) को जन्म दिया था।
इसके अलावा भी यहां कई और हिप्पोमॉटेमस के जन्म हुए हैं। इसके साथ ही पटना जू में कई सालों के बाद 18 जून, साल 2001 में एक तेंदुए ने दो शावकों को जन्म दिया था। जिसकी वजह से यह काफी चर्चे में रहा था।
पटना जू में अच्छी प्रजनन तकनीकों का इस्तेमाल होने की वजह से यहां घड़ियालों और मगरमच्छों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
इसके अलावा यहां कई अलग-अलग प्रजातियों के जीव-जन्तुओं ने जन्म दिया जिससे पटना जू में जानवरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई।
बच्चों को भी संजय गांधी जैविक उद्यान बेहद लुभाता है, क्योंकि यहां टॉय ट्रेन, हाथी की सवारी (एलीफेंट राइडिंग) और नौका विहार (बोटिंग) की सुविधा भी उपलब्ध हैं, जो कि बच्चों के मुख्य आर्कषण हैं, बच्चे पटना जू में आकर जमकर मौज-मस्ती करते हैं और यहां तरह-तरह के जानवरों को देखकर खुश होते हैं।
इसके अलावा पटना, पटना के युवाओं के लिए भी मुख्य डेटिंग की जगह है, यहां बड़ी संख्या में प्रेमी जोड़े आते हैं, और घंटों इस जू में व्यतीत करते हैं। इसके अलावा कई लोग यहां पर मार्निंग वॉक के लिए भी आते हैं, इसलिए पटना जू घूमने के लिए और योगा करने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण और अच्छा स्थान माना जाता है।
इसके अलावा यहां लोग अपने परिवार के साथ पिकनिक बनाने और अन्य उत्सवों की खुशियां मनाने के लिए भी आते हैं। पर्यटकों की सुविधा के लिए पटना चिड़ियाघऱ में एक बेहतरीन कैफेटेरिया भी है, जहां लोग जल-पान ग्रहण करते हैं।
पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान में पर्यटक अलग-अलग प्रजातियों के कई सारे जीवों को एक साथ देखकर बड़े खुश होते हैं। यही वजह है कि यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
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