Palitana Temple
जैन मुनियों के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक पालीताना मंदिर गुजरात के भावनगर जिले में स्थित है। जैन धर्म में पालीताना “शत्रुंजय तीर्थ” – Shatrunjay Tirth का काफी महत्व है, जैन धर्म के मुताबिक हर जैनी को इस पवित्र तीर्थ के दर्शन अपने जीवन में एक बार जरूर करना चाहिए।
जैन धर्म के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थान “पालिताना मंदिर” – Palitana Temple History in Hindi
पालिताना में शत्रुंजय पहाडि़यों की चोटी पर 3000 से भी ज्यादा मंदिर बने हुए हैं। जिसमें मुख्य मंदिर जैन धर्म के पहले तीर्थकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है। पालिताना का 1618 ईस्वी में बना “चौमुखा मंदिर” सबसे बड़ा मंदिर है, जिसका अपना अलग धार्मिक महत्व है।
पालिताना जैन मंदिरों का निर्माण ग्यारहवी और बारहवीं सदी में किया गया था, इस प्राचीन और मशहूर जैन मंदिरों को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र स्थल पर 8 करोड़ श्रृषि मुनियों को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और जैन धर्म के कई महान तीर्थकरों ने यहां निर्वाण प्राप्त किया था।
इसलिए यहां ज्यादातर जैन मंदिर जैन धर्म के तीर्थकरों को समर्पित हैं। आपको बता दें कि पालिताना के इस जैन मंदिरों को “टक्स” के नाम से भी जाना जाता है। पालिताना के प्रमुख मंदिरों में कुमारपाल, समप्रति राज, विमलशाह मंदिर शामिल हैं।
पालिताना जैन मंदिरों की वास्तुकला – Palitana Temple Architecture
पालीताना मंदिर में बहुमूल्य और बेहद आर्कषक प्रतिमाओं का भी संग्रह है, वहीं इन मंदिरों की नक़्क़ाशी और मूर्तिकला पूरी दुनिया में मशहूर है। आपको बता दें कि जैन धर्म में पांच प्रमुख तीर्थों में से एक पालिताना मंदिरों की यात्रा करना प्रत्येक जैनी के जीवन में बेहद महत्व रखता है, प्रत्येक जैनी इन मंदिरों के दर्शन करना अपना कर्तव्य मानता है।
पालिताना मंदिरों के शिखर पर जब सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो, इसकी अद्भुत और अनुपम छठा का दृश्य अति आर्कषक और मनोरम लगता है। पालिताना जैन मंदिर के ऊपरी हिस्से में सूरज डूबने के बाद शाम के समय में केवल देव साम्राज्य का ही बास होता है।
वहीं सूर्यास्त के बाद किसी भी इंसान को ऊपर जाने की अनुमति नहीं होती है, जैन धर्म के प्रसिद्ध तीर्थ पालिताना को लेकर मान्यता यह भी है कि रात के समय भगवान विश्राम करते हैं।
इसी वजह से रात के समय मंदिर को बंद कर दिया जाता है। इन मंदिरों के दर्शन के लिए गए सभी श्रद्धालुओं को संध्या होने से पहले दर्शन करके पहाड़ से नीचे उतरना पड़ता है।
इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहाँ आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है, कोई भी भक्त यहां से निराश होकर और खाली हाथ नहीं लौटता है, यही वजह है कि जैन समुदाय से जुड़े लोग अपने जीवन में कम से कम एकबार इस मंदिर के दर्शन जरूर करते है।
पालीताना का प्रमुख और सबसे ख़ूबसूरत मंदिर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का है। आपको यह भी बता दें कि, जैन धर्म के इस पवित्र तीर्थ स्थल महत्व महाभारत काल से चला आ रहा है, पालिताना जैन मंदिरों में तीन पाण्डव भाइयों भीम, युधिष्ठिर और अर्जुन ने भी निर्वाण प्राप्त किया था।
पालिताना मंदिर का समय – Palitana Temple Timings
इसके साथ ही जैन धर्म के नियम के मुताबिक शाम के बाद न तो भोजन खाया जाता है और ना ही उसे लिया जा सकता है, इसलिए संध्या होने से पहले सभी श्रद्धालुओं को पहाड़ से नीचे उतरना पड़ता है।
जैन धर्म के अनुसार रात्रि में सभी देवता विश्राम करते है, अतः सभी मन्दिरों के कपाट रात्रि में बन्द कर दिए जाते है।
आपको बता दें यहां पहाड़ के ऊपर अंगद पीर नामक एक सिद्ध स्थान है, जहां का निसन्तान लोगों के लिए बेहद महत्व है, ऐसा कहा जाता है कि इस पीर साहब के आशीर्वाद से निसंतान लोगों को गोद भर जाती है।
पालिताना मंदिर तक कैसे पहुंचे? – How to Reach Palitana Jain Temple
गुजरात के भावनगर में सबसे पास एयरपोर्ट है, जो कि पालिताना से दूरी 62 किलोमीटर है। वहीं इस एयरपोर्ट से पालिताना तक बसों और टैक्सी आदि के माध्यम से भी जा सकते हैं। वहीं पालिताना मंदिर जाने के लिए भक्तजन रेल मार्ग या फिर सड़क मार्ग से भी आसानी से आ सकते हैं।
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