Girnar Jain Temple
भारत के गुजरात में जूनागढ़ जिले के पास गिरनार है, यह शहर और पर्वत, अलग-अलग मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। गिरनार जैन धर्म का सिद्ध क्षेत्र है, वहीं इसके बारे में यह मान्यता है कि जैन धर्म के 22वें तीर्थकर नेमीनाथ ने कठोर तपस्या कर यहां से निर्वाण प्राप्त किया किया था।
इसके अलावा ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी गिरनार का काफी महत्व है। गिरनार को अन्य कई नामों से जाना जाता है।
जैन धर्म का सिद्ध क्षेत्र गिरनार – Girnar Jain Temple History in Hindi
आपको बता दें कि गुजरात शहर के गिरनार क्षेत्र की यह पवित्र पहाड़ियां करीबन 3500 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं, जबकि यहां काफी संख्या में चोटियां भी हैं। अंबामाता, गौरखनाथ, औघड़ सीखर, गुरु दत्तात्रेय और कालका यहां की प्रमुख और मशहूर चोटियां हैं।
यह पहाड़ियां ऐतिहासिक मंदिरों और राजाओं के शिलालेखों के लिए काफी मशहूर हैं और इनका अपना एक अलग महत्व है। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि मंदिर के नीचे एक चट्टान पर सम्राट अशोक का स्तंभ भी बना हुआ है।
गिरनार मुख्य रुप से जैन मतावलंबियों का पवित्र तीर्थ स्थल है। वहीं महाभारत के मुताबिक गिरनार रेवतक पर्वत की क्रोड़ में बसा हुआ प्राचीन तीर्थ स्थल है।
पहाड़ की चोटी पर कई जैन मंदिर भी हैं, यहां तक पहुंचने का मार्ग काफी कठिन और दुर्गम है। गिरी शिखर तक पहुंचने के लिए 7 हजार से भी ज्यादा सीढ़ीयां हैं। वहीं इन मंदिरों में सबसे पुराना मंदिर गुजरात नरेश कुमार पाल के समय का बना हुआ है। दूसरा वस्तुपाल और तेजपाल नामक दो भाईयों ने बनवाया था, जो कि तीर्थकर मल्लिकानाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
तीसरा सबसे विशाल और भव्य मंदिर नेमिनाथ का है। जैन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक 22वें तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ का विवाह जूनागढ़ की राजकुमारी के साथ तय हुआ।
वहीं बारात के समय में नेमीनाथ ने कई पशुओं को बंधा देखकर इसके बारे में पूछा, जिसके बाद पता चला कि कई मांसाहारी राजाओं के लिए इन बेजुबान और निर्दोष पशुओं का मांस बनाया जाएगा, यह सुनकर तीर्थकर नेमीनाथ काफी दुखी हुए, इसके बाद वे गिरनार पर्वत पर तपस्या करने चले गए और इसके बाद उन्होंने यहां निर्वाण प्राप्त किया।
आपको बता दें कि हर कार्तिक पूर्णिमा को गिरनार की परिक्रमा होती है, इस परिक्रमा में गिरनार के भव्य और विशाल के जंगल के दर्शन होते हैं। इस परिक्रमा के दौरान अन्य कई तीर्थस्थल भी पड़ते हैं।
इस पवित्र गिरनार और जैनियो के सिद्ध क्षेत्र से 22वें तीर्थकर नेमीनाथ समेत 70 करोड़ 700 मुनियों ने भी मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए इसका बेहद महत्व है और दूर-दूर से लोग इसके दर्शन के लिए यहां आते हैं। वहीं ऐसी मान्यता है कि जो भी सच्चे भाव से गिरनार के दर्शन करता है, उसकी मांगी गई हर मुराद यहां पूरी होती है।
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