Computer History in Hindi
आज दुनिया का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा हो। डाटा को सुरक्षित करने के लिए, सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए, गेम खेलने के लिए, टाइप करने के लिए, मूवी देखने के लिए या फिर प्रोजक्ट बनाने समेत तमाम कामों के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं, और तो और आज कंप्यूटर, घर बैठे-बैठे पैसे कमाने का भी अच्छा स्त्रोत बन गया है।
कंप्यूटर ने आज जटिल से जटिल चीजों को भी बेहद आसान बना दिया है, जिसकी सहायता से हम घंटों का काम अब मिनटों में कर सकते हैं। कंप्यूटर के निर्माण से न सिर्फ तमाम रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं, बल्कि दुनिया के विकास को गति मिली है और अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है।
वहीं आज दुनिया के ज्यादातर काम कंप्यूटर पर निर्भर हो गए हैं, अगर कंप्यूटर का अविष्कार नहीं हुआ होता तो शायद आज दुनिया में इतनी तेजी से विकास नहीं हो पाता, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैसे हुई कंप्यूटर की शुरुआत और किसने किया इसका अविष्कार? अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको अपने इस लेख में इन सभी सवालों के जबाव देंगे, तो आइए जानते हैं –
आज हर किसी की जरुरत बना “कंप्यूटर” जानिए आख़िर क्या हैं इसका इतिहास – Computer History in Hindi
कंप्यूटर क्या है? – What is Computer
कंप्यूटर एक ऑटोमेटिक इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसे सूचनाओं के साथ कुछ तय निर्देशों के अनुसार काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। जिसका इस्तेमाल कई तरह की तर्कपूर्ण गणनाओं के लिए किया जाता है।
इसके साथ ही कंप्यूटर इनपुट डिवाइस की सहायता से आंकड़ों को स्वीकार करता है, उन्हें प्रोसेस करता है, और उन आंकड़ों को आउटपुट डिवाइस की मदत से इंर्फोमेशन के रुप में प्रदान करता है।
Computer एक लैटिन शब्द ‘Computare’ से लिया गया है।
जिसका मतलब होता है गणना करना। इसलिए यह संगणक या गणक या अभिकलक यंत्र भी कहलाता है लेकिन कंप्यूटर को सिर्फ एक जोड़ने वाली मशीन कहना उचित नहीं होगा क्योंकि कंप्यूटर का इस्तेमाल सिर्फ जोड़ने के लिए नहीं किया जाता है, इसके अलावा भी यह कई अलग-अलग काम करने के लिए इस्तेमाल होता है।
अर्थात कंप्यूटर की परिभाषा को शब्दों के माध्यम से नहीं बताया जा सकता है।
आइए अब नजर डालते हैं कंप्यूटर के इतिहास पर – Computer History in Hindi
महान वैज्ञानिक और खगोल शास्त्री आर्यभट्ट से जुड़ा है कंप्यूटर का इतिहास –
कंप्यूटर के निर्माण का श्रेय भारत के प्राचीन प्रख्यात गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री आर्यभट्ट को भी दिया जाता है, क्योंकि इन्होंने शून्य की खोज की, जिसकी बदौलत बाइनरी नंबर सिस्टम बनाया गया और इसकी सहायता से कंप्यूटर का निर्माण संभव हो सका।
अबेकस (ABACUS) के निर्माण से जुड़ा है कंप्यूटर का इतिहास –
कंप्यूटर की शुरुआत गणना से जुड़ी हुई है, मनुष्य के लिए गणना करना शुरु से ही जटिल रहा है, एक सीमित स्तर तक ही मनुष्य केलकुलेशन या गणना कर सकता है, इसलिए इसके लिए मशीन की जरूरत महसूस होने लगी, जिसके लिए करीब 3000 साल पहले चीन के वैज्ञानिकों ने पहली मैकेनिकल (Mechanical ) गणना करने वाली मशीन अबेकस (ABACUS) का निर्माण किया गया।
आपको बता दें कि इस मशीन में एक आयताकार फ्रेम में लोहे की छड़ों में संख्याओं की गणना के लिए लकड़ी की गोलियां लगी रहती थी, जिनको ऊपर नीचे करके गणना या कैलकुलेशन की जाती थी।
यह बिना लाइट के चलने वाला कंप्यूटर था, जो कि काम करने के लिए मनुष्य पर ही निर्भर था, वहीं इस मशीन के निर्माण से कंप्यूटर का विकास संभव हो सका है। इसे कंप्यूटर के विकास का आधार माना जाता है।
एंटीकाईथेरा तंत्र – Antikythera Mechanism
प्राचीन यूनानियों के द्दारा सूर्या और चन्द्रमा गृहों की गति के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला एंटीकाइथेरा तंत्र भी एक तरह का खगोलीय कैलकुलेटर था। ऐसा माना जाता है कि इस यंत्र को करीब 2000 साल पहले बनाया गया था।
एंटीकाईथेरा यंत्र वैज्ञानिकों को साल 1901 में एंटीकाइथेरा द्वीप पर मिला था, यह यंत्र पूरी तरह से बर्बाद हो चुके एक जहाज से अलग-अलग टुकड़ों में जीर्ण-क्षीर्ण हालत में मिला था। इसके बाद वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च और मेहनत के बाद इसे डिकोड कर लिया, इसलिए यह विश्व का पहला एनालॉग कंप्यूटर भी कहलाता है।
आपको बता दें कि यूनानियों ने एंटीकाईथेरा सिस्टम का इस्तेमाल गणितीय और खगोलीय आंकड़ों के सही इस्तेमाल के लिए किया था।
नेपियर बोनस से जुड़ा है कंप्यूटर का इतिहास –
सर जॉन नेपियर ने साल 1616 में एक गणना उपकरण बनाया था, जिसे नैपियर बोनस कहा गया, उस समय बेहतर गणना के लिए इस उपकरण का निर्माण किया गया था।
इसका इस्तेमाल जोड़, घटाव, गुणा, भाग के लिए किया गया था, जिसे हाथी के दांत से बनी 11 छड़ सेट से बनाया गया था, वहीं यह एक आयताकार उपकरण था।
इसके साथ ही आपको बता दें कि जॉन नेपियर, लोगारिथम्स की खोज के लिए मशहूर गणितज्ञ थे।
पास्कलाइन (Pascaline) से जुड़ा है कंप्यूटर का इतिहास –
अबेकस और नेपियर बोनस के निर्माण के बाद पास्कलाइन का निर्माण किया गया। फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल द्धारा साल 1642 में पास्कलाइन का अविष्कार किया गया। यह उस समय बेहतर गणना करने के लिए जाना जाता था।
वहीं इसे मैकेनिकल कैलकुटर और एडिंग मशीन भी कहा जाता था, आपको बता दें कि इस आयताकार मशीन में दांतेयुक्त पहिए लगे थे, जो कि घूमते रहते थे वहीं इस व्हील के दांतों पर 0-9 तक के नंबर छिपे रहते थे।
Jacquard’s Loom से जुड़ी है कंप्यूटर की खोज –
फ्रांसीसी बुनकर (Weaver) जोसेफ जेकार्ड (Joseph Jacquard) ने साल 1801 में कपड़े बुनने के ऐसे लूम का निर्माण किया था, जो कि कपड़ो में डिजाइन या पैटर्न को कार्डबोर्ड के छिद्रयुक्त पंचकार्डो से कंट्रोल करता था।
वहीं इस loom की खासियत यह थी की यह कपड़े की डिजाइन या पैटर्न को कार्डबोर्ड के छिद्र युक्त पंचकार्ड से कंट्रोल करता था। चित्रों की उपस्थिति और अनुपस्थिति द्वारा पंचकार्ड पर धागों को निर्देशित किया जाता था।
चार्ल्स बैबेज द्दारा डिफरेंस इंजन (Difference Engine) और एनालिटिकल इंजन की खोज
साल 1822 में अंग्रेज गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज द्धारा एक ऐसा यंत्र बनाया गया, जो बेहद कम समय में एकदम सटीक गणनाएं करने में सक्षम था। जिसे डिफरेंस इंजन कहा गया इसका खर्च ब्रिटिश सरकार ने उठाया था।
वहीं इसमें प्रोग्राम स्टोरेज के लिए पंच कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था, इस मशीन में सॉफ्ट और गियर लगे होते थे और यह स्टीम अथवा भाप से चलती थी। वहीं साल 1833 में चार्ल्स बैबेज ने डिफरेंस इंजन का विकसित रुप तैयार किया जिसे एनालिटीकल इंजन कहा गया। यह दुनिया का पहला सामान्य कंप्यूटर था।
वहीं आज इसके आधार पर ही तरह-तरह के मॉडर्न टेक्नोलॉजी वाले कंप्यूटरों का निर्माण हो रहा है। इसलिए ब्रिटिश गणतिज्ञ चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर का जनक कहा जाता है।
Zuse-Z3 Machine –
“Zuse-Z3” नामक एक अदभुत यंत्र का अविष्कार एक महान वैज्ञानिक कोनार्ड जुसे (Konrad Zuse) के द्धारा किया गया। यह बाइनरी अर्थमैटिक की गणनाओं और फ्लॉटिंग प्वाइंट अर्थमैटिक की गणनाओं पर आधारित सबसे पहला इलैक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था।
“ENIAC” (Electronic Numerical Integrator and Computer) –
अमेरिका के मिलिट्री रुम ने “ENIAC” मशीन का साल 1946 में निर्माण किया। यह मशीन डेसीमल अर्थमेटिक सिस्टम पर काम करती थी। वहीं यह मशीन आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर के विकास का आधार बनी।
Manchester Small-Scale Experimental Machine (SSEM) –
साल 1948 में फ्रेडरिक विलियम्स और टॉम किलबर्न के द्धारा मैनचेस्टर स्माल स्केल मशीन का निर्माण किया गया। यह पहला ऐसा कंप्यूटर था, जो किसी भी तरह के प्रोग्राम को वैक्यूम ट्यूब में सुरक्षित रख सकता था।
कम्यूटर के विकास को जनरेशन के आधार पर 5 हिस्सों में बांट दिया गया है जो कि इस प्रकार है –
First Generation (1940-1956) Vaccum Tubes –
वैक्यूम ट्यूब तकनीक का इस्तेमाल सबसे पहले पहली पीढ़ी के कंप्यूटर में किया गया था। वहीं इन कम्प्यूटरों का आकार काफी बड़ा होता था, यही नहीं इन कंप्यूटर के इस्तेमाल में लाइट की भी ज्यादा खपत होती थी, इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं होता था, वहीं यह वेक्यूम ट्यूब ज्यादा गर्मी भी पैदा करती थी।
हालांकि इन कंप्यूटर में गणना करने की क्षमता कम होने के साथ-साथ डाटा स्टोर करने की क्षमता भी सीमित थी। ENIAC कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कंप्यूटर का उदाहरण है।
Second Generation (1956-1963) Transistors –
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब की जगह transistors का इस्तेमाल किए जाने लगा। इन कंप्यूटर का आकार पहली पीढ़ी के कंप्यूटर से छोटा था वहीं यह पहली पीढ़ी के कम्यूटर की तुलना में सस्ते थे, तेज थे और ऊर्जा भी कम जनरेट करते थे, लेकिन हीट की समस्या इस पीढ़ी ते कंप्यूटर में भी थी।
Third Generation (1964-1971) Integerated Circuits –
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में Integerated circuit का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें सिलिकॉन चिप के अंदर छोटे-छोटे Transisitors को डाला गया वहीं इसे सेमी कंडक्टर कहा जाता था।
थर्ड जनरेशन के कंप्यूटर में प्रोसेसिंग क्षमता काफी ज्यादा बढ़ गई थी, वहीं इसी पीढ़ी के कंप्यूटर में मॉनीटर, कीबोर्ड और ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया।
Fourth Generation (1971- Present) Microprocessors –
इस पीढ़ी के कंप्यूटर में माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया। इसके इस्तेमाल से कंप्यूटर की प्रोसेसिंग क्षमता और ज्यादा बढ़ गई। वहीं इस पीढ़ी के कंप्यूटर में ही डेटाबेस काम के लिए आसान सॉफ्टवेयर की शुरुआत की गई। जैसे -स्प्रेडशीट।
Fifth Generation (Present) Artificial Intelligence –
पांचवी पीढ़ी यानि की आधुनिक युग के कंप्यूटर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) होने की वजह से डिसीजन लेने की क्षमता आ चुकी है। वहीं अब हर क्षेत्र में काम करने के लिए कंप्यूटर विकसित किया जा रहा है।
आज हर साइज के कम्यूटर मार्केट में उपलब्ध हैं, जिसे लोग अपनी जरूरत के मुताबिक खरीद सकते हैं और इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
तो इस तरह कंप्यूटर की शुरुआत हुई, और आज पूरी दुनिया कंप्यूटर पर निर्भर हो चुकी है। वहीं आने वाले समय समय में इसकी उपयोगिता और भी अधिक बढ़ने की संभावना है।
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अद्भुत रिसर्च
मैम आपकी आर्टिकल काफ़ी रिसर्च के साथ होती है..लेकिन इतनी गहराई तक रिसर्च कर पाना कैसे संभव हो पाता है. ख़ैर बहुत शानदार अद्भुत
computer के बारे में काफी देअतिल शेयर की है आपने मेने ये बाते सबसे पहले computer की पहली क्लास में सुनी थी आज यादे तजा हो गयी 🙂 मेने आपको मेल किया है उसे जरुर देखे सर