Essay on Air Pollution in Hindi
मानव शरीर के लिए वायु अति महत्वपूर्ण है, जीवित रहने के ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इसके बिना इंसान के जीवन की कल्पना करना असंभव है। वहीं अगर मानव शरीर के मस्तिष्क तक आक्सीजन अच्छी तरह से नहीं पहुंचे, तो मानव शरीर की बहुत सारी कोशिकाएं नष्ट हो जाएगी और इसका सीधा असर मनुष्य के शरीर पर पड़ सकता है, इसकी कमी से व्यक्ति अपाहिज या दिमागी रुप से कमजोर भी हो सकता है।
लेकिन जरा सोचिए अगर वायु ही प्रदूषित हो जाए और ऑक्सीजन लेना मुश्किल हो तो यह हमारी मृत्यु का भी कारण बन सकती है।
वायु प्रदूषण – Vayu Pradushan को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूलों, कॉलेजों की तरफ से निबंध लेखन प्रतियोगिता में इस विषय पर निबंध लिखवाए जाते हैं, इसलिए हम आपको आज वायु प्रदूषण पर निबंध – Essay on Air Pollution उपलब्ध करवा रहे हैं जो कि बच्चों के निबंध लेखन प्रतियोगिता में उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
वायु प्रदूषण पर निबंध – Essay on Air Pollution in Hindi
पूरा विश्व आज वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। किसी भी तरह के जैविक, रसायन, सूक्ष्म और विषैले पदार्थों का वातावरण में मिलना ही वायु प्रदूषण – Vayu Pradushan कहलाता है। वायु प्रदूषण से न सिर्फ कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां पनप रही हैं बल्कि मानव जीवन की गुणवत्ता और ताजी हवा भी दूषित हो रही है।
दरअसल, हमारे वायुमंडल में पाई जाने वाली गैसें एक निश्चत मात्रा और एक निश्चत अनुपात में होती है, जिनमें 21 फीसदी ऑक्सीजन की मात्रा, 78 फीसदी नाइट्रोजन की मात्रा और 0.03 परसेंट कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा जबकि 0.97 % हीलयम, आर्गन, जेनान, क्रिप्टान, निऑन, ओजोन और हाइड्रोजन समेत जलवाष्प वायु में मिली होती है।
जो कि वायु को संतुलित बनाए रखती है लेकिन जब कुछ विषैले तत्व वायु में समाहित हो जाते हैं तो वायुमंडल में मौजूद गैसों का संतुलन बिगड़ जाता है और यह मानव जीवन को बुरी तरह प्रभावित करता है।
वहीं बढ़ रहे औद्योगीकरण से एक तरफ जहां देश के विकास को गति मिल रही है। वहीं दूसरी तरफ इससे निकलने वाला धुंआ वायु को तेजी से दूषित कर रहा है, जिससे शुद्ध वायु नहीं मिल पा रही है और दिन पर दिन इंसान का सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है।
वायु प्रदूषण का मुख्य कारण लगातार बढ़ रही जनसंख्या भी है, दरअसल आबादी बढ़ने से प्राकृतिक संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या को बढ़ावा मिल रहा है।
इसके अलावा ट्रांसपोर्ट के साधनों में वृद्धि अर्थात वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु में जहर घोल रहा है, जिसकी वजह से वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है।
आज के युग में मनुष्य अपनी सुख-सुविधा के लिए अंधाधुंध वनों की कटाई कर रहा है, जिससे वायु प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है। दरअसल पेड़ों की कटाई से वायुमंडल में मौजूद गैसों को संतुलन लगातार बिगड़ रहा है, जिससे वायु लगातार जहरीली होती जा रही है और मानव शरीर को नुकसान पहुंचा रही है।
यह तो हम सभी जानते हैं कि पेड़-पौधे हानिकारक गैस कार्बन डाई ऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन को बाहर छोड़ते हैं, जिसे हम मानव ग्रहण करते हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण के लिए परमाणु परीक्षण भी जिम्मेदार हैं।
यही नहीं सूखा कचरा जलाना, मरे हुए मवेशी, रसायनिक पदार्थों से बनी हुई वस्तुओं का अत्याधिक इस्तेमाल, धूम्रपान करने से, खेती के लिए कीटनाशकों का ज्यादा इस्तेमाल, गांवों में लकड़ी जलाने से उत्पन्न होने वाले धुआं से भी वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।
आपको बता दें कि वायु प्रदूषण के लिए मानव निर्मित कारण ही नहीं बल्कि प्राकृतिक कारण भी जिम्मेदार है। ज्वालामुखी के फटने से भी वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है। यही नहीं आज कल बड़े-बड़े जंगलों में आग लगने की वजह से भी वायु प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है।
इसके अलावा आंधी तूफान और तेज हवा के चलने से हमारे वायुमंडल में धूल-मिट्टी उड़ती है, जिससे धूल का एक गुबार उठता है और यह पूरी हवा को दूषित कर देता है, इससे भी वायु प्रदूषण फैलता है। इसके अलावा फूलों के परागण से भी वायु प्रदूषण होता है।
वायु प्रदूषण से शहरी क्षेत्र ज्यादा प्रभावित हो रहा है, क्योंकि शहरों में बड़े-बड़े उद्योग धंधो और वाहनों से अत्याधिक इस्तेमाल से जहरीले गैसें वातावरण को प्रदूषित कर रही हैं। जिससे हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है। वहीं वायु प्रदूषण की वजह से लोगों को दमा, कैंसर, हार्ट अटैक और सांस संबंधी खतरनाक बीमारियां हो रही हैं।
वायु प्रदूषण के कारण हमारी धरती की रक्षा करने वाली ओजोन परत भी काफी प्रभावित हो रही है, जिसके कारण सूर्य की हानिकारक किरणें धरती पर सीधे पड़ रही हैं और कई बीमारियों को जन्म दे रही हैं।
यही नहीं वायु प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि इसकी वजह से जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है। वायु प्रदूषण की वजह से ही मनुष्य की आयु भी कम होती जा रही है, जाहिर है कि जहां मनुष्य पहले 100 साल तक एकदम स्वस्थ जीवित रहता था, लेकिन आजकल 70 साल की उम्र पार करना ही बेहद मुश्किल हो गया है।
वायु प्रदूषण की वजह से मौसम के चक्र में भी परिवर्तन आ गया है, दरअसल वायु में मौजूद रसायन वातावरण के तापमान को बढ़ाने का काम करते हैं, जिससे गर्मी ज्यादा पड़ती है। यही नहीं हवा में मौजूद रसायनों की वजह से अम्लीय वर्षा भी बहुत होती है जो फसलों को खराब कर देती है।
वायु प्रदूषण का जलवायु पर भी बुरा असर पड़ा है, जिससे बाढ़ और सूखे की स्थिति पैदा हो गई है। यही नहीं वायु प्रदूषण की वजह से सूर्य के प्रकाश की मात्रा में कमी आती है, जिसकी वजह से पौधों की प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया भी काफी हद तक प्रभावित होती है।
इसके अलावा वायु प्रदूषण से जीव-जंतुओं का श्वसन तंत्र और केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित होता है। वायु प्रदूषण की वजह से आज ज्यादातर लोगों को श्वास संबंधी परेशानियां हो रही हैं।
वायु प्रदूषण की समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही है, इसलिए इसके रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। इसके लिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए, जिससे अधिक मात्रा में ऑक्सीजन मिलेगी और प्रदूषित हवा साफ होगी।
इसके अलावा लगातार बढ़ रही आबादी पर भी रोक लगाने की जरूरत है, क्योंकि आबादी बढ़ने से ऐसे उपकरण का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा जो कि वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं, वहीं जनसंख्या वृद्धि से वातावरण में कार्बनडाई ऑक्साइड की मात्रा भी बढ़ रही है।
वायु प्रदूषण में रोक लगाने के लिए हमें उन कारखानों को भी बंद कर देना चाहिए और कोयले और परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कम करना चाहिए। इसके साथ ही हमें सौर ऊर्जा का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी और इसके साथ ही हमें पूरी ऊर्जा भी मिलेगी।
लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए हमें नियमों के मुताबिक निर्माण काम करना चाहिए। जाहिर है कि हमारे भारत देश में पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ते रहते हैं, जिनसे बहुत ज्यादा मात्रा में धुआं निकलता है और यह हवा को जहरीला बना देते हैं।
वहीं ऐसा नहीं है कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार प्रयास नहीं कर रही है। इस दिशा में सरकार ने कई नियम कानून भी बनाए हैं लेकिन फिर भी वायु प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, जिस पर न सिर्फ गौर करने की जरूरत है बल्कि इस समस्या का समाधान करने की जरूरत है। हम सभी को आपस में मिलकर इस समस्या का समाधान करना चाहिए और इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलानी चाहिए और इसके बचने के उपायों के बारे में भी बताना चाहिए जैसे कि औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर करना चाहिए।
लंबी चिमनी के इस्तेमाल के लिए लोगों को प्रेरित करने की जरूरत है, ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने जाने पर जोर देना चाहिए और इस तरह के कई सकारात्मक प्रयासों को करना चाहिए, क्योंकि जब सब एकजुट होकर इस समस्या के बारे में सोचेंगे तभी इस गंभीर समस्या से छुटकारा मिल सकेगा।
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