Essay on Water Pollution
जल ही जीवन है, लेकिन जब यह जल ही जहर बन जाए तो जीवन खतरे में पड़ सकता है जी हैं हम बात कर रहे हैं जल प्रदूषण की। जल प्रदूषण (Water Pollution) अब एक ऐसी विकराल समस्या बन चुकी है कि अगर इस पर अभी ध्यान नहीं दिया जाए और इसके रोकथाम के प्रयास नहीं किए गए तो धरती पर रह रहे मनुष्य, जीव-जन्तु और वनस्पति सभी का जीवन गहरे संकट में पड़ सकता है।
इसलिए आग की तरह फैल रही जल प्रदूषण की समस्या को लेकर जागरूक करने के लिए कई जागरूकता प्रोग्राम चलाने की जरूरत है। इसके साथ ही इसके दुष्प्रभावों को सभी के लिए जानना जरूरी है और यह भी जानना जरूरी है कि जल प्रदूषण की समस्या कैसे पैदा हुई, और यह किस तरह मानव जीवन को प्रभावित कर रही है।
इसलिए इसके लिए हम आपको जल प्रदूषण पर निबंध – Essay on Water Pollution उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है –
जल प्रदूषण पर निबंध – Essay on Water Pollution in Hindi
प्रदूषण यानि कि जब पर्यावरण में कुछ ऐसे दूषित पदार्थों का समावेश हो जाता है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है जिससे न ही शुद्ध हवा मिलती है, न शुद्ध जल नसीब होता है और न ही शांत वातावरण मिलता है तो उसे प्रदूषण की संज्ञा दी जाती है।
जल के प्राकृतिक स्त्रोतों जैसें, नदी, झील, समुद्र, तालाब, कुंए, नाले समेत अन्य स्त्रोत जहां से जल प्राप्त होता, उसमें दूषित पदार्थ का मिलना ही जल प्रदूषण है। कारखानों से निकलने वाला दूषित पदार्थ नदी-नालों और जल के अन्य स्त्रोतों में मिलकर जल दूषित करता है और कई बीमारियों को न्योता देता है।
जैसे कि हम सभी जानते हैं कि जल पर ही समस्त मानव जीवन, जीव-जन्तु और वनस्पति निर्भर है, जल मानव जीवन का अभिन्न आधार है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित पदार्थ प्राकृतिक जल स्त्रोतों में मिलकर मानव जीवन को खतरे में डाल रहा है। वहीं जल प्रदूषण – Water Pollution की समस्या दिन ब दिन विकराल रुप धारण करती जा रही है। इसलिए इस समस्या पर गौर करने की जरूरत है।
जल प्रदूषण का सबसे मुख्य कारण (Jal Pradushan ke Karan) फैक्ट्रियां और कारखाने है, तेजी से हो रहे औद्योगीकरण से जल प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है।
दरअसल, कारखानों के लगने से इनके अवशिष्ट और दूषित पदार्थों को तालाबों, नदियां, नहरों समेत अन्य प्राकृतिक स्त्रोतों में बहा दिया जाता है और जिससे यह पूरे पानी को जहरीला बना देता है।
वहीं इससे न सिर्फ जल में रहने वाले जीव-जन्तु और पौधों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि इस दूषित पानी से कई तरह की घातक बीमारियां फैलती है और समस्त मानव, जीव-जन्तु और पशुओं का जीवन बीमारियों से घिर जाता है।
इसके अलावा शहरों और गांवों में निकलने वाला कई हजार टन कचरा जो नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है। दरअसल, घरों के दैनिक कामों में इस्तेमाल होने वाले जल को स्नान करने, बर्तन धोने और कपड़ा धोना के रुप में नालियों के माध्यम से बाहर बहा दिया जाता है।
जिसमें कई ऐसे डिर्टजेन्ट और कार्बनिक पदार्थ मिल जाते हैं और फिर यह जल जलस्त्रोतों में मिलकर नदियां, नालों के जल को दूषित करते हैं। जिससे जल प्रदूषण सी समस्या पैदा हो रही है।
यही नहीं आलम यह है कि नदी जल का करीब 70 फीसदी हिस्सा प्रदूषित हो जाता है। आपको बता दें कि भारत की मुख्य नदियां जैसे बह्रापुत्र, सिंधु, गंगा, झेलम, सिंधु समेत आदि नदियां बड़े पैमाने पर प्रभावित हो चुकी हैं।
वहीं भारत की मुख्य नदियां भारतीय परम्परा और संस्कृति से जुड़ी हुई हैं। आमतौर पर लोग पूजा-पाठ की सामग्री नदियों में बहाते हैं, जिसकी वजह से जल प्रदूषण – Water Pollution की समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही है।
वहीं केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण प्रदूषण बोर्ड की माने तो भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा सबसे ज्यादा प्रदूषित नदी है। भारत के उत्तप्रदेश राज्य के कानुपर के पास बनी चमड़ा फैक्ट्री और कपड़ा मिलों का भारी मात्रा में कार्बनिक कचरा गंगा नदी में बहाया जाता है।
जिसके चलते यह माना गया है कि, इस पवित्र नदी में रोजाना करीब 200 मिलियन लीटर औद्योगिक कचरा और करीब 1400 मिलियन लीटर सीवेज का कचरा बहाया जाता है। जिससे यह नदी दिन पर दिन प्रदूषित होती जा रही है, वहीं इस दिशा में सरकार की तरफ से जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
इसके अलावा गौर करें तो आधुनिक युग में अच्छी खेती और फसल के उत्पादन के लिए कई तरह की नई-नई तकनीकी और पद्धतियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके चलते भारी मात्रा में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक दवाइय़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
जिससे फास्फेट एवं नाइट्रेट जैसे विषैले पदार्थों से जल प्रदूषित होने लगता है और खेतो में डाला गया यही जल तालाब, नदी और नालों में पहुंच जाता है जो कि इसके जल में मिलकर पूरा पानी विषैला कर देता है जिससे जल प्रदूषण – Water Pollution की समस्या बढ़ रही है।
जहाजों से होने वाला तेल का रिसाव भी जल प्रदूषण की समस्या को बढ़ा रहा है। दरअसल समुद्र में जहाज के तेल का भारी मात्रा में रिसाव होता है, और तो और कई बार तो पूरा तेल टैंकर ही समुद्र में तबाह हो जाता है या फिर जहाज के डूबने से इसमें मिले विषाक्त पदार्थ समुद्र के जल को प्रदूषित कर देते हैं।
जहाजों से निकलने वाला तैलीय अपशिष्टों के अलावा खाना पकाने के बाद बचा हुआ तेल और वाहनों में पेट्रोल एवं डीजल का इस्तेमाल और उनका अवशेष भी किसी न किसी रुप में नदियों में बहा दिए जाते हैं, जिससे जल प्रदूषण – Water Pollution को बढ़ावा मिलता है। एक आकलन के मुताबिक हर साल समुद्र में करीब 50 लाख से 1 करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पादों का रिसाव होता है।
वहीं परमाणु विस्फोट की वजह से काफी बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी अपशिष्टों के कण दूर-दूर तक हवा में फैल जाते हैं और यह कई तरीकों से जल स्त्रोतों में मिलकर जल को प्रदूषित कर देते हैं।
जल प्रदूषण की समस्या से बड़े स्तर पर मानव जीवन प्रभावित हो रहा है, प्रदूषित पानी पीने से कॉलरा, टीवी, उल्टी, दस्त पीलिया जैसी गंभीर बीमारियां फैल रही है। वहीं करीब 80 फीसदी मरीज दूषित पानी की वजह से बीमारियों की चपेट में है इसलिए जल प्रदूषण की समस्या पर गौर करना अति महत्वपूर्ण है।
इसके लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को पेड़-पौधे लगाने चाहिए जिससे मिट्टी के कटाव को रोका जा सके। इसके साथ ही खेती के ऐसे तरीके अपनाने चाहिए जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार हो।
इसके अलावा जहरीले कचरे को बहाने के लिए सही तरीकों को अपनाना चाहिए। जल प्रदूषण – Water Pollution को लेकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना चाहिए, जिससे इस समस्या पर काबू पाया जा सके।
उद्योगों से निकलने वाले विशैले पदार्थों को प्राकृतिक स्त्रोतों में बहाने से रोकना चाहिए और इसके लिए उचित कानून बनाए जाने चाहिए। इसके साथ ही इस दिशा में सरकार की तरफ से महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए तभी जल प्रदूषण – Water Pollution जैसी भयंकर समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
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