Prakash Amte
प्रकाश आमटे, की ख्याति एक समाजसेवी के रूप में फैली हुई है। इन्होंने अपनी पूरी जिंदगी आदिवासियों की सेवा में गुजार दी। आपको बता दें कि वे ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’ प्राप्त बाबा आमटे के बेटे हैं।
आदिवासियों की जिंदगी से अंधकार को दूर करने वाले “प्रकाश आमटे” – Prakash Amte
बाबा आमटे ने महाराष्ट्र के गढ़चिरोली जिले के हेमलकसा (Hemalkasa) में लोकबिरादरी प्रकल्प की स्थापना की थी। इसके अलावा वे स्थानीय आदिवासियों के विकास और चिकित्सा के लिए भी काम किया करते थे। उन्होंने खासकर कुष्ट रोगियों के लिए काम किए और उनके लिए आनंदवन की स्थापना भी की थी। पिता बाबा आमटे के निधन के बाद डॉ. प्रकाश और उनके बेटे अनिकेत और दिगंत, यहां की जिम्मेदारी संभालते हैं।
प्रकाश आमटे और उनकी पत्नी मंदाकिनी आमटे खुद भी एक डॉक्टर हैं और वे दोनों अपने पिता बाबा आमटे की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इस आदिवासी क्षेत्र की सेवा करने में अपना पूरा ध्यान लगाते हैं।
हेमलकसा में प्रकाश दम्पति ने एक बिना दरवाजे की कुटिया बनाई और यहां रहने लगे, यहां न तो बिजली की व्यवस्था थी और न निजता की कोई गोपनीयता थी। माडिया गौंड आदिवासियों के लिए इस डॉक्टर दंपति ने चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने और उचित शिक्षा देने का काम संभाला।
शुरुआत में तो यह उनके लिए कठिन था, लेकिन फिर धीरे-धीरे आदिवासियों के बीच रहकर, वे आदिवासियों का भरोसा जीतने में सफल हुए और उनकी सेवा कर अपने लिए आदिवासियों के मन में जगह बनाई।
महाराष्ट्र के हेमलकसा में 1975 में स्विट्जरलैण्ड की वित्तीय सहायता से एक छोटा सा अस्पताल बनाया गया, जिसमें मेडिकल की अच्छी सुविधा उपलब्ध करवाई गई, जिससे ड़ॉक्टर प्रकाश और उनकी डॉक्टर पत्नी मंदाकिनी के लिए यहां कुछ ऑपरेशन भी कर पाना सम्भव हो पाया।
यहां डॉक्टर दंपति ने मलेरिया, तपेदिक, पेचिश-दस्त के साथ आग से जले हुए लोगों का और सांप-बिच्छू आदि के काटे का इलाज किया, और कई लोगों को इनके इलाज से फायदा भी पहुंचा। जिसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा आदिवासी लोग इलाज के लिए इनके पास आने लगे।
डॉक्टर प्रकाश और मंदाकिनी ने आदिवासियों की शिक्षा के लिए भी काफी काम किए। डॉक्टर दंपति ने आदिवासियों को उनके अधिकारों के बारे में बताया और लालची और भ्रष्ट वन अधिकारियों को आदिवासी इलाके से हटवाया।
इसके अलावा 1976 में हेमलकसा में एक स्कूल की स्थापना की। पहले तो आदिवासी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते थे, लेकिन फिर वह अपने बच्चों को इस स्कूल में भेजने लगे। इस स्कूल में आदिवासी बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार करने की जानकारी भी उपलब्ध करवाई जाती थी।
हेमलकसा स्कूल में इन आदिवासियों को खेती-बाड़ी, फल-सब्जी उगाना और सिंचाई आदि की जानकारी दी जाती थी। इसके अलावा वन संरक्षण के बारे में भी आदिवासियों की सोच विकसित करने में इस दंपति ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
इस स्कूल से पढ़ाई कर निकले बच्चे आज डॉक्टर, वकील, अधिकारी और अध्यापक बनकर अपने जीवन का निर्वाह कर रहे हैं। आपको बता दें कि इसी स्कूल में इस डॉक्टर दंपति के बेटे ने भी पढ़ाई की है।
यही नहीं डॉ. प्रकाश आमटे ने जंगली जानवरों के लिए एक एनिमल पार्क भी बनाया है, जहां अनाथ हो चुके छोटे जंगली जानवरों को रखा जाता है। आपको बता दें कि यह एनिमल ऑर्फनेज उनके घर के आंगन में ही हैं, जहां आज भालू, तेंदुए, मगरमच्छ समेत 60 से भी अधिक जानवर पल रहे हैं, प्रकाश आमटे इन जानवरों को अपने हाथ से खाना भी खिलाते हैं।
दरअसल, लोग जानवरों का यहां आकर शिकार करते थे जिसके बाद डॉक्टर आमटे घायल जानवरों का इलाज करते हैं।
इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि आमटे दम्पत्ति का अस्पताल आदिवासियों के बीच हेमलकसा में चल रहा है। जिसमें आदिवासियों का बिना किसी शुल्क लिए इलाज किया जाता है। इसके अलावा वहां एक मातृत्व सदन की भी स्थापना की जा चुकी है, जिसमें स्वास्थ्य शिक्षा दी जाती है।
आमटे दम्पति को साल 2008 में उनकी सामाजिक सेवाओं के लिए ‘मैग्सेसे पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। साल 1973 से डॉ. प्रकाश महाराष्ट्र में सक्रिय सोशल एक्टिविस्ट हैं, उनके काम की सराहना करते हुए साल 2002 में भी प्रकाश आमटे को पद्मश्री अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें सामाजीक कार्यों के लिए 2014 में मदर टेरेसा अवॉर्ड से भी नवाजा गया था।
डॉक्टर प्रकाश आमटे बनीं फिल्म – Prakash Amte Movie
डॉक्टर प्रकाश आमटे पर फिल्म भी बनाई गई है, जिसका नाम है Dr Prakash Baba Amte : The Real Hero इस फिल्म में नाना पाटेकर ने लीड रोल नीभाया था। फिल्म 2014 में रिलीज हुई थी।
इस तरह प्रकाश आमटे ने अपनी पूरी जिंदगी आदिवासियों की सेवा करने में और उनका विकास करने में लगा दी, जो कि वाकई तारीफ-ए-काबिल है। वहीं इससे दूसरे लोगों को भी सीखने की जरूरत है।
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Bahut useful information di aapne
इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद मनजीत जी, आदिवासियों के मसीहा कहलाए जाने वाले प्रकाश आम्टे से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है।
Nice article sir
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