Akbar Tomb
देश में ऐसी कई सारी जगह है जो हमे एक साथ सभी धर्मो(हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई और जैन) की झलका दिखाते है। ये जगह भारत में पुरातन काल से मौजूद है। कहा जाता है की मुगल शासक अकबर ने कई सारी ऐसी जगहों का निर्माण किया जिनमे से एक है अकबर का मकबरा (Akbar Tomb)जिसे आमजन सिकन्दरा (Sikandra )के नाम से भी जानते है।
यह जगह सभी धर्मो के प्रतीक चिन्हों को महत्व देता है। शायद ऐसी चीजो के निर्माण के चलते ही अकबर को एक महान शासक कहा गया है क्योकि उसके शासन में सभी धर्म के लोगो को अपना धर्म मानने की इजाजत है। अकबर के मकबरे की वो जानकारी जो शायद आप नहीं जानते होगे।
सभी धर्मो की झलक दिखाता अकबर का मकबरा उर्फ़ सिकंदरा – Akbar Tomb
अकबर के मकबरे का इतिहास – Akbar Tomb History
अकबर के मकबरे का निर्माण खुद बादशाह अकबर ने बनवाया था लेकिन उसके जीवित रहते इसे पूरा नहीं किया जा सका जिसके बाद इसे जहागीर ने पूरा करवाया जो की अकबर का बेटा था।
अकबर का मकबरे का निर्माणकार्य लगभग 1605 में शुरू हुआ जो की 1613 में बनकर तैयार हुआ और इसके निर्माण में लगभग आठ साल का समय लगा। इसके निर्माण में लगने वाला ये समय बताता है की इसे कितनी खूबसूरती से बनाया गया है।
यह मकबरा आगरा से चार किलोमीटर की दूरी पर है इसे सिकंदरा कहा जाता है। बाद में इसे सिकंदर लोधी ने सिकंदरा का नाम दिया था। इसके प्रथम तल का निर्माण अकबर के जीते जी हो गया था लेकिन बाद में उसकी मृत्यु के बाद बाकी के चार तल बने।
अकबर के मकबरे की वास्तुकला – Akbar’s Tomb Architecture
इसके बनावट में कई धर्मो का स्वरुप झलकता है जो की इसकी खासियत है। यह मकबरा वर्गाकार बना हुआ है। पांच तलो का यह मकबरा अपने आप में अद्भुत है। सबसे नीचे वाला ताल सबसे बड़ा है और फिर जैसे जैसे ऊपर जाते जाए तो इसकी चौड़ाई कम होती है और पिरामिडनुमा होती जाती है जो की इसकी ख़ास बात है।
इसके दक्षिण भाग के बीचो बीच द्वारमंड़प है और इसमें नीले अक्षरों में कुरआन की आयते लिखी हुई है। इससे उतरा हुआ एक गलियारा सख्त दीवारों वाले स्मारक की तरफ जाता है। यहाँ अकबर की कब्र है जो की चारो तरफ से भवन से घिरी है और इसे ईट और चूने से बनाया गया है।
इसमें अलग अलग रंगों का प्रदर्शन देखने को मिलता है। इसमें पांच तल है और सबसे ऊपर वाला ताल सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ है जबकि बाकी के चार तल लाल बलुआ पत्थर से बनाये गए है। यह ईमारत वर्गाकार बनी हुई है और इसके चारो ओर छतरियां बनाई गई है जो की हर एक मुग़ल निर्माण में बनवाई जाती थी।
दूसरे मंजिल में जो छतरियां बनी हुई है वो पिरामिडनुमा है और उनमे संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है जबकि बाकी शिखर गुम्बदनुमा आकार के है। अगर बात करे तीसरी और चौथी मंजिल की तो इनमे मेहराब बने हुए है और सभी क्रमबद्ध है जो की अपने आप में बहुत आकर्षक है और इन प्रत्येक मेहराबो में छतरियां लगी हुई है जो की इसकी शोभा को बढ़ा देती है।
इस प्रागंण के बीचोबीच समाधि बनी हुई है और इसमें अरब शैली के नमूने दिखाई देते है। कहा जाता है की इस मकबरे का निर्माण बाकी मुगलकालीन निर्माण इमारतों से बहुत अलग है और यहाँ उतने गुम्बद नहीं है जितने बाकी जगह है और यही बात इसे अलग भी बनाती है।
इस मकबरे को एक बाग़ ने घेर रखा है जो की अपने आप में बहुत अद्भुत है। चार्भाग के तर्ज पर बने इसे बाग़ को चार भागो में बाटा गया है। चारो भाग एक दूसरे से एक ऊँचे भाग में लग होते है जिसमे से एक छोटी से नाली निकलती है।
इस बाग़ को चारो तरफ से घे रखा है एक परकोटे ने जिसमे प्रवेश के लिए दक्षिण भाग से शाही द्वार बनाया गया है। बाकी दिशाओं में भी इसकी सुन्दरता बढाने के लिए छद्म दरवाजे बनाये गए है जो भी अद्भुत सौन्दर्य रखते है।
प्रवेशद्वार(उत्तरी) –
इसमें उत्तर का प्रवेशद्वार लगभग अब नष्ट हो गया है जो की एक समय पर मुख्य हुआ करता था। हालाँकि उत्तर और दक्षिण के प्रवेशद्वार लगभग सामान है जिनमे अलग अलग आकारों के सातमंजिला भवन है। आप इन्हें कमरे भी कह सकते है और ये आपस में एक आयताकार दरवाजे से जुड़ते है।
आगे की बात करे तो इन सभी द्वारो के के केंद्र में एक ढलानयुक्त द्वारमंडप बनाया है। इस द्वार के ऊपर एक अर्ध गुम्बद बनाया है जिसके दोनों तरफ एक के ऊपर एक मेहराबदार आलो का निर्माण करवाया गया है। इनके ऊपर छोटी छोटी छतरियां लगाईं गई है।
दक्षिण प्रवेशद्वार –
इसे मुख्य प्रवेशद्वार कहा जाता है जो की आयताकार है और ये दो मंजिला है। इस द्वार के पूर्व और पश्चिम में दो खंड बनाये है जो आगे के भाग में मौजूद है और इसमें एक के ऊपर एक आले बने हुए है। इसका केंद्रे भाग चबूतरे के ऊपर उठा हुआ है जिसमे दो छतरियां बनाई गई है।
अगर इसके बाह्य भाग की बात करे तो इसमें रंगीन पत्थरों से नक्काशी की गई है और पच्चीकारी की कला भी इसमें झलकती है। केद्रीय मेहराबदार प्रवेश द्वार में फ़ारसी भाषा से पच्चीकारी की गई है और अगर इसके मुख्य आकर्षण की बात करे तो चबूतरे के चारो कोनो में चार मीनारे बनाई गई है।
कांच महल-
इस मकबरे में एक और भवन है जिसे कांच महल कहा जाता है और यह अपनी सुन्दरता के लिए बहुत मशहूर है और यह मकबरे के दक्षिण-पूर्वी भाग के मौजूद है। कहा जाता है इसे जहागीर ने अलग से बनवाया था। तीन मंजिला यह इमारत ईट, गारा चूना और ला बलुआ पत्थर से बनाई गई है।
इस भवन का उत्तरी अग्रभाग कई सारे खंडो में बटा हुआ है। हर एक खंड अपने आप में ज्यामितीय आकार लिए हुए है। इसमें खिड़कियाँ है और उनके छत के ऊपर टाइल्स का इस्तेमाल किया गया है।
अकबर के मकबरे तक कैसे पहुँचा जाए – How to reach Akbar Tomb
अगर आप आगरा जा रहे है और आप ताजमहल देखने का मन बना रहे है तो आपको इस जगह भी अरूर आना चहिये। मुग़ल काल का अद्भुत नमूना जो की बाकी कला से लगा है। इस जगह आपको अलग अलग रंगों के साथ अलग अलग धर्मो की छटा भी देखने को मिल जाएगी।
अकबर के मकबरे का प्रवेश समय – Akbar Tomb Timings
यह शुक्रवार के दिन बंद रहता है और बाकी दिनों में आप सुबह 9 से लेकर शाम 6 बजे तक यहाँ जा सकते है।
सर्दियों के मौसम में सूर्यास्त के समय बंद हो जाता है। इसमें प्रवेश के लिए अलग अलग देशो के लोगो से अलग अलग शुल्क लिया जाता है। बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान के लोगो से यहाँ दस रुपये प्रति व्यक्ति लिया जाता है। इसके अलावा थाईलैंड और म्यांमार के लोगो के लिए भी यही नियम है।
यानी की आप कह सकते है SAARC और BIMSTEC देशो के लिए इसमें दस रुपये एक इंसान का प्रवेश शुल्क है। इसके अलावा 250 रुपये ASI प्रति व्यक्ति, टोल टैक्स के रूप में प्रति व्यक्ति 500 रुपये जिसमे आगरा फोर्ट, मकबरा, सीकरी आदि शामिल है। 15 साल से कम उम्र के बच्चो को यहाँ निशुल्क प्रवेश दिया जाता है।
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