Wadali Brothers
संगीत की दुनिया बड़ी रोचक होती है। आप जितना इस दुनिया में घुसते चले जायेगे आपका जीवन भी उतना ही शांत और सरल और होता चल जाएगा। वैसे तो देश में कई सारे संगीत सितारे हुए है लेकिन कुछ है जो सबके दिलो में छा गए और उन्ही में से एक है वडाली ब्रदर्स।
ये भाइओ की जोड़ी थी जो टूट गई। भाई पूरनचंद वडाली और प्यालेलाल वडाली इस ग्रुप में शामिल थे लेकिन बीते कुछ महीने पहले Wadali Brothers Death – प्यालेलाल वडाली का निधन हो गया। लेकिन इनकी कहानी आसान नहीं है। पहलवानी करते करते भारत के सबसे बेहतर सूफी गीतकारो में शामिल होने का सफ़र बहुत रोचक है।
कहानी वडाली ब्रदर्स की जिहोने संगीत को एक नया मुकाम दिया – Wadali Brothers
वडाली ब्रदर्स शुरुआत – Wadali Brothers Starting
दोनों भाई उस्ताद पूरनचंद वडाली और प्यारेलाल वडाली का जन्म अमृतसर पंजाब में हुआ था। उनके पिता ठाकुरदास वडाली ने पूरनचंद वडाली को संगीत सिखाया और पूरनचंद वडाली ने प्यारेलाल वडाली को संगीत सिखाया।
शुरू में केवल पूरनचंद वडाली ही गाया करते थे और प्यारेलाल जी रासलीला में कृष्ण का रोल करते थे जिससे खर्चा चल जाता था। पूरनचंद वडाली को कुश्ती का बहुत शौक था लेकिन बाद में वो संगीत में आये। सूफी संगीत को आगे ले जाने का विचार मन में आया तो जगह जगह गाने लगे। कभी गुरूद्वारे या कभी मंदिर में।
वडाली ब्रदर्स का करिअर – Wadali Brothers Careers
कहते है की इंसान को जब तक कोई नकारे नहीं तो वो सफल नहीं होता है और ऐसा ही हुआ वडाली भाइओ के साथ। साल था 1975 जब ये दोनों जालंधर के हरभाल्लाह मंदिर में गाने गए लेकिन इन्हें स्टेज में नहीं जाने दिया गया। क्योकि इनके गाने या ना गाने से किसी को फर्क नहीं पड़ता था। बस यही बात दिल में बैठ गई और सोच लिया की अब कुछ करना है।
इसके बाद एक आल इंडिया रेडियो के कर्मचारी ने कही इनका गाना सुना और इनका पहला गाना रिकॉर्ड किया और तबसे लोग इन्हें जानने लगे लेकिन उतना नहीं। इन्होने “गुरु की वडाली” की शुरुआत की और फिर उसी प्रोग्राम को लेकर जगह जगह जाते रहे।
बॉलीवुड में एंट्री-
जैसा की देखने को मिलता है की हर एक क्षेत्रीय सिंगर को बॉलीवुड में गाने का मौका जरूर मिलता है वैसा ही हुआ वडाली ब्रदर्स के साथ। साल 2003 में गुलजार के लिखे गाने फिल्म पिंजर से इन्होने बॉलीवुड में कदम रखा। इसके बाद धूप, तनु वेड्स मनु और मौसम जैसी फिल्मो में काम किया।
वडाली ब्रदर्स को मिले सम्मान – Wadali Brothers Awards
कहते है की इंसान को जब केवल अपने काम से मतलब होता है तो उसे सम्मान की फिकर नहीं होती है। वो खुद चलकर उसके पास आते है और ऐसा ही था वडाली ब्रदर्स के साथ। कपिल शर्मा के शो में इन्होने एक रोचक किस्सा सुनाया की कैसे ये पद्मश्री जैसा बड़ा सम्मान लेने नहीं जाते थे।
इन्हें 90 के दशक में भारत सरकार से बुलावा आया की आपको पद्मश्री देना चाहते थे लेकिन कई सालो तक इन्होने वो लैटर पढ़ा ही नहीं। इसके बाद जब पढ़ा तो लिखा था की केवल भाई पूरनचंद वडाली को वो ये सम्मान देना चाहते है लेकिन पूरनचंद जी ने मना कर दिया की जब दोनों को दो तो लेगे नहीं तो एक भाई ये सम्मान नहीं लेगा। ये प्यार और सम्मान था उनके मन में अपने छोटे भाई प्यारेलाल वडाली के लिए।
इसके बाद साल 2005 में दोनों को ये सम्मान मिला। साल 1992 में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, 1998 में तुलसी अवार्ड, साल 2003 में पंजाब संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, 2005 में पद्मश्री और साल 2015 में पीटीसी लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड जालंधर में मिला।
इन भाइओ का जीवन इतना सरल था की बहुत मशहूर होने के बाद भी ये साइकिल से चला करते थे। आज भी दोनों सोशल मीडिया में नहीं है। गली चलते रूककर लोगो से मिलते थे। केवल संगीत और पहलवानी का शौक था और कोई भी दिखावा नहीं।
आम जनता के बीच “पापाजी” के नाम से मशहूर है। इनके बेटे लखविंदर भी अब संगीत की दुनिया में है। दोनों भाइओ की आवाज इतनी बुलंद थी की ये बहुत कम माइक का इस्तेमाल करते थे।
छोटे भाई प्यारेलाल की मौत के बाद बड़े भाई पूरनचंद अब गाने की हिम्मत नहीं कर पाते है।
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