Presidential Election
दुनियाभर में हर देश की अपना अलग सविँधान और कानून प्रणाली है जिस वजह से देशों की चुनाव प्रणाली भी कई बार एक दूसरे अलग होती है। भारत होने वाले राष्ट्रपति चुनाव – Presidential Election भी दुनिया के दूसरे देशों से अलग होते है।
ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के सविंधान निर्माताओं ने सभी देशों की चुनाव पद्धतियों को समझने के बाद चुनावो की प्रक्रिया को निहित किया है। हालांकि राष्ट्रपति चुनावों को लेकर लोग अक्सर कंनफ्यूज रहते है कि आखिर भारत में राष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है क्योंकि राज्यसभा चुनावों की ही तरह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव आम जनता के वोटों दारा नहीं होता है तो चलिए आपको बताते है।
जानते हैं राष्ट्रपति चुनाव कैसे होते हैं – President Election
राष्ट्रपति चुनाव – Presidential Election इलेक्ट्रोरल कॉलेज द्वारा होते है। इलेक्ट्रोरल कॉलेज में लोकसभा, राज्यसभा और अलग – अलग राज्यों के विधायक होते है।
हालांकि यहां पर ये समझना जरुरी है कि इलेक्टोरल कॉलेज में लोकसभा, राज्यसभा और विधायकों के मत का अंक अलग – अलग होता है। विधायकों के वेटेज का फैसला उनके राज्य की जनसंख्या के आधार होता है और उसके बाद बची वेटेज लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों का मत में भाग करने के बाद बांट दी जाती है।
राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सदस्य बैलेट बॉक्स में अपनी पहली पंसद के बाद दूसरी तीसरी पंसद भी बतानी पड़ती है ताकि अगर पहली पंसद से राष्ट्रपति का चुनाव न हो सकें तो वोटर के दूसरी पंसद को ट्रांसफर कर दिया जाता है जिसे ट्रांसफर्बल वोट कहा जाता है।
राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए योग्यता
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए भारत की नागरिकता होना जरुरी है साथ ही 35 साल से अधिक उम्र होनी चाहिए। इसके साथ ही लोकसभा का सदस्य होना भी जरुरी है। साथ ही उम्मीदवार के साथ इलेक्टोरल कॉलेज के पचास प्रस्तावक और प्रचास समर्थक होने जरुरी है।
राष्ट्रपति को पद से कैसे हटाया जा सकता है ? – How can the President be removed from the post?
राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में 14 दिन पहले नोटिस देना पड़ता है। इसके बाद सदन के एक चौथाई सदस्यों को इस पर मंजूरा देते हुए हस्ताक्षर भी करने होते है जिसके बाद सदन इस विचार करता है। और अगर सदन के दो तिहाई लोगों का मत मिल जाता है तो दूसरे सदन में इसकी जांच होती है और वहां पर भी दो तिहाई समर्थन पाना होता है जिसके बाद ही राष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है।
राष्ट्रपति के कार्य – President’s work
राष्ट्रपति देश की तीनों सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करता है इसके अलावा देश के संविधान की रक्षा करना भी राष्ट्रपति का ही कार्य होता है। साथ ही कश्मीर को छोड़कर जिन राज्यों में राज्य सरकार भंग हो जाती है। वहां पर भी राष्ट्रपति शासन ही लगाया जाता है। इसके अलावा मनी बिल को छोड़कर देश के सभी बिल राष्ट्रपति चाहे तो पुर्निविचार के लिए वापस सदन में भेज सकते है। राष्ट्रपति द्वारा ही सभी बिल लागू किए जाते है।
उपराष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया – Vice presidential election process
उपराष्ट्रपति का चुनाव केवल इलेक्टेड लोकसभा और राज्यसभा सदस्य ही करते है उपराष्ट्रपति चुनावों में विधायकों का मत नहीं होता है हालांकि उपराष्ट्रपति चुनावों में दो सदनों के मनोनीत सदस्य मत दे सकते है जबकि राष्ट्रपति चुनावों में मनोनीत सदस्यों को मत देने का अधिकार नहीं होता है।
उपराष्ट्रपति के कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद 60 दिन के अंदर चुनाव करना जरुरी होता है। उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बने के लिए नागरिकता और लोकसभा सदस्य होने के साथ – साथ 20 प्रस्तावक और कम से कम 30 समर्थकों का होना जरुरी होता है।
उपराष्ट्रपति के कार्य – Vice President’s Function
किसी वजह से राष्ट्रपति का पद खाली होने पर उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति की भूमिका निभाते है। इसके अलावा उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते है।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही देश के सबसे अहम पद है जिनपर विराजमान होने के बाद अक्सर राजनेता राजनीति से सन्यास लेते है हालांकि संविधान में इस बात को लेकर कोई भी प्रावाधान नहीं है कि राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा होने के बाद कोई दोबारा राजनीति में सक्रिय नहीं रह सकता।
लेकिन देश के बाकी सभी राजनीतिक पद राष्ट्रपति पद से छोटे होते है इसलिए कोई भी राजनेता राष्ट्रपति पद पर अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद दोबारा राजनीतिक में सक्रिय नहीं रहते हैं।
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