चैतुरगढ़ किले का इतिहास | Chaiturgarh fort History

Chaiturgarh fort

प्रसिद्ध चैतुरगढ़ का किला छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में आता है। इस किले को लाफागढ़ किला नाम से भी जाना जाता है। इस किले को प्राकृतिक महत्व तो है ही लेकिन साथ ही इस किले को वास्तुकला की दृष्टि से देखा जाए तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

Chaiturgarh Fort

चैतुरगढ़ किले का इतिहास – Chaiturgarh fort History

ऐतिहासिक दृष्टि से चैतुरगढ़ किले को बहुत ही महत्व प्राप्त है। पुरातत्वविद इस किले को एक प्राकृतिक और मजबूत किला मानते है। कुछ का ऐसा भी मानना है मध्य प्रान्त और बेरार में मिले कुछ शिलालेख बताते है यह किला 933 कलचुरी के ज़माने का है और उस वक्त कलचुरी राजा का शासन था।

ऐसा माना जाता है की यहाँ का राजा हैहाया परिवार का था और उसे अठरा लड़के थे। उस राजा के लडको में से एक का नाम कलिंगा था और उस कलिंगा का लड़का कमला राजा था। कमला राजा ने तुम्मना पर कई सालो तक शासन किया था। लेकिन कमला राजा को रत्नराजा 1 ने हराया था।

लेकिन रत्नराजा के बाद पृथ्वीदेव ने शासन किया। ऐसा कहा जाता है की इस किले का निर्माण राजा पृथ्वीदेव ने करवाया था। भारत का पुरातत्व विभाग इस किले की देखभाल का काम देखता है।

चैतुरगढ़ किले की वास्तुकला – Chaiturgarh fort Architecture

प्रसिद्ध महिषासुर मर्दिनी मंदिर भी यहीपर है। यहाँ के मंदिर में महिषासुर मर्दिनी की 12 हातोवाली मूर्ति स्थापित की गयी है। इस मंदिर से 3 किमी की दुरी पर शंकर गुफा है। यह गुफा एक सुरंग की तरह है जो की 25 फूट की है। इस गुफा का आकार बहुत छोटा होने के कारण इसमें से रेंगते हुए ही जाना पड़ता है।

इस चैतुरगढ़ या लाफागढ़ किले की दीवारे एक तरह से ने ना होने के कारण हमें इसकी दीवारे कई जगह पर छोटी तो कई जगह पर मोटी देखने को मिलती है। किले के प्रवेश द्वार बहुत ही खुबसूरत तरीक़े से बनाया गया है। इसमें कई सारे स्तंभ और मुर्तिया भी देखने को मिलती है।

यहापर एक बहुत बड़ी गुबंद है जो मजबूत स्थम्भो पर बनायीं गयी है। इस गुबंद को आधार देने के लिए पाच स्तंभ बनवाये गए थे।

किले के बाजु में जो पहाड़ी है उसके आजूबाजू में पाच तालाब थे जो की करीब 5 वर्ग किमी में फैले हुए थे। उन पाच तालाबो में से तीनतालाब साल भर पानी से भरे रहते थे।

किले को मेनका, हुम्कारा और सिंहद्वार नामके तीन सबसे अहम द्वार माने जाते है।

बहुत सारे किले को एक ही नाम दिया जाता है। लेकिन चैतुरगढ़ के किले को एक नहीं बल्कि दो नाम दिए गए है। और यही इस किले की खासियत है। इस किले को चैतुरगढ़ के साथ साथ लाफागढ़ किला नाम से भी जाना जाता है।

और सबसे बड़ी और चौकाने वाली बात यह है की यह किला इतना उचाई पर होने के बाद इसके सबसे ऊपर के इलाके में एक नहीं बल्की पुरे पाच तालाब है और उनमेसे ज्यादातर तालाबो में साल भर पानी भरा रहता है।

Read More:

I hope you find this ”Chaiturgarh fort History in Hindi” useful. if you like this Article please share on Whatsapp & Facebook.

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here